बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- प्लाज्मा झिल्ली की रचना, स्वभाव, जीवात्जनन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जीवित कोशिकाओं का कोशिका द्रव्य (Cytoplasm) एक कोशिका कला (Cell membrane) से घिरा रहता है, जिसे प्लाज्मा मैम्ब्रेन तथा प्लाज्मालेमा (Plasmalemma) कहते हैं। जन्तु कोशिका में प्लाज्मा मैम्ब्रेन पर कोई कोशिका भित्ति नहीं होती है अतः यह सबसे बाहरी स्तर का निर्माण करती है। यह झिल्ली कोशिका में प्रवेश करने वाले व उससे बाहर आने वाले अणुओं व आयनों पर नियंत्रण रख कोशिकाद्रव्य व बाह्य पर्यावरण के बीच आयनिक सान्द्रता को बनाए रखती है।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी के द्वारा अध्ययन करने से पता चलता है कि प्लाज्मा झिल्ली एक त्रिस्तरीय (trilaminar) संरचना है, जो प्रोटीन और फॉस्फोलिपिड अणुओं की बनी होती है। इसकी त्रिस्तरीय रचना का मॉडल सबसे पहले डैनियली तथा डेवसन (Daneli and Davson) ने सन् 1935 में प्रस्तुत किया था।
प्लाज्मा झिल्ली की संरचना का चित्र
डैनियली तथा डेवसन के अनुसार जन्तु कोशिकाओं में प्लाज्मा झिल्ली की कुल मोटाई 20A होती है, जिसमें प्रत्येक स्तर की मोटाई निम्नलिखित होती है-
(i) 20A मोटा सघन प्रोटीन का बाहरी स्तर,
(ii) 20À मोटा साधन प्रोटीन का भीतरी स्तरी,
(iii) 35A मोटा फॉस्फोलिपिड का पीले रंग का मध्य-स्तर |
लाल रुधिर कोशिकाओं (RBCs) में प्लाज्मा झिल्ली की मोटाई 215A तक पाई जाती है।
रॉबर्टसन (Robertson) ने सन् 1959 में बताया कि प्लाज्मा झिल्ली की तरह कोशिका के अन्दर पाये जाने वाले समस्त अंगकों (Organelles) की सीमान्त भित्तियों का स्वभाव भी त्रिस्तरीय होता है। इसी आधार पर उन्होंने प्लाज्मा झिल्ली को यूनिट प्लाज्मा की संज्ञा दी। कोशिका के अंगक जैसे- एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम, गॉल्जी बॉडी, माइटोकॉण्ड्रिया, लाइसोसोम, प्लास्टिड्स तथा न्यूक्लियर मैम्ब्रेन इत्यादि यूनिट मैम्ब्रेन की बनी होती है।
प्लाज्मा झिल्ली की रासायनिक संरचना
(Chemical Composition of Plasma Membrane)
प्लाज्मा झिल्ली मुख्य रूप से प्रोटीन व लिपिड की बनी होती है। इसके अतिरिक्त इसमें कुछ प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट्स का भी होता है।
1. प्रोटीन्स (Proteins) प्रोटीन्स प्लाज्मा झिल्ली का मुख्य भाग बनाती है तथा इसकी मात्रा विभिन्न कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली में भिन्न-भिन्न होती है। एरिथ्रोसाइट की प्लाज्मा झिल्ली 60-80% जबकि यकृत कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली में इसकी मात्रा 80% से अधिक होती है। माजिआ तथा रूबी (Mazia and Ruby) ने सन् 1968 में एरिथ्रोसाइट्स की प्लाज्मा झिल्ली से अलग की गई प्रोटीन्स जो अधिक अणुभार वाली प्रोटीन्स होती है, को टेक्टिन्स नाम दिया, क्योंकि ये पेशी कोशिकाओं में पाई जाने वाली एकिरन प्रोटीन्स के समान होती है। ये प्रोटीन्स आर्गिनिन, लाइसिन, हिस्टिडाइन, टायरोसिन, ट्रिप्टोफेन, मीथियोनिन तथा सिस्टिन अमीनो एसिड्स से मिलकर बनी होती हैं। प्लाज्मा झिल्ली में प्रोटीन्स का मुख्य कार्य -
