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बीए सेमेस्टर-1 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2634
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 गृहविज्ञान

प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?

उत्तर -

बाल विकास अध्ययनों का मुख्य उद्देश्य सामान्य बालकों के विकास प्रतिमानों का अध्ययन करना है तथा इनके कारणों की जाँच करना है। यद्यपि इस दिशा में अनेक अध्ययन हुए हैं परन्तु कुछ अध्ययन प्रारम्भिक विकास अवस्थाओं तथा कुछ अध्ययन अन्तिम विकास अवस्थाओं पर किये गये है। ऐसे अध्ययन नहीं है जो प्रथम विकास अवस्था से अन्तिम विकास अवस्था तक हो। गर्भधारण के बाद गर्भस्थ शिशु में विवृद्धि (Growth) तथा विकास प्रारम्भ होता है। प्राणी में विवृद्धि और विकास के चलते रहने से प्राणी में सक्रियता और उसका जीवन चलता रहता है। विवृद्धि और विकास दो अलग-अलग प्रत्यय है। इनके सम्बन्ध में कुछ अधिक कहने से पहले इनके अर्थ को अलग-अलग समझना आवश्यक है।

विकास का अर्थ
(Meaning of Development)

हरलॉक (E. B. Hurlock, 1974) ने विकास को परिभाषित करते हुए लिखा है कि विकास का अर्थ गुणात्मक परिवर्तनों से है। विकास की परिभाषा क्रमिक सम्बद्धतापूर्ण परिवर्तनों की प्रगतिपूर्ण श्रृंखला के रूप में दी जा सकती है। प्रगतिपूर्ण का अर्थ है कि परिवर्तन दिशात्मक (Directional) होते हैं तथा यह पृष्ठोन्मुख की अपेक्षा अग्रोन्मुख होते हैं। एक नवजात शिशु बैठना-उठना और चलना आदि नहीं जानता है, परन्तु जैसे-जैसे उसका विकास होने लगता है, वह ये सभी क्रियाएँ करना सीख लेता है। अतः कहा जा सकता है कि बालकों में इन क्रियाओं में प्रगतिपूर्ण परिवर्तन (Progressive Changes) हुए हैं। बालक में विकास सम्बन्धी सभी प्रगतिपूर्ण परिवर्तन एक-दूसरे से सम्बन्धित और क्रमबद्ध होते हैं। विकास की परिभाषाओं का सारांश प्रस्तुत करते हुए लिखा है कि, एक ओर विकास को विवृद्धि के रूप में समझा जाता है, और इसका वर्णन मात्रात्मक वृद्धि के रूप में किया जाता है। दूसरी ओर विवृद्धि को गुणात्मक परिवर्तन के रूप में किया जाता है, वे गुणात्मक परिवर्तन जो उच्च मानसिक रूपों में विभिन्न अवस्थाओं में होते हैं।

विकास की विशेषताएँ (Characteristics of Development) -

विकास की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्न प्रकार से हैं-

(1) विकास प्रगतिपूर्ण श्रृंखला के रूप में घटित होता है।

(2) विकास में क्रमिक परिवर्तन पाये जाते हैं। परिवर्तनों में निरन्तरता पाई जाती है। यह परिवर्तन अविराम गति से चलते हैं। विकास किसी भी विकास-अवस्था में सामान्य नहीं होता है।

(3) क्रमिक परिवर्तन एक-दूसरे के साथ किसी न किसी रूप से सम्बन्धित रहते हैं। यह परिवर्तन एक-दूसरे से अलग न होकर जुड़े हुए होते हैं।

(4) कुछ मनोवैज्ञानिकों (Carmichael, 1968; Hurlock, 1974 etc.) के अनुसार, यह परिवर्तन मात्रात्मक (Quantitative) होते हैं तथा अन्य प्राचीन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार यह गुणात्मक (Qualitative) होते हैं।

(5) विकास-परिवर्तनों की गति भिन्न-भिन्न अवस्थाओं में भिन्न-भिन्न होती है। विकास की गति गर्भकालीन अवस्था में सर्वाधिक और परिपक्वावस्था के बाद मन्द हो जाती है।

(6) विकास के फलस्वरूप व्यक्ति में अनेक नई विशेषताएँ और क्षमताएँ उत्पन्न होती हैं।

वृद्धि का अर्थ
(Meaning of Growth)

