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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2639
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 हिन्दी काव्य

प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।

अथवा
निर्गुण संत कवियों के साहित्यक अवदान को बताइये।
अथवा
निर्गुण सन्त कवियों का परिचय दीजिये।

उत्तर -

प्रमुख निर्गुण सन्त कवि और उनका अवदान

निर्गुण सन्तों के विचारधार के बीज सिद्ध नाथ कवियों की रचनाओं में तो मिलते ही हैं। आदिकाल में नामदेव ने भी योग दिया था। भक्तिकालीन निर्गुण भक्त कवियों में कबीर, दादू, नानक, रैदास, सुन्दरदास, मलूकदास प्रभृति सन्तों ने भक्ति भावना के प्रसार और भक्ति काव्य की रचना में ना केवल स्वयं उल्लेखनीय योग दिया, अपितु इनकी शिष्य परम्परा में बाद में भी निर्गुण भक्ति काव्य की रचना होती रही। यहाँ प्रमुख सन्त कवियों और उनका अवदान प्रस्तुत है।

रामानन्द

रामानन्द अपने गुरु के सर्वाधिक यशस्वी एवं प्रगतिशील विचारक थे। सन्त मत के प्रचार प्रसार का श्रेय इन्हीं को है। नाभादास ने भक्तमाल में लिखा है कि इनके अनेक शिष्य प्रशिष्य थे, जिनमें अनन्तदास, कबीर, पीपा, धन्ना आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। रामानन्द को दीर्घ, पवित्र, एवं साधानात्मक जीवन प्राप्त हुआ, किन्तु इनके आविर्भाव काल निधन-काल तथा जीवनकाल के सम्बन्ध में कोई प्रमाणिक जानकारी नहीं है। भक्तमाल के अनुसार ये रामानुजचार्य के शिष्य परम्परा में चतुर्थ शिष्य थे। इनका आर्विकाल चौदहवीं शताब्दी का अन्तिम चरण माना जाता है, क्योंकि यह प्रसिद्ध है कि ये कबीर और पीपा के गुरु थे और इन दोनों का आर्विभाव-काल क्रमशः 1399 ई. तथा 1425 ई. स्वीकार किया जाता है। रामानन्द के निधन काल के सम्बन्ध में दो मत प्रचलित हैं कुछ विद्वानों का मत है कि इनकी मृत्यु 1463 ई. में हुई थी और कुछ का मत है, इन्होनें 1447 ई. में शरीर का विसर्जन किया। 'श्रीभक्तमाल सटीक' के अनुसार इनका जन्म प्रयाग में कान्यकुब्ज ब्राह्मण कुल में हुआ था। इनकी दीक्षा काशी में हुई और स्वामी रामानन्द इनके दीक्षा गुरु थे।

कबीरदास

भारतीय धर्म साधना के इतिहास में कबीर दास ऐसे महान विचारक एवं प्रतिभाशाली महाकवि हैं जिन्होनें शताब्दियों की सीमा का उल्लंघन कर दीर्घकाल तक भारतीय जनता का पथ आलोकित किया और सच्चे अथों में जन-जीवन का नायकत्व किया। 'कबीर परिचई के अनन्तदास ने कबीरदास के व्यक्तिगत और जीवनी से सम्बन्धित कुछ तथ्यों का उल्लेख स्पष्ट शब्दों में किया है। उनके अनुसार वे जन्म के जुलाहे थे, उनका निवास स्थान काशी था, उनके गुरु रामानन्द थे, सिकन्दर लोदी ने उन्हें अनेक प्रकार की यातनायें दी थीं तथा उन्होनें 120 वर्ष का पवित्र जीवन पाया।

अन्तः साक्ष्य और 'कबीर चरित्रबोध' के प्रमाण से यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि कबीर का आर्विभाव 1397 ई. में हुआ था। आविर्भाव काल के समान ही उनका अवसान काल भी अनिश्चित और रहस्यमय बना हुआ है। 'भक्तमाल' के टीकाकरण प्रियादास के अनुसार उनका देहावसान मगहर में 1492 ई. में हुआ। इस सम्बन्ध में एक जनश्रुति भी प्रचलित है -
संवत पंद्रह से पछत्तरा, कियो मगहर को गौन।
माघ सुदी एकादशी, रलो पौन में पौन ॥

