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बीए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :325
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2625
आईएसबीएन :000000000

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बीए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र

प्रश्न- भारतीय संस्कृति विविधता में एकता की अभिव्यक्ति है। विवेचना कीजिए।

अथवा
"भारतीय संस्कृति में विविधता में एकता एक मुख्य विशेषता है।' व्याख्या कीजिए।
अथवा
"भारत विविधताओं का संग्रहालय है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
अथवा
"भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता" पर एक लेख लिखिये।

उत्तर-
भारतीय संस्कृति में विविधता

भारतीय संस्कृति में विभिन्न प्रकार के सांस्कृति तत्वों का एक अनुपम समन्वय देखने को मिलता है। ये विविधतायें भारतीय समाज व संस्कृति मे चार-चाँद लगाती है। वास्तव में भारतीय संस्कृति में दूसरों के सांस्कृतिक तत्वों को आत्मसात करने और अपने अन्दर उनको उपयुक्त स्थान प्रदान करने की अद्भुद शक्ति है। इसी सौन्दर्य को देखकर ही अनेकों विदेशियों ने भारत में प्रवेश किया। इनकी संस्कृति एक- दूसरे से काफी भिन्न होने के बावजूद भी भारत ने इनको ग्रहण किया और उसे अपने साथ मिला लिया। इसी प्रकार समय की माँग को देखते हुए भारत ने विभिन्न सांस्कृतियों के विभिन्न तत्वों को आत्मसात करके अपनी सम्पन्नता को बढ़ाया। भारत ने ग्रहण किये जा सकने वाले सभी तत्वों को ग्रहण किया। इन विविधताओं को निम्न प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है -
1. भौगोलिक दशाओं की विविधताएँ - भारत का क्षेत्रफल काफी बड़ा है। अतः यहाँ भौगोलिक विविधताओं का पाया जाना स्वाभाविक है। भारत में यदि एक ओर बर्फ से ढकी हिमालय पर्वत की चोटियाँ है तो दूसरी ओर उपजाऊ मैदान भी है। भारत में यदि एक और राजस्थान का शुष्क मरुस्थल है, तो दूसरी ओर सिन्धु गंगा का वह मैदान है, जहाँ मानव जीवन के असंख्य दीप नित्य जल-बूझ रहे हैं। यहाँ यदि एक ओर गंगा जी विद्यमान हैं तो दूसरी ओर दक्षिण की कुछ ऐसी नदियाँ भी हैं, जिन्हे केवल वर्षा से ही जल प्राप्त होता है। यहाँ पर न केवल पहाड़ों व नदियों में विविधतायें पायी जाती हैं बल्कि यहाँ विभिन्न प्रकार की मिट्टी भी पायी जाती है। जैसे- काली मिट्टी, दोमट मिट्टी एवं कहारी मिट्टी आदि।
2. जलवायु की विविधताएँ - भारत की जलवायु में भी विविधतायें पायी जाती है। यहाँ उष्ण, शीतोष्ण और शीत तीनों प्रकार की जलवायु पायी जाती है। यहा के यदि एक स्थान पर शरीर कपकपानें वाली सर्दी पड़ती है। तो दूसरे स्थान पर भीषण गर्मी भी पड़ती है। कोंकण एवं करोमण्डल तट पर नमी व गर्मी दोनों है। यहाँ यदि एक ओर दक्षिण के शुष्क पथरीले पठार की सूखी जलवायु है तो दूसरी ओर बंगाल की मालाबार की आर्द्र जलवायु और मालवा की शीतोष्ण जलवायु भी है। यहाँ एक ओर असम, बंगाल व चेरापूँजी में अधिक वर्षा होती हैं वहीं दूसरी ओर राजस्थान व पंजाब के दक्षिणी भाग में बहुत कम वर्षा होती है।
3. प्रजातीय भिन्नतायें - भारत देश में अनेक प्रजातियाँ निवास करती हैं। यहाँ पर नाटे कद वाले नीग्रिटो प्रजाति के लोग और लम्बे कद वाले नीर्डक प्रजाति के लोग रहते है। यहाँ पर मंगोल एवं प्रोटो-आष्ट्रोलॉयड प्रजाति के लोग भी रहते हैं। जहाँ एक ओर चौड़े सिर वाले आल्पाइन प्रजाति के सदस्य भी रहते हैं। इस प्रकार जहाँ विभिन्न प्रजातियाँ निवास करती है।
4. भाषा की भिन्नताएँ हमारे देश में 1652 मातृभाषाएँ प्रचलित हैं, जिन्हे 826 भाषाओं के अन्तर्गत लाया जा सकता है। इनमें 103 भाषाएँ ऐसी हैं जो भारतीय नहीं है। हिन्दी भाषा को बोलने वालों की संख्या सर्वाधिक है। जोकि सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में निवास करते है। इसके बाद क्रमश: तेलगू व बंगला भाषाओं का स्थान है। इसके अतिरिक्त यहाँ निम्न भाषाएँ प्रचलित है- गुजराती, मराठी, तमिल, उर्दू, कन्नड, मलयालम, बिहारी, राजस्थानी, असमी, पंजाबी, भीली, संथाली, उड़ीसा, काश्मीरी, सिन्धी, तथा गन्डी आदि। यहाँ संस्कृत भाषा को बोलने वालों की संख्या काफी कम है। उन भाषाओं को चार अलग-अलग भाषा-परिवारों से सम्बद्ध किया जा सकता है। जोकि निम्नलिखित हैं- आर्यन, आगीइन, डाविड़पन एवं चीनी तिब्बती।
5. धर्म की विविधताएँ - हमारे देश में धर्मो में भी विविधताएँ पायी जाती हैं। यहाँ पर अनेकों धर्म पाये जाते हैं - हिन्दू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिक्ख धर्म, इसाई धर्म एवं इस्लाम धर्म आदि। यहाँ पर केवल हिन्दू धर्म के विविध सम्प्रदाय व मत सम्पूर्ण देश में फैले हुए हैं जैसे - वैदिक धर्म, सनातन धर्म, पौराणिक धर्म, शैव धर्म, शाक्य धर्म, वैष्णव धर्म, राजा वल्लभ सम्प्रदाय, आर्य संभाली, ब्रह्मसमाजी एवं नानकपन्थी आदि। इनमें से कुछ धर्म, साकार ईश्वर की तथा कुछ निराकार ईश्वर की पूजा करते हैं। किसी में भक्ति मार्ग की प्रधानता है तो किसी में ज्ञान-मार्ग की तथा कोई अहिंसा का पुजारी है तो कोई बलि और कोई यज्ञ पर बल देता है।
भारतीय संस्कृति की विविधताओं में मौलिक अखण्ड एकता
भारत की उपरोक्त विविधताओं की अध्ययन करने के पश्चात् निष्कर्ष रूप में यह नहीं कहा जा सकता है कि भारत विविधताओं का विशाल देश है। यद्यपि भारत में विभिन्न जातियाँ निवास करती हैं. जिनकी अपनी भाषा, रहन-सहन, रीति-रिवाज, धर्म तथा आदर्श एक-दूसरे से भिन्न हैं। लेकिन भारतीय समाज व जन जीवन का गहरा अध्ययन करने पर इस बात का पता चलता है कि इन विविधताओं के पीछे आधारभूत अखण्ड मौलिक एकता भी भारतीय समाज में संस्कृति की अपनी एक विशिष्ट विशेषता है। इस निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है-
