बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
अथवा
प्रकृतिवादियों के मुख्य आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिये।
उत्तर -
प्रकृतिवादी या physiocrats निश्चत ही अर्थशास्त्र के वैज्ञानिक अग्रदूत कहे जा सकते हैं किन्तु इस विषय में इतिहासकारों में मतभेद है। यह शब्द फ्रेंच भाषा के Physiocratic से निकला है, जिसका अर्थ है प्राकृतिक विधान। प्रकृतिवाद के प्रधान प्रकाशनों का समय 1756 से 1778 तक लगभग 22 वर्ष तक हुआ। यह विचारधारा मुख्य रूप से फ्राँस में विकसित हुयी। प्रकृतिवाद प्राकृतिक विधान का विज्ञान है। प्राकृतिक विधान एक ऐसी सामाजिक व्यवस्था है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति प्रकृति के अनुसार जीवनयापन करता है और प्रकृति के नियमों द्वारा संचालित होता है। रूसो का सिद्धान्त था कि वे सभ्यता आदि को कृत्रिम एवं हानिपूर्ण मानते थे। परन्तु प्रकृतिवादी प्राकृतिक विधान का यह अर्थ नहीं लेते थे, वह जंगल के नियम के समर्थक नहीं थे। उनका विश्वास था कि व्यक्तिगत सम्पत्ति, सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था से था। प्रकृतिवादियों में जंगलीपन या बर्वरता का कोई लक्षण नहीं था, वे सम्मानपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले व्यक्ति थे। प्राकृतिक अधिकार प्रकृति की अवस्था में उपलब्ध नहीं हो सकता। प्राकृतिक अधिकार तभी उत्पन्न होता है जब न्याय और श्रम प्रतिष्ठित होते है प्रकृतिवादी न्याय, श्रम, व्यक्तिगत सम्पत्ति आदि को मानते थे और एक व्यवस्थित समाज का आदर्श उनके सामने था। समाज का प्राकृतिक विधान प्राकृतिक अवस्था से भिन्न वस्तु है क्योंकि प्राकृतिक विधान नियम तथा व्यक्तिगत सम्पत्ति पर आधारित थे। प्राकृतिक विधान वह विधान है जो भगवान ने मनुष्य जाति के लिये बनाया है और यह दैवीय आदेश है, इसे समझना प्रथम कर्तव्य है। और अपने जीवन को इसके अनुकूल बनाना दूसरा। प्राकृतिक विधान केवल वह भौतिक विधान है जो स्वयं भगवान ने इस विश्व को प्रदान किया है। कोई भी विचारधारा सर्वथा मौलिक नहीं होती। बल्कि पिछले विचारों का विकास या प्रतिक्रिया होती है। प्रकृतिवाद से पूर्व वणिकवादी विचारों का प्रचार था। प्रकृतिवादियों ने इन विचारों का अध्ययन किया था और वणिकवादी नीतियों के परिणामों को अपनी आँखों से देखा था। संक्षेप से हम यह कह सकते हैं "कि प्रकृतिवाद वणिकता से विरुद्ध फ्रांसीसियों का विद्रोह था "।
फ्राँस के लेखकों की प्रतिक्रिया स्वरूप प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का जन्म फ्राँस में हुआ। उस युग में फ्राँस में निरंकुश राजाओं का शासन था। उनके लिये राज्य केवल एक व्यक्तिगत सम्पत्ति थी और प्रजा जनसेवक से अधिक न थी।
प्रकृतिवादी विचारों में स्वतन्त्रता की आवाज उठायी गयी किन्तु यह केवल आर्थिक स्तन्त्रता के लिये उठायी गयी थी। मुक्त व्यापार तथा मुक्त अर्थतन्त्र के लिये इन्होंने आग्रह किया था। उस युग की अर्थव्यवस्था की दशा अत्यन्त चिंताजनक थी जो निम्नलिखित है।
1. प्रकृतिवादियों ने अर्थशास्त्र की नींव डालने वाला कहलाने का आधिकार माँगा।
2. प्रकृतिवादियों ने कई ऐसे सिद्धान्तों का सूत्रपात किया, जो बाद में अर्थशास्त्र के स्वीकृत सिद्धान्त बने।
3. प्रकृतिवादियों की आर्थिक नीति का न केवल उस समय बल्कि आधुनिक युग पर भी प्रभाव है। उनकी स्वतन्त्र व्यापार की नीति अभी भी लोकप्रिय है।
4. मुक्त अर्थव्यवस्था के जनक प्रकृतिवादी ही थे।
5. इन्होंने कृषि के महत्व को समझाकर समाज का बड़ा उपकार किया है। अतिशयोक्ति भले ही हो किन्तु उनका सिद्धान्त एक बड़ी सीमा तक सही है।
6. आर्थिक क्रियायें प्राकृतिक नियमों से संचालित हो सकती है।
7. वणिकवादियों ने सोना, चाँदी एवं व्यापार को अधिक महत्व दिया जबकि प्रकृतिवादियों ने कृषि को अधिक महत्व दिया।
8. प्रकृतिकवाद एक दार्शनिक सिद्धान्त पर आधारित है।
प्रकृतिवाद का आर्थिक विचार में योगदान
प्रकृतिवादियों का सबसे महत्वपूर्ण योगदान राष्ट्रीय धन के स्रोत के रूप में उत्पादक कार्यों पर उनका जोर था, जो पहले के स्कूलों के विपरीत था विशेष रूप से व्यापारिकता में था।
