बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत बीए सेमेस्टर-1 संस्कृतसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत
प्रश्न- भूगोल एवं खगोल विषयों का अन्तः सम्बन्ध बताते हुए, इसके क्रमिक विकास पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्राचीन काल में भूगोल नाम का कोई अलग विषय नहीं था किन्तु धरातलीय तथा आकाशीय पिण्डो से सम्बन्धित अध्ययन क्षेत्र शास्त्र के रूप में प्रचलित था। इसलिए भूगोल एवं खगोलशास्त्र एक- दूसरे से सम्बन्धित माने जाते थे। खगोलशास्त्र, एक ऐसा शास्त्र है जिसके अन्तर्गत पृथ्वी और उसके वायुमण्डल के बाहर होने वाली घटनाओं का अवलोकन विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या की जाती है। यह वह अनुशासन है जो आकाश में अवलोकित की जा सकने वाली तथा उनका समावेश करने वाली क्रियाओं के आरम्भ, बदलाव और भौतिक तथा रासायनिक गुणों का अध्ययन करता है।
जबकि भूगोल में पृथ्वी के अन्दर होने वाली घटनाओं का अवलोकन, विश्लेषण तथा उसकी व्याख्या की जाती है। अतः कहा जा सकता है कि खगोलशास्त्र (Astronomy), भू-गर्भ (Geology), भू-आकृति (Topography), भू-गोल (Geography) परस्पर अन्त सम्बन्धित हैं। अध्ययन क्षेत्र का विस्तार होने के कारण उक्त शास्त्रों की पृथक-पृथक शाखाये विकसित हो गयीं। प्राचीन भारतीय भौगोलिक व खगोलीय ज्ञान का विकास क्रम इस प्रकार है -
1. सिंधुघाटी सभ्यता काल - भारतीय खगोल विज्ञान का पूर्व-ऐतिहासिक से आधुनिक काल तक लंबा इतिहास रहा है। भारतीय खगोल विज्ञान की कुछ शुरुआती जड़े इस अवधि तक की जा सकती है, 2500 ई.पू. से 1750 ई पू. तक। इसी समय दो राजधानियाँ - मोहनजोदड़ो और हड़प्पा सामने आयी तथा समुद्री मार्गों का विस्तार हुआ।
2. वैदिक काल - वैदिक काल 2500 ई.पू. से 1000 ई.पू तक का है। वेदों की संहिताओं में, ब्राह्मणों में, आख्यकों में और उपनिषदों में भूगोल एवं खगोल विज्ञान का पर्याप्त विश्लेषण हुआ है। ऋग्वेद में खगोल विज्ञान से सम्बन्धित लगभग 30 श्लोक हैं, यजुर्वेद में 44 तथा अथर्ववेद में 162 श्लोक हैं। जिनमें नक्षत्र चान्द्रमास, सौरमास, मलमास, ऋतु परिवर्तन, उत्तरायन, दक्षिणायन आकाशचक्र, सूर्य की महिमा, कल्प का माप आदि के सन्दर्भ में अनेक उद्धरण मिलते हैं। इस हेतु ऋषि प्रत्यक्ष अवलोकन करते थे। कहते हैं, ऋषि दीर्घतमस् सूर्य का अध्ययन करने में ही अन्धे हुये, ऋषि गृहत्समद ने चन्द्रमा के गर्भ पर होने वाले परिणामों के बारे में बताया। यजुर्वेद के 17 वें अध्याय के चालीसवें मन्त्र में यह बताया गया है कि सूर्य किरणों के कारण चन्द्रमा प्रकाशमान है। इसके अतिरिक्त वेदानों में ज्योतिष के माध्यम से भी अनेक खगोलीय और भौगोलिक विषयों का चिन्तन व मनन किया गया है।
3. महाकाव्य काल - यह काल 16 ई.पू. से 600 ई.पू. तक प्रमुखतः रामायण व महाभारत महाकाव्य काल के अन्तर्गत है। इस काल में वाल्मीकि, वेदव्यास आदि कवियों ने अपने-अपने काव्यों में ब्रह्माण्ड, पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि, आकाश, सूर्य, नक्षत्र तथा राशियों का विवरण तथा इनसे जुड़े आख्यानों को पर्याप्त स्थान दिया है। महाकाव्य काल में सामरिक, सांस्कृतिक एवं वायु परिवहन भूगोल के विकास के संकेत हैं।