1. भौगोलिक एकता - भौगोलिक दृष्टि से भारत को कई भागों में विभक्त किया जा सकता है। इस विशाल देश के अन्दर न तो ऐसे पर्वत है, और न ही ऐसी नदियाँ व वन है, जिनको पार न किया जा सकता है। इस प्रकार भारत एक सम्पूर्ण भौगोलिक ईकाई है। इसके साथ ही उत्तर में हिमालय की विशाल पर्वतमाला तथा दक्षिण में समुद्र ने भारत में एक विशेष प्रकार की ऋतु पद्धति बना दी है। जो जल भाप बनकर ऊपर उठता है यह बर्फ की चोटियों में जम जाता है, फिर गर्मी पाकर यही बर्फ पानी के रूप में नदियों और समुद्र में बहता है। सनातन काल से हिमालय और समुद्र में बहता है। सनातन काल से
हिमालय और समुद्र के मध्य आदान-प्रदान करने का क्रम निरन्तर रूप से चल रहा है। यहाँ एक निश्चित क्रम के अनुसार ऋतुएँ आती जाती है। इस प्रकार स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि भारत में पूर्ण भौगोलिक एकता विद्यमान है।
2. धार्मिक एकता - भारत की एकता और अखण्डता भारतीयों के धार्मिक विश्वासों और कृत्यों में स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है। वैसे तो यहाँ पर अनेक धर्म व सम्प्रदाय है, किन्तु गहराई से देखने पर यह पता चलता है कि वे सभी समान दार्शनिक व नैतिक सिद्धान्तों पर आधारित है। भारत की सात पवित्र नदियाँ एवं पर्वत भारत के विभिन्न भागों में स्थित है, जिनके प्रति देश के प्रत्येक भाग के निवासी समान रूप से श्रद्धा व आदर भाव रखते है। इतना ही नहीं राम, कृष्ण, हनुमान, शिव एवं माँ दुर्गा का गुणगान सम्पूर्ण भारत में किया जाता है। इसी प्रकार चारों दिशाओं के चार धाम-उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथपुरी और पश्चिम में द्वारिका भारत में धार्मिक एकता और अखण्डता के प्रमाण है। इसी प्रकार गाय को सभी हिन्दु पवित्र मानकर पूजते है। इस प्रकार भारतीयों के समक्ष भारत की एकता एवं अखण्डता की कल्पना सदैव मूर्तिमान रही है।
3. सांस्कृतिक एकता - भारत में प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक एकता विद्यमान रही है। विभिन्न जातियों व धर्मावलम्बियों के होने के बावजूद उनकी संस्कृति भारतीय संस्कृति का एक अंग बनकर रह गयी है। सम्पूर्ण भारत में सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का मौलिक आधार एक सा है। इस सम्बन्ध में प्रो. हुमायूँ कवीर ने लिखा है कि -
"भारतीय संस्कृति की कहानी, एकता और समाधानों का समन्वय है तथा प्राचीन परम्पराओं और नवीन मानों के पूर्ण संयोग के उन्नति की कहानी है। यह प्राचीनकाल में रही है और जब तक यह विश्व रहेगा तब तक सदैव रहेगी। दूसरी संस्कृतियाँ नष्ट हो गयी पर भारतीय संस्कृति व इसकी एकता अमर है।'
4. सामाजिक एकता - भारत के विभिन्न भागों में सामाजिक जीवन में भी सन्तुलन पाया जाता है। सभी स्थानों पर संयुक्त प्रथा का प्रचलन है। जाति प्रथा ने किसी न किसी रूप में भारत के सभी निवासियों को प्रभावित किया है। सम्पूर्ण भारत के लगभग सभी स्थानों में दीपावली, होली, रक्षाबन्धन व दशहरा आदि त्योंहारों को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसी प्रकार सम्पूर्ण देश में जन्म-मरण के संस्कारों व विधियों, विवाह-प्रणालियों, शिष्टाचार, मेलों, उत्सवों, सामाजिक रूढ़ियों एवं परम्पराओं में भी पर्याप्त समानता देखने को मिलती है।
5. राजनीतिक एकता - भारत में राजनीतिक दृष्टि से भी सदैव एकता रही है। यद्यपि भारत में अनेकों राज्य विद्यमान रहे है, किन्तु भारत के सभी महान सम्राटों का उद्देश्य सम्पूर्ण भारत पर एकपत्र साम्राज्य स्थापित करता रहा है, जिसके लिए विभिन्न प्रकार के यज्ञ किये जाते रहे है। प्राचीन ग्रन्थों मे इस प्रकार के अनेक राजाओं की गाथाओं का वर्णन है कि उन्होंने पूर्व से पश्चिम तक तथा उत्तर से दक्षिण तक भारत में अपना साम्राज्य स्थापित किया और यह व्यक्त किया कि भारत का विस्तृत भूखण्ड राजनीतिक दृष्टि से वास्तव में एक है।
6. भाषा की एकता - भारत में विभिन्न प्रकार की भाषाएँ प्रचलित अवश्य हैं किन्तु वे सभी एक ही सांचे में ढली हुई है। सभी भाषाओं पर संस्कृत भाषा का प्रभाव देखने को मिलता है तथा अधिकांश भाषाओं की वर्णमाला एक हैं। फलस्वरूप भारत की प्रायः सभी भाषाएँ बहुत अर्थों में समान बन गयी है। श्रीलूनिया ने लिखा है कि ईसा से पूर्व तृतीय शताब्दी में इस विशाल देश की एक ही राष्ट्रभाषा प्राकृत भाषा थी, जो महामान्य सम्राट आशोक का सन्देश उसकी प्रजा के निम्नरथ श्रेणी के व्यक्ति द्वार तक ले जाने में भी समर्थ हुई। कुछ शताब्दियों के पश्चात् संस्कृत नामक एक अन्य भाषा ने इस महाद्वीप के एक कोने में अपना स्थान बना लिया। इसी के द्वारा समस्त धर्मों का प्रचार हुआ। संस्कृत में ग्रन्थ आज भी रुचिपूर्ण सम्पूर्ण भारत में पढ़े जाते है। सम्पूर्ण देश के समाज को एक सूत्र में पिरोने का कार्य पहले प्राकृत व संस्कृत भाषा नें, फिर अंग्रेजी और बाद में हिन्दी द्वारा किया जा रहा है। भाषा की एकता की इस निरन्तरता को कदापि खण्डित नहीं किया जा सकता है।
7. भारत के निवासियों की एकता - यद्यपि भारत में अनेकों जातियाँ व प्रजातियाँ निवास करती है। इनमें कुछ बाहरी प्रजातियाँ भी हैं, किन्तु ये आज हिन्दुओं में इतना मिलजुल चुकी है कि उनका पृथक अस्तित्व लगभग समाप्त हो चुका है। इसके अतिरिक्त बहुसंख्यक इसाई व मुसलमान, जो आज भारत के नागरिक हैं, वास्तव में मूलत: हिन्दू ही हैं, केवल धर्म परिवर्तन के द्वारा वे इसाई या मुसलमान बन गये है।