प्रसिद्ध है कि कबीर रामानन्द के शिष्य थे 'भक्तमाल में रामानन्द के प्रमुख शिष्यों में कबीर को विशिष्ट स्थान प्रदान किया गया है। जाति जुलाहा नाम कबीरा जैसे उल्लेखों से स्पष्ट है कि जाति पाँति के कटु आलोचक कबीर ने अपने को जुलाहा जाति का होना स्वीकार किया है। यह अन्तः साक्ष्य सर्वथा विश्वसनीय है और प्रमाणिक है। जनश्रुतियों में प्रसिद्ध है कि कबीर की पत्नी का नाम 'लोइ' था। उनके सन्तान के सम्बन्ध में पुत्र कमाल और पुत्री कमाली का उल्लेख मिलता है।

कबीर के काव्य में दाम्पत्य एवं वात्सल्य के द्योतक प्रतीकों का सुन्दर प्रयोग हुआ है। उनकी रचनाओं में सांकेतिक प्रतीक, पारिभाषिक प्रतीक, संख्यामूलक प्रतीक तथा प्रतीकात्मक उलटवासियों के सुन्दर उदाहरण मिलते हैं। प्रभाव साम्य के कारण उनके प्रतीकों से तृाश्दी भावना जाग्रत होती है। सत्य तो यह है कि काव्य-रचना उनका साध्य या लक्ष्य नहीं था, फिर अपने महान सन्देशों की अभिव्यक्ति के लिये उन्हें काव्य का माध्यम बनना पड़ा। इस प्रकार रहस्यवादी सन्त और धर्मगुरु होने के साथ साथ वे भाव प्रवीण कवि भी थे।

रैदास

मध्य युगीन साधकों में रैदास अथवा रविदास का विशिष्ट स्थान है। निम्न वर्ग में समुत्पन्न होकर भी उत्तम जीवन-शैली उत्कृष्ट साधना पद्धति तथा उल्लेखनीय आचरण के कारण व आज भी भारतीय धर्म साधना के इतिहास में सादर स्मरण किये जाते हैं। रैदास का जन्म काशी में हुआ था, कांशी को ही उनका निवास स्थान माना गया है। इसी कारण से कबीर की भाँति इनके जीवनकाल के विषय में ' भी मतभेद है। 'रैदास की परचई में जन्मकाल का उल्लेख नहीं है। कवि का जन्मकाल 1396 ई. तथा मृत्युकाल 1446 ई. के मध्य होना चाहिये। यह भी प्रसिद्ध है कि मीराबाई के गुरु थे। रैदास विवाहित थे एवं उनकी पत्नी का नाम लोना था। उनका मोक्ष स्थान काशी का गंगाघाट था।
रैदास मूलतः सन्त थे, फलस्वरूप कबीर की भाँति उनका बल भी कलापक्ष की अपेक्षा प्रतिपाद्य पर अधिक रहा है। अन्य ब्रह्ममार्गी कवियों की भाँति उनके लिये भी निर्गुण ब्रहम्य अनुभूति और जिज्ञासा का विषय है। कभी वे उसकी सत्ता और स्वरूप की अभिव्यक्ति में अपनी असमर्थता स्वीकार करते हैं, तो अन्यत्र से एक सुनिश्चित स्वरूप देने के लिये उन्होनें ईश्वर के समस्त रूपों में ऐक्य और अधिन्नता के दर्शन किये हैं। उपमा तथा रूपक अंलकार कवि को विशेष प्रिय रहे हैं। उनकी काव्य-शैली के परिचयार्थ निम्नलिखित उदाहरण दृष्टव्य हैं -
अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी।
प्रभु जी तुम चन्दन हम पानी, जाकी अंग-अंग बास समानी।

