बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र
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विद्या, ज्ञान, शिक्षण, प्रशिक्षण एवं शिक्षा
(Vidya, Gyan, Teaching, Training and Education)
प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
उत्तर-
शिक्षा का कार्यकारी पहलू शिक्षण है जिसे वह स्वयं नहीं बल्कि दूसरों की सहायता (शिक्षक) से प्राप्त करता है। शिक्षण का लक्ष्य ज्ञान, अनुभव, कौशल प्रदान करना होता है। शिक्षण की प्रक्रिया शिक्षक और विद्यार्थी के परस्पर आपसी विचार-विनिमय या अन्तःक्रिया द्वारा संचालित होती है। अतएव- कहा जा सकता है कि - "शिक्षण शिक्षक की सप्रयोजन, सचेतन, लक्ष्यपूर्ति से सम्बन्धित तकनीकी (विधि) है जिसका सम्बन्ध विषय-वस्तु को शिक्षार्थियों को आत्मसात् कराने की प्रक्रिया से होता है।'
शिक्षण की अवधारणा को अनेक शिक्षाविद अलग-अलग दृष्टिकोण से प्रकट करते हैं। शिक्षाविदों के दृष्टिकोणों को निम्नवत् समझा जा सकता है -
शिक्षण की संकुचित अवधारणा
(Narrower Concept of Teaching)
(1) शिक्षण द्विमुखी प्रक्रिया है (Teaching is a Bipolar Process) - एडम्स ने शिक्षण को द्विमुखी प्रक्रिया बताया है। उनका मानना है कि शिक्षण के दो मुख शिक्षक और शिक्षार्थी हैं शिक्षक अपने व्यक्तित्व से शिक्षार्थी के विकास हेतु व्यवहार को परिवर्तित करता है इस प्रकार शिक्षण की यह प्रक्रिया एक चेतन और विचारपूर्ण प्रक्रिया है।
(2) शिक्षण त्रिमुखी प्रक्रिया है (Teaching is a Tripolar Process) - जॉन डीवी शिक्षण को द्विमुखी प्रक्रिया न मानकर त्रिमुखी प्रक्रिया मानते हैं उनका मानना है कि शिक्षक और शिष्य के अतिरिक्त एक तीसरा तत्व भी है। यह तत्व विषय-वस्तु हैं। शिक्षण की प्रक्रिया इन तीन केन्द्र बिन्दुओं के आपसी सम्मिलन से गतिशील होती है। इन तीनों में से किसी एक की अनुपस्थिति में शिक्षण की प्रक्रिया अस्त-व्यस्त सी हो जाती है। अतः शिक्षण तीन सामूहिक पक्षों के सम्मिलन पर आधारित अन्तः क्रियात्मक प्रक्रिया है।
(3) शिक्षण एक कला है (Teaching is an Art) - एमीडोन के मतानुसार "जिस प्रकार शिल्प का संगमरमर के टुकड़े से सम्बन्ध होता है ठीक उसी प्रकार से शिक्षण का सम्बन्ध मानव आत्मा से होता है जिससे स्पष्ट होता है कि जिस प्रकार कलाकार कलात्मक दक्षता को प्रकट करता है ठीक उसी प्रकार शिक्षक अपनी शिक्षण कला से शिक्षार्थी की आत्मा में निहित ज्ञान को बाहर निकालकर उसे नवीन रूप देता है।
(4) शिक्षण विज्ञान है (Teaching in a Science) - सिल्वरमैन का मानना है कि शिक्षण विज्ञान है। उन्होंने लिखा है कि "यदि विश्वासपूर्वक कहा जाए कि शिक्षण औषधियों का अभ्यास करने जैसी कला है वही अगर इसे दूसरे तरीके से कहें तो उसे बुद्धि उत्पन्न करने की शक्ति का अभ्यास कहा जा सकता है। परन्तु उसमें औषधियों जैसा कि विज्ञान भी है क्योंकि उसे तरीकों, तकनीकों तथा कौशलों को एकत्र करने की आवश्यकता होती हैं। जिससे कि अध्ययन वर्णन और परिमार्जन सुव्यवस्थित ढंग से किया जा सकें। एक उत्तम शिक्षक, एक निपुण चिकित्सक की तरह होता है जो कि मूलभूत संग्रह को सृजनशीलता एवं प्रेरणा प्रदान करके समृद्धशाली बनाता है।