धर्म परिवर्तन कर लेने पर हृदय परिवर्तन नहीं होता, यही कारण है कि हिन्दु मुसलमान व इसाई में काफी समानता पायी जाती है। स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् भारत के निवासियों की एकता में और भी अधिक वृद्धि हुई, क्योंकि वे सभी आज धर्म-निरपेक्ष भारत संघ के नागरिक है और उन्हे सभी क्षेत्रों में समान अधिकार प्राप्त है।
8. कला की एकता - भारतीय जीवन में कला की एकता भी उल्लेखनीय विषय है चित्रकला. मूर्तिकला, नृत्य एवं संगीत आदि के क्षेत्रों में हमें काफी समानता देखने को मिलती है। इन सभी क्षेत्रों में देश की विभिन्न कलाओं का एक अपूर्ण मिलन हुआ। इस मिलन का आभास देश के विभिन्न भागों में बने मन्दिर, मस्जिद, गुरुद्वारों एवं गिरिजाघरों में होता है। सम्पूर्ण भारत वर्ष में पाश्चात्य धुनो का भी विस्तार है। इसी प्रकार भारत नाट्यम, कत्थक एवं मणिपुरी आदि नृत्यों से भारत के सभी भागों में लोग परिचित है। इस प्रकार यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है कि कला के क्षेत्र में भी भारत में अखण्ड एकता है।
उपरोक्त विवेचन के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि भारत में अनेकों विविधताएँ होने के बावजूद यहाँ मौलिक रूप से अखण्डता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- समाजशास्त्र के उद्भव एवं विकास क्रम का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- अध्ययन की सुविधा के लिये समाजशास्त्र के विकास क्रम को कितने काल खण्डों में विभाजित किया गया है?
  3. प्रश्न- प्राचीनकाल से 13वीं शताब्दी पूर्वार्द्ध तक तथा प्राचीनकाल से लेकर 13वीं शताब्दी पूर्वार्द्ध तक समाजशास्त्र के विकास क्रम पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- 13वीं शताब्दी उत्तरार्द्ध से लेकर 18वी शताब्दी तक, समाजशास्त्र के विकास क्रम को बताइए।
  5. प्रश्न- 19वीं शताब्दी पूर्वार्द्ध से लेकर वर्तमान काल तक, समाजशास्त्र के विकास-क्रम को बताइये तथा प्रमुख समाजशास्त्रियों का उल्लेख कीजिए।
  6. प्रश्न- 'भारत में समाजशास्त्र के विकास' पर टिप्पणी कीजिए।
  7. प्रश्न- स्वतंत्र भारत में समाजशास्त्र के विकास की प्रमुख विचारधाराओं का उल्लेख कीजिए।
  8. प्रश्न- "समाजशास्त्र का अतीत बहुत लम्बा है, किन्तु इतिहास संक्षिप्त। बीरस्टीट के इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- "समाजशास्त्र का अतीत बहुत लम्बा है।" स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- "समाजशास्त्र का इतिहास संक्षिप्त है।' विवेचित कीजिए।
  11. प्रश्न- समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए। अथवा स्पष्ट कीजिए समाजशास्त्र क्या है?
  12. प्रश्न- क्या समाजशास्त्र अन्य विज्ञानों की तुलना में नया विज्ञान है? विवेचना कीजिए।
  13. प्रश्न - समाजशास्त्र को जन्म देने वाली प्रवृत्तियाँ कौन-कौन-सी हैं?
  14. प्रश्न- शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ बताइये।
  15. प्रश्न- पारिभाषिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समझाइये। अथवा समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए।
  16. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के विश्लेषण के आधार पर समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- समाजशास्त्र की उपयोगिता अथवा महत्ता पर प्रकाश डालिए।
  18. प्रश्न- समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति स्पष्ट कीजिए। अथवा समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति क्या है?
  19. प्रश्न- समाजशास्त्र की विषय-वस्तु (Subject matter) या अध्ययन विषय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- समाजशास्त्र की विषय-वस्तु को संक्षेप में बताइये।
  21. प्रश्न- समाजशास्त्र की विषय-वस्तु के सम्बन्ध में दुखींम के विचारों को बताइये।
  22. प्रश्न- समाजशास्त्र की विषय-वस्तु के सम्बन्ध में गिन्सबर्ग के क्या विचार थे?
  23. प्रश्न- समाजशास्त्र के विषय-वस्तु के सम्बन्ध में सारोकिन के विचारों को बताइये।
  24. प्रश्न- समाजशास्त्र की विषय-वस्तु सामाजिक सम्बन्ध है। बताइये।
  25. प्रश्न- सामाजिक सम्बन्धों के सन्दर्भ में समाजशास्त्र की परिभाषा दीजिए।
  26. प्रश्न- समाजशास्त्र की परिभाषा दीजिए और उसका विषय-क्षेत्र निर्धारित कीजिए।
  27. प्रश्न- समाजशास्त्र के विषय क्षेत्र के सम्बन्ध में दो सम्प्रदाय कौन-कौन से हैं?
  28. प्रश्न- स्वरूपात्मक सम्प्रदाय की विशेषताएँ क्या हैं? बताइये।
  29. प्रश्न- समाजशास्त्र का समन्वयात्मक दृष्टिकोण बताइये।
  30. प्रश्न- समन्वयात्मक सम्प्रदाय की विशेषताएँ क्या हैं?
  31. प्रश्न- समाजशास्त्र के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  32. प्रश्न- समाजशास्त्र के स्वरूपात्मक एवं समन्वयात्मक सम्प्रदाय की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- समाजशास्त्र के स्वरूपात्मक सम्प्रदाय की विवेचना कीजिए।
  34. प्रश्न- समाजशास्त्र की प्रकृति कैसी है? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के सम्बन्ध में किंग्सले डेविस (Kingsley Davis) के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  36. प्रश्न- "जहाँ जीवन है, वहाँ समाज है।' व्याख्या कीजिए।
  37. प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से आप क्या समझते हैं?
