बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 मनोविज्ञान के प्रश्नोत्तर
प्रश्न- संवेग के जेम्स लांजे सिद्धान्त तथा कैनन बार्ड सिद्धान्त का तुलनात्मक विवरण दीजिये।
अथवा
संवेग के जेम्स लैंग तथा कैनन वार्ड सिद्धान्तों के अन्तर की व्याख्या कीजिए।
अथवा
संवेग के कैनन बार्ड सिद्धांत की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
लघु प्रश्न
1. जेम्स लाजे के संवेग सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
2. संवेग के जेम्स लांजे सिद्धान्त की समीक्षा प्रस्तुत कीजिए। संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
3. जेम्स लांजे का संवेग सिद्धान्त
4. कैनन बार्ड का संवेग सिद्धान्त
5. जेम्स लांजे एवं कैनन बार्ड में अन्तर बताओ।
उत्तर -
जेम्स लान्जे सिद्धान्त- इस सिद्धान्त का प्रतिपादन विलियम जेम्स (William James) जो अमरीकन मनोवैज्ञानिक थे तथा कार्ल लान्जे (Carl Lange) जो डेनिस शरीर क्रिया वैज्ञानिक थे, द्वारा 1980 में किया गया था। विलियम जेम्स के अनुसार संवेगों में सबसे महत्त्वपूर्ण पहलू संवेगात्मक परिस्थिति के प्रति उत्पन्न होने वाले शारीरिक परिवर्तन से प्राप्त प्रतिपूर्ति है। इसके अनुसार चूंकि हम भागते हैं, इसलिए घबराते हैं।
जेम्स लॉजे का सिद्धान्त
(James-Lange Theory)
1. संवेगात्मक उद्दीपक का प्रत्यक्षण (Perception of Emotional Stimulus)- इस सिद्धान्त की मान्यता है कि संवेग की अनुभूति होने के लिए संवेगात्मक उद्दीपक का प्रत्यक्षण आवश्यक है। यह कार्य संग्राहकों से मस्तिष्क द्वारा किया जाता है। ग्राहक उद्दीपक सम्बन्धी सूचना मस्तिष्क को (पथ -1) से प्रेषित करते हैं। जैसे सांप का प्रत्यक्षण।
2. उदोलन तथा क्रिया (Arousal and Action) - संवेगात्मक उद्दीपक के प्रत्यक्षण के फलस्वरूप प्राणी में उदोलन प्रारम्भ होता है और प्राणी संवेगात्मक क्रियायें करता है।
3. उदोलन तथा क्रिया का मूल्यांकन (Appraisal of Arousal and action) संवेगात्मक व्यवहार होने पर मस्तिष्क को मासपेशियों (पथ-3) तथा शरीर के आन्तरिक अंगों (पथ-4) से जानकारी प्राप्त होती है। जैसे सांप से डरने, मारने या भागने की सूचना एवं उनका मूल्यांकन।
4. विशिष्ट संवेग की अनुभूति (Experiencing the Specific Emotions) संवेगात्मक परिवर्तनों की सूचना मस्तिष्क को (पथ-3 एवं 4) प्राप्त होती है। मस्तिष्क से प्राप्त सूचनाओं की व्याख्या करने से संवेगानुभूति होती है।
जेम्स लांजे सिद्धान्त के पक्ष में निष्कर्ष (Conclusions Supporting James Lange's Theory) - यदि संवेग से सम्बन्धित व्यवहार का प्रदर्शन करें तो वैसे सवेग की अनुभूति होगी जैसे फिल्म के पात्रों को आक्रामकता, दुख, खुशी आदि का अभिनय करने से वैसे ही संवेग की अनुभूति होती है अर्थात संवेगात्मक व्यवहार पहले तथा संवेगात्मक अनुभूति बाद में होती है।
जेम्स लांजे सिद्धान्त की आलोचनायें
(Criticisms of James-Lange Theory)
1. अनेक शोधकर्ताओं का मत है कि विभिन्न प्रकार के संवेगों में शारीरिक परिवर्तन लगभग मिलते-जुलते होते हैं। अतः इनके आधार पर भिन्न-भिन्न संवेगों की अनुभूति करना जटिल कार्य है।
2. अध्ययनों का परिणाम आया कि यदि संवेग संबधी सूचनाओं को मस्तिष्क तक ले जाने वाले स्नायु काटने पर भी सवेगात्मक व्यवहार होता है।
कैनन-वार्ड सिद्धान्त
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन मूलत: कैनन (Cannon, 1927) ने किया। बाद में वार्ड (Bard, 1934) ने अपने शोधों द्वारा इसका समर्थन किया। इस सिद्धान्त के अनुसार संवेग का आधार हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) है। इस कारण इसे हाइपोथैलेमिक सिद्धान्त (Hypothalamic theory) भी कहते हैं। कैनन-बार्ड सिद्धान्त की मान्यता है कि “दैहिक प्रतिक्रियायें तथा संवेगात्मक अनुभूतियाँ एक साथ होती है।
कैनन-बार्ड सिद्धान्त के अभिग्रह