(5) शिक्षण बालक का व्यवहार परिवर्तन है (Teaching is a Change of Pupil's Behaviour) - क्लार्क के अनुसार, “शिक्षण वह क्रिया है जो विद्यार्थी के व्यवहार में परिवर्तन लाने के लिए नियोजित एवं संचलित की जाती है।' गेज के अनुसार, “शिक्षण अन्तः वैयक्तिक प्रभावों का स्वरूप है जिसका उद्देश्य दूसरे व्यक्ति के व्यवहार विभव को परिवर्तित करना है।'
उपरोक्त मतों के अनुसार यह स्पष्ट है कि शिक्षण की अवधारणा विविधता से युक्त है। ये सभी दिए गए दृष्टिकोण शिक्षण के एकांगी पक्ष को प्रकट करते हैं। वास्तव में देखा जाए तो शिक्षण एकांगी न होकर बहुआयामी दृष्टिकोण से समन्वित है।
(6) शिक्षण अधिगम की समस्याओं का समाधान है (Teaching is Problem Solving) - जॉन ब्रूवेकर के मतानुसार, "सीखने के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को दूर करके सीखने की ओर अभिप्रेरित करना शिक्षण है।'
शिक्षण की व्यापक अवधारणा
(Wider-Concept of Teaching)
शिक्षण की व्यापक अवधारणा की बात की जाए तो शिक्षण के औपचारिक एवं अनौपचारिक स्वरूप और शासन व्यवस्था आधारित दृष्टिकोण से कुछ विद्वानों ने स्पष्ट करने का प्रयास किया है। देश की शिक्षण प्रणाली देश में निहित राजनैतिक व्यवस्था तथा शासन पद्धति से काफी प्रभावित होती है। शिक्षण का स्वरूप एकतंत्रीय शासन व्यवस्था में कठोर, स्वाभाविक प्रवृत्तियों के विकास का दमन करने वाला होता है जबकि जनतन्त्रीय शासन में शिक्षण सरल, नमनीय, मनोवैज्ञानिक पहलुओं से आच्छादित तथा बालकों के विकास को मूर्तरूप देने वाला होता है।
एकतन्त्रीय शासन व्यवस्था में शिक्षण का अर्थ
(Meaning of Teaching in Autocratic Gov.)
एकतन्त्रीय शासन व्यवस्था के अन्तर्गत शिक्षण का स्वरूप शासक के आदेशों पर आधारित होता है. शिक्षक और शिक्षार्थी अपनी इच्छा से शिक्षण के स्वरूप में कोई भी परिवर्तन नहीं कर सकते, पूरी शिक्षण प्रक्रिया शिक्षक केन्द्रित होती है। इसमें छात्रों की व्यक्तिगत भिन्नता, इच्छा, आवश्यकता, अभिरुचि, योग्यता को कोई भी महत्व नहीं दिया जाता है। शिक्षण में मनोविज्ञान का पूरी तरह से लोप रहता है। शिक्षार्थियों के मौलिक क्षमता को विकसित नहीं होने दिया जाता। इसमें स्मृति को बढ़ाने वाले ही प्रकरणों को पढ़ाया जाता है। बालक की मनोभावनाओं और जीवन-दर्शन को पूरी तरह दमित रखने का प्रयास इसके शिक्षण में किया जाता है।
जनतन्त्रीय शासन-व्यवस्था में शिक्षण का अर्थ
(Meaning of Teaching in Democracy)
इसके अन्तर्गत शिक्षण का स्वरूप मनोवैज्ञानिक पहलुओं से आच्छादित तथा शिक्षण-शिक्षार्थी सम्बन्ध को मानवीय गरिमा से सम्युक्त होता है इसमें शिक्षक-शिक्षार्थी अपने मनोनुकूल शिक्षण में सहभागी हो सकते हैं। इस पूरी शिक्षण प्रक्रिया को बाल-केन्द्रित बनाने पर बल दिया जाता है।
शिक्षण-प्रतिरूप या प्रकारताएँ
(Modalities of Teaching)