हमारे प्राचीन महाकवियों ने अपने काव्यों में स्थान-स्थान पर भौगोलिक तथ्यों का विवरण प्रस्तुत किया, बाद में विद्वानों द्वारा उनकी पुष्टि की गई। सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण जैसी कई खगोलीय घटनाओं तथा नक्षत्रों आदि के सयोग का वर्णन प्राचीन काव्यों में मिलता है। जैसे भगवान श्रीकृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व को हुआ। भारतीय खगोल वैज्ञानिक आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत का युद्ध 3137 ईसा पूर्व में हुआ और कलयुग का प्रारम्भ कृष्ण के निधन के वर्ष 35 वर्ष पश्चात् हुआ। महाभारत काल वह काल है जब सिंधुघाटी की सभ्यता अपने चरम पर थी। विद्वानों का मानना है कि महाभारत में वर्णित सूर्य और चन्द्रग्रहण के अध्ययन से पता चलता है कि युद्ध 31 वीं सदी ईसा पूर्व हुआ था।
4. पौराणिक काल - यह काल 1000 ई.पू. से 800 ई.पू. तक का है। प्राचीन भारतीय पुराणो में सृष्टि, ब्रह्माण्ड पृथ्वी, वायु, जल, अग्नि, आकाश, सूर्य, नक्षत्र तथा राशियों का विवरण वेदों, पुराणों और अन्य ग्रन्थों में मिलता है। हमारे साहित्य में 18 महापुराण तथा 18 उपपुराण है। लगभग सभी पुराणों में सृष्टि सम्बन्धी वर्णन मिलता है। 'भविष्य पुराण' में सूर्य का महत्व, 12 महीनों का वर्णन आदि हैं। 'लिङ्ग पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति, युग, कल्प आदि का खगोलीय वर्णन मिलता है। 'वराह पुराण' में सृष्टि, सूर्य के उत्तरायन-दक्षिणायन, अमावस्या-पूर्णमासी आदि का वर्णन है। 'मत्स्य पुराण' में गृहों की उत्पत्ति का वर्णन है। पुराणों में विश्व को सात द्वीपों में विभक्त किया गया है
1. जम्बू द्वीप 2. कुश द्वीप 3. प्लाशका द्वीप 4. पुष्कर द्वीप 5. सलमाली द्वीप 6. क्रकार द्वीप 7. शक द्वीप।
भारत में अन्य शास्त्रों के साथ ज्योतिष, ज्यामिति तथा खगोलशास्त्र का भी विकास हुआ था। गुप्तकाल के खगोलशास्त्री सभी ग्रहों की गति तथा मार्ग परिधि के बारे में जानते थे तथा उन्होंने सूर्य और चन्द्र ग्रहण का कारण तथा समय की गणना के विषय में मौलिक जानकारी दी है।
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- प्रश्न- भारतीय दर्शन एवं उसके भेद का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूगोल एवं खगोल विषयों का अन्तः सम्बन्ध बताते हुए, इसके क्रमिक विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत का सभ्यता सम्बन्धी एक लम्बा इतिहास रहा है, इस सन्दर्भ में विज्ञान, गणित और चिकित्सा के क्षेत्र में प्राचीन भारत के महत्वपूर्ण योगदानों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित आचार्यों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये - 1. कौटिल्य (चाणक्य), 2. आर्यभट्ट, 3. वाराहमिहिर, 4. ब्रह्मगुप्त, 5. कालिदास, 6. धन्वन्तरि, 7. भाष्कराचार्य।
- प्रश्न- ज्योतिष तथा वास्तु शास्त्र का संक्षिप्त परिचय देते हुए दोनों शास्त्रों के परस्पर सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'योग' के शाब्दिक अर्थ को स्पष्ट करते हुए, योग सम्बन्धी प्राचीन परिभाषाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'आयुर्वेद' पर एक विस्तृत निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- कौटिलीय अर्थशास्त्र लोक-व्यवहार, राजनीति तथा दण्ड-विधान सम्बन्धी ज्ञान का व्यावहारिक चित्रण है, स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय संगीत के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आस्तिक एवं नास्तिक भारतीय दर्शनों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय षड् दर्शनों के नाम व उनके प्रवर्तक आचार्यों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- मानचित्र कला के विकास में योगदान देने वाले प्राचीन भूगोलवेत्ताओं के नाम बताइये।
- प्रश्न- भूगोल एवं खगोल शब्दों का प्रयोग सर्वप्रथम कहाँ मिलता है?