  38. प्रश्न- समाजशास्त्र के मानविकी परिप्रेक्ष्य की विशेषता क्या है?
  39. प्रश्न- समन्वयात्मक सम्प्रदाय क्या है?
  40. प्रश्न- समाजशास्त्र और सामान्य बोध के संबंध में विस्तारपूर्वक व्याख्या कीजिये।
  41. प्रश्न- सामान्य बोध की अवधारणा क्या है?
  42. प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य की व्याख्या करने हेतु इसकी विशेषताएँ लिखिये।
  43. प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख कीजिये।
  44. प्रश्न- तुलनात्मक परिप्रेक्ष्य को परिभाषित कीजिये।
  45. प्रश्न- संघर्षात्मक परिप्रेक्ष्य की अवधारणा दीजिये।
  46. प्रश्न- आगमन या निगमन परिप्रेक्ष्य क्या है?
  47. प्रश्न- एक परिप्रेक्ष्य के रूप में समाजशास्त्र की व्याख्या कीजिये।
  48. प्रश्न- परिप्रेक्ष्य संबंधी अगस्त काम्टे के विचारों पर टिप्पणी लिखिये।
  49. प्रश्न- परिप्रेक्ष्य संबंधी कार्ल मार्क्स और हरबर्ट स्पेन्सर के विचारों की तुलना कीजिये।
  50. प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य के सम्बन्ध में इमाइल दुर्खीम और मैक्स वेवर के विचारों की समीक्षा करो।
  51. प्रश्न- समाजशास्त्र समाज सम्बन्धी ज्ञान में अभिवृद्धि करने, विशेषीकृत एवं जटिल समाज की समस्याओं का समाधान करने तथा सामाजिक अनुकूलन में किस प्रकार सहायक है? बताइये।
  52. प्रश्न- समाजशास्त्र सामाजिक संघर्षो को दूर करने, सुखी एवं सामंजस्यपूर्ण पारिवारिक जीवन के निर्माण एवं व्यावसायिक क्षेत्र में किस प्रकार उपयोगी है? बताइये।
  53. प्रश्न- समाजशास्त्र की भारतीय जनजीवन में क्या उपयोगिता है?
  54. प्रश्न- समाजशास्त्रीय एवं सामान्य बोध में अंतर स्पष्ट कीजिये।
  55. प्रश्न- क्या समाजशास्त्र एक विज्ञान है? इसके विज्ञान मानने में क्या प्रमुख आपत्तियाँ की जाती हैं? आप इन आपत्तियों का निराकरण कैसे करेंगे?
  56. प्रश्न- समाजशास्त्र की वैज्ञानिक प्रकृति के विरुद्ध कुछ आपत्तियों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- किसी विषय के वैज्ञानिक होने की विशेषताएँ क्या हैं?
  58. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि 'समाजशास्त्र एक विज्ञान' है।
  59. प्रश्न- 'समाजशास्त्र विज्ञान नहीं बन सकता' उठायी जाने वाली प्रमुख आपत्तियाँ कौन-कौन सी हैं?
  60. प्रश्न- "सामाजिक घटनायें जटिल और निरन्तर परिवर्तनशील प्रकृति की होती है।" मूल्याँकन कीजिए।
  61. प्रश्न- 'सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में वैज्ञानिक तटस्थता सम्भव नहीं' स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- 'समाजशास्त्र के पास प्रयोगशाला का अभाव है' स्पष्ट कीजिए।
  63. प्रश्न- 'सामाजिक घटनाओं को मापने में कठिनाई होती है। स्पष्ट कीजिए।
  64. प्रश्न- 'समाजशास्त्र यथार्थ विज्ञान नहीं है' स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- 'समाजशास्त्र भविष्यवाणी नहीं कर सकता' स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- "समाजशास्त्र सामाजिक सम्बन्धों का वैज्ञानिक अध्ययन है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  67. प्रश्न- समाजशास्त्र समाज का वैज्ञानिक अध्ययन है। विवेचना कीजिए।
  68. प्रश्न- समाजशास्त्र में प्रयोगशाला पद्धति का प्रयोग नहीं होता फिर यह विज्ञान किस प्रकार हो सकता है? तर्क दीजिए।
  69. प्रश्न- "विज्ञान के लिए प्रयोगशाला का होना आवश्यक है जबकि समाजशास्त्र में प्रयोगशाला का अभाव पाया जाता है फिर भी इसे विज्ञान माना जाता है।' व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- समाजशास्त्रीय अध्ययन में मानवीय उन्मुखता या दृष्टिकोण की विवेचना कीजिए।
  71. प्रश्न- समाजशास्त्रीय अध्ययन में मानवीय उन्मुखता पर प्रकाश डालिये।
  72. प्रश्न- समाजशास्त्र के अध्ययन में मानवीय दृष्टिकोण के समर्थक विद्वानों के विचारों का उल्लेख कीजिए।
  73. प्रश्न- परिप्रेक्ष्य क्या है? समाजशास्त्र के मानवतावादी परिप्रेक्ष्य के विषय में विस्तार सहित लिखिए।
  74. प्रश्न- मानवीय उन्मुखता के अन्तर्गत सामाजिक यथार्थ के अध्ययन के प्रमुख उपागम बताइए।
  75. प्रश्न- समाजशास्त्र के उद्भव की ऐतिहासिक, सामाजिक, आर्थिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  76. प्रश्न- समाजशास्त्र के अभ्युदय में सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक कारणों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  77. प्रश्न- समाजशास्त्र के उद्भव की विवेचना कीजिए।
  78. प्रश्न- समाजशास्त्र के उदय की संक्षेप में समीक्षा कीजिए।
  79. प्रश्न- समाजशास्त्र के उद्भव में सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- समाजशास्त्र के विकास में सोलहवी शताब्दी से उन्नीसवीं शताब्दी तक के वैज्ञानिक चिन्तन के योगदान की समीक्षा कीजिए।
  81. प्रश्न- समाजशास्त्र के विकास के विभिन्न चरणों की व्याख्या कीजिए।
  82. प्रश्न- पश्चिमी समाज में समाजशास्त्र के विकास का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- भारत में समाजशास्त्र के विकास के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- भारत में समाजशास्त्र के विकास को संक्षेप में समझाइये।
  85. प्रश्न- भारत में समाजशास्त्र के विकास की प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- समाजशास्त्र की आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  87. प्रश्न- समाजशास्त्र का अन्य सामाजिक विज्ञानों से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  88. प्रश्न- समाजशास्त्र का मानवशास्त्र के साथ क्या सम्बन्ध है?
