बी ए - एम ए >> भारत में राष्ट्रवाद भारत में राष्ट्रवादडॉ. शालिनी मिश्रा
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राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP-2020) के अनुरूप भारतीय विश्वविद्यालयों के बी.ए. सेमेस्टर-5 के पाठ्यक्रमानुसार
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प्रथम स्वतंत्रता संग्राम : कारण, प्रभाव एवं स्वरूप
First war of Independence : Causes, Impact and Nature.
किसी भी देश का स्वर्णिम इतिहास उस राष्ट्र के राष्ट्रीय आन्दोलन से ही जुड़ा होता है जो उस देश की अमूल्य निधि होता है। इस आन्दोलन से जुड़ी घटनायें सदैव उस राष्ट्र के लिये प्रेरणास्रोत होती हैं। इन गाथाओं से प्रेरित हो देशप्रेम की भावना बलवती हो जाती है। परन्तु यह तभी सम्भव हो सकता है जब राष्ट्रीय आन्दोलन से जुड़ी समस्त घटनाओं का सत्य एवं तथ्यपरक वर्णन प्रस्तुत किया जाय जिससे लोग घटनाओं की वास्तविकता को जान सकें।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिये विभिन्न साधन उपलब्ध हैं जो निम्नलिखित हैं -
राष्ट्रीय आन्दोलन से सम्बन्धित ज्ञान प्राप्ति के स्रोतों का अध्ययन उपलब्धता के आधार पर इस प्रकार किया गया है-
1. सरकारी कागजात (Government Papers) - राष्ट्रीय स्वतन्त्रता आन्दोलन की घटनाओं के विषय में जानने का यह प्रमुख स्रोत है जो निम्नलिखित स्थानों पर उपलब्ध हैं।
(अ) राष्ट्रीय अभिलेखागार - सरकारी कागजातों को राष्ट्रीय अभिलेख में सुरक्षित रखा गया हैं। इन पत्रों में वैदेशिक पत्र व्यवहार, सरकार के पत्र, केन्द्रीय व प्रान्तीय पदाधिकारियों के सरकारी पत्र आदि सम्मिलित हैं।
इनके अध्ययन से तत्कालीन समय की घटनाओं एवं उससे सम्बन्धित सरकारी कार्यवाहियाँ, घोषणाओं एवं पत्रों के विषय में जानकारी प्राप्त होती है। इसके अतिरिक्त क्रान्ति एवं विद्रोह से सम्बन्धित लोगों पर चलाये गये मुकदमों के भी दस्तावेज आदि भी अध्ययन हेतु उपलब्ध हैं।
(ब) प्रान्तीय सचिवालय - प्रत्येक प्रान्त में सरकारी कार्यकलापों का लेखा जोखा इन्हीं सचिवालयों में उपलब्ध होता है।
(स) संसद की कार्यवाही - भारत से सम्बन्धित रिपोर्ट समय-समय पर इंग्लैण्ड की संसद में प्रस्तुत की जाती रही है। इनके अध्ययन से तत्कालीन कार्यकलापों आदि से सम्बन्धित विभिन्न तथ्यों का ज्ञान प्राप्त होता है।
(द) इंग्लैण्ड का भारत आफिस एवं उसका पुस्तकालय - इंग्लैण्ड में भारत का इंडिया ऑफिस लन्दन में बना हुआ है जहाँ भारत के अंग्रेजी शासन से सम्बन्धित दस्तावेज सुरक्षित रखे गये हैं। इनमें सभी घोषणा पत्र तथा गवर्नर जनरल, भारत सचिव एवं इंग्लैंण्ड की महारानी के पत्रों को सुरक्षित रखा गया है। इनके अध्ययन से तत्कालीन समय से सम्बन्धित अंग्रेजी नीतियों एवं कार्यवाहियो का ज्ञान प्राप्त होता है।
(य) मुकदमों की फाइलें - राष्ट्रीय आन्दोलन के समय आन्दोलन से जुड़े लोगों व क्रान्तिकारियों पर चलाये गये मुकदमे एवं अभियोगों की मूल प्रतियां आज भी सुरक्षित रखी गयी हैं। ये अभिलेख, अभिलेखागारों, पुस्तकालयों एवं स्थानीय अधिकारियों से सम्बन्धित कार्यालयों में सुरक्षित हैं।