(i) प्लाज्मा झिल्ली का ढाँचा बनाना तथा इसे लचीलापन एवं यान्त्रिक स्थिरता प्रदान करना होता है।
(ii) प्लाज्मा झिल्ली छिद्रों के चारों ओर स्थित होती है तथा कोशिका के अन्दर व बाहर जाने वाले पदार्थों के लिए सरणियाँ बनाती हैं।
(iii) ये एन्जाइम्स व एण्टीजन के रूप में होते हैं।
(iv) ये ग्राही अणुओं का कार्य करते हैं।
2. लिपिड (Lipids) प्लाज्मा झिल्ली में लिपिड्स लगभग 20 से 40 प्रतिशत तक होते हैं। ये मुख्य रूप से कॉलिस्टैरोल, लैसिथिन, सैफेलिन तथा स्फिन्गोमाइलिन के रूप में पाये आते हैं।
3. कार्बोहाइड्रेट्स (Carbobhydrates) - बेल (Bell, 1962) के अनुसार कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली में कुछ मात्रा कार्बोहाइड्रेट्स की भी पाई जाती हैं। लाल रुधिर तथा यकृत कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली में लगभग 5 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट्स होने के साथ मिलकर ग्लाइकोकैलिक्स बनाते हैं जो लिपो प्रोटीन को स्थायित्वता प्रदान करते हैं।
4. एन्जाइम्स (Enzymes) - कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली में अनेक प्रकार के एन्जाइम्स पाये जाते हैं। जिनमें से अब तक लगभग तीस हजार के एन्जाइमों का पता लगाया जा चुका है। प्लाज्मा झिल्ली में पाये जाने वाले एन्जाइमों में से कुछ मुख्य 5'- यूक्लियोटाइडेज, (Mg + ATPase, Nat-K'activated- Mg + ATPase) एल्केलाइन 44 फॉस्फाटेज, एसिड-फॉस्फोमोनोस्टरेज तथा आर एन. एज हैं।
प्लाज्मा झिल्ली की आणविक रचना
(Molecular Structure of Plasma Membrane)
प्लाज्मा झिल्ली एक त्रिस्तरीय रचना है जिसमें बाहर और भीतर दो प्रोटीन के अणुओं के स्तर तथा मध्य में लिपिड अणुओं का स्तर होता है। लिपिड का यह स्तर जो फॉस्फोइन अणुओं का बना होता है, के दोनों सिरों के अलग-अलग गुण होते हैं-
(i) हाइड्रोफोबिक सिरा यह जल में अघुलनशील होता है तथा नानपोलर सिरा कहलाता है। यह सिरा फैटी एसिड्स का बना होता है।
(ii) हाइड्रोफिलिक सिरा यह सिरा जल में घुलनशील होता है, अतः पोलर सिरा कहलाता है। इस सिरे पर ग्लिसरॉल फास्फेटों से जुड़कर फॉस्फोलिपिड बनाता है।
प्लाज्मा झिल्ली के मध्य स्तर में फॉस्फोलिपिड के दो समानान्तर पंक्तियों में विन्यसित होकर एक महीन बायोमॉलिक्यूलर की द्विस्तरीय रचना बनाते हैं। इसमें फॉस्फोलिपिड हाइड्रोफोलिक सिरे झिल्ली के भीतर धँसे रहते हैं। यह स्तर ही प्रोटीन अणुओं के साथ मिलकर विभिन्न कोशिकीय प्लाज्मा झिल्ली का संरचनात्मक ढँचा बनाता है। इस स्तर में प्रोटीन के अणु दो भिन्न क्रमों में विन्यसित रहते हैं-
(i) परिधीय प्रोटीन - ये झिल्ली के मध्य स्थित फॉस्फोलिपिड का बाहरी तथा भीतरी स्तर बनाते हैं। ये जलीय विलयनों में घुलनशील होते हैं। एरिथ्रोसाइट के स्पेक्ट्रिन तथा माइटोकॉण्ड्रिया के साइटोक्रोम C परिधीय प्रोटीन के उदाहरण हैं।
