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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2644
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 गृहविज्ञान

प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. किशोरावस्था एक परिवर्तन की अवस्था है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

किशोरावस्था की विशेषताएँ
(Characteristics of Adolescence)

किशोरावस्था के प्रारम्भ से किशोर यदि बच्चों की तरह व्यवहार करता है तो उसमें कहा जाता है कि वह अपनी आयु के अनुसार व्यवहार करे। जब वह बड़े या वयस्क व्यक्तियों की तरह व्यवहार करता है तो उससे छोटों की तरह व्यवहार करने को कहा जाता है। स्थिति यह होती है कि बेचारे इस युवा किशोर को उसके मित्र और परिवार के लोग न बच्चा समझते हैं और न वयस्क। उसकी स्थिति उसकी आयु के अनुसार स्पष्ट न होकर अस्पष्ट होती है। इस अस्पष्ट स्थिति के कारण उसे अपने चारों ओर के वातावरण में व्यवहार करने में असुविधा ही नहीं होती है बल्कि अनेक बार उसे मनोवैज्ञानिक कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है।

किशोरावस्था की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

(1) किशोरावस्था एक परिवर्तन की अवस्था है (Adolescence is a Period of Transition) — किशोरावस्था बाल्यावस्था एवं प्रौढ़ावस्था के बीच की अवस्था है जिसमें कई परिवर्तन होते हैं; जैसे—शारीरिक, मानसिक, मनोवैज्ञानिक, संवेगात्मक, बौद्धिक, सामाजिक आदि। इस कारण इस अवस्था को परिवर्तनों की अवस्था कहा जाता है। इन परिवर्तनों के कारण बाल्यावस्था की आदतें, व्यवहार के लक्षण समाप्त हो जाते हैं तथा उनका व्यवहार प्रौढ़ावस्था की ओर अग्रसर होता जाता है। अब किशोर यह भली-भाँति समझने लगता है कि "वह अब बालक नहीं है बल्कि बड़ा हो गया है इसलिए उसे स्वावलम्बी होना चाहिए। अर्थोपार्जन कर आत्म निर्भर बनना चाहिए। अपना काम स्वयं करना चाहिए। जीवन की कठिनाइयों एवं संघर्षों का सामना करना चाहिए।"

हरलॉक के अनुसार “किशोरावस्था में होने वाले परिवर्तनों का ज्ञान किशोरों को धीरे-धीरे होता है और इस ज्ञान की वृद्धि के साथ-ही-साथ वह वयस्क व्यक्तियों की तरह व्यवहार करना प्रारंभ कर देता है, क्योंकि अब वह वयस्क दिखाई देने लगता है।'

किशोरावस्था में कई शारीरिक एवं हार्मोन परिवर्तन होते हैं, जैसे- लड़कियों में स्तनों का विकास होना, काँखों एवं जननांगों में बालों का उगना, मासिक धर्म का आना, आवाज बदलकर स्त्रियों की भाँति महीन, पतली एवं मधुर हो जाना, अंडाशय, गर्भाशय आदि का परिपक्व होना आदि। इसी प्रकार, लड़कों में भी कई परिवर्तन स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होते हैं, जैसे- दाढ़ी एवं मूँछों का निकल आना, छातीं पर बाल उगना, आवाज बदलकर मोटा एवं भारी होना, जननांगों पर बालों का उगना, वीर्य स्खलन होना आदि। इन परिवर्तनों के कारण ही किशोरावस्था के अंत तक एक लड़का एक पुरुष की तरह दिखने लगता है तथा लड़की एक स्त्री की तरह। इसके अतिरिक्त ज्ञानेन्द्रियों का भी पूर्ण विकास हो जाता है। मस्तिष्क तथा हृदय अनुपात में आ जाते हैं। लम्बाई की पूर्ण वृद्धि हो जाती है।

