बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य
अध्याय - 28
सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय'
(व्याख्या भाग)
नदी के द्वीप
(1)
हम नदी के द्वीप हैं -
हम नहीं कहते कि हमको छोड़कर स्रोतस्विनी बह जाय।
वह हमें आकार देती है।
हमारे कोण, गलियाँ, अन्तरीप उभार, सैकत - कूल,
सब गोलाइयाँ उसकी गढी हैं !
माँ है वह इसी से हम बने हैं।
किन्तु हम हैं द्वीप, हम धारा नहीं हैं
स्थिर समर्पण है हमारा हम सदा से
द्वीप हैं स्रोतस्वनी के।
व्याख्या - कवि कहता है कि हम नदी के द्वीप है अर्थात् जीवन जो यह निरन्तर बहती हुई धारा है उसमें हमारी स्थिति द्वीप के समान है। हम यह कदापि नहीं कहते कि नदी की धारा छोड़कर आगे की ओर प्रवाहित हो, आगे बह जाए क्योंकि उसने तो यह रूप दिया, आकार दिया, हमें जन्म दिया। हमारे कोष गलियाँ, टापू, बालू का तट और हमारी सारी गोलाइयाँ उसी के द्वारा निर्मित है उसी ने गढ़ा है। वह हमारी माँ है, उसी ने यह रूप दिया है। अज्ञेय जी कहते हैं कि हम नदी के द्वीप के रूप में हैं हम अपनी माँ समान नदी की धारा का रूप धारण नहीं कर सकते। स्थिर रहकर ही हम नदी के प्रति अपना समर्पण व्यक्त कर सकते हैं। कवि कहता है कि हम द्वीप उसी नदी के हैं उसमें हमारा सम्पूर्ण समर्पण है।
विशेष- (1) अज्ञेय ने प्रतीक का सहयोग लेकर उसके परिवेश में जीवन-धारा का वर्णन किया है। नदी को निरन्तर प्रवाहित होने वाली आगे बढ़ने वाली जीवनधारा तथा ब्रह्म का प्रतीक माना है।
(2) जीवन के लिये द्वीप को लेकर मार्मिक व्याख्या की है। जिस प्रकार द्वीप नदी से आकार मिलता है उसी प्रकार जीव ब्रह्म से सजीवता और आकार पाता है।
(3) भाषा में प्रतीकात्मकता होते हुए भी भाव बोधगम्यता है दुरूहता नहीं।
(4) शैली प्रतीकात्मक और मौलिक है।
(2)
नदी तुम बहती चलो !
भूखण्ड से जो दाय हमकों मिला है, मिलता रहा है,
माँजती, संस्कार देती चलो। यदि ऐसा कभी हो
तुम्हारे आह्लाद से या दूसरों के किसी स्वैराचार से, अविचार से,
तुम बढ़ो, प्लवन तुम्हारा घर घराता उठे-
यह स्रोतस्विनी ही कर्मनाशा कीर्तिनाशा घोर काल
प्रवाहिनी बन जाय-
तो हमें स्वीकार है वह भी। उसी में रेत होकर
फिर छनेंगे हम। जमेंगे हम कहीं फिर पैर टेकेंगे।
वहीं फिर भी खड़ा होगा नये व्यक्तित्व का आकार।
मातः उसे फिर संस्कार देना तुम।
प्रसंग - इस द्वीप का निर्माण नदी ने किया है उसे आकार देने वाली माता नदी ही है। किन्तु यह द्वीप नदी में स्थित रहते हुए भी नदी से अलग है। नदी की धारा तो पानी से निर्मित है किन्तु नदी का द्वीप स्थल अर्थात् भूखण्ड है। नदी में रहते हुए भी वह नदी से अलग है, विलक्षण है। नदी के प्रवाह में वह अपने अस्तित्व की रक्षा कर रहा है। भले ही नदी में बाढ़ आ जाए किन्तु यह द्वीप अन्ततः फिर उसी में उभर आता है उसे पुनः नवीन संस्कार नदी रूपी माता से प्राप्त हो जायेगे।
व्याख्या - हे नदी तुम माँ हो। इस द्वीप को तुमने ही जन्म दिया है। तुम निरन्तर बहती रहो, तुम्हारी गति कभी अवरुद्ध न हो। यह द्वीप नदी में रहते हुए भी नदी से अलग है, क्योंकि वह भूमि का एक खण्ड है। पानी की धारा नहीं है। यदि नदी उसकी माता है, तो भूखण्ड पिता है। पृथ्वी से जो अंश उसे भूखण्ड के रूप में मिला है, उसकी रक्षा करना उसका कर्त्तव्य है इसलिये वह अपनी व्यष्टि चेतना को सुरक्षित बनाये हुए है। नदी उसकी माता है, जो उसे रूप आकार देती है। उसका संस्कार करती है। द्वीप कहता है कि यदि नदी में किसी कारण से बाढ़ आ जाए जो किसी स्वेच्छाचार, अतिवाद का ही परिणाम हो सकती है तथा यह निर्मल जल धारा वाली नदी कर्मनाशा या कीर्तिनाशा की भाँति प्रबल होकर विकराल एवं विनाशकारी बाढ़ से युक्त हो जाए तो हमें वह स्थिति भी स्वीकार करनी होगी।