  89. प्रश्न- समाजशास्त्र एवं मनोविज्ञान में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- समाजशास्त्र और इतिहास में सम्बन्ध बताइए।
  91. प्रश्न- समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  92. प्रश्न- समाजशास्त्र और दर्शनशास्त्र में सम्बन्ध बताइये।
  93. प्रश्न- समाजशास्त्र का शिक्षाशास्त्र एवं अपराधशास्त्र से सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  95. प्रश्न- समाजशास्त्र और अपराधशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  96. प्रश्न- 'सभी सामाजिक विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं।' व्याख्या कीजिए।
  97. प्रश्न- "समाजशास्त्र का प्रत्यक्ष सम्बन्ध समाज से है, जबकि अर्थशास्त्र के अर्थ से।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- समाजशास्त्र और इतिहास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- समाजशास्त्र और राजनीतिशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- समाजशास्त्र और मानवशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- समाजशास्त्र और अपराधशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- समाज का अर्थ व प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  106. प्रश्न- समाज से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए
  107. प्रश्न- समाज व एक समाज में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- समाज की प्रकृति को संक्षेप में विवेचित कीजिए।
  109. प्रश्न- समाज की अमूर्त अवधारणा क्या है? समझाइये।
  110. प्रश्न- सामाजिक सम्बन्धों में पारस्परिक जागरूकता होती है। समझाइये।
  111. प्रश्न- सामाजिक सम्बन्धों में समानता व भिन्नता दोनों ही पायी जाती है। समानता व भिन्नता का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- समाज में समानता और भिन्नता पाई जाती है कैसे? समझाइये।
  113. प्रश्न- सहयोग व संघर्ष दोनों ही समाज के अनिवार्य हैं। सहयोग कितने प्रकार के होते हैं? वर्णन कीजिए।
  114. प्रश्न- समाज का मूल आधार अन्तःनिर्भरता है, कैसे? समझाइये।
  115. प्रश्न- समाज सामूहिक अन्तःक्रिया का फल है, किस प्रकार? बताइये।
  116. प्रश्न- समाज मनुष्यों तक सीमित नहीं है। संक्षेप में समझाइये।
  117. प्रश्न- समुदाय से आप क्या समझते हैं? विवेचित कीजिए।
  118. प्रश्न- समुदाय की परिभाषा दीजिए।
  119. प्रश्न- समुदाय की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  120. प्रश्न- क्या पड़ोस समुदाय है? स्पष्ट कीजिए।
  121. प्रश्न- क्या जेल समुदाय है? स्पष्ट कीजिए
  122. प्रश्न- क्या राज्य समुदाय है? स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- क्या चर्च समुदाय है? स्पष्ट कीजिए।
  124. प्रश्न- समुदाय से आप क्या समझते हैं? क्या आपकी दृष्टि में पड़ोस, जेल, चर्च व राज्य समुदाय हैं?
  125. प्रश्न- सामुदायिक भावना से आप क्या समझते हैं?
  126. प्रश्न- सामुदायिक भावना को स्पष्ट कीजिए।
  127. प्रश्न- सामुदायिक भावना में कौन-कौन से तत्व एवं मनोवृत्तियाँ अन्तर्निहित होती हैं?
  128. प्रश्न- आधुनिक समय में सामुदायिक भावना में क्या-क्या परिवर्तन हो रहा है?
  129. प्रश्न- समुदायों के प्रकार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  130. प्रश्न- समुदाय एवं समाज में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  131. प्रश्न- समाज की चार विशेषताएँ बताइये।
  132. प्रश्न- समाज की विशेषताएँ क्या हैं?
  133. प्रश्न- समिति से आप क्या समझते हैं? समझाइये।
  134. प्रश्न- समिति को परिभाषित कीजिए।
  135. प्रश्न- समिति की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- समिति किसे कहते हैं? समिति की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  137. प्रश्न- संस्था को परिभाषित कीजिए ।
  138. प्रश्न- संस्था की उत्पत्ति किस तरह और कब हुई? वर्णन कीजिए।
  139. प्रश्न- संस्था के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- संस्था के संगठनात्मक कार्य का वर्णन कीजिए।
  141. प्रश्न- संस्था के विघटनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  142. प्रश्न- संस्था के अर्थ व विकास को स्पष्ट कीजिए तथा उसके कार्यों की विवेचना कीजिए।
  143. प्रश्न- "हम समिति के सदस्य होते हैं, संस्था के नहीं।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  144. प्रश्न- "समिति समुदाय नहीं वरन् समुदाय के अन्तर्गत मिलने वाला संगठन है।" इस कथन की व्याख्या कीजिए तथा समिति व समुदाय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  145. प्रश्न- समिति समुदाय है या नहीं स्पष्ट कीजिए।
  146. प्रश्न- समुदाय एवं समिति में अन्तर बताइए।
  147. प्रश्न- समिति और संस्था में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  148. प्रश्न- समुदाय एवं संस्था में भेद बताइये।
  149. प्रश्न- क्या परिवार एक समिति है? स्पष्ट कीजिए।
  150. प्रश्न- संस्था की विशेषताएँ बताइए।
  151. प्रश्न- गिलिन एवं गिलिन द्वारा बतायी गयी संस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  152. प्रश्न- सामाजिक समूह को परिभाषित कीजिये। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
  153. प्रश्न- सामाजिक समूह से क्या तात्पर्य है? सामाजिक समूहों का वर्गीकरण कीजिए।
  154. प्रश्न- सामाजिक समूह से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
  155. प्रश्न- सामाजिक समूह की अवधारणा का परीक्षण कीजिए।
  156. प्रश्न- सामाजिक समूह की परिभाषा दीजिए।
  157. प्रश्न- सामाजिक समूह की विशेषताएँ लिखिए।
  158. प्रश्न- सामाजिक समूह का वर्गीकरण कीजिए।
  159. प्रश्न- प्राथमिक समूह से क्या तात्पर्य है? इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिये। द्वैतीयक समूह से इसका अंतर स्पष्ट कीजिए।
  160. प्रश्न- प्राथमिक समूह को परिभाषित कीजिए। द्वैतीयक समूह से इसका अंतर स्पष्ट कीजिए।
  161. प्रश्न- प्राथमिक समूह से आप क्या समझते हैं?
  162. प्रश्न- प्राथमिक समूह की विशेषताएँ संक्षेप में बताइये।
  163. प्रश्न- प्राथमिक और द्वैतीयक समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  164. प्रश्न- प्राथमिक समूह की महत्ता को स्पष्ट कीजिए।
  165. प्रश्न- सन्दर्भ-समूह की अवधारणा बताइये।
  166. प्रश्न- सन्दर्भ समूह से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
  167. प्रश्न- सन्दर्भ समूह की विशेषताएँ एवं तत्वों की व्याख्या कीजिए।
  168. प्रश्न- द्वैतीयक समूह से क्या अभिप्राय है? इसकी प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  169. प्रश्न- द्वैतीयक समूह से आप क्या समझते हैं?
