बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
अथवा
विभिन्न प्रकार के प्रसव का वर्णन कीजिए।
अथवा
सामान्य प्रसव, सिजेरियन डिलीवरी ब्रीचवर्थ, असिस्टेड डिलीवर ( सहायता प्राप्त प्रसूति) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
प्रत्येक स्त्री की जीवन की एक महत्वकांक्षा होती है कि वह माँ अवश्य बने, यह
आदिकाल से ही दृष्टि का आधार रहा है। संतान की उत्पत्ति के समय स्त्री एवं पुरूष को समाज विवाह की अनुमति प्रदान करता है ताकि सृष्टि का अस्तित्व बना रहे। धार्मिक ग्रंथों में भी पितृ ऋण को चुकाने के लिए संतानोत्पत्ति को आवश्यक बताया गया है।
प्रसव की विभिन्न अवस्थायें
प्रसव की प्रथम अवस्था में गर्भाशय की मांसपेशियों में तेजी से संकुचन होता है। जिससे पेट तथा कमर के निचले हिस्से में दर्द शुरू हो जाता है। हर गर्भाशय पेशीय संकुचन के साथ भ्रूण का सिर नीचे योनि की ओर आने लगता है। पेशीय संकुचन से गर्भाशय का ऊपरी भाग कठोर हो जाता है तथा
निचला भाग कोमल होकर फैल जाता है इस प्रकार यह अवस्था योनि मार्ग के प्रसारण की अवस्था होती है। इस अवस्था में शिशु बाहर आने के लिए मार्ग तैयार करता है।
जब किसी स्त्री का प्रथम प्रसव होता है तो प्रथम अवस्था में अधिक समय लगता है। प्रथम प्रसव में यह अवधि लगभग 12 में 16 घन्टे तथा बहुप्रसव में 6 से 8 घन्टे की होती है।
प्रसव की दूसरी अवस्था में योनि के पूर्णतया विस्तारण से शुरू होकर शिशु जन्म होने तक रहती है। अतः शिशु जन्म की अवस्था है। इस अवस्था में गर्भस्थ शिशु माँ के शरीर से बाहर आता है इस प्रकार इस अवस्था को 'निष्कासन की अवस्था भी कहते हैं।
प्रसव के विभिन्न प्रकार एक बच्चे को जन्म देना बहुत बड़ी उपलब्धि है और यह आसानी से हासिल नहीं होती है। यद्यपि योनि द्वारा प्रसव शिशु को जन्म देने की एक प्रचलित पद्धति है लेकिन दूसरी ऐसी कई विधियाँ हैं जिनसे होने वाली माँ के कष्टों को कम करके अथवा प्रक्रिया को आसान बनाकर प्रसव कराया जाता है।
मेडिकल साइंस की प्रगति के साथ ऐसे तरीके खोजे गये हैं जिनसे जटिलताओं या जोखिमों की स्थिति में भी सफलतापूर्वक प्रसव कराया जा सकता है।
सामान्य प्रसव सामान्य प्रसव को महिलाओं के लिए सबसे सही माना जाता है क्योंकि इसके बाद रिकवर करने में कम समय लगता है।
सामान्य प्रसव एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें शिशु का जन्म महिला के योनि मार्ग से प्राकृतिक तरीके से होता है। अगर गर्भावस्था में किसी तरह की मेडिकल समस्या न हो तो गर्भवती महिला की नार्मल डिलीवरी हो सकती है।
सामान्य प्रसव को बढाने वाले कारक
1. अगर गर्भवती महिला को किसी तरह की शारीरिक बीमारी (जैसे अस्थमा) आदि न हो।
2. अगर गर्भवती महिजा और गर्भ में शिशु का वजन सामान्य हो।
3. अगर गर्भवती महिजा गर्भावस्था के दौरान शारीरिक रूप से सक्रिय रहे।
4. अगर गर्भवती महिला का ब्लडप्रेशर, ब्लडशुगर और खून में हिमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य हो।
लाभ - सामान्य प्रसव से उत्पन्न बालकों की बाहरी वातवरण से सामंजस्य क्षमता अधिक होती है।
1. प्रसव के समय माँ तथा शिशु दोनों को अधिक कठिनाई नहीं होती है।
3. प्रसूता माँ को अस्पताल या प्रसूति केन्द्र में अधिक समय तक नहीं रहना पड़ता है।
3. इस प्रसव प्रक्रिया में अधिक समय नहीं लगता है।
4. जन्म के बाद शिशु तथा प्रसूता माँ की बहुत अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती है।