कुछ मनोवैज्ञानिक विकास और वृद्धि शब्दों का प्रयोग एक ही अर्थ में करते हैं परन्तु वास्तव में यह भिन्न है। विकास के अर्थ को ऊपर समझाया जा चुका है। यहाँ वृद्धि के अर्थ को समझाया जायेगा। विकास की अपेक्षा वृद्धि एक संकुचित प्रत्यय है। हरलॉक (1974) ने इसे परिभाषित करते हुए लिखा है कि, Growth refers to quantitative changes-increase in size and structure | गर्भधारण के बाद ही गर्भस्थ शिशु में वृद्धि होने लगती है। यह वृद्धि गर्भस्थ शिशु के आकार और संरचना में होती है। यह वृद्धि परिपक्वावस्था तक चलती रहती है। वृद्धि बालक के शरीर और संरचना में ही नहीं होती है बल्कि यह उसके आन्तरिक अंगों और मस्तिष्क में भी होती है। मस्तिष्क में जैसे-जैसे - वृद्धि होती जाती है, बालक में सीखने, स्मरण तथा तर्क आदि की अधिक क्षमता आती जाती है। जैसा उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट है कि हरलॉक (1974) ने वृद्धि को मात्रात्मक परिवर्तन तथा विकास को गुणात्मक परिवर्तन माना है परन्तु कारमाइकेल (1968) आदि मनोवैज्ञानिकों ने विकास को भी मात्रात्मक परिवर्तनों के रूप में स्वीकार किया है। अतः विकास और वृद्धि दोनों को एक-दूसरे में पृथक् समझना कठिन है।

विकास एवं वृद्धि में निम्नलिखित अन्तर है-

(1) विकास का प्रारम्भ वृद्धि से पहले होता है।

(2) वृद्धि केवल परिपक्वावस्था तक होती है परन्तु विकास तो जीवन पर्यन्त चलता रहता है।

(3) वृद्धि से सरंचना (Structure) में परिवर्तनों का बोध होता है तथा विकास से प्रकार्यों (Functioning) में परिवर्तनों का बोध होता है।

(4) वृद्धि में परिवर्तन केवल रचनात्मक होते हैं; दूसरी ओर विकास में परिवर्तन रचनात्मक भी हो सकते हैं तथा विनाशात्मक भी।

विकास में होने वाले परिवर्तनों के प्रकार
(Types of Changes in Development)

संसार के किसी भी प्राणी में स्थिरता नहीं पाई जाती है। प्रत्येक में कुछ-न-कुछ परिवर्तन होते रहते हैं। यह परिवर्तन गर्भधारण से मृत्यु तक चलते रहते हैं। कुछ परिवर्तन किसी एक आयु पर तथा अन्य परिवर्तन किसी भिन्न आयु पर प्रारम्भ होते हैं। शारीरिक परिवर्तन प्रत्यक्ष होते हैं परन्तु कुछ मानसिक परिवर्तन अप्रत्यक्ष होते हैं। किसी भी विकास अवस्था में यह परिवर्तन एक साथ प्रारम्भ नहीं होते हैं। इसी प्रकार से किसी भी विकास अवस्था में यह परिवर्तन एक साथ समाप्त भी नहीं होते हैं। वास्तविकता यह है कि एक विकास अवस्था में कुछ परिवर्तन प्रारम्भ होते हैं, कुछ परिवर्तन अपनी चरमसीमा पर होते हैं तथा कुछ परिवर्तन समाप्त भी हो जाते हैं। विकास में होने वाले परिवर्तनों के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं-

1. आकार में परिवर्तन (Changes in Size) - बालक में आकार सम्बन्धी परिवर्तन दो प्रकार के होते हैं। पहले प्रकार के आकार परिवर्तन को शारीरिक परिवर्तन (Physical Changes) कहते हैं। इस प्रकार के परिवर्तनों में हाथ-पैर, धड़ तथा सिर आदि शारीरिक अंगों के भार में, शारीरिक अंगों की लम्बाई, मोटाई आदि में परिवर्तन होते हैं। यह परिवर्तन आन्तरिक अंगों में भी हो सकते हैं। दूसरे प्रकार के आकार सम्बन्धी परिवर्तन मानसिक क्रियाओं के आकार में होते हैं; उदाहरण के लिए बालक की स्मृति, प्रत्यक्षीकरण, तर्क, सृजनात्मक कल्पना आदि में परिवर्तन विकास प्रक्रिया के फलस्वरूप ही होते हैं।