नानकदेव नानकपंथ के प्रवर्तक गुरु नानकदेव इतिहास प्रसिद्ध व्यक्ति है उनके द्वारा संस्थापित सम्प्रदाय ने उन्हीं के जीवनकाल में एक व्यापक संगठन का रूप धारण कर लिया था। राजनीतिक परिस्थितियों के कारण उनका सम्प्रदाय और भी व्यापक सुदृढ़ और सुव्यवस्थित होता गया। उनमें अदभुत संगठन शक्ति, क्षमाशीलता और दूरदर्शिता विद्यमान थी। उनका जन्म लाहौर के निकट राईभाई के तलवण्डी ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम कालूचन्द तथा माता का नाम तृप्ता था। बाल्यावस्था में ही उन्हें संस्कृत, फारसी, पंजाबी, एवं हिन्दी की शिक्षा प्राप्त हुई। पिता की भाँति श्रीचन्द्र भी विख्यात भ्रमणशील साधु हुए और उन्होनें 'उदासी सम्प्रदाय का प्रवर्तन किया। गुरु नानक भ्रमणशील साधु थे। उन्होनें सभी दिशाओं में यात्रायें की थीं। कबीर की भाँति उनके काव्य में भी शान्त रस की निर्बाध धारा प्रवाहित हुई है, यद्यपि कहीं-कहीं करुण, अद्भुद आदि कुछ अन्य रसों के अनुकूल सामग्री भी प्राप्त होती है। नानक के अनुसार ईश्वर कृपा से तत्व दर्शन तो हो जाता है, किन्तु उस अनुभव की अभिव्यक्ति सदैव नहीं हो पाती।

नानक ने अनेक पदों की रचना की जो 'ग्रन्थ साहिब' में संकलित है, 'जयुजी' नामक दर्शन का सार तत्व है, 'असादीवार' 'रहिरास' और सोहिला उनकी प्रसिद्ध रचनायें हैं। नानकदेव की काव्य भाषा के तीन रूप हैं, हिन्दी, फारसी, बहुल पंजाबी, उपमा, रूपक, प्रतीक और अनुप्रास कवि के प्रिय अंलकार हैं। छन्दों का प्रयोग उन्होनें नहीं किया, उनके पद राग-रागनियों में रचित है। शान्त रस की निर्बाध धारा उनके काव्य में प्रवाहित हुई हैं। ऐतिहासिक वर्णनों में करुण रस एवं शृंगार के पद भी विरचित है।

जम्भनाथ

सन्त जम्भनाथ का जन्म 1451 ई. में जोधपुर राज्य के नागौर प्रदेश के पीपासर ग्राम मे राजपूत परिवार में हुआ था। चौतिस वर्ष की अवस्था तक इन्होंने एक भी शब्द उच्चरित नहीं किया।. सिद्धि प्राप्त हो जाने के बाद ये मुनीद्र जन्भ ऋषि के नाम से विख्यात हुए इनकी शिक्षा दिक्षा, विवाह, परिवार - आजीविका आदि के विषय में कोई विशेष विवरण नहीं मिलता, ये आजीवन ब्रह्मचारी रहे। यह भी प्रसिद्ध है कि किन्हीं बाबा गोरखनाथ ने उन्हें दीक्षा प्रदान की थी। स्वभाव से यह बड़े विनयशील थे और विनम्र थे। काव्य-रचना में इनकी अच्छी गति थी, परन्तु दुर्भाग्य से अभी तक इनकी कोई कृति नहीं मिली है, कतिपय संग्रहों मे इनकी स्फुट रचनायें संकलित हैं।