2. आपरेशन द्वारा प्रसव (सिजेरियन डिलीवरी) सी-सेक्शन एक प्रकार का ऑपरेशन होता है। इसमें डिलीवरी के दौरान गर्भवती के पेट और गर्भाशय पर चीरा लगाया जाता है, ताकि शिशु का जन्म हो सके। इसके बाद डॉक्टर पेट और गर्भाशय को टांके लगाकर बंद कर देते हैं जो समय के साथ-साथ शरीर में घुल जाते हैं।
शिशु जब सामान्य या प्राकृतिक प्रक्रिया द्वारा योनि मार्ग से बाहर नहीं निकल पाता है। तो माँ के पेट में चीरा लगाकर शिशु को बाहर निकाला जाता है तो उसे आपरेशन द्वारा प्रसव कहते हैं।
निम्न दशा में आपेरशन होता है-
• गर्भाशयिक संकुचनों का कम होना।
• गर्भ में शिशु की मृत्यु होना।
• योनि मार्ग का संकरा होना तथा शिशु का आनुपातिक रूप से बड़ा होना।
• किन्ही कारणोवश शिशु जन्म निर्धारित समय से पूर्व आवश्यक होना।
• गर्भ में शिशु की स्थिति सामान्य न होना।
• यह प्रसव घर पर नहीं कराया जा सकता है।
• प्रसूता को अधिक समय तक प्रसूति केन्द्र में रहना पड़ता है।
• आपरेशन के कारण प्रसूता को अधिक आराम की आवश्यकता होती है।
• ऑपरेशन द्वारा प्रसव के बाद गर्भाशय को अपने सामान्य आकार में आने में अधिक समय लगेगा।
• ऑपरेशन द्वारा प्रसव में अधिक समय व धन लगता है।
शिशु जन्म के बाद प्रसूता और नवजात दोनों को अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है।
3. बीच बर्थ (Breech Delivery) - सामान्य गर्भावस्था में प्रसव से पहले अपने आप ही शिशु का सिर नीचे की ओर आ जाता है। नार्मल प्रसव के लिए इस स्थिति को जाता है। वहीं जब शिशु का सिर ऊपर और पैर नीचे आते हैं तो इस स्थिति को जाता है।
गर्भावस्था के दौरान कई बार प्रसव के समय सिजेरियन सिर्फ इसलिए करना पड़ता है क्योंकि बच्चा गर्भ में उल्टा होता है। यानी उसका पैर नीचे व सिर ऊपर होता। इस स्थिति को मेडिकली ब्रीच बेबी डिलीवरी कहते हैं।
ब्रीच बेबी के ज्यादातर मामलों में शिशु के पैर और कूल्हे प्रसव के दौरान पहले बाहर आते हैं। इस प्रसव के प्रमुख कारण निम्न हैं-
1. गर्भ में जुडवा या तीन शिशु होना।
2. सिर का आकार बड़ा होना।
3. तीसरे या चौथे प्रसव के समय।
डॉक्टरों का मानना है कि उल्टे बच्चे की डिलीवरी में जटिलताएँ होती हैं इसलिए प्रसव में ज्यादा एहतियात बरतनी होती है। वरना सिर फस जायेगा या हेमरेज या फ्रैक्चर हो सकता है। प्रसव में देरी होने पर शिशु का दम घुटने का खतरा भी रहता है।
4. (असिस्टेड डिलीवरी) सहायता प्राप्त प्रसूति सहायता प्राप्त प्रसव की प्रक्रिया का उपयोग तब किया जाता है जब माँ बहुत थकी होती और बच्चे को जन्म नहीं दे पा रही हो तो या शिशु का सिर बड़ा हो। शिशु प्रसव के दौरान डिस्ट्रेस (यथा) के लक्षण दिखाता है।
असिस्टेड डिलिवरी को वैक्यूम असिस्टेड डिलिवरी भी कहते हैं। वैक्यूम डिलिवेरी के दौरान अपनाए जाने वाले तरीकों में से एक है वजायनल डिलिवरी के समय जब बच्चा, माँ के बर्थ कैनाल से आसानी से नहीं निकलता है तो कप जैसे शेप के वैक्यूम को यूज करना पड़ता है। वैक्यूम कप को बेबी के सिर पर लगाया जाता है और बाहर की ओर खींचा जाता है।
इसका उपभोग प्रसव की II स्टेज में अपनाया जाता है। इसका प्रयोग ज्यादातर तब किया जाता है जब प्रसव के दौरान कोई प्रोग्रेस नहीं दिखती है और साथ ही बच्चे की हेल्थ तुंरत डिलिवरी पर निर्भर होती है।
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- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
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- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
- प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
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- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?