बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान
प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
उत्तर-
युवा पीढ़ी पर नशीले पदार्थों की पकड़ लगातार मजबूत होती जा रही है। युवतियों में भी ड्रग्स स्टेटस सिम्बल बन जाने से इस बुराई की समाप्ति और मुश्किल होती जा रही है। स्कूल, कालेज भी नशे से अछूते नहीं हैं। आमतौर पर नशीले पदार्थों को चार भागों में बाँटा जाता है। अफीम व अफीम से बने मारफिन, कोकीन, हेरोइन व ब्राउन शुगर, गांजा व गांजे से बने चरस व हशीश, कोकीन, सैन्कोटिक ड्रग्स जैसे एलएसडी, मेड्रोक्स व पी.सी.पी. ये सभी बेहद खतरनाक है। छोटे नगरों व गाँवों में सुल्फे गाँजे ने अपने पैर पसार रखे हैं, तो बड़े नगरों में हेरोइन व ब्राउन शुगर ने अपनी जड़ें जमा ली हैं। मुम्बई में इनका सेवन करने वालों में 14 से 25 आयु वर्ग के युवक-युवतियों की संख्या सबसे अधिक है। युवक-युवतियों में नशाखोरी की वजह उनका किसी न किसी समस्या से ग्रस्त होना है। आर्थिक दिक्कत, नौकरी की तलाश, असफल प्रेम, मनचाही सफलता न मिलना, परिवार में उपेक्षा महसूस करनाद्ध किसी काम में मन न लगना जैसे कितने ही कारण है जिनसे बचने के लिए उन्हें नशे का सेवन ही एक आसान व एक मात्र उपाय नजर आता है। जबकि नशा किसी समस्या का हल नहीं है।
नशे की गिरफ्त में लड़कियाँ - पश्चिम सभ्यता व आधुनिक विचार अपनाने वाले कितने ही परिवारों की लड़कियों ने स्कूल और कालेजों से ही नशीले पदार्थों का सेवन सीखा है। नशे की शुरुआत पहले चोरी छिपे करती है परन्तु बाद में उनका यही शौक लज्जा व सारी शर्म की हदों को लाँघ जाता है। नशे को आधुनिकता का पर्याय और नयी पीढ़ी की पहचान समझने वाली लड़कियाँ फैशन पारिवारिक कुंठा, हीन भावना तनाव आदि से मुक्ति के लिए इसे अपनाती है। इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च लड़कियों के नशा करने के पीछे तीन कारण मानता है। मित्रों का प्रभाव (2) अपने से बड़ों की नकल (3) भूख को दबाना। इनमें से दोस्तों के प्रभाव मैं नशा करने वाली लड़कियों की संख्या सर्वाधिक है। युवतियों में सिगरेट व शराब पीने की निरन्तर बढ़ रही प्रवृत्ति तो हानिकारक ही है नशीले पदार्थों का सेवन तो इससे भी ज्यादा घातक है।
युवाओं को नशीले पदार्थ के सेवन से हानियाँ
शरीर में मादकता की अधिकता, रक्तचाप व विक्षिप्तता को जन्म देती है, जिससे आँखों में मोतियाबिन्दु की शिकायत अंधत्व में बदल सकती है। महिला की कार्यक्षमता कम हो जाती है। मादक पदार्थों के सेवन से दाम्पत्य जीवन में दरार पैदा हो जाती है। पति, सास, ससुर व बच्चों आदि के साथ मनमुटाव घर को नर्क बना देता है, दक्षता प्रभावित होने से कार्य क्षेत्र में जुड़ी महिलाएँ दफ्तर व संस्थानों में उपहास व क्रोध का पात्र बनती है। सरकार ने जनसामान्य के स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय कर्तव्यों में शामिल करते हुए संविधान के अनुच्छेद 47 के अनुसार चिकित्सकीय प्रयोग के अतिरिक्त स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नशीले पदार्थों व वस्तुओं के उपयोग को निषिद्ध करने के लिए 1985 में नशीली दवाएँ के मानोविकारी पदार्थ कानून एनडी पी एस ऐक्ट बनाया है। इस कानून को लागू करने के साथ ही मादक पदार्थों का सेवन करने वालों की पहचान, इलाज, शिक्षा बीमारी के बाद देख-रेख पुनर्वास व समाज में पुनर्स्थापना के लिए जोरदार प्रयास किये जा रहें है किन्तु समाज में नशाखोरों की बढ़ती संख्या इन पर पानी फेर रही है।
नशे में डूबी युवतियों और युवकों को भविष्य का चिंता नहीं है। नशे के आगोश में डूबी इन लड़कियों का शरीर वास्तविक सुन्दरता तो खो ही देता है। नशीले पदार्थों के सेवन से लड़के नपुंसक तक बन जाते हैं और लड़कियाँ गर्भधारण की क्षमता को खो देती है। जो गर्भवती होती है तो नशीले पदार्थों के सेवन से गर्भस्थ शिशु पर बुरा प्रभाव पड़ता है। सिमरेट व मादक द्रव्यों के प्रयोग से गर्भाशय की मांसपेशियाँ कमजोर हो जाने के कारण जहाँ गर्भधारण में दिक्कत आती है वहाँ उन्हें कई जटिलताओं काभी सामना करना पड़ता है।
