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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।

सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. छापामार युद्धकला से आप क्या समझते हैं?
2. गुरिल्ला युद्ध की विशेषताएँ बताइए।

उत्तर -

छापामार युद्ध
(Gurilla Warfare)

छापामार या गुरिल्ला युद्धकला कोई नवीनतम युद्ध प्रत्यय नहीं है। इस प्रकार के युद्ध बहुत पहले से ही लड़े जाते रहे हैं। बस इसमें अन्तर केवल यही है कि इस युद्ध कर्म से सम्बन्धित युद्ध नीति एवं समरतांत्रिक सिद्धान्तों का क्रमबद्ध अध्ययन, विश्लेषण तथा विकास द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरान्त हुआ है।

भारतवर्ष में इस युद्धकला के आधुनिक जन्मदाता शिवाजी थे, जिन्होंने अपनी भौगोलिक परिस्थितियों का लाभ उठाकर मुगल सैनिकों को पराजित किया था। अविभाजित भारत में उत्तरी पश्चिमी प्रदेश के कवाहलियों ने भी तत्कालीन अंग्रेजी शासकों के विरुद्ध ऐसा ही युद्ध किया था। द्वितीय महायुद्ध में गुरिल्ला युद्धकला से अधिक सफलता मिली है यह कहना अतिश्योक्ति न होगी कि रूस की गुरिल्ला युद्ध नीति अपने समय की सर्वोत्तम युद्ध नीति थी। प्रथम विश्वयुद्ध में लारेंस ऑफ अरेलिया के नेतृत्व में अरबों ने तुर्की शासकों के विरुद्ध गुरिल्ला समरतंत्र को अपनाकर अंग्रेजी सेनाओं की बड़ी सहायता की थी। इसी महायुद्ध में संगठित सेनाओं तथा उनकी सरकारों द्वारा आत्मसमर्पण किये जाने से भी उनकी जनता ने गुरिल्ला युद्ध के द्वारा शत्रुओं को अत्यधिक हानि पहुंचायी थी। इसी प्रकार से युगोस्लाविया के गुरिल्ला सैनिकों ने भी जर्मनी की कम से कम ग्यारह डिवीजनों को हर समय अटकाये रखा तथा मित्र राष्ट्रों को अन्तिम विषय में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अविकसित राष्ट्रों जैसे अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में इसका विशेष महत्व है क्योंकि बड़े और आधुनिक हथियारों से लैस देशों से अपनी रक्षा करने के लिए छोटे एवं अविकसित देशों के लिए यही उपाय हैं।

गुरिल्ला युद्ध का अर्थ एवं परिभाषा गुरिल्ला युद्ध का अर्थ है, सबल शासक के विरुद्ध निर्बल का युद्ध | जिसे सरल भाषा में कहे तो यह युद्ध किसी सबल या शक्तिशाली शासक के विरुद्ध पीड़ित होकर जब स्थानीय व निर्बल वर्ग हथियार उठाकर लड़ता है तो वह इसी युद्ध कला को अपनाता है। इस कला में मारो और भागो ( Hit and Run) की पद्धति अपनाई जाती है।

ले. कर्नल जार्ज वी. जार्डन के अनुसार, "गुरिल्ला युद्ध शब्द का अर्थ है छोटा युद्ध जोकि अनियमित तथा अव्यावहारिक नागरिक सेना द्वारा नियमित सेना के विरुद्ध हथियार उठाकर लड़ने से. है।'

ले. जनरल पी.सी. भगत के अनुसार, "एक छापामार युद्ध वस्तुतः एक हिंसात्मक आन्दोलन होता है जो प्रगतिशील युद्ध सेना के विरुद्ध देश के अंतर्गत ही रचा जाता है इसलिए छापामार समरतंत्र पूर्णरूप से अचानक धावे पर निर्भर है जो नियमित सेना पर बोला जाता है परन्तु जब प्रमुख शक्ति सामने आकर उसका सामना करने को तत्पर होती है तब छापामार सैनिक भागकर छिप जाते हैं।