  170. प्रश्न- द्वैतीयक समूह को परिभाषित कीजिए।
  171. प्रश्न- द्वैतीयक समूह की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  172. प्रश्न- "हमें यह नहीं समझ लेना चाहिए कि द्वितीयक समूह सामाजिक व्यवस्था की दृष्टि से पूर्णतः प्रकार्यात्मक ही है। वास्तविकता यह है कि इनका अपकार्यात्मक पक्ष भी है।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  173. प्रश्न- द्वितीयक समूह के प्रकार्यात्मक एवं उपकार्यात्मक पक्ष की विवेचना कीजिए।
  174. प्रश्न- मर्टन की सन्दर्भ-समूह की अवधारणा बताइए।
  175. प्रश्न- अन्तःसमूह को संक्षेप में समझाइए।
  176. प्रश्न- बहिर्समूह को संक्षेप में समझाइए।
  177. प्रश्न- मानव तथा पशु समाज की परिभाषा दीजिए एवं इनकी विशेषताएँ बताइये।
  178. प्रश्न- सभी प्राणियों को कितने वर्गों में रखा गया है? इनके उप-विभागों को बताते हुए इनकी विशेषतायें लिखिए।
  179. प्रश्न- सभी प्राणियों को किन दो वर्गों में रखा गया है?
  180. प्रश्न- मानवेत्तर समाज के प्रमुख उप विभाग कौन-कौन से है? तथा कीट-पतंगों के समाज की विशेषताएं लिखिए।
  181. प्रश्न- मानवेत्तर समाज के स्तनपाई समाज की विशेषतायें बताइये।
  182. प्रश्न- मानवेत्तर समाज के वानर समाज की विशेषतायें बताइये।
  183. प्रश्न- मानव समाज की प्रमुख विशेषतायें बताइये।
  184. प्रश्न- मानव तथा पशु समाज में अन्तर बताइये।
  185. प्रश्न- मानव समाज व पशु-समाज में भिन्नता का मूल कारण क्या है?
  186. प्रश्न- स्तनपाई समाज की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  187. प्रश्न- पशुओं के नर-वानर समाज की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
  188. प्रश्न- परिवार की परिभाषा लिखिए। इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए एवं इसके कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  189. प्रश्न- परिवार को परिभाषित कीजिए। इसके विभिन्न प्रकारों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  190. प्रश्न- परिवार से आप क्या समझते हैं? परिवार के प्रमुख प्रकारों को बताइये।
  191. प्रश्न- परिवार को परिभाषित कीजिए। इसके प्रकार्यो का वर्णन कीजिए।
  192. प्रश्न- परिवार के प्रकार्यों का वर्णन कीजिये।
  193. प्रश्न- नातेदारी का अर्थ बतलाइये तथा नातेदारी की श्रेणियों एवं नियामक व्यवहार की व्याख्या कीजिए।
  194. प्रश्न- नातेदारी पर एक संक्षिप्त निबन्ध प्रस्तुत कीजिए।
  195. प्रश्न- परिहार और परिहास के विशेष संदर्भ में नातेदारी के नियामक व्यवहारों की व्याख्या कीजिए।
  196. प्रश्न- परिवार की विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा परिवार में होने वाले आधुनिक परिवर्तनों पर प्रकाश डालिए।
  197. प्रश्न- परिवार की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  198. प्रश्न- परिवार की विशेषताएँ लिखिए।
  199. प्रश्न- परिवार में होने वाले आधुनिक परिवर्तनों पर प्रकाश डालिए।
  200. प्रश्न- “संयुक्त परिवार प्राचीन भारतीयता का स्वरूप है। " स्पष्ट कीजिए।
  201. प्रश्न- संयुक्त परिवार की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  202. प्रश्न- आधुनिक काल में संयुक्त परिवार पुनः महत्वपूर्ण हो रहे हैं क्यों? स्पष्ट कीजिए।
  203. प्रश्न- नातेदारी के प्रमुख कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  204. प्रश्न- नातेदारी की विशेषताएँ बताइए ।
  205. प्रश्न- नातेदारी के प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
  206. प्रश्न- नातेदारी की सामान्य आचरण प्रथाएँ कौन-सी हैं? वर्णन कीजिए।
  207. प्रश्न- नातेदारी की रीतियों का वर्णन कीजिए।
  208. प्रश्न- नातेदारी के नियामक व्यवहार (रीतियों) की व्याख्या कीजिए।
  209. प्रश्न- परिवार की अस्थिरता के लिए कौन से कारक उत्तरदायी हैं?
  210. प्रश्न- संयुक्त परिवार को परिभाषित कीजिए।
  211. प्रश्न- संयुक्त परिवार में आधुनिक परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
  212. प्रश्न- नातेदारी के सामाजिक महत्व की व्याख्या कीजिए।
  213. प्रश्न- परिवार का समाजशास्त्रीय महत्व स्पष्ट कीजिए।
  214. प्रश्न- अधिकार के आधार पर परिवार के प्रकार बताइये?
  215. प्रश्न- नातेदारी पर संक्षिप्त मे टिप्पणी लिखिये।
  216. प्रश्न- विवाह से आप क्या समझते हैं? विवाह की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  217. प्रश्न- विवाह से आप क्या समझते हैं?]
  218. प्रश्न- विवाह की विशेषताएँ बताइए।
  219. प्रश्न- हिन्दू विवाह के उद्देश्य और प्रकारों को संक्षेप में बताइए।
  220. प्रश्न- हिन्दू विवाह के प्रकार लिखिए।
  221. प्रश्न- हिन्दू विवाह के उद्देश्य तथा स्वरूप क्या हैं?
  222. प्रश्न- विवाह के भेद बताइए।
  223. प्रश्न- विवाह के प्रमुख प्रकार बताइए।
  224. प्रश्न- विवाहों के प्रकारों की व्याख्या कीजिये।
  225. प्रश्न- हिन्दू समाजों में विवाह से सम्बन्धित निषेध बताइए।
  226. प्रश्न- भारतीय मुसलमानों में प्रचलित विवाह पर एक निबन्ध लिखिए।
  227. प्रश्न- ईसाई विवाह पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  228. प्रश्न- हिन्दू विवाह के उद्देश्यों को समझाइये। अथवा विवाह के प्रमुख उद्देश्य बताइए। अथवा हिन्दू विवाह के प्रमुख उद्देश्य क्या हैं?
