बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 इतिहास बीए सेमेस्टर-1 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 इतिहास के नवीन पाठ्यक्रमानुसार प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
अर्णोराज एक शक्तिशाली और विजेता राजा था।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
अथवा
अर्णोराज चाहमान पर प्रकाश डालिये।
उत्तर-
चाहमान नरेश अर्णोराज
अर्णोराज चाहमान वंश का एक अत्यन्त प्रतापी राजा था। वह अजयराज, तथा सोमलदेवी का पुत्र था। पृथ्वीराज विजय का कथन है कि उसको अनलदेव, आनलदेव अन्त तथा आनाम नामों से भी पुकारा जाता था। उसके राज्यारोहण के तिथि के सम्बन्ध में कुछ निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। परन्तु सम्भवतः उसका राज्यारोहण उसके विरोधी मालवा नरेश नरवर्मन की मृत्यु के पूर्व ही हुआ होगा।
अर्णोराज के कार्यों को तिथिक्रम से अध्ययन करने के लिए कुछ तिथियुक्त साक्ष्य भी महत्वपूर्ण हैं। इन साक्ष्यों को निम्नलिखित रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है-
1. देवासा नामक स्थान से प्राप्त सन् 1139 ई के दो शिलालेख। इनमें अर्णोराज के महाराजधिराज परमेश्वर कहा गया है।
2. चक्रेश्वर के शतकवृहदभाष्य में उसकों नृपति अनलदेव कहा गया है।
3. आवश्यक निरयुक्ति की पांडुलिपि में राजा को परमभट्टारक महाराजाधिराज श्रीमदणोराज देव कहा गया है।
इन सभी तिथि युक्त साक्ष्यों के आधार पर अर्णोराज ने कम से कम विक्रम सम्वत् 1196 से 1199 ई. तक अवश्य शासन किया परन्तु अन्य साक्ष्यों के आधार पर उसके शासनकाल को विक्रम सम्वत् 1130 ई. से लेकर 1150 ई. तक स्वीकार कर सकते हैं।
राजनैतिक विजयें
अजमेर संग्रहालय शिलालेख के आधार पर अर्णोराज की राजनैतिक विजयों को निम्नलिखित रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है -
1. अजमेर के निकट तुरुष्को पर विजय।
2. मालवा के नरवर्मन पर विजय।
3. सिन्धु और सरस्वती नदी तक अभियान।
4. हरितानक देश पर आक्रमण।
मुसलमानों से संघर्ष - मुस्लिम शासकों से यह संघर्ष श्रृंखला अर्णोराज को परम्परागत उत्तराधिकार में मिली थी। उसका पिता अजयराज मुस्लिम शासकों से नागौर को पुन प्राप्त करने में सम्भवत असफल रहा था। अर्णोराज के सिहासन के प्राप्त करते ही ये विदेशी आक्रमणकारी अजमेर की सीमाओं तक आ गये थे तथा इसके फलस्वरूप नगर के बाहर भीषण युद्ध हुआ। मुस्लिम सेना को बुरी तरह नष्ट किया तथा यामनि सेनापति चाहमानो के पराजित करने के पूर्व ही भाग खड़ा हुआ था।
मालवा पर विजय - अर्णोराज की मालवा पर विजय भी महत्वपूर्ण थी। बिजौलिया शिलालेख के सत्रहवें श्लोक में मालवा नरेश निर्वाण नारायण (नरवर्मन) की पराजय का अत्यधिक अतिश्योक्तिपूर्ण ढंग से वर्णन मिलता है। चाहमान प्रशस्ति में भी इस विजय का उल्लेख मिलता है। परन्तु 'जयाश्रय नरवर्ग के बाद मालववंश की हस्ति सेना को युद्धक्षेत्र के बाहर खदेड़ दिया। यहाँ मालववंश का तात्पर्य प्रशस्ति के पूर्व कहे नरवर्मन से ही है।