गुरिल्ला युद्ध की विशेषताएँ (Characteristics of GurillaWar)-

इस युद्ध की विशेषताएँ इस प्रकार हैं-

(1) औद्योगिक दृष्टि से दुर्बल पक्ष के द्वारा शक्तिशाली औद्योगिक राष्ट्रों की सेनाओं के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध नीति ही सफलतम नीति सिद्ध होती है।

(2) सफल गुरिल्ला युद्ध के लिए आवश्यकतानुसार दुर्गम स्थलों की आवश्यकता होती है।

(3) प्राकृतिक बाधाओं की अधिकता और संचार माध्यमों की कमी से छोटे स्थानों को भी बड़े स्थानों की विशेषता प्रदान करती है।

(4) स्थान अधिक होने के कारण समय भी अधिक मिलता है जिसका उपयोग जनता को प्रेरित, उत्साहित या संगठित करने अथवा शत्रु से उसके हथियार छीनने या उसको थकाने के लिए किया जाता है।

(5) विशाल स्थान होने के कारण शत्रु पक्ष के संचार परिवहन मार्ग अधिक लम्बे हो जाते हैं, परिवहन मार्ग की सुरक्षा के लिए अधिक संख्या में सैन्य बल व धन व्यय होता है। ऐसे समय में छापमार आक्रमण करके शत्रु पक्ष की आपूर्ति व्यवस्था को छिन्न-भिन्न किया जा सकता है। 

(6) गुरिल्ला युद्ध का मुख्य उद्देश्य युद्ध को लम्बे समय तक जारी रखना है। माओत्सेतुंग के अनुसार यह अवधि 20.50 या 100 वर्ष तक भी हो सकती है।

(7) किसी भी संगठन के लिए आवश्यक है कि-

(i) अपने शत्रु को खोज निकाले

(ii) पता लगाकर उन्हें उसी स्थान पर उलझाये रखना

(iii) निर्णायक आक्रमण करके उन्हें नष्ट कर डाले।

(8) गुरिल्ला सैनिक छोटे-छोटे दलों में बंटकर अपना कार्य करते हैं। बाद में यही छापामार स्थानीय जनता में घुल-मिल जाते हैं अथवा घने जंगलों और पहाड़ियों पर बने अपने अड्डों में वापस लौट आते हैं।

(9) गुरिल्ला अपने संचार मार्गों और आपूर्ति व्यवस्था के लिए वहाँ की स्थानीय जनता पर ही आश्रित होते हैं।

(10) गुरिल्ला कार्यवाही के लिए स्थानीय जनता की सहानुभूति और सहयोग प्राप्त होना भी आवश्यक है।

( 11 ) यह गुरिल्ले वहाँ की जनता के सक्रिय तत्व होने के कारण उनका संपर्क उनसे समाप्त होना कठिन होता है।

(12) चूँकि गुरिल्ला वहाँ के स्थानीय तत्व होते हैं इसलिए भूमि की बनावट तथा वहाँ के मार्गों से भली-भाँति परिचित भी होते हैं और विपक्ष को यह लाभ कभी नहीं मिल पाता।

(13) गुरिल्लाओं की योजना कठिन नहीं होती। बस छोटे-छोटे दल के नेता अपनी योजना के अनुरूप छापा मारते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य शत्रु के संचरण मार्गों या सैनिक शिविरों पर छापा मारना होता है।

(14) सैन्य कार्यवाही के साथ ही गुरिल्ला स्थानीय जनता को प्रेरित व अधिक विस्तृत क्षेत्र की जनता को अपने अधीन करने का प्रयास निरन्तर जारी रखते हैं।

 

गुरिल्ला युद्ध के उद्देश्य -

गुरिल्ला युद्ध मुख्य रूप से जिन उद्देश्यों को लेकर लड़े जाते हैं, वे निम्नलिखित हैं-

1. संगठित सैन्य शक्ति न होने पर उस देश के निवासियों द्वारा विदेशी आक्रमणकारियों से अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के लिए, उदाहरणार्थ अल्जीरिया वालों ने फ्रांस के विरुद्ध और भारत के उत्तरी पश्चिमी सीमान्त पर कबाइलियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध लड़ा था।

2. पराजय के बाद संगठित सेनाओं ने देशवासियों द्वारा आक्रमणकारियों के विरुद्ध सक्रिय विरोध जारी रखने के लिए जैसेकि 19वीं शताब्दी में स्पेनवासियों ने नेपोलियन की सेना के विरुद्ध तथा द्वितीय युद्ध में युगोस्लाविया वालों ने हिटलर के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध किया था।

3. किसी देश की समस्त जनता अथवा उसका एक भाग या किसी एक वर्ग द्वारा सत्ता उलटने के उद्देश्य से या हिंसात्मक क्रान्ति द्वारा शासन की बागडोर अपने हाथों में लेने के लिए- उदाहरणार्थ चीन की राष्ट्रवादी सरकार के विरुद्ध साम्यवादी द्वारा तथा बतिस्ता की तानाशाही सरकार के विरुद्ध क्यूबावासियों द्वारा यह युद्ध लड़ा गया।

4. देश के किसी असन्तुष्ट अथवा जाति द्वारा देशी गुट आक्रमणकारियों की सहायता करने के लिए अर्थात् अपनी ही सेनाओं के विरुद्ध लड़ना जबकि वह शत्रु के विरुद्ध मोर्चे पर लड़ रही हो।

आधारभूत तत्व माओ ने छापामार संक्रिया के दस आधारभूत तत्व बताये हैं, जो निम्नलिखित हैं-

1. इसका मुख्य उद्देश्य नगरों पर आधिपत्य करना नहीं बल्कि वहाँ से शत्रु की शक्ति का सफाया करना है।

2. पहले शत्रु की बिखरी हुई एकांकी सैन्य टुकड़ियों पर तथा बाद में उसके केन्द्रित शक्तिशाली सैन्य टुकड़ियों पर आक्रमण करना।

3. पहले छोटे तथा मध्यम आकार के नगरों व देहाती क्षेत्रों को लेना चाहिए, बाद में बड़े नगरों को।

4. प्रत्येक संघर्ष में अपनी शक्ति को एकत्र कर शत्रु शक्ति को पूरी तरह नष्ट करने के लिए उसे इस प्रकार घेरना कि भागने के लिए उसे कोई मार्ग न मिले।

5. प्रत्येक संक्रिया छापामार होना चाहिए। लड़ाई में थकान और निरन्तर लड़ने के भय से मुक्त होकर बलिदान की भावना के साथ साहसपूर्वक लड़ना चाहिए।

6. जब भी शत्रु आगे बढ़ने का प्रयत्न करे उसे असफल करना चाहिए।

7. नगरों पर अधिकार के लिए शत्रु के महत्वपूर्ण किलेबन्दी के स्थानों तथा कम शक्ति वाले नगरों पर पहले अधिकार करना चाहिए।

8. शत्रु की शक्ति प्राप्त कर अपनी शक्ति बढ़ाना अर्थात् उसके साज-सामान को लूटकर अपनी शक्ति बढ़ाना।

9. संघर्षो के मध्य मिलने वाले समय का सदुपयोग, आराम करने तथा विभिन्न टुकड़ियों एवं उपलब्धियों को पुनर्संगठित करने के लिए करना चाहिए।

10. कोई भी लड़ाई तब तक नहीं लड़ी जाये जब तक कि उसके लिए पूर्ण तैयारी न हो तथा पूर्ण विजय की आशा न हो।

गुरिल्ला युद्ध के सिद्धान्त -

गुरिल्ला युद्ध के सिद्धान्त मारो और भागो ( Hit and Run ) इसे मुख्य रूप से साम्यवादी राष्ट्रों की बढ़ती शक्ति के विरुद्ध किसी प्रक्रिया के रूप में देखा जाने लगा है। यह प्राचीन युद्ध कला है। इसे नये ढंग से प्रयोग करना होता है। इस वर्तमान युद्ध नीति के प्रवर्तक माओत्सेतुंग थे, जिन्होंने इसका सिद्धान्त इस प्रकार बताया।

प्रथम चरण - माओ के अनुसार किसी देश में क्रान्ति को सफल बनाने एवं शासन की बागडोर अपने हाथों में लेने के लिए पहला कदम यह होना चाहिए कि किसी प्रकार जनता का सहयोग एवं सहानुभूति प्राप्त करना तथा दूसरी ओर शत्रु के प्रति जनता के मन में असन्तोष, घृणा एवं असहयोग उत्पन्न करना।

द्वितीय चरण - शत्रु की लड़ने की क्षमता को क्षीण करना तथा उसे थकाने का प्रयास करना, शत्रु से हथियार छीनना तथा उसे परेशान करना।

तृतीय चरण - माओ के अनुसार इस चरण में प्रवेश करने का आदेश उस समय दिया जाता है जब सभी परिस्थितियाँ अनुकूल हों एवं सफलता के स्पष्ट लक्षण दिखाई देने लगे। यह चरण शत्रु पर अन्तिम प्रहार करके नष्ट करने का है। यदि दुर्भाग्यवश पराजय या असफलता के लक्षण दिखाई देने लगें तो गुरिल्ला कामरेडों को यह चरण छोड़कर दूसरे चरण में चले जाना चाहिए तथा गुरिल्ला सैनिकों को स्वयं द्वारा निर्धारित स्थान पर दुश्मन को लड़ने के लिए विवश करना चाहिए। क्योंकि वहाँ पर भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी उन्हें अच्छी प्रकार हो चुकी होती है।

गुरिल्ला युद्ध की सफलता का सर्वश्रेष्ठ सिद्धान्त गतिशीलता है। गुरिल्ला सैनिक की नीति से ही सफलता मिल सकती है।

छापामार संक्रिया की सफलता हेतु आवश्यक शर्तें-

महान विचारक 'चे ग्वेरा' के विचारों में छापामार युद्ध में सफलता के लिए निम्नलिखित शर्तें हैं-

1. भौगोलिक स्थिति का पूर्ण ज्ञान होना।

2. बचने के लिए रास्तों का सुरक्षित होना।

3. जिस स्थान पर आक्रमण हो वहाँ आने-जाने के कम महत्वपूर्ण मार्गों का भी पूर्ण ज्ञान होना।

4. घायल छापामारों को सुरक्षित स्थानों पर रखना।

5. जिस ठिकाने पर कार्यवाही हो वहाँ शत्रु की अपेक्षा अधिक शक्ति एवं सुविधा छापामारों को उपलब्ध होना।

6. ऐसे छापामार अवश्य हो जो समय पर कुमक के तौर पर कमी को पूरा करने के लिए आगे भेजे जा सके।

7. उस क्षेत्र की जनता के बारे में पूरी जानकारी व खाद्य एवं सहायता देने की क्षमता अच्छी प्रकार समझ लेना।

निष्कर्ष-  आधुनिक युद्ध कला का एक अनिवार्य अंग छापामार लड़ाई भी है। यद्यपि साधारण लड़ाई गुरिल्ला लड़ाई में किसी प्रकार का विभाजन नहीं किया जा सकता। प्रत्येक लड़ाई में किसी न किसी प्रकार से गुरिल्ला लड़ाई को अवश्य अपनाया जाता है। परन्तु साम्यवादियों की विस्तारवादी नीति, आतंक तथा देशद्रोही लोगों का मुकाबला करने के लिए गुरिल्ला विरोधी समरतंत्र आवश्यक है। आधुनिक वैज्ञानिक युग में जिन देशों के पास परमाणु अस्त्र नहीं हैं उनके लिए अपनी रक्षा का मूलमंत्र गुरिल्ला युद्ध है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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