2. अनुपात में परिवर्तन (Changes in Proportions) - बालक के शारीरिक अंगों के अनुपात में भी परिवर्तन होते हैं। यदि बालक की तुलना वयस्क व्यक्ति से की जाय तो यह स्पष्ट हो जाता है कि बालक के शरीर के विभिन्न अंगों के अनुपात वयस्क व्यक्ति की अपेक्षा भिन्न हैं। जन्म के समय मस्तिष्क का भार विकास काल की अन्तिम अवस्था तक लगभग चार गुना बढ़ जाता जबकि विकास-काल में हृदय का भार जन्म की अपेक्षा तेरह गुना बढ़ जाता है। अनुपात की दृष्टि से परिवर्तन मानसिक क्षेत्र में भी होते हैं।

3. पुराने विशिष्ट गुणों का लोप (Disappearance of Old Features) - तीसरे प्रकार के विकास सम्बन्धी वे परिवर्तन हैं जिनमें पुराने विशिष्ट गुणों का लोप हो जाता है; उदाहरण के लिए, बच्चे के अस्थायी दाँत; जन्म के समय के बाद यह धीरे-धीरे लुप्त हो जाते हैं। इसी प्रकार Thymus Gland भी, जो सीने में स्थित होती है, लुप्त हो जाती है। कुछ मनोवैज्ञानिक और व्यवहार सम्बन्धी विशेषताएँ, जैसे-घुटनों के बल चलना, बचपन की रोने-चिल्लाने की भाषा आदि भी विकास के साथ-साथ लुप्त हो जाती है।

