बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान
प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. धमनी किसे कहते हैं?
2. शिराएँ रक्त को कहाँ ले जाती हैं?
3. शिरा, धमनी एवं केशिकाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
4. धमनी एवं शिराओं में अन्तर लिखिए।
उत्तर-
धमनियाँ
(Arteries)
हृदय के रक्त को शरीर के अन्य अंगों एवं फेफड़ों तक पहुँचाने वाली नलिकाएँ धमनियाँ हैं। हृदय अपनी प्रत्येक धड़कन पर बहुत सा रक्त धमनियों में पम्प करता है। जब निलयी आकुंचन से धमनी में रक्त पम्प होता है तो, लचीली होने के कारण, धमनी की दीवार पहले तो रक्त के दबाव से फैलती अर्थात् विस्तारित होती है, परन्तु निलयी आंकुचन के समाप्त होते ही यह अपने आप सिकुड़ती हैं जिससे रक्त पर आगे बहने का दबाव पड़ता है। स्पष्ट है कि धमनियों में रक्त अत्यधिक दबाव के साथ बहता है और निलयों की प्रांकुचन एवं प्रसारण प्रावस्थाओं के अनुसार इसकी दीवार क्रमशः फूलती और पिचकती है, अर्थात् इनमें भी लयबद्ध धड़कन होती है। रक्त के अत्यधिक दबाव को सहन करने के लिए धमनियों की दीवार, शिराओं की दीवार से अधिक मोटी एवं पेशीय, परन्तु कुछ कम लचीली होती है। इसमें मध्यस्तर अधिक मोटा और पेशियाँ तथा इलास्टिक तन्तु अधिक होते हैं। बड़ी धमनियों में तो मध्य स्तर अधिक मोटा और अधिक मजबूत बनाने के लिए इनके ठीक बाहर एक लचीली झिल्ली भी होती है। मोटी, दृढ़ और कम लचीली होने के कारण, धमनियों की गुहा सँकरी होती है। मोटी दीवार और सँकरी गुहा से धमनियों में रक्त दाब को बनाये रखने में सहायता मिलती है।
सामान्यतः धमनियाँ शरीर में, शिराओं की अपेक्षा, अधिक गहराई में स्थित होती है, लेकिन कहीं- कहीं ( कलाई, गर्दन इत्यादि में) ये त्वचा के ठीक नीचे ही होती हैं। ऐसे स्थानों पर हम इनकी धड़कन महसूस कर सकते हैं। इसी को नब्ज (pluse) देखना कहते हैं।
धमनिकाएँ एवं रक्त केशिकाएँ
(Arterioles and Blood Capillaries)
विभिन्न अंगों में पहुँचकर धमनियाँ बारम्बार शाखान्वित होकर महीन होती जाती हैं। इनकी अन्तिम शाखाओं को धमनिकाएँ कहते हैं। इनकी महीन दीवार में मुख्य रूप से अरेखित पेशियाँ ही होती हैं। अतः ये अधिक लचीली होती हैं, अधिक फैलकर या सिकुड़कर ये आगे बहने वाले रक्त की मात्रा को काफी घटा-बढ़ा सकती हैं। किसी ऊतक में पहुँचकर प्रत्येक धमनिका 10 से 100 अत्यधिक महीन शाखाओं में बँट जाती हैं जिन्हें धमनी केशिकाएँ (arterial capillaries) कहते हैं। केशिकाओं में रक्त का बहाव बहुत धीमा हो जाता है। इनकी खोज सन 1961 में मारसेलो मैल्पीघी ने की थी। इनकी दीवार में बाह्य एवं मध्य स्तर नहीं होते हैं। अन्तः स्तर में भी केवल एण्डोथीलियम होती हैं जिनकी कोशाएँ अत्यधिक चपटी एवं शल्की होती हैं। इस प्रकार कोशिकाओं की दीवार 1 से भी कम मोटी झिल्ली के समान होती है और इसमें भी अनेक सूक्ष्म छिद्र होते हैं। प्रत्येक ऊतक के ऊतक द्रव्य में इन कोशिकाओं का घना जाल ( netwok) बिछा रहता है। मानव शरीर में औसतन लगभग दस अरब केशिकाएँ होती हैं। जिन्हें एक लाइन में जोड़ें तो 250,000 किलोमीटर लम्बी महीन नलिका बन जायेगी। केशिकाओं की महीन दीवार के आर-पार सामान्य विसरण द्वारा, रक्त एवं ऊतक द्रव्य के बीच पदार्थों का लेन-देन होता है। केशिकाओं से रक्त के प्लाज्मा का कुछ तरल अंश छनकर ऊतक द्रव्य में जाता है। इस तरल में पोषक पदार्थों, आक्सीजन (O2), हॉरमोन्स, विटामिनों इत्यादि लाभदायक पदार्थों की बहुतायात होती है। ऊतक की कोशाएँ अपनी आवश्यकतानुसार इन पदार्थों को ऊतक द्रव्य से लेती रहती हैं और बदले में अपने उपापचय के अपशिष्ट पदार्थों (कार्बन-डाइऑक्साइड तथा नाइट्रोजनीय एवं अन्य उपापचयी अपशिष्ट) इसमें मुक्त करती रहती हैं। कोशिकाओं के प्रमुख कार्य निम्नलिखित होते हैं-
(i) नलिका विहीन ग्रन्थियों के स्राव को रक्त में पहुँचाना।
(ii) गुर्दों में मूत्र को छाना जाना।
(iii) ऑक्सीजन व कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करना।
(iv) शरीर के सभी अंगों को भोजन पहुँचाना।
(v) आँतों से पोषक तत्वों को ग्रहण करना।
शिराएँ
(Veins)