हरिहरदास निरंजनी

सन्त हरिहरदास निरंजनी सम्प्रदाय के कवि थे, जिसका मूलस्रोत नाथ पन्त है, साधना क्षेत्र में इस सम्प्रदाय को नाथ पंथ एवं सन्त मत की मध्यवर्ती कड़ी कहा जा सकता है। यह एक प्राचीन धर्म-सम्प्रदाय है, जिसका प्रभाव उड़ीसा प्रान्त में किसी न किसी रूप में आज तक विद्यमान है। इस सम्प्रदाय का इतिहास पूर्णरूपेण ज्ञात नहीं है। प्रचलित है कि इस सम्प्रदाय के प्रवर्तक स्वामी निरंजन थे जो ब्रहम के निर्गुण रूप के उपासक थे। स्वामी निरंजन की जीवनी और सिद्धान्तों की स्पष्ट रूपरेखा प्राप्त नही है। अठारवीं शताब्दी के अन्तिम चरण में विद्यमान हरिराम जी की 'हरिदासजी की परिचई में थी, इसी मक्तव्य का प्रतिपादन हुआ था। उनके अनुसार 1499 ई. की वसन्त पंचमी के दिन स्वयं हरि ने गुरु गोरखनाथ का रूप धारण करके इन्हें ब्रह्मज्ञान की दीक्षा दी थी। माया और लौकिक बन्धनों के प्रति उन्हें अरुचि है तथा मोक्ष लाभ ही उनका अभीष्ट है, 'गुणग्राही गोविन्द गुण भावा' 'भजि- भजि सम परम पद पावा। ब्रह्म विषयक अतीन्द्रिय अनुभूति में रसमग्न होकर उन्हें अन्य विषय नीस्सार प्रतीत होते हैं। सन्तों को वे ईश्वर के समान पूज्य मानते हैं। हरिदास की भाषा सरल ब्रजभाषा है। अन्य संतों की भाँति कलापक्ष के अलंकरण का आग्रह उनमें भी नही मिलता।

अन्य सन्त कवि भक्तिकाल में सन्त काव्य धारा के विकास में सर्वाधिक कवियों का योगदान रहा है, जिसमें उपर्युक्त कवियों के अतिरिक्त कुछ अन्य को भी पर्याप्त लोकप्रियता प्राप्त हुई इनमें दादूदयाल, लालदास, मालूकदास, धर्मदास रञ्जब बाबरी साहिबा सदना, बेनी, पीपा, सेन, धन्ना अगंद, प्रभूति सिरप गुरु प्रमुख शिष्य थे। कबीर वाणी के बीजक में संकलित करने का श्रेय इन्ही को प्राप्त है। सन्त सम्प्रदायों में बाबरी ग्रन्थ का विशेष महत्व है। बाबरी साहिबा इसी ग्रन्थ की प्रमुख सन्त थीं। किंवदन्ती है कि ये उच्च कुल की महिला थीं। बाबरी साहिबा सम्राट अकबर की सम सामयिक थीं। इनका समय 1542-1605 ई. के लगभग माना जाता है।