सिन्धु और सरस्वती का अभियान- इन प्रदेशों पर अर्णोराज का अभियान स्पष्ट नहीं है प्रशस्ति में केवल इतना ही कहा गया है कि अपने को अब भी जल शून्य रेगिस्तान में पाकर अपनी क्षुधा को प्रह्लादकूप से अपूर्व पाकर अर्णोराज ने सिन्धु और सरस्वती के प्रदेशों का अभियान किया। हयाश्रय महाकाव्य में हेमचन्द्र का कथन है कि अन्न के पूर्वी मद्र तथा वाहिव देश के शासकों ने सहायता की थी। डॉ. दशरथ शर्मा का अनुमान है कि इस अभियान में यह सम्भव है कि पूर्वी पंजाब के कुछ भाग पर उसका अधिकार हो गया हो।
हरितानक देश पर आक्रमण - प्रशस्ति के अनुसार अणोराज के सैनिको ने कालिन्दी के जल को कीचड़ से भर दिया तथा हरितानक देश की स्त्रियों के नेत्र अश्रूपूर्ण हो गये। पालम बाओली शिलालेख तथा दिल्ली संग्रहालय शिलालेख के आधार पर इस राज्य का समीकरण उस प्रदेश में किया जा सकता है जिस पर चाहमानों के आधिपत्य से पूर्व तोमरों का आधिपत्य था। इससे स्पष्ट है कि अर्णोराज ने दिल्ली के तोमरों से भी लोहा लिया। सम्भवतः इस संघर्ष में तोमरो को पर्याप्त हानि उठानी पड़ी परन्तु उनका पूर्ण रूप से दमन नहीं किया जा सका क्योंकि यह विग्रहराज चतुर्थ के काल में भी यह संघर्ष चला।
बुलन्दशहर पर आक्रमण वारण (बुलन्दशहर) में छन्द राजपूत निवास करते थे। बिजौलिया शिलालेख के अनुसार अर्णोराज ने इस प्रदेश पर भी विजय प्राप्त की थी। इस समय सहजादित्य अथवा भोजदेव यहाँ का शासक था
गुजरात से संघर्ष - गुजरात का राज्य भी एक महत्वपूर्ण राज्य था। यह सपालदक्ष के दक्षिण में था। यहाँ के शासक भी इतने ही महत्वाकांक्षी थे जितना कि अर्णाराज स्वयं था।
चालुक्य नरेश जयसिंह सिद्धराज तथा कुमारपाल दोनो ही अर्णोराज के समकालीन चालुक्य नरेश थे। ये दोनों ही अत्यन्त महत्वाकाक्षी और शक्तिशाली नरेश थे। 'प्रभावकचरित के अनुसार जयसिंह सिद्धराज का नागौर पर अधिकार अतिश्योक्तिपूर्ण है परन्तु फिर भी ऐसा प्रतीत होता है कि सम्भवतः इन दोनों वंशों के बीच पहले से ही सघर्ष चलता आ रहा था तथा इसने इस समय अधिक उग्र रूप धारण कर लिया था। हेमचन्द्र के अनुसार अर्णोराज ने सिद्धराज की प्रभुता स्वीकार करके अपने को अनुग्रहीत अनुभव किया। सोमेश्वर के कथन से भी कुछ इसी प्रकार का आभास होता है। कालान्तर में रचित ग्रन्थ कीर्ति कौमुदी के अनुसार जयसिंह ने अपनी पुत्री का विवाह अर्णोराज के साथ किया यद्यपि युद्ध में उसने अर्णोराज को पराजित किया था। 'पृथ्वीराज विजय के अनुसार सिद्धराज की इस पुत्री का नाम कांचनदेवी था। सम्भर शिलालेख के अनुसार इस प्रदेश पर कुछ समय के लिए जयसिंह सिद्धराज का अधिकार हो गया।
इतिहासकार दीवान बहादुर हरि विलास शारदा ने इस युद्ध को दो भागों में बाँटा है और इसके दो ही कारण दिये -
1. जयसिंह सिद्धराज का दत्तक पुत्र बहड अथवा चहड इस युद्ध का प्रथम कारण था। अणोराज इसे गुजरात का शासक बनाना चाहता था। युद्ध का परिणाम कुमारपाल के विरुद्ध हुआ और चाहमान नरेश से उसे अपनी बहिन का विवाह करना पड़ा।
2. दूसरे युद्ध का एकमात्र कारण कुमारपाल की बहिन देवल देवी के साथ अर्णोराज का दुर्व्यवहार था।
दीवान बहादुर के कथन में इतना तो सत्य अवश्य है कि वह संघर्ष दो भागों में पूर्ण हुआ, परन्तु इस सम्बन्ध में उन्होंने जो कारण प्रस्तुत किये हैं उन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। चहड की ऐतिहासिकता आज भी अस्पष्ट है और यदि अर्णोराज को उसका समर्थन करना ही था तो उसे अपने सोमेश्वर का समर्थन करना चाहिए था क्योंकि सोमेश्वर का चालुक्यों के यहाँ पर्याप्त आदर सम्मान था।