- प्रश्न- ऋतुओं का सर्वप्रथम ज्ञान कहाँ से प्राप्त होता है?
- प्रश्न- पौराणिक युग में भारतीय विद्वान ने विश्व को सात द्वीपों में विभाजित किया था, जिनका वास्तविक स्थान क्या है?
- प्रश्न- न्यूटन से कई शताब्दी पूर्व किसने गुरुत्वाकर्षण का सिद्धान्त बताया?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय गणितज्ञ कौन हैं, जिसने रेखागणित सम्बन्धी सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया?
- प्रश्न- गणित के त्रिकोणमिति (Trigonometry) के सिद्धान्त सूत्र को प्रतिपादित करने वाले प्रथम गणितज्ञ का नाम बताइये।
- प्रश्न- 'गणित सार संग्रह' के लेखक कौन हैं?
- प्रश्न- 'गणित कौमुदी' तथा 'बीजगणित वातांश' ग्रन्थों के लेखक कौन हैं?
- प्रश्न- 'ज्योतिष के स्वरूप का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- वास्तुशास्त्र का ज्योतिष से क्या संबंध है?
- प्रश्न- त्रिस्कन्ध' किसे कहा जाता है?
- प्रश्न- 'योगदर्शन' के प्रणेता कौन हैं? योगदर्शन के आधार ग्रन्थ का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- क्रियायोग' किसे कहते हैं?
- प्रश्न- 'अष्टाङ्ग योग' क्या है? संक्षेप में बताइये।
- प्रश्न- 'अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस' पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आयुर्वेद का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आयुर्वेद के मौलिक सिद्धान्तों के नाम बताइये।
- प्रश्न- 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' का सामान्य परिचय दीजिए।
- प्रश्न- काव्य क्या है? अर्थात् काव्य की परिभाषा लिखिये।
- प्रश्न- काव्य का ऐतिहासिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- संस्कृत व्याकरण का इतिहास क्या है?
- प्रश्न- संस्कृत शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई? एवं संस्कृत व्याकरण के ग्रन्थ और उनके रचनाकारों के नाम बताइये।
- प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास से पूर्वकाल में संस्कृत काव्य के विकास पर लेख लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्यगत विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास के पश्चात् होने वाले संस्कृत काव्य के विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महर्षि वाल्मीकि का संक्षिप्त परिचय देते हुए यह भी बताइये कि उन्होंने रामायण की रचना कब की थी?
- प्रश्न- क्या आप इस तथ्य से सहमत हैं कि माघ में उपमा का सौन्दर्य, अर्थगौरव का वैशिष्ट्य तथा पदलालित्य का चमत्कार विद्यमान है?
- प्रश्न- महर्षि वेदव्यास के सम्पूर्ण जीवन पर प्रकाश डालते हुए, उनकी कृतियों के नाम बताइये।
- प्रश्न- आचार्य पाणिनि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आचार्य पाणिनि ने व्याकरण को किस प्रकार तथा क्यों व्यवस्थित किया?