प्रस्तुत सन्दर्भ में निरंजनी सम्प्रदाय के सन्त निपट निरंजन स्वामी का उल्लेख भी अपेक्षित है। शिवसिंह सेंगर के मत से निपट निरंजन स्वामी गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन थे और इन्होंने 'शान्त सरसी' तथा 'निरंजन संग्रह' नामक ग्रन्थों की रचना की थी। डा. रामकुमार वर्मा के अनुसार इनका जन्म 1539 ई. में हुआ था। कहा जाता है कि ये गौड़ ब्राह्मण थे और दौलताबाद के निवासी थे, ये अधिकतर काशी में रहते थे और निर्भीक तथा स्पष्टवादी व्यक्ति थे, निपट निरंजन न केवल उच्चकोटि के विचारक थे, वरन् अच्छे कवि भी थें। भाषा पर इनका अच्छा अधिकार था। इनकी काव्याभिव्यक्ति का रूप इनके व्यक्तित्व के अनुकूल ही बड़ा सरल और सुन्दर है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारतीय ज्ञान परम्परा और हिन्दी साहित्य पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की परम्परा में शुक्लोत्तर इतिहासकारों का योगदान बताइए।
  3. प्रश्न- प्राचीन आर्य भाषा का परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  4. प्रश्न- मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का संक्षिप्त परिचय देते हुए, इनकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए?
  5. प्रश्न- आधुनिक आर्य भाषा का परिचय देते हुए उनकी विशेषताएँ बताइए।
  6. प्रश्न- हिन्दी पूर्व की भाषाओं में संरक्षित साहित्य परम्परा का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  7. प्रश्न- वैदिक भाषा की ध्वन्यात्मक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- हिन्दी साहित्य का इतिहास काल विभाजन, सीमा निर्धारण और नामकरण की व्याख्या कीजिए।
  9. प्रश्न- आचार्य शुक्ल जी के हिन्दी साहित्य के इतिहास के काल विभाजन का आधार कहाँ तक युक्तिसंगत है? तर्क सहित बताइये।
  10. प्रश्न- काल विभाजन की उपयोगिता पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- आदिकाल के साहित्यिक सामग्री का सर्वेक्षण करते हुए इस काल की सीमा निर्धारण एवं नामकरण सम्बन्धी समस्याओं का समाधान कीजिए।
  12. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में सिद्ध एवं नाथ प्रवृत्तियों पूर्वापरिक्रम से तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  13. प्रश्न- नाथ सम्प्रदाय के विकास एवं उसकी साहित्यिक देन पर एक निबन्ध लिखिए।
  14. प्रश्न- जैन साहित्य के विकास एवं हिन्दी साहित्य के क्षेत्र में उसकी देन पर एक समीक्षात्मक निबन्ध लिखिए।
  15. प्रश्न- सिद्ध साहित्य पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  16. प्रश्न- आदिकालीन साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  17. प्रश्न- हिन्दी साहित्य में भक्ति के उद्भव एवं विकास के कारणों एवं परिस्थितियों का विश्लेषण कीजिए।
  18. प्रश्न- भक्तिकाल की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- कृष्ण काव्य परम्परा के प्रमुख हस्ताक्षरों का अवदान पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- रामभक्ति शाखा तथा कृष्णभक्ति शाखा का तुलनात्मक विवेचन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्रमुख निर्गुण संत कवि और उनके अवदान विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- सगुण भक्ति धारा से आप क्या समझते हैं? उसकी दो प्रमुख शाखाओं की पारस्परिक समानताओं-असमानताओं की उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- भक्तिकाल की प्रमुख प्रवृत्तियाँ या विशेषताएँ बताइये।
  24. प्रश्न- भक्तिकाल स्वर्णयुग है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
  25. प्रश्न- उत्तर मध्यकाल (रीतिकाल ) की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, काल सीमा और नामकरण, दरबारी संस्कृति और लक्षण ग्रन्थों की परम्परा, रीति-कालीन साहित्य की विभिन्न धारायें, ( रीतिसिद्ध, रीतिमुक्त) प्रवृत्तियाँ और विशेषताएँ, रचनाकार और रचनाएँ रीति-कालीन गद्य साहित्य की व्याख्या कीजिए।
  26. प्रश्न- रीतिकाल की सामान्य प्रवृत्तियों का परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- हिन्दी के रीतिमुक्त कवियों की विशेषताएँ बताइये।
