बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन
अध्याय - 2
युद्ध
(War)
प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
जब से मनुष्यों का जन्म हुआ है तब से युद्ध किसी न किसी रूप में होते आए हैं। युद्ध मनुष्य की एक सनातन एवं स्फूर्तिदायिनी क्रिया है। प्रकृति स्वयं संघर्ष समर है, यह केवल उसी प्राणी के अस्तित्व को स्वीकारती है जो अपने को श्रेष्ठतम सिद्ध कर सकता है। डार्विन का विकासवादी सिद्धांत इसी विचार पर आधारित है। जॉन एफ केनेडी ने ठीक ही कहा है, जबसे इतिहास का प्रारम्भ हुआ, युद्ध मानव जाति का निरन्तर साथी रहा है। जनरल फुलर ने इस सम्बन्ध में लिखा है कि यद्यपि धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा नैतिक पद्धतियाँ बदलती ही नहीं अपितु कभी-कभी पूर्णतया लुप्त हो जाती है, सैनिक पद्धतियाँ बदलती तो है, परन्तु युद्ध कभी पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुआ है।
युद्ध का अर्थ एवं परिभाषायें
युद्ध एक सामान्य शब्द है। युद्ध का शाब्दिक अर्थ होता है लड़ना परन्तु सैन्य विज्ञान की दृष्टि से युद्ध और लड़ाई में अन्तर माना जाता है। युद्ध प्रायः दो या दो से अधिक राज्यों के मध्य होता है। अतः हम कह सकते हैं कि राज्यों के मध्य होने वाला संघर्ष ही युद्ध हैं। परन्तु प्राविधिक दृष्टि से युद्ध की यह परिभाषा अपूर्ण हैं। इसलिए हम विभिन्न सैन्य विचारकों की परिभाषाओं का अध्ययन करेंगे। विभिन्न सैन्य विशारदों एवं सैन्य दार्शनिकों ने समय-समय पर युद्ध को परिभाषित करने का प्रयास किया है लेकिन समय की प्रगति एवं दृष्टिकोण में अन्तर होने के कारण इन परिभाषाओं में पर्याप्त अन्तर है। कुछ प्रमुख विचारकों द्वारा प्रस्तुत युद्ध की परिभाषायें निम्नलिखित हैं-
क्लाजविट्ज ने लिखा है “युद्ध राज्य की नीति को एक भिन्न साधन के द्वारा कार्यान्वित करने के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है।"
एक अन्य साधन पर क्लाजविट्ज ने कहा है कि, "युद्ध एक ऐसा हिंसात्मक कार्य है जिसका उद्देश्य विरोधी को अपनी इच्छा मनवाने के लिए बाध्य करना है। "
सन्तजू के शब्दों में युद्ध राज्य का एक महान कार्य जीवन-मरण का क्षेत्र सुरक्षा विनाश का मार्ग और एक ऐसा विषय हैं, जिसका अध्ययन अत्यधिक बुद्धिमतापूर्ण ढंग से करना चाहिए।
मोतरके के शब्दों में, "युद्ध जन शक्ति सी बात द्वारा सम्पादित ऐसी कार्यवाही है जिसके द्वारा के लक्ष्य को प्राप्त अथवा पूरा किया जाता है।
जे. एन. चन्द्र के अनुसार, "युद्ध शान्ति का कलुषित स्वरूप है तथा शक्ति युद्ध का दैदीप्यमान है। "
लुइस राइट ने लिखा है, "युद्ध दो समुदायों के पारस्परिक सम्बन्धों की वह अवस्था है जिसकी मुख्य विशेषतायें नीव सैनिक संक्रियता, मनोवैज्ञानिक तनाव, असाधारण न्यायिक स्थिति तथा सामाजिक एकीकरण की प्रवृत्ति है। "
ग्रेटियस के अनुसार युद्ध दो समुदायों की वह अवस्था है जबकि वह बलपूर्वक विवाद में लगे होते हैं। "
ओपनहीम के अनुसार "युद्ध दो या दो से अधिक राज्यों के बीच एक-दूसरे को पराजित करने तथा विजेता राज्य की इच्छा के अनुसार शान्ति थोपने के लिए सशस्त्र सेनाओं के माध्यम से संचालित विवाद है। "
कुछ विद्वानों ने युद्ध की परिभाषायें सामाजिक तथा राजनीतिक क्षेत्र के स्वरूप को ध्यान में रखकर बांधी है। जैसे हॉफमैन निक्सन ने लिखा है "युद्ध आपस में दो विरोधी नीतियों का अनुगमन करने वाले दो समुदायों के बीच संगठित शक्ति का इस मतलब से प्रयोग का नाम है। जिसमें एक समुदाय दूसरे पर अपनी इच्छा लागू कर सके। "
स्पष्टीकरण : उपरोक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने पर यह समझ में आता है कि सन्तजू द्वारा प्रस्तावित परिभाषा में युद्ध के प्रत्येक पहलू पर प्रकाश डालने के साथ-साथ उसकी महत्ता पर भी विशेष बल दिया गया है। यह एक स्पष्ट तथ्य है कि युद्ध पर राज्य का उत्थान एवं पतन निर्भर करता है। अतः सन्तजू की परिभाषा प्रत्येक दृष्टि से पूर्ण हैं। क्लाजविट्ज की परिभाषा यह स्पष्ट करती है कि युद्ध राज्य की नीतियों को कार्यान्वित करने वाले अनेक साधनों में से एक है। हिंसा- युद्ध की एक आवश्यक विशेषता है कि जिसका प्रयोग विरोधी को अपनी बात मनवाने के लिये किया जाता है। क्लाजविट्ज की परिभाषा में हिंसा को आवश्यक रूप से दिया गया है, जबकि कुछ युद्ध ऐसे भी होते हैं जिसमें हिंसा आवश्यक रूप से नहीं होती जैसे राजनीतिक तथा आर्थिक युद्ध। मोतरके की परिभाषा यह बताती है कि राज्य के उद्देश्य की पूर्ति के लिए जन-शक्ति के द्वारा की जाने वाली कार्यवाही युद्ध है। यद्यपि यह परिभाषा संक्षिप्त है लेकिन युद्ध का सार तत्व इसमें निहित है। आज के युद्ध का उत्तरदायित्व केवल सेना एवं शासनाध्यक्ष पर ही नहीं होता है बल्कि यह आम जनता का एक महत्वपूर्ण कार्य है और राज्य के प्रत्येक वर्ग को किसी न किसी रूप में इसमें योगदान करना पड़ता है।