  229. प्रश्न- 'प्राचीन काल में हिन्दू विवाह एक धार्मिक संस्कार माना जाता था, किन्तु वर्तमान में हिन्दू विवाह स्त्री-पुरुष के बीच एक कानूनी समझौता बन गया है। स्पष्ट कीजिए।
  230. प्रश्न- 'हिन्दू विवाह एक धार्मिक संस्कार है। इस कथन की व्याख्या कीजिए। आधुनिक अधिनियमों ने इसे कहाँ तक प्रभावित किया है?
  231. प्रश्न- "विवाह एक संस्कार है।' चर्चा कीजिये।
  232. प्रश्न- 'मुस्लिम विवाह एक समझौता (संविदा) है। स्पष्ट कीजिए।
  233. प्रश्न- 'मुस्लिम विवाह एक समझौता है? इस कथन की पुष्टि मुस्लिम विवाह की विधियों एवं शर्तों से पूर्ण कीजिए।
  234. प्रश्न- विवाह से आप क्या समझते हैं। अनुलोम एवं प्रतिलोम विवाह की विवेचना कीजिये।
  235. प्रश्न- हिन्दू विवाह तथा विवाह विच्छेद अधिनियम किस वर्ष लागू हुआ?
  236. प्रश्न- जनजातीय विवाह के प्रमुख प्रकार बताइए।
  237. प्रश्न- जनजातीय विवाह की प्रमुख समस्यायें क्या हैं?
  238. प्रश्न- हिन्दुओं व मुसलमानों में विवाह संस्थाओं की तुलना कीजिए।
  239. प्रश्न- कितने प्रकार के विवाह भारतीय जनजातियों में प्रचलित हैं?
  240. प्रश्न- कुलीन विवाह के नियम लिखिए।
  241. प्रश्न- कुलीन विवाह के विषय में बताइए।
  242. प्रश्न- अनुलोम और प्रतिलोम विवाह के विषय में बताइए।
  243. प्रश्न- विवाह के प्रकार्य पर टिप्पणी कीजिये।
  244. प्रश्न- शिक्षा से सम्बन्धित कौन-कौन सी समस्याएँ हैं? शिक्षा व्यवस्था मंो सुधार के उपाय बताइए।
  245. प्रश्न- शिक्षा से सम्बन्धित कौन-कौन सी समस्याएँ हैं?
  246. प्रश्न- शिक्षा व्यवस्था में सुधार के उपाय बताइये।
  247. प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
  248. प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
  249. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
  250. प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  251. प्रश्न- शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या होने चाहिए?
  252. प्रश्न- शारीरिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
  253. प्रश्न- मानसिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
  254. प्रश्न- सामाजिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
  255. प्रश्न- सांस्कृतिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
  256. प्रश्न- नैतिक एवं चारित्रिक विकास के उद्देश्य को समझाइए।
  257. प्रश्न- व्यावसायिक विकास के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  258. प्रश्न- शासनतंत्र एवं नागरिक की शिक्षा के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
  259. प्रश्न- राष्ट्र की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
  260. प्रश्न- आध्यात्मिक चेतना के विकास का उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
  261. प्रश्न- भारत में शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए कुछ सुझाव दीजिए ताकि वह सामाजिक नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सके?
  262. प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। औपचारिक तथा अनौपचारिक शिक्षा की विवेचना कीजिए।
  263. प्रश्न- सामाजिक नियंत्रण के अभिकरण के रूप में शिक्षा का क्या महत्व है?
  264. प्रश्न- शिक्षा के महत्व को बताइये।
  265. प्रश्न- शिक्षा का सामाजिक महत्व लिखिए।
  266. प्रश्न- शिक्षा के प्रकार बताइए।
  267. प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका को समझाइये।
  268. प्रश्न- राज्य की परिभाषा दीजिए। उसके विभिन्न तत्वों का वर्णन करते हुए राज्य का समाज व सरकार से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  269. प्रश्न- राज्य से आप क्या समझते हैं?
  270. प्रश्न- राज्य के प्रमुख तत्व कौन-कौन से हैं?
  271. प्रश्न- राज्य व सरकार में अन्तर बताइए।
  272. प्रश्न- राज्य के प्रमुख उद्देश्यों को समझाइये।
  273. प्रश्न- राज्य का अर्थ लिखिये। सामाजिक नियन्त्रण में राज्य की भूमिका की विवेचना कीजिये।
  274. प्रश्न- राज्य के अनिवार्य कार्य संक्षिप्त रूप में बताइये।
  275. प्रश्न- धर्म किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए एवं इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  276. प्रश्न- धर्म के मौलिक लक्षण क्या है? समकालीन समाज में धर्म की सामाजिक उपयोगिता और अनुपयोगिता का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  277. प्रश्न- धर्म की आधुनिक प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
  278. प्रश्न- आधुनिक काल में धर्म के स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  279. प्रश्न- धर्म के अकार्यात्मक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
  280. प्रश्न- धर्म के कोई चार भौतिक लक्षण बताइये।
  281. प्रश्न- धर्म में आधुनिक प्रवृत्तियों का वर्णन कीजिए।
  282. प्रश्न- धर्म के सामाजिक प्रकार्यों का उल्लेख कीजिए।
  283. प्रश्न- संस्कृति का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति को समझाइए।
  284. प्रश्न- संस्कृति का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  285. प्रश्न- भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति को समझाइए।
  286. प्रश्न- 'सांस्कृतिक क्षेत्रों के भौतिक लक्षणों में सहभागिता' को समझाइए।
  287. प्रश्न- भारतीय संस्कृति विविधता में एकता की अभिव्यक्ति है। विवेचना कीजिए।
  288. प्रश्न- आगवर्न के संस्कृति पिछड़ के सिद्धांत की व्याख्या कीजिये।
  289. प्रश्न- सभ्यता को परिभाषित करते हुये सभ्यता की विशेषतायें लिखिये।
  290. प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना का अर्थ संक्षेप में लिखिए।
  291. प्रश्न- संस्कृति के क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  292. प्रश्न- "मानव संस्कृति का निर्माता है" समझाइये।
  293. प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर लिखिये।
  294. प्रश्न- सभ्यता एवं संस्कृति में सम्बन्धों की व्याख्या कीजिये।
  295. प्रश्न- बहुलवाद से क्या तात्पर्य है? राज्य के विषय में बहुलवादियों के क्या विचार हैं?
  296. प्रश्न- बहुलवाद को परिभाषित करते हुये बहुलवाद के आधारों की विवेचना कीजिये।
  297. प्रश्न- बहुलवाद के प्रमुख सिद्धांत बताते हुये बहुलवाद की मान्यताओं का उल्लेख कीजिए।
  298. प्रश्न- बहुलवाद और बहुलसंस्कृतिवाद का क्या आशय है?