शरीर के विभिन्न भागों में रक्त को हृदय की ओर ले जाने वाली रुधिर वाहिकाएँ शिराएँ कहलाती हैं। धमनी कोशिकाओं के दूरस्थ भागों में रक्त का दबाव बहुत कम हो जाता है। अतः ऊतक द्रव्य की बढ़ी हुई मात्रा, कार्बन डाइऑक्साइड अपशिष्टों से युक्त तरल के रूप में रिसकर वापस केशिकाओं के रक्त में आ जाता है। इससे रक्त अशुद्ध हो जाता है। इस प्रकार धमनी केशिकाओं के दूरस्थ भाग ही स्वयं शिरा केशिकाओं (venous capillaries) में बदल जाते हैं। अब शिरा केशिकाएँ परस्पर मिल-मिलकर शिराकाएँ (venules) बना लेती हैं। इस प्रकार ऊतकों में प्रत्येक केशिका जाल एक ओर धमनिकाओं से तथा दूसरी ओर शिराकाओं से जुड़ा होता है। शिराकाएँ परस्पर मिल-मिलकर छोटी-बड़ी शिराएँ ( veins) बनाती हैं। शिराओं की दीवार अधिक महीन और पिचकने वाली होती है। इसीलिए शिराओं में धड़कन नहीं होती। इनकी गुहा भी अपेक्षाकृत चौड़ी होती है। अतः इनमें रक्त का बहाव धीमा और निरन्तर होता है तथा इसका दबाव बहुत कम होता है। इसीलिए, विशेषतौर से उन शिराओं में जो शरीर के निचले एवं हृदय से दूरस्थ भागों में होती हैं, रक्त के उल्टी दिशा में बह जाने की आशंका होती है। अतः इनमें जगह-जगह एकतरफा (केवल हृदय की ओर खुलने वाले) अर्द्धचन्द्राकार कपाट हैं जो रक्त को उल्टी दिशा में बहने से रोकते हैं। शरीर की पेशियों के संकुचन तथा हृदय के विस्तारण चूषण खिंचाव से शिराओं में रक्त के हृदय की ओर आगे बढ़ते रहने में सहायता मिलती है।
स्वयं रक्तवाहिनियों की दीवार में इनकी कोशाओं को आवश्यक पदार्थ पहुँचाने के लिए भी महीन रक्त वाहिनियों के जाल होते हैं। इस रक्त सप्लाई को वासा वैसोरम (vasa varsorum) कहते हैं।
प्लीहा, यकृत, लाल अस्थिमज्जा इत्यादि कुछ ऊतकों में महीनतम रक्त वाहिनियाँ, कोशिकाओ के नहीं, वरन् असममित सी गुहाओं के रूप में होती हैं जिन्हें रक्त पात्रक (blood sinusoids) कहते हैं। इनकी दीवार केशिकाओं की दीवार से भी अधिक महीन होती है।
धमनियों और शिराओं में अन्तर
(Diffirrence between Artiries and venis)
क्रम | धमनियाँ (Arteries) | शिराएँ (Veins) |
1. | रक्त को हृदय से अंगों में ले जाती है। | रक्त को अंगों से हृदय में या हृदय की ओर लाती है। |
2. | फेफड़ों में जाने वाली फुफ्फुसीय धमनियों के अतिरिक्त सब में शुद्ध रक्त होता है। | फुफ्फुसीय शिराओं के अतिरिक्त सब में अशुद्ध रक्त होता है। |
3. | इनमें रक्त हृदय की धड़कनों के अनुसार अत्यधिक दबाव के साथ बहता है। | इनमें रक्त धीमी गति से लगातार बहुत कम दबाव के साथ बहता है। |
4. | इनकी दीवार मोटी, दृढ़ एवं कम लचीली होती है। | इनकी दीवार अपेक्षाकृत पतली परन्तु अधिक लचीली होती है। |
5. | दीवार मोटी होने के कारण धमनियाँ खाली होने पर पिचकती नहीं। | शिराओं के खाली होने पर दीवार पिचक जाती है। |
6. | इनकी गुहा सँकरी होती है। | इनकी गुहा चौड़ी होती है। |
7. | प्रमुख धमिनियाँ शरीर में सामान्यतः गहराई में स्थित होती हैं। | प्रमुख शिराएँ सामान्यतया सतह के पास स्थित होती हैं। |
8. | इनके भीतर कपाट नहीं होते। | इनके भीतर कपाट होते हैं। |
9. | ये गुलाबी या चटक लाल-सी होती हैं। | ये गहरी लाल या नीली-सी होती हैं। |
10. | इनमें हर समय कुल रक्त का लगभग पन्द्रह प्रतिशत अंश भरा होता है। | इनमें हर समय रक्त का लगभग चौंसठ प्रतिशत अंश भरा होता है। |
11. | धमनियों के अन्दर व्यास कम होता है। | शिराओं के अन्दर व्यास अधिक अधिक होता है। |
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- प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
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- प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
- प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
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- प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
- प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
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- प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
- प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
- प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
- प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
- प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
- प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
- प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
- प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
- प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
- प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
- प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
- प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
- प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
- प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
- प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
- प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
- प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?