सम्भवत: इस युद्ध के कारण राजनीतिक थे। सिद्धराज का देहान्त हो जाने पर उसका कोई प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी नहीं था। अनेक कठिनाइयों और बाधाओं में कुमारपाल ने सिंहासन प्राप्त किया था, राजनीतिक दृष्टि से इस स्थिति का लाभ उठाकर गुजरात पर आक्रमण करना अर्णोराज के लिये उचित ही था तथा युक्ति-संगत भी था। सम्भवतः अर्णोराज कुमारपाल को निर्बल समझता था और अपनी पुरानी शत्रुता का प्रतिशोध लेना चाहता था।
अर्णोराज शान्त बैठने वाला व्यक्ति नही था। उसने तीन-चार वर्ष की अल्प अवधि में ही अपनी शक्ति को पुन संगठित किया और अपने निकटवर्ती नरेश अलहान का नाडुल्य पर अधिकार समाप्त कर अपना अधिकार स्थापित किया। इसके उपरान्त उसने मालवा के शासक बल्लाल को चालुक्यों पर आक्रमण करने के लिए तैयार किया। चालुक्य नरेश ने एक कुशल सेनापति के समान अपने सामन्तों को बल्लाल का सामना करने को भेजा और स्वयं एक विशाल सेना के साथ अजमेर की ओर अग्रसर हुआ। सर्वप्रथम उसने अर्णोराज द्वारा अधिकृत नाडुल्य प्रदेश में प्रवेश किया और फिर पाली पर अधिकार कर लिया।
अर्णोराज को इस बार भारी हानि उठानी पड़ी और इसके बदले में अपनी युवा पुत्री अल्हणा का विवाह अधेड़ कुमारपाल के साथ करना पड़ा। इसके साथ ही उसे दहेज में अनेक हाथी और घोड़े भी देने पड़े। यह उत्सव भी अजमेर के स्थान पर पाटन में हुआ। सौभाग्य से इस पराजय, अपमान और दुख को सहन करने के लिए अर्णोराज अधिक दिनों तक जीवित नहीं रहा और उसके पुत्र जगदेव ने उसका वध कर दिया। विग्रहराज, देवदत्त तथा सोमेश्वर उसके अन्य पुत्र थे।
इन सब तथ्यों के बावजूद भी वह अपने वंश का महान शासक था। पृथ्वीराज विजय के अनुसार तुरुष्को पर विजय प्राप्त करने वाला तथा धार्मिक सौहार्द का वह आश्चर्यजनक अग्रदूत था। उसने अनेक मन्दिरों का निर्माण करवाया।
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- प्रश्न- ऐतिहासिक युग के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय दीजिए व भारत में उसके बाद विकसित होने वाली सभ्यता व संस्कृति को चित्रित कीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहाकार कल्हण व आर. सी. मजूमदार का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय ज्ञान प्रणाली के स्रोत पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जदुनाथ सरकार, वी. डी. सावरकर, के. पी. जायसवाल का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार मृदुला मुखर्जी के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारत संस्कृति (भाषाओं) के ज्ञान से अवगत कराइये।
- प्रश्न- नृत्य व रंगमंच की भारतीय संस्कृति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता से मगध राज्य तक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के प्रख्यात इतिहासकार विपिनचन्द्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्य पाषाण समाज और शिकारी संग्रहकर्ता पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- ऊपरी पुरापाषाण क्रांति क्या थी?
