बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 प्राचीन भारतीय इतिहास
प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
अथवा
चीन का समाज कितने वर्गों में बंटा हुआ था? यहाँ की सामाजिक दशा का विस्तृत विवरण दीजिए।
अथवा
चीन के समाज की प्रमुख इकाइयों का परिचय दीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. चीन के सामाजिक संगठन का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
2. चीन का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
3. प्राचीन चीन में स्त्रियों की क्या स्थिति थी? बताइये।
4. चीन में विवाह प्रणाली पर टिप्पणी लिखिए।
5. चीन में दासों की क्या स्थिति थी? स्पष्ट कीजिए।
6. चीनवासियों के मनोरंजन तथा आमोद-प्रमोद पर संक्षेप में लेख लिखिए।
7. चीन में मृतक संस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था
चीन की सामाजिक मान्यताएँ तात्कालिक विश्व की अनेक सभ्यताओं में प्रचलित सामाजिक मान्यताओं से सर्वथा भिन्न थीं। यहाँ के समाज की प्रमुख इकाइयों का अध्ययन निम्नलिखित रूप में किया जा सकता है -
1. समाज का विभाजन
तत्कालीन अनेक साक्ष्यों से ज्ञात होता है कि प्राचीन चीन का समाज चार वर्गों में बंटा हुआ था। यहाँ के निवासियों का मानना था कि विश्व के निर्माता 'पानकू ने समाज में चार वर्ग बनाये थे। उनमें प्रथम वर्ग मन्दारिन का था। उच्च शिक्षा प्राप्त व्यक्ति विद्वान और प्राध्यापक आदि में से कोई भी व्यक्ति मन्दारिन बन सकता था। इस वर्ग का समाज में बड़ा महत्व था। इनके परामर्श के बिना समाज का कोई भी महत्वपूर्ण कार्य सम्पन्न नहीं हो सकता था। दूसरा वर्ग कृषकों का था, जिनकी दशा ठीक नहीं थी। तीसरा वर्ग कारीगरों का एवं चौथा वर्ग व्यापारियों का था। परन्तु सामान्य रूप में यदि देखा जाये तो चीन का समाज दो भागों में विभक्त था अधिकारी वर्ग तथा कर्मचारी वर्ग। इन दोनों वर्गों में बड़ा भेदभाव था। समाज में पहला स्थान जनता का दूसरा स्थान देवताओं का तथा तीसरा स्थान राजा का था। समाज में कर्मचारी वर्ग को विशेष छूट प्रदान की गई थी कि वे अपने कर्मों द्वारा उच्चस्तरीय राजकीय पद प्राप्त कर सकते थे तथा उनका परिवार संभ्रान्त लोगों के वर्ग में सम्मिलित कर लिया जाता था।
2. कुटुम्ब अथवा परिवार
भारतवर्ष की भाँति चीन में भी संयुक्त परिवार प्रथा प्रचलित थी। यहाँ समाज पितृसत्तात्मक परिवार पर आधारित था। परिवार के सदस्य मुखिया ( पिता अथवा वरिष्ठ सदस्य) की आज्ञा का पालन करना अपना परम कर्त्तव्य समझते थे। घर का सम्पूर्ण खर्च परिवार का मुखिया देखता था। परिवार में पुत्री की अपेक्षा पुत्र का अधिक महत्व था। पुत्र और पुत्रियों का विवाह माता-पिता द्वारा किया जाता था। संयुक्त परिवार होने के कारण परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने व्यक्तिगत स्वार्थों का बलिदान करना अपना कर्त्तव्य समझता था। परिवार के साथ विश्वासघात करने तथा कुल को समाप्त करने को घोर अपराध समझा जाता था। परिवार के सदस्य अपने पूर्वजों की पूजा करते थे। इनका विश्वास था कि पूर्वजों की पूजा करने से मनुष्य सुखी एवं समृद्ध बनता है।
परिवार में माता तथा पिता को अत्यन्त सम्मानित स्थान प्राप्त था। माता-पिता की आज्ञा का पालन करना एवं उनकी सेवा करना सन्तानों के लिये पुनीत कर्त्तव्य समझा जाता था। जो व्यक्ति अपने माता- पिता अथवा बड़ों की आज्ञा का पालन नहीं करता था, उसे अपराधी मानकर दण्डित किया जाता था। सामान्यतः पिता की मृत्यु के पश्चात् उनका बड़ा पुत्र उत्तराधिकारी होता था, लेकिन पिता उसे उत्तराधिकार से वंचित भी कर सकता था। वह अपनी उप-पत्नी के पुत्र को भी अपना उत्तराधिकारी घोषित कर सकता था। परिवार में पिता के बाद माता को अत्यन्त सम्मानित स्थान प्राप्त था। मुखिया की मृत्यु के बाद उसकी विधवा पत्नी परिवार की मुखिया बन जाती थी।
3. वस्त्र एवं आभूषण
चीन के निवासी प्रारम्भ में सन (जूट) के वस्त्र पहनते थे परन्तु बाद में वे सूती वस्त्र पहनने लगे। ठण्ड से बचने के लिये यहाँ के लोग जाकेट पहनते थे। उस समय मन्दारिन वर्ग के लोग कीमती वस्त्र पहनते थे और सिर पर टोपी लगाते थे। यहाँ की स्त्रियाँ चोगा पहनती थी, जो कन्धे से एड़ी तक पहना जाता था।
इस समय स्त्रियाँ नाक, कान, हाथ और गले में विभिन्न प्रकार के आभूषण भी पहनती थीं जो हाथीदाँत, सीप, शंख आदि की सहायता से बनाये जाते थे। इस काल के लोग अपनी मूँछे, आँख की भौंहें तथा सिर के बाल मुँडवा लिया करते थे।