(2) किशोरावस्था अस्थिर एवं तीव्र संवेगों की अवस्था है (Adolescence is a Period of Heightened Emotionality ) — किशोरों में उनके शारीरिक एवं मानसिक विकास व परिवर्तनों के फलस्वरूप अनेक बदलाव आते हैं। जैसा कि विदित है किशोरावस्था 'तनाव व तूफान' की अवस्था है। किशोर कभी बहुत भावुक व गम्भीर कभी अत्यधिक उत्साही व कल्पनाशील रहता है। कुछ मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि किशोरों में संवेगात्मक अस्थिरता का प्रमुख कारण ग्रन्थीय परिवर्तन व सामाजिक सम्बन्धों की व्यापकता व समायोजन है।

(3) किशोरावस्था कामुकता के जागरण की अवस्था है (Adolescence is a Period of Sex Awakening) — शारीरिक वृद्धि एवं हार्मोन परिवर्तन के कारण यौन अंगों में परिपक्वता आ जाती है। फलतः उनमें कामेच्छा ( Sex Desire) की जागृति होने लगती है किशोरावस्था के बालक-बालिकायें विषय लिंगों के प्रति आकर्षित होने लग जाते हैं। उनका यह आकर्षण मात्र दैहिक होता है। यदि उनके इस आकर्षण को रोका नहीं जाए और सही दिशा निर्देश नहीं दिये जाएँ तो वे भ्रमित हो जाते हैं और गलत कार्य कर बैठते हैं। लड़कियाँ बिन ब्याही माँ बन जाती है। लड़के दुराचरण के शिकार हो जाते हैं।

फ्रॉयड के अनुसार - "किशोरों की विषमलिंगी कामुकता में उनकी शैशव कालीन कामुकता की झलक दिखायी देती है। जिस प्रकार शैशवावस्था में बेटा अपनी माँ से तथा बेटी अपने पिता से अधिक प्यार करती है उसी प्रकार लड़के-लड़कियों से तथा लड़कियाँ लड़कों से प्यार करने लग जाती हैं अर्थात् उनका प्रेम विषय लिंगों के प्रति बढ़ जाता है।"

मनोविश्लेषणात्मक अध्ययनों से यह भी पता चला है कि किशोर लड़की अपने प्रेमी में पिता की छवि एवं स्नेह व प्रेम को ढूँढ़ती है तथा किशोर लड़का अपनी प्रेमिका में माँ का स्नेह ढूँढता है और उसे प्राप्त करना चाहता है।

चूँकि किशोरावस्था में कामेच्छा की तीव्र भावना प्रकट होती है और विपरीत लिंगों के प्रति आकर्षण बढ़ता है। ऐसी दशा में यह संभव है कि बालक कोई अनुचित कार्य न कर बैठे जो उसके परिवार तथा माता-पिता के लिए कलंक हो। अतः माता-पिता एवं शिक्षकों का परम दायित्व है कि वे बालकों को सही जानकारी दें तथा उसे पथ भ्रष्ट होने से रोकें।

(4) किशोरावस्था उमंगपूर्ण कल्पना की अवस्था है (Adolescence is An Age of Exuberant Imagination ) — किशोरों में उमंगपूर्ण कल्पना की प्रधानता होती है। वे अपना अधिकांश समय कल्पना लोक के विचरण में ही बिताते हैं। वे अपनी कल्पना में कभी डॉक्टर बनकर मरीज का ऑपरेशन करते नजर आते हैं, तो कभी इंजीनियर बनकर किसी बड़े पुल का निर्माण करते हैं, कभी कल्पना चावला की तरह अंतरिक्ष में सैर करते हैं व कैंसर जैसे खतरनाक बीमारी हेतु दवाइयों की खोज करते हैं। उनकी कल्पनाएँ रंग-बिरंगी होती है जिसमें वे नायक होते हैं। काल्पनिक संसार में जीने के कारण वे शांत एवं अन्तर्मुखी हो जाते हैं। बालक विभिन्न प्रकार की कल्पनाएँ उस समय अधिक करते हैं, जब उनके प्रेम संबंध किसी लड़का-लड़की से चल रहे होते हैं तथा वे उसे दूसरों के सामने प्रकट करने में संकोच करते हैं। यहाँ तक कि वे अपनी प्रेम संबंधी निजी समस्याएँ अंतरंग मित्रों से भी नहीं कर पाते हैं। अतः वे अपने कल्पना जगत में, काल्पनिक मित्र से बातचीत करके उन सभी सपनों को साकार कर लेते हैं जो वास्तविक जगत में शीघ्र संभव नहीं है।