विशेष - (1) व्यष्टि चेतना को बनाये रखने का समर्थन कवि ने किया है।
(2) नदी को माता तथा भूखण्ड को पिता कहा गया है।
(3) मानव व्यक्तित्व को परिभाषित करने का प्रयास है।
(4) मुक्ति छन्द खड़ी बोली हिन्दी का प्रयोग।
यह दीप अकेला
1.
यह दीप अकेला
यह दीप अकेला स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर
इसको भी पंक्ति को दे दो।
यह जन है : गाता गीत जिन्हें फिर और कौन गायेगा?
पनडुब्बा : ये मोती सच्चे फिर कौन कृति लायेगा?
यह समिधा : ऐसी आग हठीला बिरला सुलगायेगा।
यह अद्वितीय : यह मेरा : यह मैं स्वयं विसर्जित :
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा,
है गर्व भरा मदमाता, पर
इस को भी पंक्ति दे दो।
सन्दर्भ - प्रस्तुत काव्य पंक्तियाँ प्रयोगवादी कवि सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' की कविता 'यह दीप अकेला' से अवतरित हैं।
प्रसंग - प्रस्तुत कविता में कवि ने वैयक्तिक अहं की सामाजिक स्वीकृति चाही है। इन पंक्तियों में कवि पूर्ण सामाजिकता की प्रतीक 'नदी की धारा के समक्ष विद्रोह के प्रतीक स्वरूप परिस्थिति में अपना सामञ्जस्य स्थापित करने की बात कही है।
व्याख्या - कवि की वैयक्तिक अहंवाद की भावना इस कविता में मुखर हो उठी है। वह समष्टि का विरोध नहीं करता, समाज से ताल-मेल रखना चाहता है किन्तु अपने अस्तित्व के बोध को बनाए रखकर वह अपने आलोक से दीप्त होना चाहता है इसी कारण कवि का अहंवाद इस कविता में मुखर हुआ है। कवि कहता है यह दीप (स्वयं कवि का अस्तित्व बोध) अकेला है उसमें प्रेम का तेल भरा है। अर्थात उसकी भावना में सजलता है साथ ही वह आत्मगौरव से ओत-प्रोत भी है, वह मदमस्त भी है पर समाज के कार्य में उसकी भावना सन्निहित है। इस कारण कवि अपने दीप रूपी जीवन को नदी के सामने ( समाज के सामने) दीपदान की पंक्ति में जोड़ने की कामना करता है। कवि अपने को स्थापित करता हुआ कहता है कि मैं वह गीत गाने वाला हूँ जिसको गाने की सामर्थ्य किसी में नहीं है अर्थात् जिस भावना की अभिव्यक्ति समाज में मैं कर सकता हूँ शायद ही कोई करने का सहस करे। मैं वह पनडुब्बा हूँ जो समुद्र के गहरे धरातल में मूल्यवान मोती खोज कर ला सकता है यहाँ कवि अपना शोधक रूप व्यक्त करता है।
अज्ञेय अपने विनम्रतापूर्वक पोषित अहं से कहते हैं मैं ऐसी यज्ञ-सामग्री रूप हूँ जिसमें अग्नि प्रज्वलित करने का कार्य भी मेरे जैसा ही कोई विरल प्राणी कर सकता है। अपने अहं को अद्वितीय सिद्ध करता हुआ कवि कहता है कि यह मेरा अपना पोषित अहं है, और अपने अहं में मैं स्वयं विसर्जन (समर्पण) की भावना रखता हूँ। मैं स्नेह से अभिसिक्त अकेला दीपक की भाँति जल रहा हूँ किन्तु समाज के हितार्थ मुझे भी अपने को समाज के साथ सम्मिलित कर दिया जाय, यही मेरी कामना है।
विशेष - रस - शान्त, छन्द - अनुकान्त, अलंकार - श्लेष (स्रेहतेल, प्यार), काव्यगुण - प्रसाद, शब्दशक्ति - व्यञ्जना, भाषा - खड़ी बोली।
2.