इनके अध्ययन से इस विषय से सम्बन्धित अनेक तथ्यों की विस्तारपूर्वक अध्ययन सामग्री एवं जानकारियाँ प्राप्त होती है।
(2) समकालीन संस्मरण (Contemporary Memories) - राष्ट्रीय आन्दोलन के विषय में जानने के स्रोत के रूप में संस्मरण एक प्रमुख अध्ययन स्रोत की भूमिका निभाता है।
अनेक क्रान्तिकारियों, समाज के कुछ प्रसिद्ध व्यक्तियों, उच्चाधिकारियों आदि ने अपने अनुभवों को लिपिबद्ध किया। इन संस्मरणों के तथ्य लगभग वास्तविकता के समीप होते हैं। ऐसे संस्मरण कुछ प्रकाशित भी किये गये हैं। इनमें से कुछ ब्रिटिश अधिकारियों के संस्मरण हैं तो कुछ क्रान्तिकारियों एवं उनके परिवारीजनों के वर्णित अंश जो उतने ही महत्वपूर्ण हैं जितनी कि अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारियाँ।
स्वतन्त्रता संग्राम से जुड़े अनेक व्यक्तियों ने अपनी जीवनी आत्मकथा के रूप में लिपिबद्ध की है जो हमें उन सभी घटनाओं के वास्तविक चित्रण करने में सहायक होते हैं।
(3) पत्र व्यवहार - सरकारी, अर्द्धसरकारी एवं व्यक्तिगत रूप से किये गये पत्र व्यवहार भी अध्ययन के स्रोत के रूप में अपनी महत्ता को दर्शाते हैं। इन पत्रों में घटनाओं, उनके परिणामों एवं उस स्थिति पर लोगों के विचार भी जानने को मिलते हैं। कभी-कभी इन पत्रों में कई ऐसी बातों का भी वर्णन प्राप्त होता है जो किसी से कह पाना आसान नहीं था अतः उन्हे लिपिबद्ध कर सूचना के रूप में प्रयोग किया गया। इनमें से कुछ पत्रों एवं उनके अंशों का प्रकाशन भी किया गया है।
(4) तत्कालीन लोक साहित्य एवं लोक गाथायें - राष्ट्र के हित में किये गये कार्यों का वर्णन उस समय के लेखकों द्वारा उनके साहित्य में किया गया तथा आज भी लोकगीतों एवं लोक-गाथाओं के रूप में ये मुँहजबानी लोगों के मन-मस्तिष्क में अपना स्थान बनाये हुये हैं।
इनके अध्ययन से अनेक छोटी-बड़ी बातों का ज्ञान प्राप्त होता है।
(5) व्यक्तिगत लेखन - कभी-कभी तत्कालीन समय में घट रही घटनाओं के विषय में अधिकारी वर्ग या लेखक वर्ग लिखित रूप में वर्णन प्रस्तुत करते है परन्तु उसे लोगों के समक्ष नहीं रखते। इसी श्रंखला में डायरियों का भी वर्णन किया जाना चाहिये। अनेक अधिकारी या आन्दोलन से जुड़े लोग अपनी दैनिक कार्यवाहियों को लिखित रूप में संरक्षित करते थे। ये डायरियाँ भी राष्ट्रीय आन्दोलन के अध्ययन के स्रोत के रूप में प्रमुख स्थान रखती हैं।
(6) तत्कालीन समाचार पत्र - समाचार पत्र-पत्रिकाएँ भी इतिहास के जानने के स्रोत के रूप में अपना महत्व रखते हैं। इस आन्दोलन के समय प्रेस का विकास हो चुका था अतः अनेक प्रकार के स्थानीय, प्रान्तीय समाचार पत्र-पत्रिकाएँ लोगों के बीच प्रकाशित किये जाते थे जो लोगों को उस समय की घटनाओं की जानकारी देते थे। इसमें कुछ भारतीय लेखकों एवं कुछ अंग्रेजी लेखकों के लेख एवं रचनायें भी प्रकाशित होती थीं जो कि राष्ट्रीय आन्दोलन से सम्बन्धित अनेक घटनाओं की जानकारी प्रदान करती थीं।
इन अध्ययन सामग्री की सहायता से तत्कालीन समय की परिस्थितियों, घटनाओं आदि का चित्रण करने में सहायता प्राप्त होती है। फिर भी इनका अध्ययन करने में हमें सावधानी रखनी चाहिये।
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