(5) पूर्व किशोरावस्था के बालकों की स्थिति अस्पष्ट होती है (Early Adolescent's Status is Ambiguous ) — पूर्व किशोरों की स्थिति बड़ी ही अस्पष्ट होती है। जब वे बालकों की तरह व्यवहार करते हैं, तो उन्हें यह कहकर डाँटा-फटकारा जाता है कि. "इतने बड़े हो गये हों और फिर भी बच्चों की तरह हरकत करते हों।" जब वे व्यस्कों की तरह बातचीत करते हैं, व्यवहार करते हैं, तो यह कहकर उपहास / मजाक उड़ाते हैं कि "तुम अभी इतने बड़े नहीं हुए हो कि व्यस्कों की भाँति व्यवहार करो। " ऐसी स्थिति में बालक यह नहीं समझ पाता है कि कब वह बड़ा हो जाता है और कब छोटा बालक। कब बालकों की तरह व्यवहार करना चाहिए और कब नहीं? अतः परिवार व समाज में किशोर बालक की स्थिति बड़ी ही विकट, दयनीय, अस्पष्ट एवं भ्रमपूर्ण होती है क्योंकि न तो उसे बालक की तरह स्वतंत्रता पूर्वक व्यवहार करने की अनुमति दी जाती है और न ही उसे युवा की तरह मान-सम्मान ही मिलता है। इन दोनों ही स्थितियों में उसकी स्थिति " धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का' वाली कहावत चारितार्थ होते नजर आती है। वह त्रिशंकु की तरह बालक और युवा के बीच में लटका नजर आता है। इस अस्पष्ट स्थिति के कारण उसे माता-पिता एवं परिवार के सदस्यों के साथ समायोजन बिठाने में कठिनाई आती है। अनके बार उसे अपने माता-पिता एवं परिवार के सदस्यों से डाँट भी खाना पड़ सकती है।

(6) किशोरावस्था निश्चित प्रतिमान की अवस्था है (Adolescence is a Definite Pattern of Development ) — शैशावस्था एवं बाल्यावस्था की तरह ही किशोरावस्था का भी अपना एक निश्चित विकास प्रतिमान होता है जो शनैःशनैः विकसित होकर परिपक्वावस्था को प्राप्त करता है। प्रारंभ में प्रायः सभी किशोरों को अपने माता-पिता की बातें जरा भी नहीं सुहातीं। उनके सलाह, सुझाव, रोकटोक उन्हें बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते। वे माता-पिता की बातों का विरोध करते हैं। अतः वे उनसे चिढ़ते हैं। इसके विपरीत उन्हें पड़ोसियों, मित्रों की बातें अधिक अच्छी लगती हैं। किशोर बालक उन्हें ही अपना हितैषी मानते हैं। इसका लाभ उसके पड़ोसी उठाते हैं और उन्हें भ्रमित कर देते हैं। आये दिन अखबारों में पढ़ने को मिलता है कि पड़ोसी ने 14-15 वर्ष की बालिका को बहला-फुसलाकर घर से भगाकर ले गया तथा बाद में बलात्कार कर उसकी हत्या कर दी। यह सब तीव्र शारीरिक, मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों के कारण ही होता है। जैसे-जैसे किशोर-किशोरियों की उम्र बढ़ती जाती है और शारीरिक वृद्धि व विकास अपने चरम सीमा पर पहुँच जाता है, वैसे-वैसे उनमें बुद्धि एवं परिपक्वता आ जाती है। अब वे अपने माता-पिता की बातों को महत्व देने लग जाते हैं। उनके भीतर व्याप्त अस्थिरता, असुरक्षा की भावना, अनिश्चितता, भ्रम आदि दूर हो जाता है तथा वे सांवेगिक रूप से स्थिर हो जाते हैं।