  28. प्रश्न- बिहारी रीतिसिद्ध क्यों कहे जाते हैं? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  29. प्रश्न- रीतिकाल को श्रृंगार काल क्यों कहा जाता है?
  30. प्रश्न- आधुनिक काल की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, सन् 1857 ई. की राजक्रान्ति और पुनर्जागरण की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- हिन्दी नवजागरण की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- हिन्दी साहित्य के आधुनिककाल का प्रारम्भ कहाँ से माना जाये और क्यों?
  33. प्रश्न- आधुनिक काल के नामकरण पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- भारतेन्दु युग के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  35. प्रश्न- भारतेन्दु युग के गद्य की विशेषताएँ निरूपित कीजिए।
  36. प्रश्न- द्विवेदी युग प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताएँ बताइये।
  37. प्रश्न- द्विवेदी युगीन कविता के चार प्रमुख प्रवृत्तियों का उल्लेख कीजिये। उत्तर- द्विवेदी युगीन कविता की चार प्रमुख प्रवृत्तियां निम्नलिखित हैं-
  38. प्रश्न- छायावादी काव्य के प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- छायावाद के दो कवियों का परिचय दीजिए।
  40. प्रश्न- छायावादी कविता की पृष्ठभूमि का परिचय दीजिए।
  41. प्रश्न- उत्तर छायावादी काव्य की विविध प्रवृत्तियाँ बताइये। प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नयी कविता, नवगीत, समकालीन कविता, प्रमुख साहित्यकार, रचनाएँ और साहित्यिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- प्रयोगवादी काव्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  43. प्रश्न- प्रगतिवादी काव्य की सामान्य प्रवृत्तियों का विवेचन कीजिए।
  44. प्रश्न- हिन्दी की नई कविता के स्वरूप की व्याख्या करते हुए उसकी प्रमुख प्रवृत्तिगत विशेषताओं का प्रकाशन कीजिए।
  45. प्रश्न- समकालीन हिन्दी कविता की प्रमुख प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
  46. प्रश्न- गीत साहित्य विधा का परिचय देते हुए हिन्दी में गीतों की साहित्यिक परम्परा का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- गीत विधा की विशेषताएँ बताते हुए साहित्य में प्रचलित गीतों वर्गीकरण कीजिए।
  48. प्रश्न- भक्तिकाल में गीत विधा के स्वरूप पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  49. अध्याय - 13 विद्यापति (व्याख्या भाग)
  50. प्रश्न- विद्यापति पदावली में चित्रित संयोग एवं वियोग चित्रण की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  51. प्रश्न- विद्यापति की पदावली के काव्य सौष्ठव का विवेचन कीजिए।
  52. प्रश्न- विद्यापति की सामाजिक चेतना पर संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
  53. प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
  54. प्रश्न- विद्यापति की भाषा योजना पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
  55. प्रश्न- विद्यापति के बिम्ब-विधान की विलक्षणता का विवेचना कीजिए।
  56. अध्याय - 14 गोरखनाथ (व्याख्या भाग)
  57. प्रश्न- गोरखनाथ का संक्षिप्त जीवन परिचय दीजिए।
  58. प्रश्न- गोरखनाथ की रचनाओं के आधार पर उनके हठयोग का विवेचन कीजिए।
  59. अध्याय - 15 अमीर खुसरो (व्याख्या भाग )
  60. प्रश्न- अमीर खुसरो के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- अमीर खुसरो की कविताओं में व्यक्त राष्ट्र-प्रेम की भावना लोक तत्व और काव्य सौष्ठव पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- अमीर खुसरो का संक्षिप्त परिचय देते हुए उनके काव्य की विशेषताओं एवं पहेलियों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
  63. प्रश्न- अमीर खुसरो सूफी संत थे। इस आधार पर उनके व्यक्तित्व के विषय में आप क्या जानते हैं?
  64. प्रश्न- अमीर खुसरो के काल में भाषा का क्या स्वरूप था?
  65. अध्याय - 16 सूरदास (व्याख्या भाग)
  66. प्रश्न- सूरदास के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- "सूर का भ्रमरगीत काव्य शृंगार की प्रेरणा से लिखा गया है या भक्ति की प्रेरणा से" तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
