बी एस-सी - एम एस-सी >> ठोस अवस्था इलेक्ट्रॉनिकी ठोस अवस्था इलेक्ट्रॉनिकीडॉ. हरि प्रकाश सिन्हाराजेश कुमार वर्मा
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यू० पी० यूनिफाइड पाठ्यक्रमानुसार बी.एस.सी. भौतिक विज्ञान प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए पाठ्य पुस्तक
यू० पी० यूनिफाइड पाठ्यक्रमानुसार बी.एस.सी. भौतिक विज्ञान प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए पाठ्य पुस्तक
विषय-सूची
ठोस अवस्था इलेक्ट्रॉनिकी
1. अर्द्ध-चालक तथा अर्द्ध-चालक डायोड...1-42
(SEMICONDUCTORS AND SEMICONDUCTOR DIODES)
प्रस्तावना: ठोस पदार्थों में ऊर्जा बैंड: चालन के प्रति बैंड का व्यवहार; ऊर्जा बैंड के आधार पर धातु, कुचालक एवं अर्द्ध-चालक में अन्तर: इलेक्ट्रॉनों द्वारा चालन: विवर या (ल की अवधारणा; आन्तर या शुद्ध अर्द्ध-चालक अशुद्धियुक्त बाह्य अर्द्ध-चालक: बहुसंख्यक तथा अल्पसंख्यक आवेश वाहक; दाता तथा ग्राही स्तर; अर्द्ध-चालक में अल्पसंख्यक आवेश वाहकों का विसरण: धातुओं एवं अर्द्ध-चालकों में कार्यफलन; धातु अर्द्ध-चालक एवं अर्द्ध-चालक-अद्ध-चालक सम्पर्क बिन्दु:P.N सन्धि, अशद्धि सांद्रता का अकस्मात् असांतत्य:PAN सन्धि डायोड; PAN सन्धि की अभिनति; P-N सन्धि डायोड का अभिलक्षण वक्र विभव प्राचीर अथवा रोधिका विभव; अवक्षय पर्त की चौड़ाई:सन्धि की धारिता; सन्धि डायोड में पश्च वोल्टता भंजन: जेनर डायोड: टनल डायोड; अनुप्रयोग; बिन्दु सम्पर्क डायोड; प्रकाश उत्सर्जक डायोड/लाइट इमिटिंग डायोड: LED से प्राप्त प्रकाश; LED की रचना; LED का विद्युत् परिपथ: LED के लाभ या उपयोगितायें: LED की कमियाँ; LED के उपयोग: LED के आकार एवं आकृति एवं LED के प्रदर्श; फोटो डायोड; संधि डायोड पर ताप का प्रभाव थर्मिस्टर; ताप-प्रतिरोध वक्र।
2. ट्रांजिस्टर...43-79
(TRANSISTORS)
ट्रांजिस्टर; द्वि-ध्रुवी सन्धि ट्राजिस्टर: P-N-Pट्रांजिस्टर की कार्यविधि: N-P-N ट्रांजिस्टर की कार्यविधि: आधार-चौड़ाई मॉडलनः अल्पसंख्यक आवेश वाहकों का जीवन काल तथा गमन काल: संक्रमण तथा विसरण धारिता; इबर्स-मोल मॉडल तथा आधार विस्तारी प्रतिरोध; ट्रांजिस्टर उपयोग की विभिन्न विधाएँ तथा उनके अभिलाक्षणिक वक्र उभयनिष्ठ आधार विधा में अभिलाक्षणिक वक्र: उभयनिष्ठ उत्सर्जक विधा में अभिलाक्षणिक वक्र: उभयनिष्ठ संग्राही विधा में अभिलाक्षणिक वक्र: धारा प्रवर्धन गुणांक विभिन्न धारा लाभों में सम्बन्ध; वोल्टता लाभ: विभिन्न विधाओं में टांजिस्टर के गुणों की तुलना: ट्रांजिस्टर धाराओं के बीच सम्बन्ध B-नियम या पुनर्निवेशी नियम: T-समतुल्य परिपथ: टांजिस्टर प्राचल/पैरामीटर;Y-प्राचल;-h प्राचल: h - तथा y - प्राचलों के बीच सम्बन्ध; उत्क्रम सम्बन्ध।
3. ट्रांजिस्टर अभिनति...80-96
(TRANSISTOR BIASING)
ट्रांजिस्टर अभिनति: CE ट्रांजिस्टर का ग्राफीय विश्लेषण भार रेखा: ट्रांजिस्टर अभिनति की विभिन्न विधियाँ; स्थिर धारा अभिनति: संग्राहक-आधार प्रतिरोध; एमीटर-प्रतिरोध अभिनति: स्व अथवा विभाजक अभिनति; तापीय रन-अवे; अभिनति स्थायित्व व्यवस्था; स्थिर अभिनति; संग्राहक-आधार प्रतिरोध अभिनति; उत्सर्जक-प्रतिरोध अभिनति विभव विभाजक या स्व-अभिनति।
4. ट्रांजिस्टर प्रवर्धक....97-158
(TRANSISTOR AMPLIFIERS)
