बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य
अध्याय - 27
महादेवी वर्मा
(व्याख्या भाग)
'फिर भी विकल हैं प्राण मेरे'
(1) फिर विकल हैं ............... के अरमान मेरे!
सन्दर्भ - प्रस्तुत पंक्तियाँ छायावादी कवयित्री महादेवी वर्मा द्वारा रचित 'सान्ध्यगीत' कृति के 'फिर विकल हैं प्राण मेरे' कविता से ली गयी है।
प्रसंग - इस गीत में बाह्यतः आत्मपरिचय होते हुए भी आत्म प्रकाशन और आत्माभिव्यक्ति की स्वभाव व्यंजक दीप्ति होने के कारण जीवन को घेरकर बृहत्तर वृत्त बनाने वाले साहित्य और अध्यात्म तत्व के अवयव दृष्टिगोचर होते हैं।
व्याख्या - कवयित्री प्राण की सहज वृत्ति जड़ता एवं ससीमता के विरुद्ध चेतना एवं व्यापकता का सफल अभियान एवं परिणाम विजय में मानती है। उनकी चिरन्तन अतृप्त जिज्ञासा परम्परा द्वारा पकड़ाई गई मान्यताओं से तुष्ट होकर शान्त बैठने वाली नहीं है। वह कहती है कि मेरा चैतन्य सत्ता क्षितिज की संकीर्णाकार प्राचीरों के पार का दृश्य देखने को आतुर है। प्राण भौतिक श्वास-प्रश्वास में गण्य जीवनाविधि की विवशता में बँधकर रहने की अपेक्षा आत्मा की शाश्वत सत्ता को मान्यता देता है। आत्मा सागर के समान असीम है उसमें सत्संग में जीवन-मरण की लघूर्मियाँ अनन्त बार बनती-बिगड़ती रहती हैं। भौतिक जीवन का छोटा सा दिया अपने मस्तक पर शाश्वत विद्यमानता का आकाश कैसे धारण किये है, यह निस्संदेह एक विस्मयकारक पहेली जो परोक्षतः नाशवान क्षणों में नाशरहित अनन्तता की ओर संकेत करती है।
इन प्राणों ने ही जड़ मृत्तिका के अणु-परमाणु' का संगठन करके दृश्य जगत का बिम्ब चेतना के दर्पण पर ग्रहण करने की शक्ति उत्पन्न की, पतंगा अपनी भौतिक क्षणभंगुरता को भूलकर इन्हीं प्राणों की प्रेरणा से दीपक पर अपने प्राणों की आहुति देकर अपनी साधना को उत्सर्गमयी सिद्धि में परिणत करता है। इन्हीं प्राणों की सिहरन आकाश की स्निग्ध रोमांच एवं धरती को अश्रुसिक्त पीड़ा से भर देती है। हे संसार के लोगों तुम्हें प्राणों द्वारा प्रदत्त इन अनुपम वरदानों को मिथ्या घोषित नहीं करना चाहिए।
आकाश असंख्य झंझावातों से नगण्यप्राय नक्षत्र दीपों को बुझा न पाया। प्रलय के थपेड़े उन घनघोर मेघों को बार-बार विदीर्ण करके भी उनकी कोमल करुणार्द्र सत्ता को नष्ट करने में असफल ही रहे। फिर भी मेरी आकांक्षायें तो अनादि हैं, उनमें प्रागैतिहासिक काल का सत्य मुद्रित है, इन्हें ही महानाश के भय से मैं असमय में क्यों काल-कवलित होने दूँ।
विशेष - (1) 'नभ डुबा .. क्षुद्र तारे' पंक्ति में मानवीकरण अलंकार है।
(2) 'सिन्धु की ......................... साथ फेरे' उक्ति में प्रतीकात्मकता है।
'यह मन्दिर का दीप इसे नीरव जलने दो'
(1) यह मन्दिर ...................... गले दो !
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों में छायावाद की महान कवयित्री महादेवी वर्मा ने अपने जीवन में व्याप्त विरह को एक दीप रूप में प्रस्तुत करके एकाकी में अनवरत उस अलौकिक प्रिय की वेदना को सहन करते रहने की बात कही है।
व्याख्या - महादेवी अपने जीवन को विरह के दीप के समान मानती हुई कहती हैं यह मेरे मन मंदिर का दीपक है, हे प्रिय तुम्हारी स्मृति में यह अनवरत जले, शांत जले ऐसी भावना मेरे मन में विद्यमान है। जगत् के कोलाहल से दूर इस मन के मंदिर में जब सांसारिक आपाधापी रूपी चाँदी के समान श्वेत शंख और स्वर्णिम घड़ियाल था। वंशी और वीणा आदि के स्वर जब तक बजते हैं तब तक इस दीप को जलना है और जब ये सभी उपादान आरती बेला में कोलाहल करके शांत हो जाते हैं तब भी मेरा विरह रूपी दीपक इस मन मंदिर में अनवरत जलता रहता है। जब कलरव करती ध्वनियाँ मेरे जीवन में थी तब तो मेरे मानसरूपी मेघ बरसते थे अब तो मेरा जीवन एकाकी हो गया है अब मैं दीपक की भाँति अपने मन मंदिर में अकेली बैठी हूँ, साथ में कोई है तो वह मेरा ईश्वररूपी प्रियतम ही मेरी भावनाओं में समाया हुआ है। अपने अलौकिक प्रिय की उपस्थिति में मैं अपने जीवन को निरन्तर गला देना चाहती हूँ, हे प्रिय मेरी यह कामना है कि मैं तुममें अपने को न्योछावर कर दूँ, अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दूँ।
विशेष - रस - शान्त, छन्द - गीत, भाषा - खड़ी बोली, शब्द शक्ति - व्यंजना, काव्यगुण - माधुर्य।
तुलनीय - महादेवी वर्मा का विरह इसी प्रकार अन्य गीत में भी व्यक्त हुआ है -
मधुर-मधुर मेरे दीपक जल
दे प्रकाश का सिन्धु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल।
(2) पल के ................ ढलने दो !