  299. प्रश्न- बहुलवाद की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
  300. प्रश्न- बहुल संस्कृतिवाद की अवधारणा देते हुये इसकी विशेषताओं की विस्तार से विवेचना कीजिए।
  301. प्रश्न- सांस्कृतिक सापेक्षवाद के अर्थ को स्पष्ट कीजिये। किसी संस्कृति को दूसरी से श्रेष्ठ अथवा हीन क्यों नहीं कहा जा सकता?
  302. प्रश्न- सहयोग किसे कहते हैं? सहयोग के प्रकार या रूपों की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
  303. प्रश्न- सहयोग की अन्तःक्रिया के लिये आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिये।
  304. प्रश्न- सहयोग की मनोवैज्ञानिक, सामाजिक आवश्यकता को बताते हुये आगवर्न के वर्गीकरण को प्रस्तुत कीजिये।
  305. प्रश्न- प्रतिस्पर्धा को परिभाषित करते हुये, प्रतिस्पर्धा के प्रकारों का उल्लेख कीजिये।
  306. प्रश्न- प्रतिस्पर्धा के परिणामों का उल्लेख कीजिये।
  307. प्रश्न- प्रतिस्पर्धा और संघर्ष में अंतर लिखिये।
  308. प्रश्न- भारतीय समाज में पायी जाने वाली 'सांस्कृतिक' एवं 'संजातीय' विविधताओं का उल्लेख कीजिए।
  309. प्रश्न- भारतीय समाज में पायी जाने वाली सांस्कृतिक विविधता का उल्लेख कीजिए।
  310. प्रश्न- भारतीय समाज में पायी जाने वाली सजातीय (नृजातीय) विविधता का उल्लेख कीजिए।
  311. प्रश्न- संस्कृति संक्रमण को परिभाषित करते हुये इसके ऐतिहासिक दृष्टिकोण की विवेचना कीजिये।
  312. प्रश्न- "संस्कृति और संक्रमण'' नामक ग्रंथ पर एक टिप्पणी लिखिये।
  313. प्रश्न- आत्मसात्करण अथवा मिलना की प्रक्रिया की विस्तृत विवेचना कीजिये।
  314. प्रश्न- राष्ट्रीय एकीकरण की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
  315. प्रश्न- राष्ट्रीय एकीकरण की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  316. प्रश्न- एकीकरण को परिभाषित करते हुये भारत में सामाजिक एकीकरण के विभिन्न रूपों की व्याख्या कीजिये।
  317. प्रश्न- आत्मसात की प्रमुख विशेषतायें लिखिये।
  318. प्रश्न- सामाजिक संरचना की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  319. प्रश्न- सामाजिक संरचना की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  320. प्रश्न- सामाजिक संरचना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  321. प्रश्न- टी. बी. बॉटोमोर ने सामाजिक संरचना की विचारधाराओं को कितने भागों में विभक्त किया है?
  322. प्रश्न- सामाजिक संरचना तथा सामाजिक व्यवस्था में अन्तर कीजिए।
  323. प्रश्न- प्रकार्य की धारा को परिभाषित कीजिए।
  324. प्रश्न- प्रकार्य व अकार्य को परिभाषित कीजिए तथा इन दोनों में अन्तर भी बताइये।
  325. प्रश्न- सामाजिक प्रतिमानों को परिभाषित करते हुये प्रतिमानों की विशेषताओं की विस्तृत विवेचना कीजिये।
  326. प्रश्न- सामाजिक प्रतिमानों के विभिन्न प्रकारों की विस्तृत विवेचना कीजिये।
  327. प्रश्न- लोकाचार की विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  328. प्रश्न- जनरीतियों की विशेषताओं का उल्लेख करते हुये इनका महत्व बताइये।
  329. प्रश्न- अनुशास्ति को परिभाषित करते हुये इनके प्रकारों की विस्तृत विवेचना कीजिये।
  330. प्रश्न- मूल्यों को परिभाषित करते हुये मूल्यों के प्रकारों का वर्गीकरण कीजिये।
  331. प्रश्न- मूल्यों के उद्भव को बताते हुये इनके प्रमुख स्तरों की विवेचना कीजिये।
  332. प्रश्न- अनुशास्ति के दमनात्मक सिद्धांत की व्याख्या कीजिये।
  333. प्रश्न- सामाजिक मूल्यों की विभिन्न विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  334. प्रश्न- मूल्यों के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिये।
  335. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण से आप क्या समझते हैं? उसके प्रमुख आधार बताइए।
  336. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण का क्या तात्पर्य है?
  337. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण को परिभाषित कीजिए।
  338. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताओं को संक्षेप में बताइए
  339. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों के नाम बताइए।
  340. प्रश्न- अवस्था सामाजिक स्तरीकरण का एक सार्वभौमिक आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  341. प्रश्न- लिंग सामाजिक स्तरीकरण का एक प्रमुख आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  342. प्रश्न- रक्त सम्बन्ध सामाजिक स्तरीकरण का आधार है। स्पष्ट कीजिए।
  343. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के आधुनिक आधार 'सम्पत्ति' की विवेचना कीजिए।
  344. प्रश्न- क्या शारीरिक कुशलता सामाजिक स्तरीकरण का आधार हो सकता है? विवेचना कीजिए।
  345. प्रश्न- मानसिक कुशलता सामाजिक स्तरीकरण का आधार है, व्याख्या कीजिए।
  346. प्रश्न- क्या सामाजिक स्तरीकरण का आधार धार्मिक योग्यता भी होती है।
  347. प्रश्न- "प्रजातीय अन्तर" सामाजिक स्तरीकरण का आधार है या नहीं? बताइए।
  348. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के सामान्य स्वरूप बताइए तथा इसकी आवश्यकता, महत्व तथा प्रकार्य भी बताए।
  349. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के सामान्य स्वरूप बताइए।
  350. प्रश्न- स्तरीकरण की आवश्यकता, महत्व एवं प्रकार्य को बताइए।
  351. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की आवश्यकता को बताते हुये सामाजिक स्तरीकरण के विभिन्न आधारों की व्याख्या कीजिये।
  352. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की विशेषताओं को बताते हुये इसके स्वरूपों की विस्तृत विवेचना कीजिये।
  353. प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण तथा सामाजिक विभेदीकरण में अन्तर लिखिये।
  354. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं? सामाजिक गतिशीलता के रूप बताइए।
  355. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं?
  356. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के रूप बताइए।
  357. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के क्या कारण हैं? शिक्षा में सामाजिक गतिशीलता का क्या स्थान है?
  358. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के क्या कारण हैं?
  359. प्रश्न- शिक्षा में सामाजिक गतिशीलता का क्या स्थान है?
  360. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता की विशेषताएं बताइए ।
  361. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के प्रभाव क्या हैं?
  362. प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता को प्रभावित करने वाले घटको की व्याख्या कीजिए।

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