आधुनिक विचारधारकों ने चिन्तन-मनन के द्वारा और शोध के द्वारा शिक्षण के नवीन कलेवर देने में विशेष रुचि लिया। आज शिक्षण में नये-नये आयामों को अपनाया जा रहा है। शिक्षण को मापनीय बनाने पर विशेष रूप से बल दिया जा रहा है। इसमें शिक्षण प्रतिरूप के अन्तर्गत अनुबन्धन प्रशिक्षण, अनुदेशन तथा प्रतिपादन को स्थानापन्न किया गया है।
प्रायः ऐसा देखा गया है कि प्रत्येक शिक्षक की यह प्रबल कामना होती है कि उसका शिक्षण विद्यार्थियों के अनुकूल हो, उन्हें जो भी सूचना दी जा रही है वह उसे ठीक से समझ सकें। शिक्षक की इस अभिलाषा की पूर्ति करने के लिए शिक्षण में कुछ नवीन शब्दावलियों को स्थापित करते हुए शिक्षण के समानार्थी के रूप में महत्व कतिपय विद्वानों द्वारा दिया गया है। मुख्य रूप से शिक्षण का मूल उद्देश्य शिक्षार्थी के व्यवहार में परिवर्तन लाना तथा कौशलों का विकास करना है।
शिक्षण और प्रशिक्षण
(Teaching & Training)
शिक्षण बहुआयामी पक्षों के विकास से सम्बन्धित होता है। शिक्षण से शिक्षार्थी में 'ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक पक्षों का विकास होता है। शिक्षण को शिक्षक के माध्यम से तब तक दिया जाता है जब तक शिक्षार्थी के व्यवहार में परिवर्तन, सुधार अथवा नवीन ज्ञान का आत्मसातीकरण नहीं हो जाता। शिक्षण से छात्रों में विश्वासों तथा दृष्टिकोणों में नवीनता का संचार होता है। अतः शिक्षण का मूलाधार व्यवहार परिवर्तन को मूर्त रूप देना और ज्ञान का प्रसारण है।
शिक्षण के सापेक्ष प्रशिक्षण को जब देखा जाता है तो यह प्रति प्रमासित होता है कि प्रशिक्षण, शिक्षण में निहित मंतव्यों को एकांगी रूप से पूर्ण करता है। मूलरूप से प्रशिक्षण में कार्य करना सिखाया जाता है। पढ़ाने की जिस शैली को शिक्षक अपने शिक्षार्थियों को बताता है और उसे करके दिखाता है।
शिक्षार्थी अपने शिक्षक के द्वारा बतायी गई शैली के अनुरूप अनुकरण करता है और आगे चलकर उस शैली में प्रशिक्षित हो जाता है। इस प्रकार प्रशिक्षण में क्रियात्मकता होती है। इसके अन्तर्गत शिक्षार्थी द्वारा अपने बुद्धि का प्रयोग करने की स्वतन्त्रता नहीं होती। प्रशिक्षण के दौरान कर्मेन्द्रियाँ अधिक क्रियाशील होती हैं। प्रशिक्षण में सीखने वालों को किसी चीज में दक्षता अभ्यास के द्वारा ही लाने का प्रयास किया जाता है। कौशल का विकास न करके प्रशिक्षण तकनीकी के विकास को मूर्त रूप देता है। प्रशिक्षण देने का कार्य विशेष प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक ही उपादेय होते हैं। यही कारण है कि B.Ed, B.T.C. आदि प्रशिक्षण संस्थानों में विविध प्रशिक्षणों में निष्णात व्यक्ति ही रखे जाते हैं।
निष्कर्षतः- शिक्षण एवं प्रशिक्षण की मूल मान्यताओं को देखें तो शिक्षण एवं प्रशिक्षण में मूलभूत अन्तर विद्यमान है। प्रशिक्षण की शिक्षण की सापेक्ष स्थापित करने से शिक्षण के बहुआयामी स्वरूप एवं उद्देश्यों की प्राप्ति सम्भव नहीं होगी अतः यह कहा जा सकता है कि शिक्षण और प्रशिक्षण दो भिन्न-भिन्न सम्प्रत्यय है।
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- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
- प्रश्न- वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य दोष क्या थे?