प्रवर्धक; प्रवर्धकों का वर्गीकरण; प्रवर्धक का सिद्धान्त: प्रवर्धकों के प्राचल: ट्रांजिस्टर प्रवर्धक का प्राचल सामान्य विश्लेषण उभयनिष्ठ आधार ट्रांजिस्टर प्रवर्धक; उभयनिष्ठ उत्सर्जक ट्रांजिस्टर प्रवर्धक, उभयनिष्ठ संग्राहक ट्रांजिस्टर प्रवर्धक, उत्सर्जक . अनुगामी: CB प्रवर्धक का । प्राचल विश्लेषण: CE-प्रवर्धक का -प्राचल विश्लेषण; Cc-प्रवर्धक का -प्राचल विश्लेषणः एकल स्टेज CB.CE तथा ccट्रांजिस्टर प्रवर्धकों का तुलनात्मक अध्ययन प्रवर्धकों में विरूपण: एक-स्टेजी RC- युग्मित CE ट्रांजिस्टर प्रवर्धक आवृत्ति अनुक्रिया वक्र विभिन अवयवों का वोल्टता लाभ पर प्रभाव: RC-युग्मित प्रवर्धन के लाभ तथा कमियाँ द्वि-स्टेजी प्रतिरोध-धारिता युग्मित ट्रांजिस्टर प्रवर्धक; डी.सी. बायसित ट्रांजिस्टर में ए.सी. स्त्रोत का लगना; लघु सिग्नल उभयनिष्ठ उत्सर्जक प्रवर्धक; डी.सी. तथा ए.सी. समतुल्य परिपथों की आवश्यकता; डी.सी. तथा ए.सी. समतुल्य परिपथों को प्राप्त करना; डी.सी. समतुल्य परिपथ में ट्रांजिस्टर; ए.सी. समतुल्य परिपथ में ट्रांजिस्टर: CB प्रवर्धक तथा उसके समतुल्य परिपथ CE प्रवर्धक तथा उसके समतुल्य परिपथ; ए.सो. समतुल्य परिपथ का विश्लेषण; CCप्रवर्धक तथा उसके समतुल्य परिपथ ट्रांजिस्टर शक्ति प्रवर्धक वोल्टेज प्रवर्धक एवं शक्ति प्रवर्धक में अन्तर: वोल्टेज प्रवर्धक तथा शक्ति प्रवर्धक की तुलना; वर्ग A तथा वर्ग B शक्ति प्रवर्धक: ट्रांजिस्टर शक्ति प्रवर्धक; वर्ग B दशा में कार्यविधि; शक्ति प्रवर्धक पर ताप का प्रभाव: प्रवर्धकों में विरूपण; प्रवर्धकों में स्टेजों का सोपानीकरण तथा बहुस्टेजी ट्रांजिस्टर प्रवर्धक; आवृत्ति अनुक्रिया वक्र या प्रवर्धक की बैण्ड चौड़ाई पर सोपानीकरण का प्रभाव प्रवर्धकों में पुनर्निवेश अथवा पुनर्निवेशी प्रवर्धक: पुनर्निवेश का सिद्धान्त; प्रवर्धकों में ऋणात्मक पुनर्निवेश के लाभ: वेल्टेज पुनर्निवेश तथा धारा पुनर्निवेश; ऋणात्मक पुनर्निवेश के प्रभाव।
5. क्षेत्र प्रभाव ट्रांजिस्टर...59-184
(FIELDEFFECT TRANSISTOR]
क्षेत्र प्रभाव ट्रांजिस्टर; संधि क्षेत्र प्रभाव ट्रांजिस्टर:Nचैनल JFET:P चैनल JFET; JFET का प्रचालन: JFET के अभिलाक्षणिक (धारा-वोल्टेज) वक्र; JFET के अभिलाक्षणिक नियतांक तथा उनमें सम्बन्ध : JEET के द्विध्रुवीय ट्रांजिस्टर में अन्तर: JFET से लाभ: JFET अभिनति: JFET के प्राचलन की विभिन्न विधाएँ: JFET का प्रवर्धक के रूप में उपयोग; धातु ऑक्साइड अर्द्धचालक क्षेत्र प्रभाव ट्रांजिस्टर; MOSFET के अभिलाक्षणिक वक्र; MOSFET के लाभ: MOSFET बायसिंग-वोल्टेज बायसिंग; परिवर्ती वोल्टेज प्रतिरोध के रूप में MOSFET का उपयोग।
6. अन्य अर्द्धचालक युक्तियाँ एवं परिपथ....185-205
(OTHER SEMICONDUCTOR DEVICES AND CIRCUITS)
पावर सप्लाई या शक्ति संभरण; नियमित पावर सप्लाई के प्रमुख भाग; नियमित पावर सप्लाई की कायविधि; वोल्टता नियमन ऊर्मिका गुणांक; वोल्टता गुणक: अर्द्ध-तरंग वोल्टता द्विगुणक; पूर्ण-तरंग वोल्टता दिगणक: व्यापक वोल्टता गुणक: प्रतिलोमित्र या इन्वर्टर एकीकृत या संकुलित परिपथ: c के लाभ: ICs की कमियों या सीमायें: एकीकरण का स्तर: ICs का वर्गीकरण: रैखिक एकीकृत परिपथ रैखिक ICs के उपयोग; डिजिटल एकीकृत परिपथ: 10 संविरचण: फोटोलिथोग्राफी प्रक्रिया: फोटो ट्रांजिस्टर, सिलिकॉन नियन्त्रित दिष्टकारी अभिलाक्षणिक वक्र: एकल सन्धि ट्रांजिस्टर:UT विश्रान्ति दोलित्र।
लघुगणक एवं प्रतिलघुगणक सारणियाँ...i-iv
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