(7) किशोरावस्था शैशवावस्था की पुनरावृत्ति है (Adolescence is a Recapitulation of Infancy) - किशोर-किशोरियों की बहुत-कुछ आदतें, कार्य, व्यवहार, संवेग रुचियाँ आदि शिशु की तरह होते हैं। वे शिशु की भाँति ही असुरक्षित, अस्थिर, चंचल, लापरवाह एवं स्वयं के प्रति अनिश्चित होते हैं। वे संवेगात्मक रूप से भी काफी भावुक होते हैं। अतः उन्हें रोते हँसते जरा-सी भी देर नहीं लगती। जरा जरा सी बात पर नाराज हो जाते हैं। वहीं वे चिकनी-चुपड़ी, मीठी-मीठी बातों में आकर अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को तैयार भी हो जाते हैं। वे उसी कार्य को करते हैं जिनसे उन्हें खुशी मिलती है। शिशुओं की भाँति उन्हें भी भ्रम होता है कि वे माता-पिता एवं दूसरे लोगों के आकर्षण के केन्द्र बिन्दु हैं। परन्तु ऐसा सोचना सरासर गलत है। उन्हें माता-पिता, भाई-बहनों, परिवार के सदस्यों, मित्रों व शिक्षकों के साथ समायोजन बिठाना पड़ता है। शिशु जिस प्रकार विपरीत लिंगों के प्रति आकर्षित होता है, ठीक उसी प्रकार किशोर-किशोरियाँ भी विपरीत लिंगों के प्रति आकर्षित होते हैं। किशोर अपनी प्रेमिका में अपनी माता का प्यार व स्नेह ढूँढता है तो किशोरियाँ अपने प्रेमी में पिता का स्नेह। उपरोक्त विवेचन से स्पष्ट है कि किशोरावस्था शैशवावस्था की ही पुनरावृत्ति है।

(8) किशोरावस्था तूफान एवं परेशानी की अवस्था है—चूँकि किशोरावस्था में तीव्र शारीरिक, मानसिक, संवेगात्मक एवं हार्मोन परिवर्तन होते हैं। इन परिवर्तनों के कारण बालक भ्रमित हो जाता है कि उनके भीतर यह सब क्या हो रहा है। वह यकायक हो रहे इन परिवर्तनों के साथ समायोजल स्थापित नहीं कर पाता है, जिससे वे तनावग्रस्त हो जाते हैं।

किशोरावस्था में अधिकांश किशोरों की अपने माता-पिता एवं संरक्षकों से अनबन रहती है। उन्हें अपने ही माता-पिता एवं परिवार के सदस्य दुश्मन नजर आते हैं। माता-पिता का डाँटना - फटकारना भी उन्हें बुरा लगता है। इन्हीं कारणों से माता-पिता के साथ अधिक समय न बिताकर दोस्तों के साथ समय बिताना चाहते हैं। जब उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाती है तो वे तनावग्रस्त एवं परेशान हो जाते हैं। क्षण भर पहले जहाँ वे खुशियों के सागर में गोते लगाते हैं, वहीं दूसरे ही क्षण निराशाओं की खाई में अपने आपको पड़ा पाते हैं। इसलिए किशोरावस्था को आँधी तूफान की संज्ञा दी गई है।

(9) किशोरावस्था आत्मनिर्भरता की अवस्था है (Adolescence is An Age of Self Dependency) - किशोरावस्था के बालक-बालिकायें शारीरिक व मानसिक रूप से इतना परिपक्व हो जाते हैं कि वे अपने सभी काम खुद ही करते हैं। खाने-पीने, नहाने धोने, पढ़ने-लिखने, स्कूल का होम वर्क आदि करने के अलावा वे घरेलू कार्यों में भी माता-पिता एवं परिवार के सदस्यों के कार्यों में सहयोग करते हैं। आत्मनिर्भरता की यही भावना उसके प्रौढ़ जीवन की तैयारी में सहायता प्रदान करती है।