युद्ध की विशेषताएँ-
उपयुक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् हम यह कह सकते हैं कि युद्ध में निम्नलिखित विशेषताएं होती है-
1. युद्ध राज्य का एक महान कार्य है।
2. हिंसा युद्ध की एक प्रमुख कार्यवाही है।
3. युद्ध राज्य के किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए ही होता है।
4. युद्ध दो या दो से अधिक राज्यों का संघर्ष होता है।
5. युद्ध राज्य की नीति को कार्यान्वित करने का एक साधन है।
6. युद्ध वास्तविक संघर्ष से पूर्व प्रारम्भ होकर अन्तिम क्षणों तक चलता है।
7. युद्ध केवल सेना का ही नहीं वरन् राष्ट्र के समस्त साधनों की परीक्षा है।
8. युद्ध के परिणाम पर राज्य का स्वरूप निर्भर करता है।
युद्ध की सर्वव्यापकता -
युद्ध की सर्वव्यापकता को बताते हुए जे०एस०सी० फुलर ने कहा है कि- "धार्मिक, राजनैतिक, आर्थिक और नैतिक पद्धतियाँ बदलती रही है किन्तु युद्ध कभी भी नष्ट नहीं हुआ। "
यह सत्य है कि युद्ध की सर्वव्यापकता के विषय में जिस वस्तु का निर्माण एवं विकास हुआ है वह सभी एक न एक दिन नष्ट होती जायेगी और उसके स्थान पर आगे आने वालों के द्वारा ग्रहण कर लिया जायेगा। विनाश के लिए आवश्यक है कि युद्ध का अस्तित्व बना रहे। इतिहास का अध्ययन करने के बाद हमें यह ज्ञात होता है कि युद्ध मानव जाति के जन्म से लेकर अभी तक होते रहे हैं और भविष्य में भी किसी-न-किसी रूप में यह युद्ध होते रहेंगे।
प्रसिद्ध सैन्य विचारक मोतरके के अनुसार “चिरकालीन शान्ति एक स्वप्न है और वह भी एक अच्छा स्वप्न नहीं क्योंकि युद्ध विश्व में ईश्वरीय अध्यादेश का एक अंग हैं। युद्ध में उत्साह, त्याग, कर्तव्य परायणता, बलिदान जैसे सद्गुणों का विकास होता है जो अन्य परिस्थितियों में जाग्रत नहीं होता या प्रायः नष्ट हो जाते हैं।
रस्किन के अनुसार “शान्ति की समस्त पवित्र एवं महान कलायें युद्ध पर आधारित है। सभी महान राष्ट्रों ने अपने शब्दों की सभ्यता तथा अपने विचारों की सामर्थ्य को युद्ध से जाना है। वे युद्ध काल में शक्तिशाली बने और शान्तिकाल में नष्ट हो गये और उन्हें युद्ध ने शिक्षित किया और शान्ति ने भ्रमित। उन्हें युद्ध ने प्रशिक्षित किया तथा शान्ति ने धोखा दिया। एक शब्द में उन्हें युद्ध ने जन्मा तथा शान्ति ने नष्ट किया। "
लिण्डसे के मतानुसार- "युद्ध से मानसिक प्रेरणा मिलती है। भारी संख्या में अविष्कारक, वैज्ञानिक व मुख्य बुद्धिजीवी लोग जो शान्तिकाल में सामान्य प्रयत्नों में लगे रहते हैं, युद्ध प्रारम्भ होते ही अपनी समस्त क्षमता को उसमें लगा देते है, फिर वे इतनी तीव्र गति से तकनीकी सुधार और भौतिक उत्पादन करते है कि शान्तिकाल में उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।"
दार्शनिक दृष्टि से युद्ध एक अमानवीय क्रिया है, जिसके परिसीमन तथा निराकरण के लिए विचारक प्रत्येक युग में सद्विचारों का प्रतिपादन तथा प्रसार करते रहे हैं।
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- प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
- प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
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- प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
- प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
- प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
- प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
- प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
- प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
- प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
- प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
- प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
- प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
- प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।