बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत बीए सेमेस्टर-1 संस्कृतसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत
प्रश्न- भर्तृहरि ने कितने शतकों की रचना की? उनका वर्ण्य विषय क्या है?
अथवा
भर्तृहरि रचित शतकों की संख्या बताते हुए उनका नामोल्लेख कीजिए। प्रत्येक शतक के वर्ण्यविषय पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
भर्तृहरि ने श्रृंगारशतक. नीतिशतक एवं वैराग्यशतक की रचना की है। महाकवि भर्तृहरि की भाषा अत्यन्त सरल एवं प्राञ्जल तथा सशक्त है। भर्तृहरि ने श्रृंगारशतक में स्त्री प्रशंसा, सम्भोग वर्णन, कामिनी- निन्दा, ऋतु वर्णन आदि विषय प्रस्तुत किये गये है जबकि नीतिशतक में नैतिक शिक्षा के सम्बन्ध में अप्रतिम ज्ञान प्राप्त होता है। इसमें विद्या एवं सञ्जनता, शौर्य, साहस, शालीनता, मैत्री, उदारता आदि विषयों को अत्यधिक रोचक बनाकर प्रस्तुत किया गया है। जिसके अध्ययन से मनुष्य सहज सदाचारी बन सकता है। यहाँ पर सज्जनों की प्रशंसा की गयी है तथा मूर्खो की निन्दा की गयी है।
विद्वानों ने भर्तृहरि की सात रचनायें मानी हैं- (1) वाक्यपदीय (तीन काण्ड), (2) वाक्यपदीय टीका (1-2 काण्ड), (3) सुभाषित- त्रिशती (श्रृंगार-शतक, नीति-शतक और वैराग्य-शतक). (4) महाभाष्य दीपिका (महाभाष्य-टीका). (5) मीमांसा-भाष्य, (6) वेदान्त सूत्र - वृत्ति. (7) शब्द धातु-समीक्षा।
इन ग्रन्थों में वाक्यपदीय तथा सुभाषित-त्रिशती उनकी प्रख्यात मौलिक रचनायें है।
वाक्यपदीय - यह व्याकरण का सुप्रसिद्ध ग्रन्थ है। इसमें तीन काण्ड हैं। इसमें स्फोट सिद्धान्त का सर्वांगपूर्ण विवेचन हुआ है। स्फोट को ब्रह्म माना गया है। शब्दों के उच्चारण के साथ चैतन्य का प्राकट्य होता है उसे ही स्फोट कहते हैं - शुद्ध शब्दों के उच्चारण से पुण्य होता है।
सुभाषित त्रिशती - इसमें तीन शतक होते हैं - (1) श्रृंगारशतक (2) नीतिशतक (3) वैराग्यशतक।
शृंगार-शतक - श्रृंगार-शतक में स्त्री-प्रशंसा, संभोग-वर्णन, कामिनी-निन्दा, ऋतु-वर्णन आदि विषय प्रस्तुत हुए हैं। इसमें कवि ने जीवन की शृंगारमयी प्रवृत्तियो का सफल एवं शालीन विवेचन किया है। उन्होंने श्रृंगार को मायात्मक व्यापार माना है। सौन्दर्य मोहजन्य विकार है। स्त्रियों का अमृत मधु-मिश्रित विष है। इस शतक में कवि ने स्त्रियों के अनेकविध व्यापारों का वर्णन किया है। उदाहरणार्थ निम्नलिखित श्लोक को देखें -
सम्मोहयन्ति मदयन्ति विडम्बयन्ति,
निर्भर्त्सयन्ति रमयन्ति विषादयन्ति।
एताः प्रविश्य सदयं हृदयं नराणां,
कि नाम वामनयना न समाचरन्ति।
इसमें यह बतलाया गया है कि स्त्रियों की वाणी में तो अमृत रहता है परन्तु हृदय में तो विष भरा रहता है-
मधु तिष्ठति वाचि योषितां हृदि हालाहलमेव केवलम्।
अतएव निपीयतेऽधरो हृदय मुष्टिभिरेव तायते।।
अतएव कवि ने अन्त में यह शिक्षा दी है कि मानव को सांसारिक विषय वासनाओं का परित्याग कर भगवान शिव की भक्ति में लगना चाहिए। शिव भक्ति के द्वारा ही शाश्वत आनन्द की प्राप्ति संभव है।
नीति-शतक - नीति-शतक नैतिक शिक्षा का अप्रतिम ग्रन्थ रत्न है। इसमें विद्या, सज्जनता, शौर्य, साहस, शालीनता, मैत्री, उदारता विषयों को अत्यधिक रोचक बनाकर प्रस्तुत किया गया है। इसके अध्ययन के द्वारा मनुष्य सहज में ही सदाचारी बन सकता है। सज्जनों की प्रशंसा की गयी है और मूखों की निन्दा | सत्संगति के महात्म्य पर विस्तारपूर्वक विचार किया गया है। राजनीति को भी प्रस्तुत किया गया है। परोपकारियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है। उनके नीतिपरक निम्नलिखित श्लोक का अवलोकन करें -
लोभश्चेदगुणेन किं पिशुनता यद्यस्ति किं पातकैः
सत्यं चेत्तपसा च कि शुचि मनो यद्यस्ति तीर्थेन किम्।
सौजन्यं यदि किं बलेन महिमा यद्यस्ति किं मण्डनैः
सद्विद्या यदि किं धनैरपयशो यद्यस्ति कि मृत्युना।।
वैराग्य शतक - वैराग्य-शतक में कवि ने तृष्णा के दोष, विषयों का परित्याग भोगों की अस्थिरता, काल की महिमा, आत्म नियंत्रण, नित्यानित्य वस्तुओं पर विचार, योगी पुरुषों के आचरण आदि विषयों पर प्रकाश डाला है। तृष्णा के विषय में वे इस प्रकार लिखते है कि अनेक प्रकार के दुर्गम प्रदेशों का मैंने भ्रमण किया परन्तु कुछ भी फल नहीं पाया। उच्च कुल का अभिमान छोड़कर धनी लोगों की निष्फल सेवा की। दूसरों के घरो पर बिना सम्मान के लोलुपतावश कौआ के समान भोजन किया, परन्तु हे तृष्णे !