4. नये विशिष्ट गुणों की प्राप्ति (Acquisition of New Features) - परिपक्वता और सीखने के फलस्वरूप बच्चों के समय-समय पर कुछ विकासात्मक परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों में बालक कुछ-न-कुछ विशिष्ट गुणों को प्राप्त करता है; उदाहरण के लिए स्थायी दाँतों तथा गौण यौन- लक्षणों का विकास जैसे दाढ़ी-मूँछों का निकलना और स्तनों का बढ़ना आदि। इनके अतिरिक्त चलना, कूदना, दौड़ना, तैरने आदि से सम्बन्धित नये-नये विशिष्ट गुण विकास क्रम परिवर्तनों में समय-समय पर बच्चों को प्राप्त होते हैं। नये विशिष्ट गुणों की प्राप्ति बालक मानसिक गुणों के क्षेत्र में भी करता है; उदाहरण के लिए—बालक में यौन-रक्षा, नैतिकता, सहनशीलता तथा धार्मिक विश्वास आदि कुछ ऐसे विशिष्ट गुण हैं, जिन्हें वह समय-समय पर विकास-परिवर्तनों के फलस्वरूप प्राप्त करता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- पारम्परिक गृह विज्ञान और वर्तमान युग में इसकी प्रासंगिकता एवं भारतीय गृह वैज्ञानिकों के द्वारा दिये गये योगदान की व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- NIPCCD के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- 'भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद' (I.C.M.R.) के विषय में विस्तृत रूप से बताइए।
  4. प्रश्न- केन्द्रीय आहार तकनीकी अनुसंधान परिषद (CFTRI) के विषय पर विस्तृत लेख लिखिए।
  5. प्रश्न- NIPCCD से आप समझते हैं? संक्षेप में बताइये।
  6. प्रश्न- केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिक अनुसंधान संस्थान के विषय में आप क्या जानते हैं?
  7. प्रश्न- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  8. प्रश्न- कोशिका किसे कहते हैं? इसकी संरचना का सचित्र वर्णन कीजिए तथा जीवित कोशिकाओं के लक्षण, गुण, एवं कार्य भी बताइए।
  9. प्रश्न- कोशिकाओं के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- प्लाज्मा झिल्ली की रचना, स्वभाव, जीवात्जनन एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया कोशिका का 'पावर हाउस' कहलाता है। इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  12. प्रश्न- केन्द्रक के विभिन्न घटकों के नाम बताइये। प्रत्येक के कार्य का भी वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- केन्द्रक का महत्व समझाइये।
  14. प्रश्न- पाचन तन्त्र का सचित्र विस्तृत वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- पाचन क्रिया में सहायक अंगों का वर्णन कीजिए तथा भोजन का अवशोषण किस प्रकार होता है?
  16. प्रश्न- पाचन तंत्र में पाए जाने वाले मुख्य पाचक रसों का संक्षिप्त परिचय दीजिए तथा पाचन क्रिया में इनकी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  17. प्रश्न- आमाशय में पाचन क्रिया, छोटी आँत में भोजन का पाचन, पित्त रस तथा अग्न्याशयिक रस और आँत रस की क्रियाविधि बताइए।
  18. प्रश्न- लार ग्रन्थियों के बारे में बताइए तथा ये किस-किस नाम से जानी जाती हैं?
  19. प्रश्न- पित्ताशय के बारे में लिखिए।
  20. प्रश्न- आँत रस की क्रियाविधि किस प्रकार होती है।
  21. प्रश्न- श्वसन क्रिया से आप क्या समझती हैं? श्वसन तन्त्र के अंग कौन-कौन से होते हैं तथा इसकी क्रियाविधि और महत्व भी बताइए।
  22. प्रश्न- श्वासोच्छ्वास क्या है? इसकी क्रियाविधि समझाइये। श्वसन प्रतिवर्ती क्रिया का संचालन कैसे होता है?
  23. प्रश्न- फेफड़ों की धारिता पर टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- बाह्य श्वसन तथा अन्तःश्वसन पर टिप्पणी लिखिए।
  25. प्रश्न- मानव शरीर के लिए ऑक्सीजन का महत्व बताइए।
  26. प्रश्न- श्वास लेने तथा श्वसन में अन्तर बताइये।
  27. प्रश्न- हृदय की संरचना एवं कार्य का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- रक्त परिसंचरण शरीर में किस प्रकार होता है? उसकी उपयोगिता बताइए।
  29. प्रश्न- हृदय के स्नायु को शुद्ध रक्त कैसे मिलता है तथा यकृताभिसरण कैसे होता है?
  30. प्रश्न- धमनी तथा शिरा से आप क्या समझते हैं? धमनी तथा शिरा की रचना और कार्यों की तुलना कीजिए।
  31. प्रश्न- लसिका से आप क्या समझते हैं? लसिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- रक्त का जमना एक जटिल रासायनिक क्रिया है।' व्याख्या कीजिए।
  33. प्रश्न- रक्तचाप पर टिप्पणी लिखिए।
  34. प्रश्न- हृदय का नामांकित चित्र बनाइए।
  35. प्रश्न- किसी भी व्यक्ति को किसी भी व्यक्ति का रक्त क्यों नहीं चढ़ाया जा सकता?
  36. प्रश्न- लाल रक्त कणिकाओं तथा श्वेत रक्त कणिकाओं में अन्तर बताइए?
  37. प्रश्न- आहार से आप क्या समझते हैं? आहार व पोषण विज्ञान का अन्य विज्ञानों से सम्बन्ध बताइए।
  38. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए। (i) चयापचय (ii) उपचारार्थ आहार।