  68. प्रश्न- सूरदास के श्रृंगार रस पर प्रकाश डालिए?
  69. प्रश्न- सूरसागर का वात्सल्य रस हिन्दी साहित्य में बेजोड़ है। सिद्ध कीजिए।
  70. प्रश्न- पुष्टिमार्ग के स्वरूप को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए?
  71. प्रश्न- हिन्दी की भ्रमरगीत परम्परा में सूर का स्थान निर्धारित कीजिए।
  72. अध्याय - 17 गोस्वामी तुलसीदास (व्याख्या भाग)
  73. प्रश्न- तुलसीदास का जीवन परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- तुलसी की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- अयोध्याकांड के आधार पर तुलसी की सामाजिक भावना के सम्बन्ध में अपने समीक्षात्मक विचार प्रकट कीजिए।
  76. प्रश्न- "अयोध्याकाण्ड में कवि ने व्यावहारिक रूप से दार्शनिक सिद्धान्तों का निरूपण किया है, इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  77. प्रश्न- अयोध्याकाण्ड के आधार पर तुलसी के भावपक्ष और कलापक्ष पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- 'तुलसी समन्वयवादी कवि थे। इस कथन पर प्रकाश डालिए।
  79. प्रश्न- तुलसीदास की भक्ति भावना पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- राम का चरित्र ही तुलसी को लोकनायक बनाता है, क्यों?
  81. प्रश्न- 'अयोध्याकाण्ड' के वस्तु-विधान पर प्रकाश डालिए।
  82. अध्याय - 18 कबीरदास (व्याख्या भाग)
  83. प्रश्न- कबीर का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  84. प्रश्न- कबीर के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  85. प्रश्न- कबीर के काव्य में सामाजिक समरसता की समीक्षा कीजिए।
  86. प्रश्न- कबीर के समाज सुधारक रूप की व्याख्या कीजिए।
  87. प्रश्न- कबीर की कविता में व्यक्त मानवीय संवेदनाओं पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- कबीर के व्यक्तित्व पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  89. अध्याय - 19 मलिक मोहम्मद जायसी (व्याख्या भाग)
  90. प्रश्न- मलिक मुहम्मद जायसी का जीवन-परिचय दीजिए एवं उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- जायसी के काव्य की सामान्य विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जायसी के सौन्दर्य चित्रण पर प्रकाश डालिए।
  93. प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  94. अध्याय - 20 केशवदास (व्याख्या भाग)
  95. प्रश्न- केशव को हृदयहीन कवि क्यों कहा जाता है? सप्रभाव समझाइए।
  96. प्रश्न- 'केशव के संवाद-सौष्ठव हिन्दी साहित्य की अनुपम निधि हैं। सिद्ध कीजिए।
  97. प्रश्न- आचार्य केशवदास का संक्षेप में जीवन-परिचय दीजिए।
  98. प्रश्न- केशवदास के कृतित्व पर टिप्पणी कीजिए।
  99. अध्याय - 21 बिहारीलाल (व्याख्या भाग)
  100. प्रश्न- बिहारी की नायिकाओं के रूप-सौन्दर्य का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- बिहारी के काव्य की भाव एवं कला पक्षीय विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- बिहारी ने किस आधार पर अपनी कृति का नाम 'सतसई' रखा है?
  104. प्रश्न- बिहारी रीतिकाल की किस काव्य प्रवृत्ति के कवि हैं? उस प्रवृत्ति का परिचय दीजिए।
  105. अध्याय - 22 घनानंद (व्याख्या भाग)
  106. प्रश्न- घनानन्द का विरह वर्णन अनुभूतिपूर्ण हृदय की अभिव्यक्ति है।' सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
  107. प्रश्न- घनानन्द के वियोग वर्णन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  108. प्रश्न- घनानन्द का जीवन परिचय संक्षेप में दीजिए।
  109. प्रश्न- घनानन्द के शृंगार वर्णन की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
  111. अध्याय - 23 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (व्याख्या भाग)
  112. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
  113. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  114. प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
  115. प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए। उत्तर - भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की कलापक्षीय कला विशेषताएँ निम्न हैं-