(10) किशोरावस्था वीर पूजा की अवस्था है (Adolescence is An Age of Hero Worship)-किशोरावस्था के बालक-बालिकाओं में अदम्य साहस व असीम उत्साह होता है। उनके मित्रों की संख्या भी अधिक होती है परन्तु वे उन्हीं मित्र को हीरों मानते हैं जो देखने में आकर्षक व स्मार्ट, बोलने में वाकपुट व मधुर हो तथा जिसका कार्य एवं व्यवहार उत्तम हो तथा जिसमें नेतृत्व की क्षमता हो। इसके अतिरिक्त किशोर उन लोगों को अपना आदर्श मानते हैं जो समाज एवं राष्ट्र की उन्नति में योगदान देते हैं। कुछ किशोर अमिताभ बच्चन को अपना प्रिय हीरो मानते हैं तो कुछ सचिन तेंदुलकर को। कुछ किशोर-किशोरियाँ नये चमकते क्रिकेट महेन्द्र सिंह धोनी को अपना हीरो मानते हैं तो कुछ अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को। वे उन्हें अपना आदर्श मानकर अपने जीवन में प्रगति करना चाहते हैं।

(11) किशोरावस्था व्यवसाय चुनने की अवस्था है (Adolescence is An Age of Selecting Occupation ) — व्यवसाय चुनने की सबसे सुन्दर व श्रेष्ठ अवस्था होती है “किशोरावस्था"। किशोर बालक-बालिकायें पढ़-लिखकर क्या बनना चाहते हैं, इसका निर्धारण भी इसी अवस्था में हो जाता है। यदि वह डॉक्टर, इंजीनियर, व्याख्याता, वकील या अन्य पदों पर आसीन होना चाहता है तो उसी तरह का विषय का चयन करके, पूरे मन से अध्ययन करता है और सफलता प्राप्त करता है। जो किशोर 17-21 वर्ष तक अपना व्यवसाय / नौकरी का निर्धारण नहीं कर पाते हैं वे जीवन में ठोकरें खाते-फिरते हैं क्योंकि व्यवसाय का निर्धारण, इसी अवस्था में किया जाना आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हैं।

(12) किशोरावस्था अप्रसन्नता की अवस्था है (Adolescence is an Age of Unhappiness ) — एक ओर किशोरावस्था जहाँ रंग-बिरंगे सपने देखने, उमंगपूर्ण कल्पना करने, जीवन को हसीन बनाने की अवस्था है, वहीं दूसरी ओर यह अवस्था उनके लिए अप्रसन्नता एवं दुख देने वाली अवस्था है। इस अवस्था में किशोर अनेक प्राकर की समस्याओं एवं अवसादों से घिरा रहता है। इतना ही नहीं, वह स्वयं में हो रहे विभिन्न प्रकार के शारीरिक एवं हार्मोन परिवर्तनों के कारण परेशान रहता है। भला ऐसी दशा में क्या कोई किशोर सुखी एवं प्रसन्न रह सकता है। नहीं, कदापि नहीं समस्याएँ तो उलझनें पैदा करती हैं। E. B. Hurlock ने इस सन्दर्भ में लिखा भी है- " यद्यपि किशोरों के जीवन में खुशियाँ एवं हर्ष होते ही हैं, मगर उनके साथ-साथ ही कुंठा, निराशाएँ तथा दिल तोड़ने वाली स्थितियाँ भी आज की संस्कृति में दिखाई देती है।"

(13) किशोरावस्था विकसित सामाजिक सम्बन्धों की अवस्था है (Adolescence is a Period of Developed Social Relationship)—चूँकि इस अवस्था में सर्वाधिक परिवर्तन व समायोजन होता है, किशोर अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए मित्रों का सहारा लेता हैं। इस अवस्था में किशोर के मित्रों की संख्या बहुत अधिक होती है। उनकी मित्रता परस्पर सहयोग व सहानुभूति की भावना पर आधारित होती है। पारिवारिक एवं सामाजिक प्रतिबन्धों के कारण किशोर अपने दूसरे सभी सम्बन्धों के प्रति उदासीन होता जाता है।