  39. प्रश्न- "पोषण एवं स्वास्थ्य का आपस में पारस्परिक सम्बन्ध है।' इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  40. प्रश्न- अभिशोषण तथा चयापचय को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- शरीर पोषण में जल का अन्य पोषक तत्वों से कम महत्व नहीं है। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  42. प्रश्न- भोजन की परिभाषा देते हुए इसके कार्य तथा वर्गीकरण बताइए।
  43. प्रश्न- भोजन के कार्यों की विस्तृत विवेचना करते हुए एक लेख लिखिए।
  44. प्रश्न- आमाशय में पाचन के चरण लिखिए।
  45. प्रश्न- मैक्रो एवं माइक्रो पोषण से आप क्या समझते हो तथा इनकी प्राप्ति स्रोत एवं कमी के प्रभाव क्या-क्या होते हैं?
  46. प्रश्न- आधारीय भोज्य समूहों की भोजन में क्या उपयोगिता है? सात वर्गीय भोज्य समूहों की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- “दूध सभी के लिए सम्पूर्ण आहार है।" समझाइए।
  48. प्रश्न- आहार में फलों व सब्जियों का महत्व बताइए। (क) मसाले (ख) तृण धान्य।
  49. प्रश्न- अण्डे की संरचना लिखिए।
  50. प्रश्न- पाचन, अभिशोषण व चयापचय में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- आहार में दाल की उपयोगिता बताइए।
  52. प्रश्न- दूध में कौन से तत्व उपस्थित नहीं होते?
  53. प्रश्न- सोयाबीन का पौष्टिक मूल्य व आहार में इसका महत्व क्या है?
  54. प्रश्न- फलों से प्राप्त पौष्टिक तत्व व आहार में फलों का महत्व बताइए।
  55. प्रश्न- प्रोटीन की संरचना, संगठन बताइए तथा प्रोटीन का वर्गीकरण व उसका पाचन, अवशोषण व चयापचय का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों, साधनों एवं उसकी कमी से होने वाले रोगों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- 'शरीर निर्माणक' पौष्टिक तत्व कौन-कौन से हैं? इनके प्राप्ति के स्रोत क्या हैं?
  58. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट का वर्गीकरण कीजिए एवं उनके कार्य बताइये।
  59. प्रश्न- रेशे युक्त आहार से आप क्या समझते हैं? इसके स्रोत व कार्य बताइये।
  60. प्रश्न- वसा का अर्थ बताइए तथा उसका वर्गीकरण समझाइए।
  61. प्रश्न- वसा की दैनिक आवश्यकता बताइए तथा इसकी कमी तथा अधिकता से होने वाली हानियों को बताइए।
  62. प्रश्न- विटामिन से क्या अभिप्राय है? विटामिन का सामान्य वर्गीकरण देते हुए प्रत्येक का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- वसा में घुलनशील विटामिन क्या होते हैं? आहार में विटामिन 'ए' कार्य, स्रोत तथा कमी से होने वाले रोगों का उल्लेख कीजिये।
  64. प्रश्न- खनिज तत्व क्या होते हैं? विभिन्न प्रकार के आवश्यक खनिज तत्वों के कार्यों तथा प्रभावों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- शरीर में लौह लवण की उपस्थिति, स्रोत, दैनिक आवश्यकता, कार्य, न्यूनता के प्रभाव तथा इसके अवशोषण एवं चयापचय का वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- प्रोटीन की आवश्यकता को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  67. प्रश्न- क्वाशियोरकर कुपोषण के लक्षण बताइए।
  68. प्रश्न- भारतवासियों के भोजन में प्रोटीन की कमी के कारणों को संक्षेप में बताइए।
  69. प्रश्न- प्रोटीन हीनता के कारण बताइए।
  70. प्रश्न- क्वाशियोरकर तथा मेरेस्मस के लक्षण बताइए।
  71. प्रश्न- प्रोटीन के कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- भोजन में अनाज के साथ दाल को सम्मिलित करने से प्रोटीन का पोषक मूल्य बढ़ जाता है।-कारण बताइये।
  73. प्रश्न- शरीर में प्रोटीन की आवश्यकता और कार्य लिखिए।
  74. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स के स्रोत बताइये।
  75. प्रश्न- कार्बोहाइड्रेट्स का वर्गीकरण कीजिए (केवल चार्ट द्वारा)।
  76. प्रश्न- यौगिक लिपिड के बारे में अतिसंक्षेप में बताइए।
  77. प्रश्न- आवश्यक वसीय अम्लों के बारे में बताइए।
  78. प्रश्न- किन्हीं दो वसा में घुलनशील विटामिन्स के रासायनिक नाम बताइये।
  79. प्रश्न बेरी-बेरी रोग का कारण, लक्षण एवं उपचार बताइये।
  80. प्रश्न- विटामिन (K) के के कार्य एवं प्राप्ति के साधन बताइये।
  81. प्रश्न- विटामिन K की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- एनीमिया के प्रकारों को बताइए।
  83. प्रश्न- आयोडीन के बारे में अति संक्षेप में बताइए।
  84. प्रश्न- आयोडीन के कार्य अति संक्षेप में बताइए।
  85. प्रश्न- आयोडीन की कमी से होने वाला रोग घेंघा के बारे में बताइए।
  86. प्रश्न- खनिज क्या होते हैं? मेजर तत्व और ट्रेस खनिज तत्व में अन्तर बताइए।
  87. प्रश्न- लौह तत्व के कोई चार स्रोत बताइये।
  88. प्रश्न- कैल्शियम के कोई दो अच्छे स्रोत बताइये।
  89. प्रश्न- भोजन पकाना क्यों आवश्यक है? भोजन पकाने की विभिन्न विधियों का वर्णन करिए।
  90. प्रश्न- भोजन पकाने की विभिन्न विधियाँ पौष्टिक तत्वों की मात्रा को किस प्रकार प्रभावित करती हैं? विस्तार से बताइए।