- प्रश्न- आचार्य कात्यायन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आचार्य पतञ्जलि का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- आदिकवि महर्षि बाल्मीकि विरचित आदि काव्य रामायण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- श्री हर्ष की अलंकार छन्द योजना का निरूपण कर नैषधं विद्ध दोषधम् की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- महर्षि वेदव्यास रचित महाभारत का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाभारत के रचयिता का संक्षिप्त परिचय देकर रचनाकाल बतलाइये।
- प्रश्न- महाकवि भारवि के व्यक्तित्व एवं कर्त्तव्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि हर्ष का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भारवि की भाषा शैली अलंकार एवं छन्दों योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'भारवेर्थगौरवम्' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रामायण के रचयिता कौन थे तथा उन्होंने इसकी रचना क्यों की?
- प्रश्न- रामायण का मुख्य रस क्या है?
- प्रश्न- वाल्मीकि रामायण में कितने काण्ड हैं? प्रत्येक काण्ड का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "रामायण एक आर्दश काव्य है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- क्या महाभारत काव्य है?
- प्रश्न- महाभारत का मुख्य रस क्या है?
- प्रश्न- क्या महाभारत विश्वसाहित्य का विशालतम ग्रन्थ है?
- प्रश्न- 'वृहत्त्रयी' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारवि का 'आतपत्र भारवि' नाम क्यों पड़ा?
- प्रश्न- 'शठे शाठ्यं समाचरेत्' तथा 'आर्जवं कुटिलेषु न नीति:' भारवि के इस विचार से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'महाकवि माघ चित्रकाव्य लिखने में सिद्धहस्त थे' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'महाकवि माघ भक्तकवि है' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- श्री हर्ष कौन थे?
- प्रश्न- श्री हर्ष की रचनाओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'श्री हर्ष कवि से बढ़कर दार्शनिक थे।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- श्री हर्ष की 'परिहास-प्रियता' का एक उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- नैषध महाकाव्य में प्रमुख रस क्या है?
- प्रश्न- "श्री हर्ष वैदर्भी रीति के कवि हैं" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'काश्यां मरणान्मुक्तिः' श्री हर्ष ने इस कथन का समर्थन किया है। उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'नैषध विद्वदौषधम्' यह कथन किससे सम्बध्य है तथा इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'त्रिमुनि' किसे कहते हैं? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि भारवि का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनकी काव्य प्रतिभा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारवि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- 'भारवेरर्थगौरवम्' पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारवि के महाकाव्य का नामोल्लेख करते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की रस योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'वरं विरोधोऽपि समं महात्माभिः' सूक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
- प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि कालिदास संस्कृत के श्रेष्ठतम कवि हैं।
- प्रश्न- उपमा अलंकार के लिए कौन सा कवि प्रसिद्ध है।
- प्रश्न- अपनी पाठ्य-पुस्तक में विद्यमान 'कुमारसम्भव' का कथासार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कालिदास की भाषा की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कालिदास की रसयोजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास की सौन्दर्य योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'नीतिशतक' में लोकव्यवहार की शिक्षा किस प्रकार दी गयी है? लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की कृतियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि ने कितने शतकों की रचना की? उनका वर्ण्य विषय क्या है?
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की भाषा शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नीतिशतक का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- धीर पुरुष एवं छुद्र पुरुष के लिए भर्तृहरि ने किन उपमाओं का प्रयोग किया है। उनकी सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्या प्रशंसा सम्बन्धी नीतिशतकम् श्लोकों का उदाहरण देते हुए विद्या के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि की काव्य रचना का प्रयोजन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि के काव्य सौष्ठव पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 'लघुसिद्धान्तकौमुदी' का विग्रह कर अर्थ बतलाइये।
- प्रश्न- 'संज्ञा प्रकरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- माहेश्वर सूत्र या अक्षरसाम्नाय लिखिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए - इति माहेश्वराणि सूत्राणि, इत्संज्ञा, ऋरषाणां मूर्धा, हलन्त्यम् ,अदर्शनं लोपः आदि
- प्रश्न- सन्धि किसे कहते हैं?
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