- प्रश्न- प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण युग की जीवनशैली किस प्रकार की थी?
- प्रश्न- के. पी. जायसवाल के विशिष्ट कार्यों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- वी. डी. सावरकर के धार्मिक और राजनीतिक विचार से अवगत कराइये।
- प्रश्न- लोअर पैलियोलिथिक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं? 'हड़प्पा संस्कृति' के निर्माता कौन थे? बाह्य देशों के साथ उनके सम्बन्धों के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों के आर्थिक जीवन के विषय में विस्तारपूर्वक बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर-विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विनाश के क्या कारण थे?
- प्रश्न- लोथल के 'गोदी स्थल' पर लेख लिखो।
- प्रश्न- मातृ देवी की उपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'गेरुए रंग के मृदभाण्डों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मोहन जोदडो' का महान स्नानागार' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व-वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य के बारे में संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मचर्य आश्रम के कार्य व महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वानप्रस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- सन्यास आश्रम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनुस्मृति में लिखित विवाह के प्रकार लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में दास प्रथा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पुरुषार्थ पर लघु लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'संस्कार' पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गृहस्थ आश्रम के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में विवाह तथा सम्पत्ति अधिकारों की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- उत्तर वैदिककाल की राजनीतिक दशा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- विदथ पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- आर्यों के मूल स्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सभा' के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नन्द कौन थे? महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न. बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सुदर्शन झील पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अशोक के प्रारम्भिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताइये कि वह किस प्रकार सिंहासन पर बैठा था?
- प्रश्न- सम्राट अशोक के साम्राज्य विस्तार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- अशोक के शासन व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
- प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सारनाथ स्तम्भ लेख पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बृहद्रथ किस राजवंश का शासक था और इसके विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणी के उत्तरकालीन पश्चिमी चालुक्य को समझाइए।
- प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
- प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है उसके विषय में आपसूक्ष्म में बताइए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की उत्पत्ति का आलोचनात्मक विवरण दीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार नरेश नागभट्ट द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम के शासन-काल का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वत्सराज की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास में नागभट्ट द्वितीय के स्थान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मिहिरभोज की राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार सत्ता का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों का विघटन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- गुर्जर-प्रतिहार वंश के इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- महेन्द्रपाल प्रथम कौन था? उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए। उत्तर -
- प्रश्न- राजशेखर और उसकी कृतियों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राज्यपाल तथा त्रिलोचनपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में प्रतिहारों की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कन्नौज के प्रतिहारों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिहार वंश का महानतम शासक कौन था?
- प्रश्न- गुर्जर एवं पतन का विश्लेषण कीजिये।
- प्रश्न- कीर्तिवर्मा द्वितीय एवं बादामी के चालुक्यों के अन्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चालुक्य राज्य के अंधकार काल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्वी चालुक्य शासकों ने कला और संस्कृति में क्या योगदान दिया है?
- प्रश्न- चालुक्य कौन थे? इनकी उत्पत्ति के बारे में बताइए।
- प्रश्न- वेंगी के पूर्व चालुक्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चालुक्यकालीन धर्म एवं कला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की विभिन्न शाखाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य संघर्ष के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- कल्याणी के पश्चिमी चालुक्यों की शक्ति के प्रसार का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की उपलब्धियों के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्यों की शासन व्यवस्था का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चालुक्य- पल्लव संघर्ष का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- परमारों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन काल में चतुर्दिक उन्नति हुई।
- प्रश्न- परमार नरेश वाक्पति II मुंज के शासन काल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राजा भोज के शासन प्रबंध के विषय में आप क्या जानते हैं? बताइए।
- प्रश्न- परमार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए तथा इस वंश का पतन क्यों हुआ?