(ii) आन्तर प्रोटीन कुछ प्रोटीन के अणु झिल्ली की सतह को आंशिक या पूर्ण रूप से बेधते हुए स्थित होते हैं। इन्हें इन्ट्रिन्सिक प्रोटीन कहते हैं। ये जल में अघुलनशील होते हैं। इनके पोलर सिरे झिल्ली की सतह से बाहर निकले रहते हैं, जबकि नान पोलर सिरे झिल्ली में धँसे रहते हैं। इस प्रकार झिल्ली के मध्य स्तर में फॉस्फोलिपिड्स के अणुओं की दोनों पंक्तियों के नान-पोलर हाइड्रोफोलिक सिरे एक-दूसरे के सम्मुख स्थित होते हैं, जबकि इनके पोलर हाइड्रोफिलिक सिरे प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट्स के अणुओं से सम्बद्ध रहते हैं।
प्लाज्मा झिल्ली की विशेषीकृत रचनाएँ
(Specialization of Plasma Membrane)
शरीर कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली में निम्नलिखित विशेषीकृत रचनाएँ पाई जाती हैं-
1. माइक्रोविलाई - कुछ कोशिकाओं की स्वतन्त्र सतह पर प्लाज्मा झिल्ली इनवैजिनेन्श या अंगुली के समान अनेक सूक्ष्म प्रवर्गों के रूप में रूपान्तरित होती है। जिनको माइक्रोविलाई कहते हैं। ये कोशिका की अवशोषण सतह को कई गुना बढ़ा देते हैं।
2. डैस्मोसोम्स - परस्पर सटी हुई कोशिकाएँ एक-दूसरे से चिपकी या आसंजित रहती हैं। सम्पर्क वाले स्थानों की सतह पर इन कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली विशिष्ट प्रकार के मोटाई वाले क्षेत्र प्रदर्शित करती है। इन्हें डैस्मोसोम्स कहते हैं, जिनको सरल स्तम्भी एपिथीलियम कोशिकाओं में भली-भाँति देखा जा सकता है। इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के द्वारा देखने पर डैस्मोसोम्स दो संलग्न कोशिकाओं के सम्पर्क वाले स्थानों की प्लाज्मा झिल्ली को भीतरी सतह पर बटन के समान मोटाई के रूप में दिखाई देते हैं। इन मोटाई वाले स्थानों में महीन साइटोप्लाज्मिक फाइब्रिल्स या टोनोफाइब्रिली होती हैं, जो एक प्रकार का लूप-सा बनाती हैं। डस्मोसोम वाले क्षेत्रों में कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली के बीच का इण्टर - सैलुलर स्थान एक होमोजीनियस ऐमॉरफस पदार्थ या सघन पदार्थ की एक केन्द्रीय डिस्क या कोशिका कोर से भरा रहता है। डैस्मोसोम्स का मुख्य कार्य कोशिकाओं को आसंजन एवं दृढ़ता प्रदान करना तथा कोशिकाओं की एक निश्चित आकृति को बनाये रखना होता है।
3. हैमीडैस्मोसोम्स - ये शरीर की एपिथीलियल कोशिकाओं के आधारीय भागों में पाये जाते हैं। ये डैस्मोसोम्स के समान ही होते हैं, किन्तु ये प्लाज्मा झिल्ली में केवल एक ओर ही पाये जाते हैं, क्योंकि दूसरी ओर का भाग कोलेजन फाइबर्स का बना होता है।
4. सैप्टेट डैस्मोसोम्स - ये अकशेरुकी प्राणियों की एपिथीलियल कोशिकाओं में पाये जाते हैं। ये संलग्न कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली के बीच 150A-100Ä के चौड़े आन्तरकोशिकीय अवकाश ट्रान्सवर्स सैप्टा के रूप में स्थित होते हैं।
5. इण्टरडिजिटेशन - अनेक ऊतकों में संलग्न कोशिकाओं की प्लाज्मा झिल्ली जगह-जगह पर एक-दूसरे के निकटतम सम्पर्क में रहती है तथा कभी-कभी इन जगहों पर अंगुली के समान प्रवर्गों के रूप में निकली रहती है, जिन्हें इण्टरडिजिटेशन कहते हैं।