  91. प्रश्न- “भाप द्वारा पकाया भोजन सबसे उत्तम होता है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  92. प्रश्न- भोजन विषाक्तता पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- भूनना व बेकिंग में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- खाद्य पदार्थों में मिलावट किन कारणों से की जाती है? मिलावट किस प्रकार की जाती है?
  95. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
  96. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  97. प्रश्न- वंशानुक्रम से आप क्या समझते है। वंशानुक्रम का मानवं विकास पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  98. प्रश्न . वातावरण से क्या तात्पर्य है? विभिन्न प्रकार के वातावरण का मानव विकास पर पड़ने वाले प्रभावों की चर्चा कीजिए।
  99. प्रश्न . विकास एवं वृद्धि से आप क्या समझते हैं? विकास में होने वाले प्रमुख परिवर्तन कौन-कौन से हैं?
  100. प्रश्न- विकास के प्रमुख नियमों के बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा कीजिए।
  101. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- बाल विकास के अध्ययन की परिभाषा तथा आवश्यकता बताइये।
  103. प्रश्न- पूर्व-बाल्यावस्था में बालकों के शारीरिक विकास से आप क्या समझते हैं?
  104. प्रश्न- पूर्व-बाल्या अवस्था में क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  105. प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
  106. प्रश्न- बाल मनोविज्ञान एवं मानव विकास में क्या अन्तर है?
  107. प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
  108. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी हैं? समझाइए।
  109. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन से है। विस्तार में समझाइए |
  110. प्रश्न- गर्भाधान तथा निषेचन की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए भ्रूण विकास की प्रमुख अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।.
  111. प्रश्न- गर्भावस्था के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  112. प्रश्न- प्रसव कितने प्रकार के होते हैं?
  113. प्रश्न- विकासात्मक अवस्थाओं से क्या आशर्य है? हरलॉक द्वारा दी गयी विकासात्मक अवस्थाओं की सूची बना कर उन्हें समझाइए।
  114. प्रश्न- "गर्भकालीन टॉक्सीमिया" को समझाइए।
  115. प्रश्न- विभिन्न प्रसव प्रक्रियाएँ कौन-सी हैं? किसी एक का वर्णन कीएिज।
  116. प्रश्न- आर. एच. तत्व को समझाइये।
  117. प्रश्न- विकासोचित कार्य का अर्थ बताइये। संक्षिप्त में 0-2 वर्ष के बच्चों के विकासोचित कार्य के बारे में बताइये।
  118. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  119. प्रश्न- नवजात शिशु की पूर्व अन्तर्क्रिया और संवेदी अनुक्रियाओं का वर्णन कीजिए। वह अपने वाह्य वातावरण से अनुकूलन कैसे स्थापित करता है? समझाइए।
  120. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये |
  121. प्रश्न- शैशवावस्था तथा स्कूल पूर्व बालकों के शारीरिक एवं क्रियात्मक विकास से आपक्या समझते हैं?
  122. प्रश्न- शैशवावस्था एवं स्कूल पूर्व बालकों के सामाजिक विकास से आप क्यसमझते हैं?
  123. प्रश्न- शैशवावस्थ एवं स्कूल पूर्व बालकों के संवेगात्मक विकास के सन्दर्भ में अध्ययन प्रस्तुत कीजिए।
  124. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  125. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  126. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएं क्या हैं?
  127. प्रश्न- शैशवावस्था में शिशु की शिक्षा के स्वरूप पर टिप्पणी लिखो।
  128. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है।
  129. प्रश्न- शैशवावस्था में मानसिक विकास कैसे होता है?
  130. प्रश्न- शैशवावस्था में गत्यात्मक विकास क्या है?
  131. प्रश्न- 1-2 वर्ष के बालकों के संज्ञानात्मक विकास के बारे में लिखिए।
  132. प्रश्न- बालक के भाषा विकास पर टिप्पणी लिखिए।
  133. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये।
  134. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  135. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं समझाइये |
  136. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते है। पियाजे के संज्ञानात्मक विकासात्मक सिद्धान्त को समझाइये।
  137. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- दो से छ: वर्ष के बच्चों का शारीरिक व माँसपेशियों का विकास किस प्रकार होता है? समझाइये।
  139. प्रश्न- व्यक्तित्व विकास से आपका क्या तात्पर्य है? बच्चे के व्यक्तित्व विकास को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए।
  140. प्रश्न- भाषा पूर्व अभिव्यक्ति के प्रकार बताइये।
  141. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  142. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें।
  143. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में खेलों के प्रकार बताइए।
  144. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?

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