(14) किशोरावस्था समस्या बाहुल्य की अवस्था है (Adolescence is an Age of Many Problems— किशोरावस्था में किशोरों के समक्ष, एक, दो, तीन, चार नहीं अपितु समस्याओं का ही भंडार होता है। यह कहना ज्यादा सार्थक होगा कि “किशोर स्वयं में एक समस्या है" क्योंकि उसके भीतर जिज्ञासा, आशंका, कन्फ्यूजन अनिश्चितता व उद्विग्नता, चिन्ता, आदि का सैलाब उमड़ता रहता है।

किशोरावस्था में किशोर न केवल स्वयं के लिए समस्या है, बल्कि वह माता-पिता परिवार के सदस्यों, शिक्षकों एवं समाज के लोगों के लिए भी एक बड़ी समस्या है। आज पूरा विश्व किशोरावस्था की समस्याओं पर अपनी चिन्ता प्रकट कर रहा है और उसमें निजात पाने के लिए प्रयत्नशील है। कुछ किशोर पथभ्रष्ट होकर हिंसा, बलात्कार, चोरी, डकैती, लूटपाट, आगजनी, चेन स्नैचिंग, आतंकवाद आदि गतिविधियों में लिप्त हैं। वर्तमान में जितनी भी ट्रेन डकैतियाँ व लूटपाट हो रहे हैं उनमें जो अपराधी हैं वे अधिकांशतः 15-20 वर्ष के किशोर ही हैं। इसका प्रमुख कारण उन्हें सही दिशा-निर्देश नहीं दिया जाना है। साथ ही उनकी समस्याओं को नजर अंदाज किया जाना है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- आहार आयोजन से आप क्या समझती हैं? आहार आयोजन का महत्व बताइए।
  2. प्रश्न- आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  3. प्रश्न- आहार आयोजन को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- एक खिलाड़ी के लिए एक दिन के पौष्टिक तत्वों की माँग बताइए व आहार आयोजन कीजिए।
  5. प्रश्न- एक दस वर्षीय बालक के पौष्टिक तत्वों की मांग बताइए व उसके स्कूल के लिए उपयुक्त टिफिन का आहार आयोजन कीजिए।
  6. प्रश्न- "आहार आयोजन करते हुए आहार में विभिन्नता का भी ध्यान रखना चाहिए। इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  7. प्रश्न- आहार आयोजन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- दैनिक प्रस्तावित मात्राओं के अनुसार एक किशोरी को ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
  9. प्रश्न- सन्तुलित आहार क्या है? सन्तुलित आहार आयोजित करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए?
  10. प्रश्न- आहार द्वारा कुपोषण की दशा में प्रबन्ध कैसे करेंगी?
  11. प्रश्न- वृद्धावस्था में आहार को अति संक्षेप में समझाइए।
  12. प्रश्न- आहार में मेवों का क्या महत्व है?
  13. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझती हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
  14. प्रश्न- वर्जित आहार पर टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- शैशवावस्था में पोषण पर एक निबन्ध लिखिए।
  16. प्रश्न- शिशु के लिए स्तनपान का क्या महत्व है?
  17. प्रश्न- शिशु के सम्पूरक आहार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- किन परिस्थितियों में माँ को अपना दूध बच्चे को नहीं पिलाना चाहिए?
  19. प्रश्न- फार्मूला फीडिंग आयोजन पर एक लेख लिखिए।
  20. प्रश्न- 1-5 वर्ष के बालकों के शारीरिक विकास का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- 6 से 12 वर्ष के बालकों की शारीरिक विशेषताओं का वर्णन करते हुए उनके लिए आवश्यक पौष्टिक आहार की विवेचना कीजिए।
  22. प्रश्न- विभिन्न आयु वर्गों एवं अवस्थाओं के लिए निर्धारित आहार की मात्रा की सूचियाँ बनाइए।
  23. प्रश्न- एक किशोर लड़की के लिए पोषक तत्वों की माँग बताइए।
  24. प्रश्न- एक किशोरी का एक दिन का आहार आयोजन कीजिए तथा आहार तालिका बनाइये।
  25. प्रश्न- एक सुपोषित बच्चे के लक्षण बताइए।
  26. प्रश्न- वयस्क व्यक्तियों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- वृद्धावस्था की प्रमुख पोषण सम्बन्धी आवश्यकताएँ कौन-कौन-सी हैं?
  28. प्रश्न- एक वृद्ध के लिए आहार योजना बनाते समय आप किन बातों को ध्यान में रखेंगी?
  29. प्रश्न- वृद्धों के लिए कौन से आहार सम्बन्धी परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है? वृद्धावस्था के लिए एक सन्तुलित आहार तालिका बनाइए।