- प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ज्ञान के अर्थ तथा उसकी अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के प्रमुख घटकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और शिक्षण के सम्प्रत्यय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- व्यापक शिक्षा तथा संकुचित शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए
- प्रश्न- "शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "अच्छे नैतिक चरित्र का विकास ही शिक्षा है।' समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा को मनुष्य एवं समाज का निर्माण करना चाहिए। कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- महात्मा गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- "सा विद्या या विमुक्तये' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "शिक्षा आजीवन चलने वाली प्रक्रिया है।' समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा मनुष्य की जन्मजात शक्तियों का स्वाभाविक समरूप एवं प्रगतिशील विकास है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से मेरा अभिप्राय बालक और मनुष्य के शरीर, मन और आत्मा के सर्वागीण और सर्वोच्च विकास से है।' शिक्षा की इस परिभाषा से आप कहाँ तक सहमत हैं? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- जॉन डी वी के अनुसार शिक्षा की परिभाषा बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की विवेचना संक्षेप में कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- उद्देश्य निर्धारित हो जाने से कौन-कौन से लाभ होते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के आदर्श उद्देश्यों के गुणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष तथा लोकतंत्रीय भारत के लिए शिक्षा के सर्वाधिक उद्देश्य कौन से हैं?
- प्रश्न- शारीरिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानसिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नैतिक एवं चारित्रिक विकास के उद्देश्य को समझाइए।
- प्रश्न- व्यावसायिक विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शासनतन्त्र एवं नागरिकता की शिक्षा के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र की आवश्यकताओं एवं आकांक्षाओं की पूर्ति के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आध्यात्मिक चेतना के विकास के उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य एक दूसरे के पूरक हैं।' इसका वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य सम्बन्धी शिक्षाशास्त्रियों के विचार को बताइए।
- प्रश्न- क्या शिक्षा के वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्यों में समन्वय स्थापित करना सम्भव है? यदि हाँ, तो कैसे?
- प्रश्न- भारतीय जनतन्त्र में शिक्षा के उद्देश्यों की स्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यावसायीकरण से आप क्या समझते हैं? इसकी आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा का स्वरूप क्या है? व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा के उद्देश्यों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- क्या शिक्षा के विविध उद्देश्यों का एक उद्देश्य में संश्लेषण किया जाना चाहिए? यदि हाँ तो वह उद्देश्य क्या होना चाहिए और क्यों?
- प्रश्न- उद्देश्य और लक्ष्य में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निरौपचारिक शिक्षा के सामाजिक उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- "वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य एक-दूसरे के पूरक हैं।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का सर्वाधिक महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-सा है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा के वैक्तिक उद्देश्य से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा के क्या कार्य होने चाहिये?
- प्रश्न- शिक्षा की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के जीवन में शिक्षा का क्या कार्य है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय जीवन में शिक्षा का क्या कार्य है?
- प्रश्न- “शिक्षा मानव विकास का मूल साधन है।' इस कथन की व्याख्या करते हुए इसके कार्य, आवश्यकता एवं महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक जीवन में शिक्षा के क्या कार्य हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्या कार्य हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा के क्या कार्य है?
- प्रश्न- मानव जीवन में शिक्षा के कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के प्रति शिक्षा के दो कार्यों को बताइए।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना (पिछड़) को समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा व संस्कृति में सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति के आधुनिक स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बधित है?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौशल अधिग्रहण क्या है? कौशल अधिग्रहण के तीन चरणों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- कौशल अधिग्रहण के लिए संज्ञानात्मक दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौशल अधिग्रहण के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य शब्द का अर्थ बताइए। मानव जीवन में मूल्यों का क्या स्थान है?
- प्रश्न- बालक में भारतीय जीवन मूल्यों की स्थापना में परिवार अथवा विद्यालय की भूमिका की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जीवन मूल्यों की स्थापना में परिवार का क्या महत्व है?
- प्रश्न- जीवन मूल्यों की स्थापना में विद्यालय का क्या महत्व है?
- प्रश्न- मूल्य शिक्षा व मूल्यपरक शिक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए और उसके मार्गदर्शक सिद्धान्तों तथा उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक शिक्षा एवं सांस्कृतिक मूल्यों के विकास के अभिकरण बताइए।
- प्रश्न- मूल्य कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- मूल्यपूरक शिक्षा की आवश्यकता समझाइए।
- प्रश्न- मूल्य निर्माण में विद्यालय की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- शैक्षिक मूल्यों से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक तथ्य क्या है? इसी के साथ ही सामाजिक एकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक एकता का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- यान्त्रिक और सावयवी एकता में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- अवकाश क्या है? अवकाश शिक्षा के क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अवकाश शिक्षा का क्या अर्थ है? दो प्रकार के अवकाश के बारे में बताइए।
- प्रश्न- अवकाश की अवधारणा को समझाइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता क्या है? राष्ट्रीय एकता के लिए शैक्षिक कार्यक्रम बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता क्या है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के विकास में आने वाली बाधाओं को दूर करने के उपाय कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत में भावात्मक एवं राष्ट्रीय एकता के मार्ग में आने वाली बाधाओं का वर्णन कीजिए इस सम्बन्ध में गोष्ठियों एवं समितियों के विचारों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता का अर्थ स्पष्ट कीजिए। शिक्षा राष्ट्रीय एकता के विकास में किस प्रकार सहायता कर सकती है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा राष्ट्रीयता के विकास में किस प्रकार सहायता कर सकती है?