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - महादेवी वर्मा इन पंक्तियों में प्रिय विरह में जड़वत हुई स्थिति का चित्रांकन करती हुई पुनः प्राणों को जीवन्त करने की कामना करती हैं।
व्याख्या - महादेवी अपनी विरह वेदना की अभिव्यक्ति अपने उस अलौकिक प्रिय के प्रति करते-करते कहती हैं। मन की पलकों को बन्द करके विश्व का दृश्यमान पुजारी अब सो गया है, अर्थात् सम्पूर्ण जगत् उन गतिविधियों को समाप्त करके शांत हो गया है, मन में उठी हुई प्रतिध्वनि भी अब काल के गाल में समाहित हो चुकी है। महादेवी अपने जीवन को जड़वत बताती हुई कहती हैं अब तो प्रिय के वियोग में जीवन की साँसें भी समाधिस्त हो गयी हैं, यह जीवन-मार्ग स्याह समुद्र की भाँति अति अंधकारमय हो गया है। जीवन में सर्वत्र निराशा व्याप्त है, आशा के संचार का कोई उपाय अब दिखायी नहीं देता है। अब तो आत्मान्दोलन करने वाला चेतन जगत् का कण-कण शांत हो गया है, अर्थात् मानस के अन्त में उठी स्पंदन की भावना भी अब सुप्त हो गयी है।
अब शेष है तो केवल यह जीवन दीप जो अनवरत् जल रहा है, इस प्राणों की जलती ज्वाला में अपने प्रिय से कवयित्री एक बार फिर प्राणों के संचार की कामना करती है। अर्थात् अपने प्रिय के प्रति पुकार लगाती है।
विशेष - रस - शान्त, छन्द - गीत, भाषा - खड़ी बोली, काव्यगुण माधुर्य, शब्द शक्ति लक्षणा, उपमा- 'साँसों की समाधि सा जीवन में, रूपक - 'मसि सागर का पंथ वन गया' में।
(3) झंझा है .................... चलने दो
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों में महादेवी वर्मा अपने जीवन दीप को सांसारिक झंझावातों से अनवरत् बचाते हुए जलते रहने की अपने प्रिय से कामना करती हैं। उनके इस गीत में विरह का निखरा हुआ रूप परिलक्षित होता है।
व्याख्या - इन पंक्तियों में कवयित्री महादेवी वर्मा कहती हैं कि जीवन में व्याप्त झंझावात भी आज दिग्भ्रान्त हो गया है, अर्थात् एक तो जीवन वैसे ही प्रिय विरह में व्याकुल था। अब उसकी स्मृति की वेदना के कारण विरह की रात में पीड़ा की गहरी मूर्छा छा गयी है। आज प्रिय मिलन की कामना में जलने वाला ज्योति का यह छोटा प्रहरी उस मन मंदिर का पुजारी बनकर बैठा है, जिसमें मेरा प्रियतम निवास कर रहा है। महादेवी का प्रिय मिलन का प्रतीक्षा भाव इतना अटल है कि वह प्रिय की प्रतीक्षा में अनवरत एकटकी लगाए जागृत रहना भी स्वीकार करती है। वे कहती हैं कि यह विरह रूपी जीवन दीप जो मेरे मन मंदिर में जल रहा है। यह तब तक जलता रहेगा जब तक मन में अंधकार व्याप्त रहेगा, अर्थात् जब तक दिन का प्रकाश नहीं निकलता तब तक वह यह ज्योतिवाह के रूप में जलता रहेगा और अपनी शुभ्र व प्रकाशित रेखाओं से आभा अथवा प्रकाश का जल भरता रहेगा। महादेवी वर्मा अन्त में गीत के माध्यम से अपने जीवन की सम्पूर्ण विरह साधना को व्यक्त करती हुई कहती हैं कि यह जीवन दीप प्रिय के आगमन की प्रतीक्षा में साँझ के जले दीप की भाँति है जो अनवरत् रूप से प्रातः काल बेला तक जलता रहेगा।
विशेष - रस - शान्त, छन्द - गीत, भाषा - खड़ी बोली, काव्यगुण - माधुर्य, शब्द शक्ति - लक्षणा, अलंकार - मानवीकरण 'दूत साँझ का इसे प्रभाती तक जलने दो' में, रूपक रेखाओं से भर आभा जल में।
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- प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
- अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
- प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
- प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
- प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
- अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
- प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
- अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
- अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
- अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
- अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।