6. इण्टरमीडियरी जंक्शन्स - डैस्मोसोम्स के समान ही ये प्लाज्मा झिल्ली पर जगह-जगह मोटाई के रूप में होते हैं, किन्तु ये डैस्मोसोम्स की अपेक्षा बहुत महीन होते हैं तथा इसमें फाइबर्स एवं अन्तरकोशिकीय स्थान में मिलने वाले पदार्थों का अभाव होता है।
7. टाइट जंक्शन - टाइट जंक्शन संलग्न कोशिकाओं के वे विशिष्ट क्षेत्र हैं जहाँ पर दोनों कोशिकाओं की त्रिस्तरीय प्लाज्मा झिल्ली के बाहरी स्तर पर मध्य रेखा पर मिलकर अन्तरकोशिकीय स्थान को पूर्णतः अवरुद्ध कर देते हैं। टाइट जंक्शन, टर्मिनल बार्स तथा डैस्मोसोम्स मिलकर जंक्शनल कॉम्पलैक्स का निर्माण करते हैं।
प्लाज्मा झिल्ली के गुण
(Properties of Plasma Membrane)
प्लाज्मा झिल्ली कोशिका की सबसे बाहरी सीमान्त पर्त है जो स्वभाव में दृढ़ लचीली होती हैं। पदार्थों का कोशिका में प्रवेश करना एवं बाहर निकालना इसके डिफैरैन्सियली परिमिएबल गुणों पर निर्भर करता है। यह बाहरी वातावरण के प्रति कोशिका के भीतरी वातावरण में विभिन्न घुले हुए पदार्थों की सान्द्रता में तुलनात्मक भिन्नता बनाये रखती है। प्रायः सभी कोशिकाओं के बाहर चारों ओर जलीय माध्यम होता है तथा केवल घुले पदार्थ या लवण ही प्लाज्मा झिल्ली से पारिगमित हो सकते हैं, किन्तु सभी घुले पदार्थ समान रूप से पारिगमित होने में समर्थ नहीं होते। लवणों की अपेक्षा जल ऑक्सीजन एवं कार्बन- डाइऑक्साइड अधिक सुगमता से प्लाज्मा झिल्ली में से पारिगमित हो जाते हैं, जबकि अधिक आणविक भार वाले पदार्थ जैसे कार्बोहाइड्रेट्स एवं प्रोटीन्स इत्यादि पारिगमित नहीं हो पाते। प्लाज्मा झिल्ली कोशिका के चारों ओर एक अतिसूक्ष्म छिद्रों वाली झिल्ली के समान होती है जिसमें विभिन्न पदार्थों के अणु पारिगमित होते रहते हैं।
प्लाज्मा झिल्ली का महत्व
(Significance of Plasma Membrane)
प्लाज्मा झिल्ली का महत्व निम्नलिखित प्रकार से है-
1. यह कोशिकाद्रव्य एवं कोशिकांगों के लिए सुरक्षात्मक आवरण का कार्य करती है।
2. इसके द्वारा कोशिका अंगकों का पृथक रहना सम्भव होता है।
3. कोशिका अंगकों के पृथक्-पृथक् रहने के सभी क्रियाएँ सम्पन्न होती हैं।
4. यह झिल्ली चयनात्मक पारगम्यता प्रदर्शित करती है।
5. झिल्ली द्वारा अणुओं का चयन किया जाता है कि किन अणुओं का कोशिका में प्रवेश होना चाहिए तथा किन-किन अणुओं को प्रवेश होने से रोकना चाहिए।
6. यह झिल्ली केवल उन अणुओं को कोशिका में रहने देती है जो उपयोगी होते हैं अर्थात् बेकार के अणुओं को यह बाहर निकाल देती है।
7. इस झिल्ली द्वारा विभिन्न सान्द्रता वाले आयनों का आदान-प्रदान होता है।
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- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
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- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
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- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
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