4. खानपान
चीनी समाज में गरीब और अमीर के खानपान में बड़ा अन्तर था। चीन के अमीर लोग सुअर, मुर्गियाँ एवं मछली आदि खाना पसन्द करते थे। कुलीन वर्ग के लोगों को भोजन बांस, कांसे या मिट्टी की तश्तरियों में परोसा जाता था। वे लकड़ी या हाथीदाँत की तीलियों से खाते थे। चीन में चीना गरीब लोगों का भोजन था जो ज्वार या बाजरा की तरह का अन्न होता था। यहाँ के पेय पदार्थों में चाय प्रमुख थी।
5. मनोरंजन एवं आमोद-
प्रमोद इस काल में कुलीन लोगों के मनोरंजन के प्रमुख साधन संगीत, नृत्य करना, शराब पीना, धार्मिक समारोहों में भाग लेना, शिकार करना, तीरंदाजी एवं प्रतियोगिताएँ आदि थे। यहाँ चारण और विदूषक भी अपने चुटकुलों तथा कविताओं के द्वारा कुलीन वर्ग के लोगों का मनोरंजन कर मन बहलाते थे। समाज में अनेक उत्सव एवं त्यौहार प्रचलित थे, जो उपयोगिता के आधार पर मनाये जाते थे। इनमें कृषि त्यौहार, बसन्त ऋतु त्यौहार, बाल- जन्मोत्सव इत्यादि प्रमुख थे। धार्मिक उत्सवों में नर्तकों द्वारा अद्भुत नृत्य किये जाते थे। चीन के मनोरंजन के साधनों के विषय में एलिस तथा जॉन ने लिखा है "कुलीनों के पास शतरंज खेलने, शिकार पर जाने, घोड़ों को प्रशिक्षण देने, जुआ खेलने व मुर्गों की लड़ाई देखने और मनमौजी खेलकूदों में भाग लेने के लिये पर्याप्त समय रहता था। दूसरी ओर गरीब लोगों को आजीविका उपार्जन के लिये अपनी जाग्रत अवस्था के सभी घण्टे खर्च करने पड़ते थे।'
6. स्त्रियों की दशा
कन्फ्यूशियस से पूर्व चीन का समाज स्त्री प्रधान था, परन्तु ईसा से छठी शताब्दी पूर्व यहाँ पुरुषों का स्थान प्रधान हो गया। शांगकालीन स्त्रियों की स्वतन्त्रता समाप्त कर दी गई थी तथा कोई भी अधिकार उनको प्राप्त न था। राजाओं की मृत्यु के बाद उनकी रानियों की बलि दे दी जाती थी। शांग काल में राजा स्त्रियों के प्रति सभ्य आचरण एवं व्यवहार करते थे जबकि चाऊ काल में यह अवस्थिति बिल्कुल बर्बर हो गई थी।
यहाँ की सामान्य वर्ग की स्त्रियाँ अत्यधिक श्रम करती थीं। वे अपने पुरुषों के लिये खेतों पर भोजन ले जातीं तथा काम-काज में उनकी सहायता करती थीं। समाज में अभिजात वर्ग तथा राजपरिवार से सम्बद्ध स्त्रियों को 'चियेह' कहा जाता था। चियेह का तात्पर्य दासी अथवा रखैल दोनों से है। इससे प्रतीत होता है कि मालिकों को उन्हें किसी भी तरह से इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार होता था। इसी कारण 'रखैल' परम्परा का प्रादुर्भाव हुआ। इस प्रकार चीन में स्त्रियों को आमोद-प्रमोद का साधन भी मानाजाता था।
7. विवाह प्रणाली
चीन में कुल एवं परिवार को सुव्यवस्थित रखने के लिये वैवाहिक संस्कार को महत्व दिया गया था। यहाँ वैवाहिक उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाए जाते थे। प्रायः विवाह के लिये कन्या की आयु 17 वर्ष तथा लड़के की आयु 20 वर्ष तय की गई थी। निश्चित आयु में विवाह न करने पर माता-पिता को दण्डित किया जाता था। इस काल में बाल विवाह की प्रथा तो नहीं थी परन्तु विधवा-विवाह तथा पुनर्विवाह की प्रथाएँ प्रचलित थीं। बाँझपन, व्यभिचार पति-अवज्ञा सास- श्वसुर अवज्ञा, असाध्य रोग, वाकचाल, चोरी, ईर्ष्या आदि तलाक के सामान्य कारण थे। इस समाज में उन स्त्रियों को तलाक नहीं दिया जाता था जिसके पति विवाह के समय गरीब रहे हों तथा विवाह के पश्चात् धनी हो गये हों अथवा जिनके पास अपने पिता का घर न हो, अथवा जिन्होंने अपने पति के माता यां पिता की मृत्यु पर तीन वर्ष का शोक मनाया हो। राजपरिवार एवं कुलीन वर्ग में बहु-विवाह की प्रथा भी देखने को मिलती है। इस समाज में राजकर्मचारी दो बड़े अधिकारी तीन और राजा नौ पत्नियाँ रख सकते थे।
8. दासों की स्थिति
चीन में दास प्रथा भी प्रचलित थी। यहाँ किसी भी व्यक्ति को तीन वर्ष से अधिक समय तक दास नहीं रखा जाता था। कुछ विद्वानों की ऐसी मान्यता है कि यहाँ दासों के सिर गोद दिये जाते थे। इससे इनकी अलग पहचान बनी रहती थी तथा भागने पर इन्हें सरलतापूर्वक पकड़ लिया जाता था। साक्ष्यों के अभाव में यह स्पष्ट रूप से ज्ञात नहीं है कि यहाँ के दासों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता था। ऐसा प्रतीत होता है कि इनके साथ कंठोरता का व्यवहार नहीं किया जाता था।