- प्रश्न- भावात्मक एवं राष्ट्रीय एकता के विकास के लिए कौन-कौन से उपाय हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकीकरण एकता के मार्ग में कौन-कौन सी बाधाएँ हैं? शिक्षा राष्ट्रीय एकीकरण के विकास में किस प्रकार योगदान दे सकती है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए किए गए सरकारी प्रयासों को बताइए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की प्राप्ति के उपायों को सुझाइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता की समस्या पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए शिक्षा के क्या उद्देश्य हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय एकता के लिए शैक्षिक कार्यक्रम बताइए।
- प्रश्न- भावात्मक एकता क्या है?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय बोध का विकास करने के उपाय की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास के लिए क्या-क्या उपाय किये गये हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना की आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सदभावना से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना के विकास में आवश्यकता एवं महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीयता के विकास के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आप अन्तर्राष्ट्रीयता से क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता के गुण-दोष पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता के विकास में बाधक तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीयता अवबोध के विकास में यूनेस्को की भूमिका पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भावात्मक एकता, राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीयता को समझाइए।
- प्रश्न- भारत में भावात्मक एकता की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संकीर्ण राष्ट्रीयता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय दृष्टिकोण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- मानवीय संसाधन से आप क्या समझते हैं? मानवीय संसाधन का शिक्षा में महत्व बताइये।
- प्रश्न- मानवीय साधन कितने प्रकार के होते हैं तथा इसकी आवश्यकता बताइए।
- प्रश्न- मानव संसाधन विकास की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा द्वारा मानव संसाधनों के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मानव संसाधन विकास का परिभाषाओं सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव संसाधन विकास का क्या अर्थ है? इसके लिए किस प्रकार की शिक्षा की आवश्यकता है?
- प्रश्न- मानवीय संसाधनों की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- मानव पूँजी के रूप में शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव शक्ति नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- मानव शक्ति नियोजन की प्रमुख सीमाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उत्पादन क्रिया के रूप में शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न साधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- औपचारिक साधन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधन से आप क्या समझते हैं? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा के अन्य अनौपचारिक साधनों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के सक्रिय व निष्क्रिय साधन लिखिए।
- प्रश्न- ब्राउन ने शिक्षा के अभिकरणों को कितने भागों में बाँटा है? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- औपचारिक, निरौपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों के सापेक्षिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में जनसंचार के साधनों का क्या योगदान है?
- प्रश्न- अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक साधनों में कौन अधिक महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्यों से सम्बन्धित संवैधानिक मूल्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता, न्याय, समता एवं बन्धुत्व की संवैधानिक वचनबद्धता के संदर्भ में शिक्षा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का क्या अर्थ है? मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- 'निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्यों का उल्लेख करते हुए पूर्व प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के गुण-दोषों की व्याख्या करते हुए मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- किण्डरगार्टन प्रणाली के दोषों को बताइए।
- प्रश्न- मॉण्टेसरी शिक्षा पद्धति के गुण-दोषों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मॉण्टेसरी पद्धति के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मॉण्टेसरी प्रणाली के दोष बताइए।
- प्रश्न- डाल्टन पद्धति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- डाल्टन पद्धति के गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डाल्टन पद्धति की सीमाओं या दोष का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा का विकास बताइए।
- प्रश्न- पूर्व-प्राथमिक शिक्षा के उद्देश्य एवं कार्यक्रमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पूर्व-प्राथमिक शिक्षा की वर्तमान स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पूर्व प्राथमिक शिक्षा का नियोजन एवं संगठन कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- माण्टेसरी तथा किण्डरगार्टन पद्धति की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आधारभूत तत्व क्या हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 के सम्बन्ध में अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- नई शिक्षा नीति - 2020 में स्कूली शिक्षा से सम्बन्धित बिन्दुओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम से आप क्या समझते हैं? इसके गुण व दोषों पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- भारत में प्राथमिक शिक्षा के विकास को समझाइये।
- प्रश्न- प्राचीन एवं मुस्लिम काल में प्राथमिक शिक्षा के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश काल में प्राथमिक शिक्षा की समस्या बताइए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा की प्रमुख समस्यायें क्या हैं? उन्हें हल करने के सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय व्यवस्था तथा वित्त व्यवस्था से सम्बन्धित प्राथमिक शिक्षा की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षकों की प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के समेकित अभिगमन से क्या तात्पर्य है? विस्तारपूर्वक समझाइये।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के समेकित अभिगमन से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के समेकित दृष्टिकोण के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समेकित अभिगमन की रूपरेखा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा के संगठन एवं स्वरूप की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा के लक्ष्य निर्धारण की समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा की अनिवार्यता के प्रयासों पर टिप्पणी कीजिये।
- प्रश्न- प्राथमिक शिक्षा के स्तर पर मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा के लिए संवैधानिक व्यवस्था क्या है?