  30. प्रश्न- गर्भावस्था में कौन-कौन से पौष्टिक तत्व आवश्यक होते हैं? समझाइए।
  31. प्रश्न- स्तनपान कराने वाली महिला के आहार में कौन से पौष्टिक तत्वों को विशेष रूप से सम्मिलित करना चाहिए।
  32. प्रश्न- एक गर्भवती स्त्री के लिए एक दिन का आहार आयोजन करते समय आप किन किन बातों का ध्यान रखेंगी?
  33. प्रश्न- एक धात्री स्त्री का आहार आयोजन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें बताइये।
  34. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था क्या है? इसकी विशेषतायें बताइये।
  35. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था का क्या अर्थ है? मध्यावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- शारीरिक विकास का क्या तात्पर्य है? शारीरिक विकास को प्रभावित करने वाले करकों को समझाइये।
  37. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का क्या अर्थ है? क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए एवं मध्य बाल्यावस्था में होने वाले क्रियात्मक विकास को समझाइये।
  38. प्रश्न- क्रियात्मक कौशलों के विकास का वर्णन करते हुए शारीरिक कौशलों के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक विकास के लिए किन मानदण्डों की आवश्यकता होती है? सामाजिक विकास की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समाजीकरण को परिभाषित कीजिए।
  41. प्रश्न- सामाजिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
  42. प्रश्न- बालक के सामाजिक विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- समाजीकरण से आप क्या समझती हैं? इसकी प्रक्रियाओं की व्याख्या कीजिए।
  44. प्रश्न- सामाजिक विकास से क्या तात्पर्य है? इनकी विशेषताओं का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- उत्तर बाल्यावस्था में सामाजिक विकास का क्या तात्पर्य है? उत्तर बाल्यावस्था की सामाजिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  46. प्रश्न- संवेग का क्या अर्थ है? उत्तर बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ लिखिए एवं बालकों के संवेगों का क्या महत्व है?
  48. प्रश्न- बालकों के संवेग कितने प्रकार के होते हैं? बालक तथा प्रौढों के संवेगों में अन्तर बताइये।
  49. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- बच्चों के भय के क्या कारण हैं? भय के निवारण एवं नियन्त्रण के उपाय लिखिए।
  51. प्रश्न- संज्ञान का अर्थ एवं परिभाषा लिखिए। संज्ञान के तत्व एवं संज्ञान की विभिन्न अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से क्या तात्पर्य है? इसे प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझते हैं? वाणी एवं भाषा का क्या सम्बन्ध है? मानव जीवन के लिए भाषा का क्या महत्व है?
  54. प्रश्न- भाषा- विकास की विभिन्न अवस्थाओं का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- भाषा-विकास से आप क्या समझती? भाषा-विकास पर प्रभाव डालने वाले कारक लिखिए।
  56. प्रश्न- बच्चों में पाये जाने वाले भाषा सम्बन्धी दोष तथा उन्हें दूर करने के उपाय बताइए।
  57. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? भाषा के मापदण्ड की चर्चा कीजिए।
  58. प्रश्न- भाषा से आप क्या समझती हैं? बालक के भाषा विकास के प्रमुख स्तरों की व्याख्या कीजिए।
  59. प्रश्न- भाषा के दोष के प्रकारों, कारणों एवं दूर करने के उपाय लिखिए।
  60. प्रश्न- मध्य बाल्यावस्था में भाषा विकास का वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- सामाजिक बुद्धि का आशय स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- 'सामाजीकरण की प्राथमिक प्रक्रियाएँ' पर टिप्पणी लिखिए।
  63. प्रश्न- बच्चों में भय पर टिप्पणी कीजिए।
  64. प्रश्न- बाह्य शारीरिक परिवर्तन, संवेगात्मक अवस्थाओं को समझाइए।
  65. प्रश्न- संवेगात्मक अवस्था में होने वाले परिवर्तन क्या हैं?