1. संवेगात्मक उद्दीपक का प्रत्यक्षण (Perception of Emotional stimulus) - संवेगात्मक अनुभूति के लिए संवेगात्मक उद्दीपक का प्रत्यक्षण होना आवश्यक है। जैसे - साप का प्रत्यक्षण।
2. थैलेमस द्वारा छानवीन (Processing by Thalamus) - ग्राहकों द्वारा प्राप्त सूचनाओं की थैलेमस छानबीन करता है। सूचनायें वल्कुट एवं अन्य अंगो को प्रेषित की जाती है। वल्कुट पथ-3 द्वारा थैलेमस को सक्रिय करता है।
3. उदोलन, क्रिया एवं संवेगानुभूति (Arousal, Action and Experiencing the emotion) - वल्कुट तथा अन्य अंगों को सूचनाएं एक साथ प्रेषित की जाती हैं। इसके साथ संवेगात्मक उदोलन तथा संवेगानुभूति क्रिया एक साथ होती है। आंतरिक अंगों में मांसपेशियों को पथ- 2 द्वारा संवेगात्मक सूचना प्राप्त होती है। इसके द्वारा संवेगात्मक व्यवहार प्रदर्शित होता है। पथ-4 द्वारा मस्तिष्क को सूचना जाती है, जिससे सवेगानुभूति होती है।
कैनन - वार्ड सिद्धान्त की आलोचनाएँ
1. इस सिद्धान्त में थैलेमस को संवेग का मुख्य केन्द्र माना गया है जबकि अनेक शोधकर्ता उपथैलेमस को संवेगानुभूति की दृष्टि से अधिक महत्त्व देते हैं।
2. इस सिद्धान्त के प्रमुख निष्कर्ष पशुओं पर किये गये अध्ययनों पर आधारित है इसलिए मानव संवेगों की सम्यक व्याख्या इसके आधार पर उचित नहीं है।
3. इस सिद्धान्त में सामाजिक अधिगम एव वैयक्तिक कारकों की उपेक्षा की गयी है।
4. संवेगानुभूति में थैलेमस या उपथैलेमस के अतिरिक्त मस्तिष्क क्षेत्रों की भूमिका भी होती है, जिसकी इस सिद्धान्त में अनदेखी की गयी है।
5. संवेग के लिए उपथैलेमस की भूमिका पर और अधिक शोधकार्यों की आवश्यकता है।
जेम्स-लांजे एवं कैनन-बार्ड सिद्धान्त की तुलना
1. दोनों ही सिद्धान्तों में संवेगानुभूति के लिए संवेगात्मक उद्दीपक का प्रत्यक्षण आवश्यक है। 2. संवेगात्मक उदोलन तथा संवेगानुभूति की परिकल्पना दोनों सिद्धान्तों में होती है।
3. आंतरिक अंगों तथा मासपेशियों की संवेगों में भूमिका को दोनों सिद्धान्त स्वीकार करते हैं। 4. दोनों ही सिद्धान्तों में संग्राहकों से उत्पन्न स्नायु आवेग के मस्तिष्क तक पहुँचता संवेग के लिए आवश्यक माना गया है।
जेम्स-लांजे तथा कैनन-बार्ड सिद्धान्त में असमानतायें
1. जेम्स-लाजे सिद्धान्त की मान्यता है कि संवेगात्मक व्यवहार पहले एवं संवेगात्मक अनुभूति बाद में होती है जबकि कैनन-बार्ड सिद्धान्त में दोनों एक साथ घटित होते हैं।
2. जेम्स-लांजे सिद्धान्त की मान्यता है कि यदि संवेगात्मक व्यवहार नहीं होगा तो संवेगात्मक अनुभूति नहीं होगी जबकि कैनन-बार्ड सिद्धान्त संवेगात्मक व्यवहार तथा संवेगात्मक अनुभूति को परस्पर स्वतन्त्र मानता है।
3. जेम्स-लाजे सिद्धान्त में किसी भाग विशेष को संवेग का केन्द्र नहीं मानते हैं जबकि कैनन-बार्ड सिद्धान्त में थैलेमस को संवेगों का केन्द्र माना गया है।
4. जेम्स लांजे सिद्धान्त के पक्ष में प्रायोगिक समर्थन का प्रभाव है जबकि कैनन बार्ड सिद्धान्त के पक्ष में पर्याप्त साक्ष्य पाये गये हैं।
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- प्रश्न- मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिये। इसके लक्ष्य बताइये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान के उपागमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहार के मनोगतिकी उपागम को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यवहारवादी उपागम क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक परिप्रेक्ष्य से क्या तात्पर्य है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानवतावादी उपागम से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- भगवद्गीता में मनोविज्ञान को किस प्रकार समाहित किया है? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांख्य दर्शन में मनोविज्ञान को किस प्रकार व्याख्यित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में मनोविज्ञान किस प्रकार परिभाषित किया गया है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- मनोविज्ञान को परिभाषित करते हुए इसकी विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध से आप क्या समझते हैं? सह-सम्बन्ध के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की गणना विधियों का वर्णन कीजिए। कोटि अंतर विधि का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध की दिशाएँ बताइये।