- प्रश्न- परमार साहित्य और कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार वंश का संस्थापक कौन था?
- प्रश्न- मुंज परमार की उपलब्धियों का आंकलन कीजिए।
- प्रश्न- 'धारा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीयक द्वितीय 'हर्ष' के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धुराज पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- परमारों के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- राजा भोज एवं चालुक्य संघर्ष का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राजा भोज की सांस्कृतिक उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- परमार इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भोज परमार की उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परमारों की प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के शासन काल की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अर्णोराज चाहमान के जीवन एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की उपलब्धियों की समीक्षा कीजिए। मोहम्मद गोरी के हाथों उसकी पराजय के क्या कारण थे? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे? विग्रहराज चतुर्थ के विजयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान कौन थे?
- प्रश्न- विग्रहराज द्वितीय के शासनकाल की घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अजयराज चाहमान की उपलब्धियों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज चौहान की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज और जयचन्द्र की शत्रुता पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- ऐतिहासिक साक्ष्य के रूप में पृथ्वीराज रासो के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- चाहमान वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
- प्रश्न- चाहमानों के विदेशी मूल का सिद्धान्त पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के चन्देलों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गोविन्द चन्द्र गहड़वाल की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गहड़वालों की उत्पत्ति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जयचन्द्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्णोराज के राज्यकाल की प्रमुख राजनीतिक घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चाहमानों (चौहानों) के राजनीतिक इतिहास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ललित विग्रहराज नाटक पर नोट लिखिए।
- प्रश्न- चाहमान नरेश पृथ्वीराज तृतीय के तराइन युद्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चौहान वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामंतवाद पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामंतवाद के पतन के कारण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में सामंतवाद की क्या स्थिति थी?
- प्रश्न- मौर्य प्रशासन और सामंतवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न-
- प्रश्न- वेदों की उत्पत्ति के विषय में बताइए। वेदों ने हमारे जीवन को किस प्रकार के ज्ञान दिये?
- प्रश्न- हिन्दू धर्म और संस्कृति पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए
- प्रश्न- हिन्दू वर्ग की जाति-व्यवस्था व त्योहारों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- 'लिंगायत'' के बारे में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म के सुधारकों के विषय में बताइए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में आत्मा से सम्बन्धित विचारों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दुओं के मूल विश्वासों से अवगत कराइए।
- प्रश्न- उपवास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में लोगों के गाय के प्रति कर्तव्य से अवगत कराइये।
- प्रश्न- हिन्दू धर्म में
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारत आक्रमण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी की भारत विजय के कारणों की सुस्पष्ट व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के पतन के कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर मुहम्मद गोरी के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्नृ- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक दशा कैसी थी?
- प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की सामाजिक स्थिति का संक्षिप्त वर्णन करें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारत की आर्थिक स्थिति पर टिप्पणी लिखें।
- प्रश्न- 11-12वीं सदी में भारतीय शासकों के तुर्कों से पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भारत में तुर्की राज्य स्थापना के क्या परिणाम हुए?
- प्रश्न- मुहम्मद गोरी का चरित्र-मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अरबों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- अरब आक्रमण का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तराइन के प्रथम युद्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्कों के आक्रमण के क्या कारण थे?
- प्रश्न- महमूद गजनवी का आनन्दपाल पर आक्रमण का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी का कन्नौज पर आक्रमण पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- महमूद गजनवी द्वारा सोमनाथ का विध्वंस पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये। [
- प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमण के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर महमूद गजनवी के आक्रमण के परिणामों पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मोहम्मद गोरी की विजयों के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- भारत पर तुर्की आक्रमण के प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।