इसके अतिरिक्त देश में कई ऐसे भी परिवार हैं जो एक वक्त की रोटी के लिए रोते हैं, और वह बिना खायेभी सो जाते हैं परन्तु उनके लिए नशा अत्यधिक आवश्यक है। कि वह अपनी दिन भर की कमाई नशे में गवाँ देते हैं यहाँ तक कि यह भी नहीं सोंचते हैं कि उसके बच्चे भूखे हैं। जो इन्सान पैसा नहीं कमाता है और अपने घर के पैसे को इस नशे के लगा देता है जिससे घर के दूसरे लोगों के लिए भी समस्या खड़ी हो जाती है। रोज-रोज इस खर्च से गरीबी आने लगती है औनर घर से खाने पीने तक की समस्यों हो जाती है। नशा एक ऐसी समस्या है जो कि दूसरी समस्या को न्योता देती है। इससे गरीबी, बेरोजगारी, आतंकवाद फैलता है, देश में अपराधियों की संख्या बढ़ने लगती है।
नशा करने वाले इन्सान अपना आपा खो देता है, उसे यह भी याद नहीं होता ह कि वह कहाँ है और क्या कर रहा है। नशेबाज इन्सान घरेलू हिंसा को दावत देता है। नशा एक अपराध से कम नहीं है। नशे की तलब को पूरा करने के लिए चोरी करता है और छोटे-छोटे अपराध • कब बड़े अपराध में बदल जाते हैं पता नहीं चलता। अफीम, चरस, कोकीन इत्यादि लेने के पश्चात इन्सान के अन्दर उतेजना आ जाती है जिससे वो काबू में नहीं रहता है। यही आदत उसे चोरी, हिंसा, बलात्कार जैसे कामों की ओर अग्रसर करती है। नशा इन्सान का भविष्य नष्ट कर देता है।
नशा मुक्ति के उपाय -
(1) सरकार को सारेआम मादक पदार्थ के सेवन को पूरी तरह बन्द कर देना चाहिए।
(2) सिनेमा टीवी में इसके प्रयोग को वर्जित करना चाहिए।
(3) नाशाखोरी की समस्या के बारे में लोगों को बताने के लिए अभियान सभा अयोजित करनी चाहिए। गाँव, शहर सभी जगहों में युवको को नशाखोरी से होने वाली हानियों के सम्बन्ध में बताना चाहिए।
(4) नशाखोरी केवल भारत की ही नहीं पूरे विश्व की समस्या है, इससे निपटने के लिए सभी लोगों को मिलकर काम करना चाहिए।
(5) भारत के प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने नशा मुक्ति के खिलाफ नशा मुक्ति की मुहिम की शुरुआत की है। मोदी ने अपने रेडियो सम्बोधन मन की बात में देश को नशा मुक्त बनाने के लिए भावनात्मक अपील है।
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- प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
- प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
- प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
- प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
- प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
- प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
- प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
- प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
- प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
- प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
- प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
- प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
- प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
- प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
- प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
- प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
- प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
- प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
- प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
- प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
- प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
- प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
- प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
- प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
- प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
- प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
- प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
- प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
- प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
- प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
- प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
- प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।