9. मृतक संस्कार उत्खननकर्ताओं को ह्वांगहो तट के अनेक पुरास्थलों से उत्खनन के दौरान अनेक समाधियाँ प्राप्त हुई हैं। इनमें मृतकों के साथ उनके दैनिक जीवन से सम्बन्धित आवश्यक उपकरण भी प्राप्त हुए हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ के लोग पारलौकिक जीवन में अत्यधिक विश्वास रखते थे। मृतकों के साथ कई लोगों को दफनाने की प्रथा का भी उल्लेख मिलता है। ऐसा इसलिये किया जाता था क्योंकि लोगों में यह धारणा थी कि ये लोग मृतक की आत्मा की सेवा करेंगे। इसके अतिरिक्त दासों के हाथ-पैर काटकर भी उसके मालिक के साथ दफनाया जाता था। इस समय चीन के समाज में अनेक अन्धविश्वास प्रचलित थे। वे मृतकों के श्राद्ध आदि भी बहुत करते थे।
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- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 'फाह्यान पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
- प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के विषय में आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता के सामाजिक व्यवस्था व आर्थिक जीवन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु नदी घाटी के समाज के धार्मिक व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की राजनीतिक व्यवस्था एवं कला का विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के नामकरण और उसके भौगोलिक विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की नगर योजना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा सभ्यता के नगरों के नगर- विन्यास पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हड़प्पा संस्कृति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोगों की शारीरिक विशेषताओं का संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पाषाण प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के सामाजिक संगठन पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के कला और धर्म पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता के व्यापार का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिंधु सभ्यता की लिपि पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता में शिवोपासना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सैन्धव धर्म में स्वस्तिक पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक अथवा पूर्व वैदिक काल की सभ्यता और संस्कृति के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- विवाह संस्कार से सम्पादित कृतियों का वर्णन कीजिए तथा महत्व की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के प्रमुख देवताओं का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद में सोम देवता का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति में इन्द्र के बारे में बताइये।
- प्रश्न- वेदों में संध्या एवं ऊषा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में जल की पूजा के विषय में बताइये।
- प्रश्न- वरुण देवता का महत्व बताइए।
- प्रश्न- वैदिक काल में यज्ञ का महत्व बताइए।
- प्रश्न- पंच महायज्ञ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता द्यौस और वरुण पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवता इन्द्र के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक यज्ञों के सम्पादन में अग्नि के महत्त्व को व्याख्यायित कीजिए।
- प्रश्न- उत्तरवैदिक कालीन धार्मिक विश्वासों एवं कृत्यों के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में प्रकृति पूजा पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक संस्कृति की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- अश्वमेध पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आर्यों के आदिस्थान से सम्बन्धित विभिन्न मतों की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल में आर्यों के भौगोलिक ज्ञान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? उनके मूल निवास स्थान सम्बन्धी मतों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख अंगों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्य परम्पराओं एवं आर्यों के स्थानान्तरण को समझाइये।
- प्रश्न- वैदिक कालीन धार्मिक व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋत की अवधारणा का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक देवताओं पर एक विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक धर्म और देवताओं के विषय में लिखिए।