(1) प्राकृतिक विधान सिद्धान्त - प्रकृतिवाद का यह दार्शनिक सिद्धान्त अत्यन्त रहस्यमय एवं अस्पष्ट है क्योंकि पदार्थ के मूल एवं मनुष्य की आत्मा से सम्बन्धित है। प्राकृतिक विधान में निम्न लिखित लक्षण पाये जाते हैं।
1. यह मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं है बल्कि भगवान ने स्वयं संसार के लिये बनाया है।
2. यह सार्वभौमिक एवं शाश्वत् है।
3. प्राकृतिक विधान मनुष्य एवं समाज को आनन्द की ओर ले जाता है।
4. इस विधान का ज्ञान हमें अपने अन्दर निरीक्षण करने से हो जाता है।
(2) शुद्ध उत्पादन का सिद्धान्त - प्रकृतिवाद का दूसरा महत्वपूर्ण विचार शुद्ध उत्पादन का सिद्धान्त है और इसे हम अर्थशास्त्र के क्षेत्र का सिद्धान्त कह सकते है। धन के उत्पादन में कुछ धन व्यय होता है जिसे लागत या व्यय कहते है, इसे जब उत्पन्न धन से घटाया जाता है तब शुद्ध उपज आती है। यही समाज की असली आय है। मनुष्य जाति की समृद्धि अधिकतम शुद्ध उपज पर आश्रित है।
(3) सम्पत्ति का परिभ्रमण - प्रकृतिवादियों का तीसरा महत्वपूर्ण विचार समाज में सम्पत्ति का परिभ्रमण है। इसका प्रतिपादन केने ने अपनी आर्थिक सारणी में किया। इस तालिका में हमें सर्वप्रथम धन के वितरण सम्बन्धी विचार का संकेत मिलता है। केने ने इस विचार को शरीर में रक्त के परिभ्रमण सिद्धान्त से प्राप्त किया। केने ने समाज को तीन वर्गों में विभाजित किया -
(i) उत्पादक वर्ग
(ii) सम्पत्तिशाली वर्ग
(iii) अनुत्पादक वर्ग
(4) मूल्य संबधी विचार - मूल्य का कोई सिद्धान्त व्यवस्थित रूप से प्रकृतिवादी न दे सके। कुछ फुटकर विचार यत्र-तत्र अवश्य दिये गये। उनके अनुसार दो प्रकार के मूल्य हो सकते हैं -
(i) आधारभूत मूल्य जोकि लागत पर आधारित है।
(ii) प्रचलित मूल्य जोकि बाजार मूल्य पर आधारित है। इन्होंने सर्वप्रथम उपभोग मूल्य तथा विनिमय मूल्य का अन्तर स्पष्ट किया।
(5) अर्थ नीति सबंधी विचार - व्यापार से समाज में धन की वृद्धि नहीं होती परन्तु फिर भी व्यापार उपयोगी है क्योंकि इससे समाज के सभी सदस्यों को आवश्यक वस्तुयें प्राप्त होती है। विदेशी व्यापार का सीमित महत्व भी वे स्वीकार करते थे। प्रकृतिवादी स्वतन्त्रता और प्राकृतिक विधान के समर्थक होते हुये भी शक्तिशाली शासन को आवश्यक मानते थे और साथ ही वे यह चाहते थे कि अनावश्यक नियम समाप्त किये जायें।
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- प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
- प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
- प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
- प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
- प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
- प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
- प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
- प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
- प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
- प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
- प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
- प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
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- प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
- प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
- प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
- प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
- प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
- प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
- प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
- प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
- प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
- प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
- प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
- प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
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- प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।