यह वह विश्वास, नहीं जो अपनी लघुता में भी काँपा,
वह पीड़ा, जिसकी गहराई को स्वयं उसी ने नापा;
कुत्सा, अपमान, अवज्ञा के धुँधुआते कड़ के तम में
यह सदा द्रवित, चिर-जागरूक, अनुरक्त नेत्र,
उल्लम्ब - बाहु, यह चिर- अखंड अपनापा।
जिज्ञासु, प्रबुद्ध, सदा श्रद्धामय
इस को भक्ति को दे दो।
यह दीप, अकेला, स्नेह भरा
है गर्व भरा मदमाता, पर
इस को भी पंक्ति को दे दो।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि स्वयं का अस्तित्व बोध कराते हुए समाज में दीप की भाँति जागरूक बने रहने की बात कहता है।
व्याख्या - दीप का आधार लेकर कवि अज्ञेय कहते हैं कि मैं उस अटल विश्वास रूप में स्थापित हूँ जिसके अन्त में अपने लघुत्व पर भी कभी न डिगने का भाव समाहित है अर्थात् परिस्थितियों के वशीभूत आई बाधाओं से प्राप्त लघुता में भी मैं अटल विश्वास को धारण करने वाला हूँ। मैं उस पीड़ा का बोध भी करना जानता हूँ जो मैंने स्वयं भोगी है। अतः समाज की पीड़ा का भी मेरे मन में आत्मबोध है। मैं तो दीप की भाँति अनवरत जलने वाला हूँ चाहे इसके लिए मुझे समाज में कितनी ही कुत्सा (घृणा), अपमान और सामाजिक अवहेलना ही क्यों न झेलना पड़े, मैं कभी भी उनसे नहीं डिगता। अपमान, अवहेलना के गहन अंधकार में मैं सदा द्रवित भावना से ओत-प्रोत रहता हूँ। इन स्थितियों में भी मैं निरन्तर जागरूक रहता हूँ, अपने नेत्रों को समाज के प्रति अनुरक्त रखता हूँ अर्थात् समाज को प्रकाशित करता रहता हूँ, मेरा समाज के प्रति सेवा का भाव बनारहता है। समाज के लिए हाथ बढ़ारहता है। समाज के प्रति मेरा अपनत्व रहता हैं। मेरा भाव एक जिज्ञासु रूप का है, मैं प्रबुद्ध भी हूँ तथा श्रद्धा से आपूरित भी हूँ। इसलिए भक्ति के लिए दीप रूपी मैं प्रस्तुत हूँ। मैं अकेला दीपक ऐसा स्नेहाभिसिक्त हूँ यही कामना है कि अन्य दीपों की भाँति गर्व से भरा मदमस्त दीपक हूँ। मुझे भी समाज कल्याण हितार्थ पंक्ति को समर्पित कर दिया जाये।
विशेष - रस - शान्त, छन्द - अतुकान्त, भाषा - खड़ी बोली, काव्यगुण - प्रसाद, शब्दशक्ति - अभिधा, अलंकार - अनुप्रास।
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- प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
- प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
- प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
- प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
- प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
- प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
- अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
- अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
- प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
- प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
- अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
- प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
- अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
- प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
- अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
- प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
- प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
- अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
- अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
- अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
- अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
- अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
- प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।