भ्रान्तं देशमनेकदुर्गविषमं प्राप्तं न किञ्चित् फलं
त्यत्तवा जातिकुलाभिमानमुचितं सेवा कृता निष्फला।।
भुक्तं मानविवर्जितं परगृहेष्वपशडू-या काकवत्
तृष्णे जृम्भसि पापकर्मपिशुने नाद्यापि सन्तुष्यति।।
तृष्णा की निन्दा करते हुए कवि ने लिखा है कि तृष्णा तो बूढ़ी नहीं हुई परन्तु तृष्णा करते हुए हम ही बूढ़े हो गये - भोगा न भुक्ता वयमेय भुक्तास्तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः।
कालो न यातो वयमेव यातास्तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः॥
कवि ने संसार को क्षणभंगुर बतलाया है। वैभव और लक्ष्मी की निन्दा की है। ब्रह्मज्ञान में निष्ठा व्यक्त की है। कवि ने वृद्धावस्था के सहज स्वरूप को प्रस्तुत किया है -
गात्रं संकुचितं गतिर्विगर्लिता भ्रष्टा च दन्तावली -
दृष्टिर्नक्ष्यति वर्धते बधिरता वक्तं च लालायते।
वाक्यं नाद्रियते च बान्धवजनो भार्या नश्रूषते
हा ! कष्टं पुरुषस्य जीर्णवयसः पुत्रोऽप्यमित्रायते।।
कवि संसार को क्षणभंगुर बताया है। वैभव और लक्ष्मी की निन्दा की है। ब्रह्मज्ञान में निष्ठा व्यक्त की है। अन्त में कवि ने संसार की अनित्यता प्रमाणित कर शिवार्चन के द्वारा विरक्त होने का उपदेश दिया गया है। इस प्रकार कवि ने अन्त में संसार की अनित्यता प्रमाणित कर शिवार्चन के द्वारा विरक्त होने का उपदेश दिया है।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूगोल एवं खगोल विषयों का अन्तः सम्बन्ध बताते हुए, इसके क्रमिक विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत का सभ्यता सम्बन्धी एक लम्बा इतिहास रहा है, इस सन्दर्भ में विज्ञान, गणित और चिकित्सा के क्षेत्र में प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण योगदानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित आचार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - 1. कौटिल्य (चाणक्य), 2. आर्यभट्ट, 3. वाराहमिहिर, 4. ब्रह्मगुप्त, 5. कालिदास, 6. धन्वन्तरि, 7. भाष्कराचार्य।
- प्रश्न- ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र का संक्षिप्त परिचय देते हुए दोनों शास्त्रों के परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'योग' के शाब्दिक अर्थ को स्पष्ट करते हुए, योग सम्बन्धी प्राचीन परिभाषाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'आयुर्वेद' पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- कौटिलीय अर्थशास्त्र लोक-व्यवहार, राजनीति तथा दण्ड-विधान सम्बन्धी ज्ञान का व्यावहारिक चित्रण है, स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय संगीत के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक भारतीय दर्शनों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय षड् दर्शनों के नाम व उनके प्रवर्तक आचार्यों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- मानचित्र कला के विकास में योगदान देने वाले प्राचीन भूगोलवेत्ताओं के नाम बताइये।
- प्रश्न- भूगोल एवं खगोल शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ मिलता है?
- प्रश्न- ऋतुओं का सर्वप्रथम ज्ञान कहाँ से प्राप्त होता है?
- प्रश्न- पौराणिक युग में भारतीय विद्वान ने विश्व को सात द्वीपों में विभाजित किया था, जिनका वास्तविक स्थान क्या है?
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- प्रश्न- 'गणित कौमुदी' तथा 'बीजगणित वातांश' ग्रन्थों के लेखक कौन हैं?
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- प्रश्न- वास्तुशास्त्र का ज्योतिष से क्या संबंध है?
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- प्रश्न- 'योगदर्शन' के प्रणेता कौन हैं? योगदर्शन के आधार ग्रन्थ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- क्रियायोग' किसे कहते हैं?