  116. अध्याय - 24 जयशंकर प्रसाद (व्याख्या भाग )
  117. प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।"
  118. प्रश्न- जयशंकर प्रसाद सांस्कृतिक बोध के अद्वितीय कवि हैं। कामायनी के संदर्भ में उक्त कथन पर प्रकाश डालिए।
  119. अध्याय - 25 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (व्याख्या भाग )
  120. प्रश्न- 'निराला' छायावाद के प्रमुख कवि हैं। स्थापित कीजिए।
  121. प्रश्न- निराला ने छन्दों के क्षेत्र में नवीन प्रयोग करके भविष्य की कविता की प्रस्तावना लिख दी थी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
  122. अध्याय - 26 सुमित्रानन्दन पन्त (व्याख्या भाग)
  123. प्रश्न- पंत प्रकृति के सुकुमार कवि हैं। व्याख्या कीजिए।
  124. प्रश्न- 'पन्त' और 'प्रसाद' के प्रकृति वर्णन की विशेषताओं की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए?
  125. प्रश्न- प्रगतिवाद और पन्त का काव्य पर अपने गम्भीर विचार 200 शब्दों में लिखिए।
  126. प्रश्न- पंत के गीतों में रागात्मकता अधिक है। अपनी सहमति स्पष्ट कीजिए।
  127. प्रश्न- पन्त के प्रकृति-वर्णन के कल्पना का अधिक्य हो इस उक्ति पर अपने विचार लिखिए।
  128. अध्याय - 27 महादेवी वर्मा (व्याख्या भाग)
  129. प्रश्न- महादेवी वर्मा के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का उल्लेख करते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
  130. प्रश्न- "महादेवी जी आधुनिक युग की कवियत्री हैं।' इस कथन की सार्थकता प्रमाणित कीजिए।
  131. प्रश्न- महादेवी वर्मा का जीवन-परिचय संक्षेप में दीजिए।
  132. प्रश्न- महादेवी जी को आधुनिक मीरा क्यों कहा जाता है?
  133. प्रश्न- महादेवी वर्मा की रहस्य साधना पर विचार कीजिए।
  134. अध्याय - 28 सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन 'अज्ञेय' (व्याख्या भाग)
  135. प्रश्न- 'अज्ञेय' की कविता में भाव पक्ष और कला पक्ष दोनों समृद्ध हैं। समीक्षा कीजिए।
  136. प्रश्न- 'अज्ञेय नयी कविता के प्रमुख कवि हैं' स्थापित कीजिए।
  137. प्रश्न- साठोत्तरी कविता में अज्ञेय का स्थान निर्धारित कीजिए।
  138. अध्याय - 29 गजानन माधव मुक्तिबोध (व्याख्या भाग)
  139. प्रश्न- मुक्तिबोध की कविता की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  140. प्रश्न- मुक्तिबोध मनुष्य के विक्षोभ और विद्रोह के कवि हैं। इस कथन की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  141. अध्याय - 30 नागार्जुन (व्याख्या भाग)
  142. प्रश्न- नागार्जुन की काव्य प्रवृत्तियों का विश्लेषण कीजिए।
  143. प्रश्न- नागार्जुन के काव्य के सामाजिक यथार्थ के चित्रण पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  144. प्रश्न- अकाल और उसके बाद कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
  145. अध्याय - 31 सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' (व्याख्या भाग )
  146. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  147. प्रश्न- 'धूमिल की किन्हीं दो कविताओं के संदर्भ में टिप्पणी लिखिए।
  148. प्रश्न- सुदामा पाण्डेय 'धूमिल' के संघर्षपूर्ण साहित्यिक व्यक्तित्व की विवेचना कीजिए।
  149. प्रश्न- सुदामा प्रसाद पाण्डेय 'धूमिल' का संक्षिप्त जीवन परिचय लिखिए।
  150. प्रश्न- धूमिल की रचनाओं के नाम बताइये।
  151. अध्याय - 32 भवानी प्रसाद मिश्र (व्याख्या भाग)
  152. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य की विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
  153. प्रश्न- भवानी प्रसाद मिश्र की कविता 'गीत फरोश' में निहित व्यंग्य पर प्रकाश डालिए।
  154. अध्याय - 33 गोपालदास नीरज (व्याख्या भाग)
  155. प्रश्न- कवि गोपालदास 'नीरज' के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- 'तिमिर का छोर' का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
  157. प्रश्न- 'मैं तूफानों में चलने का आदी हूँ' कविता की मूल संवेदना स्पष्ट कीजिए।

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