- प्रश्न- 'वेदांग' से आप क्या समझते हैं? इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन समाज पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिककालीन समाज में हुए परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में शासन प्रबन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल के शासन प्रबन्ध की रूपरेखा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन आर्थिक जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य पर एक निबंध लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन लोगों के कृषि जीवन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक काल के पशुपालन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक आर्यों के संगठित क्रियाकलापों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आर्य की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- आर्य कौन थे? वे कब और कहाँ से भारत आए?
- प्रश्न- भारतीय संस्कृति में वेदों का महत्त्व बताइए।
- प्रश्न- यजुर्वेद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वेद पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैदिक साहित्य में अरण्यकों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्य एवं डेन्यूब नदी पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- क्या आर्य ध्रुवों के निवासी थे?
- प्रश्न- "आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया था।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संहिता ग्रन्थ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्यों के धार्मिक विश्वासों के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- पणि से आपका क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- वैदिक कालीन कृषि पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन उद्योग-धन्धों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिक काल में सिंचाई के साधनों एवं उपायों पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- क्या वैदिक काल में समुद्री व्यापार होता था?
- प्रश्न- उत्तर वैदिक कालीन कृषि व्यवस्था पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उत्तर वैदिक काल में प्रचलित उद्योग-धन्धों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- शतमान पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक कालीन व्यापार वाणिज्य की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोहे की प्राचीनता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ऋग्वैदिक आर्थिक जीवन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैदिककाल में लोहे के उपयोग की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नौकायन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी की सभ्यता के विशिष्ट तत्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु घाटी के लोग कौन थे? उनकी सभ्यता का संस्थापन एवं विनाश कैसे.हुआ?
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता की आर्थिक एवं धार्मिक दशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल की आर्यों की सभ्यता के बारे में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक व सैंधव सभ्यता की समानताओं और असमानताओं का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन सभा और समिति के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- वैदिक काल में स्त्रियों की स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के कालक्रम का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता का बाह्य जगत के साथ संपर्कों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा से प्राप्त पुरातत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- हड़प्पा कालीन सभ्यता में मूर्तिकला के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृति एवं सभ्यता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्राग्हड़प्पा और हड़प्पा काल का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल के सामाजिक संगठन को किस प्रकार निर्धारित किया गया व क्यों?