- प्रश्न- 'अष्टाङ्ग योग' क्या है? संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- 'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आयुर्वेद का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों के नाम बताइये।
- प्रश्न- 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- काव्य क्या है? अर्थात् काव्य की परिभाषा लिखिये।
- प्रश्न- काव्य का ऐतिहासिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- संस्कृत व्याकरण का इतिहास क्या है?
- प्रश्न- संस्कृत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? एवं संस्कृत व्याकरण के ग्रन्थ और उनके रचनाकारों के नाम बताइये।
- प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास से पूर्वकाल में संस्कृत काव्य के विकास पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्यगत विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के पश्चात् होने वाले संस्कृत काव्य के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त परिचय देते हुए यह भी बताइये कि उन्होंने रामायण की रचना कब की थी?
- प्रश्न- क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि माघ में उपमा का सौन्दर्य, अर्थगौरव का वैशिष्ट्य तथा पदलालित्य का चमत्कार विद्यमान है?
- प्रश्न- महर्षि वेदव्यास के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए, उनकी कृतियों के नाम बताइये।
- प्रश्न- आचार्य पाणिनि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आचार्य पाणिनि ने व्याकरण को किस प्रकार तथा क्यों व्यवस्थित किया?
- प्रश्न- आचार्य कात्यायन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आचार्य पतञ्जलि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आदिकवि महर्षि बाल्मीकि विरचित आदि काव्य रामायण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- श्री हर्ष की अलंकार छन्द योजना का निरूपण कर नैषधं विद्ध दोषधम् की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाभारत के रचयिता का संक्षिप्त परिचय देकर रचनाकाल बतलाइये।
- प्रश्न- महाकवि भारवि के व्यक्तित्व एवं कर्त्तव्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि हर्ष का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भारवि की भाषा शैली अलंकार एवं छन्दों योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'भारवेर्थगौरवम्' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रामायण के रचयिता कौन थे तथा उन्होंने इसकी रचना क्यों की?
- प्रश्न- रामायण का मुख्य रस क्या है?
- प्रश्न- वाल्मीकि रामायण में कितने काण्ड हैं? प्रत्येक काण्ड का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "रामायण एक आर्दश काव्य है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- क्या महाभारत काव्य है?
- प्रश्न- महाभारत का मुख्य रस क्या है?
- प्रश्न- क्या महाभारत विश्वसाहित्य का विशालतम ग्रन्थ है?
- प्रश्न- 'वृहत्त्रयी' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारवि का 'आतपत्र भारवि' नाम क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'शठे शाठ्यं समाचरेत्' तथा 'आर्जवं कुटिलेषु न नीति:' भारवि के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'महाकवि माघ चित्रकाव्य लिखने में सिद्धहस्त थे' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'महाकवि माघ भक्तकवि है' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- श्री हर्ष कौन थे?
- प्रश्न- श्री हर्ष की रचनाओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'श्री हर्ष कवि से बढ़कर दार्शनिक थे।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- श्री हर्ष की 'परिहास-प्रियता' का एक उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- नैषध महाकाव्य में प्रमुख रस क्या है?
- प्रश्न- "श्री हर्ष वैदर्भी रीति के कवि हैं" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'काश्यां मरणान्मुक्तिः' श्री हर्ष ने इस कथन का समर्थन किया है। उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'नैषध विद्वदौषधम्' यह कथन किससे सम्बध्य है तथा इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'त्रिमुनि' किसे कहते हैं? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भारवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्य प्रतिभा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारवि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- 'भारवेरर्थगौरवम्' पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारवि के महाकाव्य का नामोल्लेख करते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की रस योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'वरं विरोधोऽपि समं महात्माभिः' सूक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
- प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि कालिदास संस्कृत के श्रेष्ठतम कवि हैं।
- प्रश्न- उपमा अलंकार के लिए कौन सा कवि प्रसिद्ध है।
- प्रश्न- अपनी पाठ्य-पुस्तक में विद्यमान 'कुमारसम्भव' का कथासार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कालिदास की भाषा की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कालिदास की रसयोजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास की सौन्दर्य योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'नीतिशतक' में लोकव्यवहार की शिक्षा किस प्रकार दी गयी है? लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की कृतियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि ने कितने शतकों की रचना की? उनका वर्ण्य विषय क्या है?
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नीतिशतक का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- धीर पुरुष एवं छुद्र पुरुष के लिए भर्तृहरि ने किन उपमाओं का प्रयोग किया है। उनकी सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्या प्रशंसा सम्बन्धी नीतिशतकम् श्लोकों का उदाहरण देते हुए विद्या के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि की काव्य रचना का प्रयोजन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि के काव्य सौष्ठव पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 'लघुसिद्धान्तकौमुदी' का विग्रह कर अर्थ बतलाइये।
- प्रश्न- 'संज्ञा प्रकरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- माहेश्वर सूत्र या अक्षरसाम्नाय लिखिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए - इति माहेश्वराणि सूत्राणि, इत्संज्ञा, ऋरषाणां मूर्धा, हलन्त्यम् ,अदर्शनं लोपः आदि
- प्रश्न- सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।