बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत बीए सेमेस्टर-1 संस्कृतसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 संस्कृत
प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
उत्तर-
भवभूति अपने व्यक्तित्व और पाण्डित्य की दृष्टि से संस्कृत साहित्य की अनुपम निधि है। वाणी को अपने संकेत पर नचाने वाली कतिपय अडगुलिगण्य विभूतियों में उनकी गणना की जाती है। मानव भावो के विश्लेषण में प्रकृति-चित्रण में, कथा शिल्प में, कल्पना की उड़ान में रस अवतारणा मे विशुद्ध, प्रेम के चित्रण मे. भवभूति का स्थान उच्च है।
उनकी नाट्य कला में भाषा और भाव का अद्भुत सामञ्जस्य है। उनकी भाषा विषयानुसारिणी है। वे भयावह दृश्यों के वर्णन में समास संकुल ओजो गुण विशिष्ट पद्य भी लिख सकते है और कोमल प्रसङ्गो में असमस्त और सरल रचना भी कर सकते हैं। गौडी रीति के सम्राट होने पर भी वे वैदर्मी के उपासक है। एक ओर वे यदि
"वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि।
लोकोत्तराणां चेतांसि को हि विशातुमर्हति॥'
जैसे सरल पद्य लिख सकते हैं तो दूसरी ओर -
"ज्याजिह्वया वलयितोत्कटकोटिदंष्ट्र मुद्भूरिघोरघनघर्घरघोषमेतत्।
ग्रासप्रसक्तहसदन्तकवकयन्त्रलीला विडम्बि विकटोदरमस्तु चापम्॥'
जैसे विकट बन्ध वाले पद्य भी लिख सकते हैं। एक ओर यदि परम सुकुमार भावों का चित्रण कर सकते हैं तो दूसरी ओर पुरुष भावनाओं का चित्त उपस्थित कर सकते हैं। उनकी रचनाओं में भाषा की प्रौढ़ता, शब्द विन्यास को प्राञ्जलता और अर्थगौरव की प्रधानता प्रचुर रीति से उपलब्ध होती है। उन्होंने स्वयं अपनी शैली के विषय में संकेत किया है -
"यत्प्रौढत्वमुदारताः च वचसां यच्चार्थतो गौरवम्।
तच्चेदस्ति ततस्तदेव गमकं पाण्डित्य वैदग्ध्ययोः।"
भवभूति पात्रानुरूप ही भाषा का प्रयोग कराते हैं। अष्टावक्र बाल्मीकि, ब्रहाचारी, बटुओं की भाषा आश्रम के अनुरूप है। जनक अरुन्धती तथा वशिष्ठ आदि की भाषा के अनुरूप है। जनक अरुन्धती तथा वशिष्ठ आदि की भाषा दार्शनिक चिन्तन से ओत-प्रोत है।
करुण भावनाओं के चित्रण में भवभूति के समान कोई नहीं कर सके परन्तु उन्होंने जिस प्रकार उसके दृश्यों का अडून किया है व हृदयस्पर्शी है।
भवभूति के नाटकीय संवाद अधिकांशतः छोटे-छोटे और सहज बोधगम्य है। नाट्यशास्त्र की दृष्टि भवभूति के नाटकों की कथावस्तु प्रख्यात है। आपने अपने नाटकों में सभी नाट्यशास्त्रीय तत्वों का प्रयोग सुनयोजित ढंग से किया है चाहे वह नाटय सन्धियों का प्रयोग हो या अर्थोपक्षेपकों का प्रयोग हो या अर्थ प्रकृतियों का प्रयोग हो।
भवभूति आदर्श प्रेम के व्याख्याता थे। पवित्र प्रेम के धरातल पर भवभूति ने अपनी रचनाएँ अवतरित की थीं। जिनमें वासना का नाम भी नहीं था। भवभूति के सम्बन्ध में गोवर्धनाचार्य ने बहुत ही सुन्दर आर्या कही है -
"भवभूतेः सम्बन्धाद् भूधरभूरेव भारती भाति।
एतत्कृतकरण्ये किमन्यथा रोदिति ग्रावा?"
करुण, विप्रलम्भ, संयोग, श्रृंगार, वीर, हास्य, वात्सल्य आदि रसो की मार्मिक अभिव्यञ्जना हुई है। इसी प्रकार अन्य अंक में भी करुण रस का दर्शन प्राप्त होता है।
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- प्रश्न- महाकवि भारवि के व्यक्तित्व एवं कर्त्तव्य पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- वाल्मीकि रामायण में कितने काण्ड हैं? प्रत्येक काण्ड का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- क्या महाभारत काव्य है?
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- प्रश्न- क्या महाभारत विश्वसाहित्य का विशालतम ग्रन्थ है?
- प्रश्न- 'वृहत्त्रयी' से आप क्या समझते हैं?
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- प्रश्न- 'महाकवि माघ चित्रकाव्य लिखने में सिद्धहस्त थे' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'महाकवि माघ भक्तकवि है' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- श्री हर्ष कौन थे?
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- प्रश्न- 'श्री हर्ष कवि से बढ़कर दार्शनिक थे।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- श्री हर्ष की 'परिहास-प्रियता' का एक उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- नैषध महाकाव्य में प्रमुख रस क्या है?
- प्रश्न- "श्री हर्ष वैदर्भी रीति के कवि हैं" इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'काश्यां मरणान्मुक्तिः' श्री हर्ष ने इस कथन का समर्थन किया है। उदाहरण देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'नैषध विद्वदौषधम्' यह कथन किससे सम्बध्य है तथा इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'त्रिमुनि' किसे कहते हैं? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- भारवि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् महाकाव्य के प्रथम सर्ग का संक्षिप्त कथानक प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- 'भारवेरर्थगौरवम्' पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- भारवि के महाकाव्य का नामोल्लेख करते हुए उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की कथावस्तु एवं चरित्र-चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- किरातार्जुनीयम् की रस योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
- प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य-कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'वरं विरोधोऽपि समं महात्माभिः' सूक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए ।
- प्रश्न- कालिदास की जन्मभूमि एवं निवास स्थान का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की कृतियों का उल्लेख कर महाकाव्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि कालिदास की काव्य शैली पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- उपमा अलंकार के लिए कौन सा कवि प्रसिद्ध है।
- प्रश्न- अपनी पाठ्य-पुस्तक में विद्यमान 'कुमारसम्भव' का कथासार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कालिदास की भाषा की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कालिदास की रसयोजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कालिदास की सौन्दर्य योजना पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए -
- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि के जीवन-परिचय पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- महाकवि भर्तृहरि की कृतियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भर्तृहरि ने कितने शतकों की रचना की? उनका वर्ण्य विषय क्या है?
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- प्रश्न- विद्या प्रशंसा सम्बन्धी नीतिशतकम् श्लोकों का उदाहरण देते हुए विद्या के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- 'संज्ञा प्रकरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- माहेश्वर सूत्र या अक्षरसाम्नाय लिखिये।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए - इति माहेश्वराणि सूत्राणि, इत्संज्ञा, ऋरषाणां मूर्धा, हलन्त्यम् ,अदर्शनं लोपः आदि
- प्रश्न- सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हल सन्धि किसे कहते हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए।