बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन
प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
उत्तर -
आधुनिक वैज्ञानिक शोधकार्यों के कारण आणविक तथा परमाणविक शस्त्रों की युद्ध कला में जो अभूतपूर्व विकास हुआ है उससे अन्तर्राष्ट्रीय अधिवक्ताओं के लिए मानव समुदाय के समक्ष उत्पन्न समस्याओं के समाधान के सभी विकल्प समाप्त हो गये हैं। इन शोध कार्यों से आणविक शस्त्रों की सम्भावित गुणात्मक तथा मात्रात्मक संहारक शक्ति इतनी अधिक बढ़ गई है कि यह कहना अतिश्योक्ति न होगा कि वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर जीव नाम की कोई चीज़ नहीं बचेगी। आणविक युद्ध के परिणाम का अनुमान लगाना कठिन अवश्य है परन्तु असम्भव नहीं। इस सन्दर्भ में आइन्सटीन ने कहा था "तृतीय विश्व युद्ध का स्वरूप क्या होगा यह कहना तो कठिन है परन्तु चतुर्थ विश्व युद्ध निश्चित रूप से लाठी-डण्डों से लड़ा जायेगा। परमाणु बमों के प्रयोग से जो रेडियो विकिरण होगा उससे केवल वर्तमान पीढ़ी ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियाँ भी मरेंगी या पंगु होंगी।
दिसम्बर 1980 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, "इस समय सम्पूर्ण विश्व में 40 से 50 हजार तक आणविक शस्त्र बने रखे हैं जिनकी क्षमता हिरोशिमा तथा नागासाकी पर प्रयोग किये गये बमों से 10 लाख गुनी अधिक हैं।" यदि इन शस्त्रों का विस्फोट किसी भी कारण से जहाँ रखें हैं कहीं पर भी हो जाये तो पृथ्वी पर जीव नाम की चीज नहीं बचेगी।
आधुनिक त्रातेजी का प्रयोग अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हेतु अंतिम अस्त्र के रूप में युद्ध करने का निर्णय लेने के उपरान्त सफल युद्ध संचालन हेतु युद्धनीति का निर्धारण प्रत्येक देश की सरकार का प्रमुख कार्य होता है, जिसके अन्तर्गत युद्ध के उद्देश्य विरोधी राष्ट्रों की नीतियाँ तथा तटस्थ राष्ट्रों के प्रति नीतियों से सम्बन्धित तथ्यों का यथासम्भव समावेश किया जाता है; तदुपरान्त युद्धनीति के क्रियान्वयन हेतु देश के आर्थिक, राजनैतिक, कूटनीतिक, मनोवैज्ञानिक एवं सैनिक क्षेत्रों के विशेषज्ञों की सहायता से उक्त क्षेत्रों के सामंजस्य में जो नीति निर्धारित की जाती है उसे महान युद्धनीति कहा जाता है। ध्यातव्य है कि युद्ध की सफलता केवल सैनिक कार्यवाहियों पर ही निर्भर न होकर राष्ट्र के समस्त (आर्थिक, राजनैतिक, सामाजिक, कूटनीतिक व मनोवैज्ञानिक) पहलुओं के संयुक्त प्रयासों पर ही निर्भर करती है क्योंकि युद्ध प्रारम्भ होने पर शत्रु पक्ष प्रत्येक मोर्चे पर अपना आक्रमण करता है, लेकिन उक्त सभी प्रयासों के मध्य कोई स्पष्ट विभाजन रेखा नहीं खींची जा सकती है क्योंकि यह परस्पर अवलम्बित होते हैं। आधुनिक स्रातेजी का उद्देश्य राष्ट्रीय शक्ति के समस्त तत्वों को विकसित एवं संगठित करने तथा इन्हें शत्रु के विरुद्ध लाभदायक स्थिति में प्रयोग करने से सम्बन्धित होता है। स्रातेजी को क्रियान्वित करने के लिए महान स्रातेजी का प्रयोग किया जायेगा, क्योंकि इसके अन्तर्गत समस्त राष्ट्रीय अवयवों को इस प्रकार से विकसित करके प्रयोग में लाया जायेगा जिससे राज्य की नीति के उस लक्ष्य को प्रात किया जा सके जिसके लिये युद्ध लड़ा जा रहा है। आधुनिक स्रातेजी के अन्तर्गत राजनैतिक युद्ध, आर्थिक नाकेबन्दी, मनोवैज्ञानिक युद्ध एवं शत्रु के विरुद्ध कूटनीतिक युद्ध हेतु सभी आवश्यक तत्वों पर विचार-विमर्श करने के उपरान्त नीति निर्धारित करके उन्हें सक्रिय स्वरूप प्रदान करने की कार्यवाहियों की जायेंगी।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सैन्य चिन्तकों ने परमाणु आयुधों की स्रातेजी पर गम्भीरतापूर्वक विचार-विमर्श किया और उससे सम्बन्धित स्त्रातेजी को सुनिश्चित करने का प्रयास किया। इसके साथ ही साथ परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों ने समय-समय पर अपनी स्रातेजी में किये गये परिवर्तनों को एक नयी नातेजी के रूप में विश्व के सम्मुख प्रस्तुत करने का प्रयास किया। परमाणु स्रातेजी के सन्दर्भ में फ्रांसीसी नेता आन्द्रे बुक्रे के विचार बहुत महत्वपूर्ण हैं। वह इस विषय के विशेषज्ञ ही नहीं बल्कि एक उच्च स्तरीय सैन्य विचारक भी थे। इस संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि शत्रु के परमाणु आयुधों के विरुद्ध किस प्रकार की नीति का प्रयोग किया जाये कि उनका सर्वनाश हो सके। परमाणु आयुधों के प्रयोग के फलस्वरूप प्रतिरोधात्मक विनाश को एक प्रत्यक्ष आक्रमणात्मक विधि माना जाता है जो कि परमाणु आयुधों के विकास के प्रारम्भिक चरण में उचित हो सकती थी।
परमाणु प्रतिरोधकता स्रातेजी की एक समस्या प्रतिकार के भय से जुड़ी थी। यह भी एक आक्रमणात्मक नीति है। इसके अन्तर्गत रक्षा का सर्वोत्तम उपाय प्रतिकार के भय को बनाये रखने पर निर्भर करता है और भयभीत करने की इस स्रातेजी को प्रतिरोधकता की नीति से जोड़ दिया गया जो अपने आप में एक महत्वपूर्ण सामरिक परिवर्तन था। इसी सन्दर्भ में उत्तरजीविता का समरतंत्र एक नयी स्त्रातेजी के रूप में कुछ राष्ट्रों के द्वारा अपनाया गया, क्योंकि अनिश्चितता के वातावरण में सबके सम्मुख एक ही प्रश्न था कि अब कौन इन परमाणु आयुधों का प्रयोग करेगा।
'काउन्टर फोर्स स्रातेजी के अन्तर्गत ही सैन्य चिन्तकों ने यह चिन्तन प्रारम्भ किया कि राष्ट्र सीमित शक्ति के परमाणु आयुधों का निर्माण करेंगे जिनका प्रयोग शत्रु की आबादी और आर्थिक केन्द्रों पर न करके प्रत्यक्ष रूप से उनके सैनिक केन्द्रों पर किया जायेगा।
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- प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
- प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
- प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
- प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
- प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
- प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
- प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
- प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
- प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
- प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
- प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
- प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
- प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
- प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
- प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
- प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
- प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
- प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
- प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
- प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
- प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
- प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।