- प्रश्न- सह-सम्बन्ध गुणांक के निर्धारक बताइये तथा इसका महत्व बताइये।
- प्रश्न- जब {D2 = 36 है तथा N = 10 है तो स्पीयरमैन कोटि अंतर विधि से सह-सम्बन्ध निकालिये।
- प्रश्न- सह सम्बन्ध गुणांक का अर्थ क्या है?
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के किन्ही दो सिद्धांतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए
- प्रश्न- दीर्घीकृत ध्यान का स्वरूप स्पष्ट करते हुए, उसके निर्धारक की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान के स्वरूप को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- चयनात्मक अवधान तथा दीर्घीकृत अवधान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबन्धन सिद्धान्त का विवेचन कीजिए तथा प्राचीन अनुबन्धन के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकल अनुबंधन तथा क्लासिकल अनुबंधन को प्रभावित करने वाले तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन का अर्थ और उसकी आधारभूत प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अधिगम अन्तरण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार बताइये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना से आप क्या समझते हैं? शाब्दिक सीखने के अध्ययन में उपयुक्त सामग्रियाँ बताइए।
- प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना में स्तरीय विश्लेषण किस प्रकार किया जाता है?
- प्रश्न- शाब्दिक सीखना की संगठनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने की प्रक्रिया में अभिप्रेरणा का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- क्लासिकी अनुबंधन में संज्ञानात्मक कारकों की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम के नियमों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- परिवर्जन सीखना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीखने को प्रभावित करने वाले कारक।
- प्रश्न- स्मृति की परिभाषा दीजिये। स्मृति में सुधार कैसे किया जाता है?
- प्रश्न- स्मृति के प्रकारों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति में संरचनात्मक एवं पुनर्सरचनात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रासंगिक तथा अर्थगत स्मृति से क्या आशय है? इनमें विभेद कीजिये।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति को संक्षेप में बताते हुये दोनों में विभेद कीजिये।
- प्रश्न- 'व्यतिकरण धारण को प्रभावित करता है।' इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मृति के स्वरूप पर प्रकाश डालिए। स्मृति को मापने की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के निर्धारक और कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संकेत आधारित विस्मरण किसे कहते हैं? विस्मरण के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्मरण के प्रकार बताइयें।
- प्रश्न- अल्पकालीन तथा दीर्घकालीन स्मृति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- स्मृति सहायक प्रविधियाँ क्या हैं?
- प्रश्न- विस्मरण के स्वरूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुनः प्राप्ति संकेतों के अभाव में किस प्रकार विस्मरण होता है?
- प्रश्न- स्मृति लोप क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विस्मरण के अवशेष-प्रसक्ति समाकलन सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- ध्यान के कौन-कौन से निर्धारक होते है?