- प्रश्न- माध्यमिक शिक्षा के विकास के लिए शिक्षा आयोग (1965-66) ने किन सुझावों को अपनाने पर बल दिया?
- प्रश्न- अध्यापक-निर्देशिकाओं तथा शिक्षण सामग्री के महत्त्व से आप क्या समझते हैं? इस सम्बन्ध में कोठारी आयोग के सुझाव बताइये।
- प्रश्न- विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता से क्या तात्पर्य है? विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता की क्या समस्यायें हैं?
- प्रश्न- विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विश्वविद्यालयी सम्प्रभुता पर राधा कृष्णन के विचार लिखिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में कौन-कौन सी समस्याएँ आती हैं? इनके कार्यों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में आने वाली प्रमुख समस्याओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के मार्ग में वित्तीय समस्या का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा में उद्देश्यहीनता तथा दोषपूर्ण पाठ्यक्रम पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा की प्रमुख समस्याओं के समाधान हेतु उपाय बताइए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय के कार्यों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा का प्रसार सीमित साधनों से अधिक हो रहा है। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा में बेरोजगारी प्रमुख समस्या है। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के उद्देश्य भारत के सन्दर्भ में क्या होने चाहिए? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में कितने प्रकार के विश्वविद्यालय हैं?
- प्रश्न- भारत में विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र शासित विश्वविद्यालय क्या हैं? उनके नाम लिखिए।
- प्रश्न- 'खुला विश्वविद्यालय' क्या है ?
- प्रश्न- राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के उद्देश्य लिखिए।
- प्रश्न- केन्द्रीय व राज्यीय विश्वविद्यालयों को उनके संगठन के अनुसार कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
- प्रश्न- मानव विकास संसाधन मंत्रालय का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- यूनेस्को को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद के संगठन का विस्तार से उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) के पाठ्यक्रम प्रारूप की व्यावहारिक उपादेयता का विस्तार से चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता के सुधार हेतु राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के कार्यों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण परिषद के संगठन का वर्णन करते हुए उसके कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- N.C.E.R.T से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व व कार्यों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान पर टिपणी लिखिये।
- प्रश्न- AICTE की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- IQAC की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- एन. आई. ओ. एस. क्या है?
- प्रश्न- राज्य शैक्षिक अनुसन्धान तथा प्रशिक्षण परिषद के उद्देश्यों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संगठन तथा कार्यों को बताते हुए इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के संगठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उच्च शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "विश्वविद्यालय स्वायत्त संस्थायें हैं।' इस कथन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- डिग्री कॉलेजों के विकास में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के गठन का क्या उद्देश्य था?
- प्रश्न- शिक्षा बोर्ड के बारे में विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या आई.बी. बोर्ड आई.सी.एस.ई. से बेहतर हैं?
- प्रश्न- केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा उसके कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राज्य शिक्षा बोर्ड पर संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- राज्य शिक्षा बोर्ड के कार्य बताइए।
- प्रश्न- सी. बी. एस. ई. बोर्ड की ग्रेडिंग प्रणाली के विषय पर टिप्पणी दीजिए।