- प्रश्न- जाति प्रथा की उत्पत्ति एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वर्णाश्रम धर्म से आप क्या समझते हैं? इसकी मुख्य विशेषताएं बताइये।
- प्रश्न- संस्कार शब्द से आप क्या समझते हैं? उसका अर्थ एवं परिभाषा लिखते हुए संस्कारों का विस्तार तथा उनकी संख्या लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में संस्कारों के प्रयोजन पर अपने विचार संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में विवाह के प्रकारों को बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय समाज में नारी की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैष्णव धर्म के उद्गम के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन स्त्रियों की दशा पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्व अध्ययन के स्रोतों को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व साक्ष्य के विभिन्न स्रोतों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुरातत्वविद् की विशेषताओं से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व के विषय में बताइए। पुरातत्व के अन्य उप-विषयों व उसके उद्देश्य व सिद्धान्तों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुरातात्विक स्रोतों से प्राप्त जानकारी के लाभों से अवगत कराइये।
- प्रश्न- पुरातत्व को जानने व खोजने में प्राचीन पुस्तकों के योगदान को बताइए।
- प्रश्न- विदेशी (लेखक) यात्रियों के द्वारा प्राप्त पुरातत्व के स्रोतों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्रोत में स्मारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान के अध्ययन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
- प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
- प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सभ्यता का पालना" व "सभ्यता का उदय" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- विश्व में नदी घाटी सभ्यता के विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जियाहू एवं उबैद काल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अकाडिनी साम्राज्य व नॉर्ट चिको सभ्यता के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मिस्र और नील नदी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- नदी घाटी सभ्यता के विकास को संक्षिप्त रूप से बताइए।
- प्रश्न- सभ्यता का प्रसार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिन्धु सभ्यता के विस्तार के विषय में बताइए।
- प्रश्न- मेसोपोटामिया की सभ्यता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरिया की सभ्यता कहाँ विकसित हुई? इस सभ्यता की सामाजिक संरचना पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता के भारतवर्ष से सम्पर्क की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन समाज के आर्थिक जीवन के विषय में बताइये। यहाँ की कृषि, उद्योग-धन्धे, व्यापार एवं वाणिज्य की प्रगति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की लिपि का विकासात्मक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- सुमेरियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन सुमेरिया में राज्य की अर्थव्यवस्था पर किसका अधिकार था?
- प्रश्न- बेबीलोनिया की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता की सामाजिक.विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया के लोगों की आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन विधि संहिता की मुख्य धाराओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबीलोनिया की स्थापत्य कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख देनों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन कौन थे? असीरिया की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताइये कि यह समाज कितने वर्गों में विभक्त था?
- प्रश्न- असीरिया की धार्मिक मान्यताओं को स्पष्ट कीजिए। असीरिया के लोगों ने कला एवं स्थापत्य के क्षेत्र में किस प्रकार प्रगति की? मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम असीरियाई साम्राज्य की स्थापना कब और कैसे हुई?
- प्रश्न- "असीरिया की कला में धार्मिक कथावस्तु का अभाव है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- असीरियन सभ्यता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? मिस्र का इतिहास जानने के प्रमुख साधन बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन मिस्र का समाज कितने वर्गों में विभक्त था? यहाँ की सामाजिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र के निवासियों का आर्थिक जीवन किस प्रकार का था? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिस्रवासियों के धार्मिक जीवन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र का समाज कितने भागों में विभक्त था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिस्र की सभ्यता के पतन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चीन की सभ्यता के विषय में आप क्या जानते हैं? इस सभ्यता के इतिहास के प्रमुख साधनों का उल्लेख करते हुए प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन चीन की सामाजिक व्यवस्था का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- चीनी सभ्यता के भौगोलिक विस्तार का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन के फाचिया सम्प्रदाय के विषय में बताइये।
- प्रश्न- चिन राजवंश की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।