- प्रश्न- दीर्घकालीन स्मृति तथा उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ध्यान की मुख्य विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि के संज्ञानपरक उपागम से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों तथा महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिलफोर्ड के त्रिआयामी बुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- 'बुद्धि आनुवांशिकता से प्रभावित होती है या वातावरण से। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- बुद्धि को परिभाषित कीजिये। इसके विभिन्न प्रकारों तथा बुद्धिलब्धि के प्रत्यय का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- वंशानुक्रम तथा वातावरण बुद्धि को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- प्रश्न- संस्कृति परीक्षण को किस प्रकार प्रभावित करती है?
- प्रश्न- परीक्षण प्राप्तांकों की व्याख्या से क्या आशय है?
- प्रश्न- उदाहरण सहित बुद्धि-लब्धि के प्रत्यन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परीक्षणों के उपयोग बताइये।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि तथा विचलन बुद्धि लब्धि के अन्तर को उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- बुद्धि लब्धि व बुद्धि के निर्धारक तत्व बताइये।
- प्रश्न- गार्डनर के बहुबुद्धि सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन के समूह कारक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त के आधार पर बुद्धि की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्पीयरमैन के द्विकारक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयुक्त परिभाषा देते हुए इसके अर्थ को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व कितने प्रकार के होते हैं? विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने व्यक्तित्व का वर्गीकरण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के विभिन्न उपागमों या सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व पर ऑलपोर्ट के योगदान की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कैटेल द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के शीलगुणों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति के विकास की व्याख्या फ्रायड ने किस प्रकार दी है? संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- फ्रायड ने व्यक्तित्व की गतिकी की व्याख्या किस आधार पर की है?
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के मानवतावादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल रोजर्स ने अपने सिद्धान्त में व्यक्तित्व की व्याख्या किस प्रकार की है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्तित्व के शीलगुणों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- प्रजातान्त्रिक व्यक्तित्व एवं निरंकुश व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- शीलगुण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शीलगुण उपागम में 'बिग फाइव' (OCEAN) संप्रत्यय की संक्षिप्त व्याख्या दीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणा से आप क्या समझते हैं? आवश्यकता, प्रेरक एवं प्रलोभन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न शारीरिक एवं सामाजिक मनोजनित प्रेरकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणाओं के संघर्ष से आप क्या समझते हैं? इसके समाधान करने के तरीकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- आवश्यकता-अनुक्रमिकता से क्या तात्पर्य है? मैसलो के अभिप्रेरणा सिद्धान्त का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक एक प्रमुख सामाजिक प्रेरक है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- “बाह्य अभिप्रेरण देने से आन्तरिक अभिप्रेरण में कमी आती है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविक अभिप्रेरकों के दैहिक आधार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आन्तरिक प्रेरणा क्या है और यह किस प्रकार कार्य करती है?
- प्रश्न- दाव एवं खिंचाव तंत्र अभिप्रेरित व्यवहार में किस प्रकार कार्य करता है?
- प्रश्न- जैविक और सामाजिक प्रेरक।
- प्रश्न- जैविक तथा सामाजिक अभिप्रेरकों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आन्तरिक एवं बाह्य अभिप्रेरण क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेरणा चक्र पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- अभिप्रेरणात्मक व्यवहार के मापदण्ड बताइये।
- प्रश्न- पशु प्रणोद की माप का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग से आप क्या वर्णन कीजिये। समझते हैं? इसकी विशेषतायें तथा इसके विकास की प्रक्रिया का
- प्रश्न- सांवेगिक अवस्था में क्या शारीरिक परिवर्तन होते हैं?
- प्रश्न- संवेग के जेम्स लांजे सिद्धान्त तथा कैनन बार्ड सिद्धान्त का तुलनात्मक विवरण दीजिये।
- प्रश्न- संवेग शैस्टर-सिंगर सिद्धान्त की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- संवेग में सामाजिक एवं सांस्कृतिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- संवेगों पर किस प्रकार नियंत्रण कर सकते हैं? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'पॉलीग्राफिक विधि झूठ को मापने की उत्तम विधि है। स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संवेग के
- प्रश्न- संवेग के कैननबार्ड सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा उनकी मानसिक योग्यता सामान्य छात्रों से कम होती है।
- प्रश्न- सार्वभौमिक एवं विशिष्ट संस्कृति संवेग की अभिवृत्ति के विषय में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- गैल्वेनिक त्वक् अनुक्रिया का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- संवेग के आयामों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- संवेगावस्था में होने वाले बाह्य शारीरिक परिवर्तनों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- झूठ संसूचना से क्या आशय है?
- प्रश्न- संवेग तथा भाव में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेग के मापन की कोई दो विधियाँ बताइये।