  66. प्रश्न- संवेगों को नियन्त्रित करने की विधियाँ बताइए।
  67. प्रश्न- क्रोध एवं ईर्ष्या में अन्तर बताइये।
  68. प्रश्न- बालकों में धनात्मक तथा ऋणात्मक संवेग पर टिप्पणी लिखिए।
  69. प्रश्न- भाषा विकास के अधिगम विकास का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- भाषा विकास के मनोभाषिक सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बालक के हकलाने के कारणों को बताएँ।
  72. प्रश्न- भाषा विकास के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- भाषा दोष पर टिप्पणी लिखिए।
  74. प्रश्न- भाषा विकास के महत्व को समझाइये।
  75. प्रश्न- वयः सन्धि का क्या अर्थ है? वयः सन्धि अवस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए - (a) वयःसन्धि में लड़के लड़कियों में यौन सम्बन्धी परिपक्वता (b) वयःसन्धि में लैंगिक क्रिया-कलाप (e) वयःसन्धि में नशीले पदार्थों का उपयोग एवं दुरूपयोग (d) वय: सन्धि में आहार सम्बन्धी आवश्यकताएँ।
  77. प्रश्न- यौन संचारित रोग किसे कहते हैं? भारत के प्रमुख यौन संचारित रोग कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- एच. आई. वी. वायरस क्या है? इससे होने वाला रोग, कारण, लक्षण एवं बचाव बताइये।
  79. प्रश्न- ड्रग और एल्कोहल एब्यूज डिसआर्डर क्या है? विस्तार से समझाइये।
  80. प्रश्न- किशोर गर्भावस्था क्या है? किशोर गर्भावस्था के कारण, लक्षण, किशोर गर्भावस्था से बचने के उपाय बताइये।
  81. प्रश्न- युवाओं में नशीले पदार्थ के सेवन की समस्या क्यों बढ़ रही है? इस आदत को कैसे रोका जा सकता है?
  82. प्रश्न- किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास, भाषा विकास एवं नैतिक विकास का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- सृजनात्मकता का क्या अर्थ है? सृजनात्मकता की परिभाषा लिखिए। किशोरावस्था में सृजनात्मक विकास कैसे होता है? समझाइये।
  84. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  85. प्रश्न- किशोरावस्था की विशेषताओं को विस्तार से समझाइये।
  86. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  87. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  88. प्रश्न- किशोरावस्था क्या है? किशोरावस्था में विकास के लक्षण स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  90. प्रश्न- प्रारम्भिक वयस्कावस्था में 'आत्म प्रेम' (Auto Emoticism ) को स्पष्ट कीजिए।
  91. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  92. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन से हैं?
  93. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  94. प्रश्न- आत्म की मुख्य विशेषताएँ लिखिए।
  95. प्रश्न- शारीरिक छवि की परिभाषा लिखिए।
  96. प्रश्न- प्राथमिक सेक्स की विशेषताएँ लिखिए।
  97. प्रश्न- किशोरावस्था के बौद्धिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- सृजनात्मकता और बुद्धि में क्या सम्बन्ध है?
  99. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कावस्था के मानसिक लक्षणों पर प्रकाश डालिये।
  101. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं?
  102. प्रश्न- प्रारंभिक वयस्कतावस्था में सामाजिक विकास की विवेचना कीजिए।
  103. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  104. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है? संक्षेप में लिखिए।
  105. प्रश्न- वृद्धावस्था में संज्ञानात्मक सामर्थ्य एवं बौद्धिक पक्ष पर प्रकाश डालिए।
  106. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये।
  107. प्रश्न- युवा प्रौढ़ावस्था शब्द को परिभाषित कीजिए। माता-पिता के रूप में युवा प्रौढ़ों के उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  110. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए।
  111. प्रश्न- उत्तर-वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।

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