बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. भारत में फ्राँसीसी राज्य स्थापित करने में डूप्ले की क्या असफलताएँ थीं?
अथवा
भारत में डूप्ले की असफलता के क्या कारण थे?
2. 'डूप्ले के व्यक्तित्व की विभिन्न विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
3. 'डूप्ले असफल होकर भी सफल था।' टिप्पणी लिखिए।
4. डूप्ले के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
5. डूप्ले के कार्यों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
उत्तर -
डूप्ले का प्रारम्भिक जीवन
फ्राँसीसी इण्डिया कम्पनी के डायरेक्टर जनरल के पुत्र के रूप में जोजेफ फ्राँसिस डूप्ले का जन्म 1697 में हुआ। व्यापार में रुचि न होने के बावजूद उसने फ्राँसीसी कम्पनी में नौकरी की और 1720 में पाण्डिचेरी में उच्च पद पर नियुक्त हुआ। वह अपनी योग्यता से उन्नति करता गया और उसने पाण्डिचेरी को एक सुन्दर तथा व्यापारिक नगर बनाने का प्रयत्न किया। उसकी सेवाओं से संतुष्ट होकर कम्पनी ने उसे चन्द्रनगर के गवर्नर के पद पर नियुक्त किया और 1742 ई० में जब ड्यूमा भारत से वापस गया तो . कम्पनी ने उसे गवर्नर का पद देकर पाण्डिचेरी भेज दिया। इस पद पर वह 1754 तक रहा।
डूप्ले की असफलताएँ
डूप्ले एक महान शासक और दूरदर्शितापूर्ण योजनाएँ बनाने व दिव्य राजनैतिक अन्तर्दृष्टि वाला जन्मजात नेता था। वह पहला यूरोपीय था जिसने भारतीय शासकों की कमजोरियों से प्रेरित होकर भारत में व्यापार करने के स्थान पर राजनैतिक शक्ति बनने की चेष्टा की। यद्यपि वह असफल रहा किन्तु इसके लिए उसकी नीतियाँ व योजना जिम्मेदार नहीं हैं, क्योंकि उन्हीं पर चलकर अंग्रेजों ने भारत में साम्राज्य स्थापित किया। उसकी असफलता ही फ्राँसीसियों की असफलता बन गई।
(i) आर्थिक व्यवस्था ठीक न रख पाना - ज्यादा अच्छी न थी और डूप्ले के राजनैतिक हस्तक्षेप व खराब हो गई। उसका व्यापार में ज्यादा विश्वास पहले फ्राँसीसी कम्पनी की आर्थिक स्थिति पहले से ही युद्धों में शामिल होने की नीति के कारण यह और से ही न था। उसने सोचा था कि दक्षिणी भारत के युद्धों में हिस्सा लेकर वह शीघ्र ही सफल होकर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सकेगा इसी वजह से उसने फ्राँसीसी सरकार को भी इस युद्ध के लिए राजी कर लिया।
(ii) फ्राँस से सहायता न मिल पाना - फ्राँस में कम्पनी के संचालकों को विश्वास में बिना लिए भारतीय नरेशों से युद्ध करने में लग जाने से वे डूप्ले को शंका की दृष्टि से देखते थे तथा इसी कारणवश उसे समय पर फ्राँस की सरकार से सहायता न मिल सकी। फ्रांसीसी सरकार पहले से ही अमेरिका के उपनिवेशों में रुचि रखती थी और जब डूप्ले ने अपनी योजना स्पष्ट नहीं की तो उसका ध्यान अमेरिका की ओर ही लगा रहा। भारत में साम्राज्य की स्थापना करने की ओर उसका ध्यान नहीं गया और जब उसे डूप्ले की योजना का थोड़ा आभास हुआ उस समय तक गोड्यू भारत में गवर्नर-जनरल का पद ग्रहण करने के लिए फ्राँस से चल चुका था।
(iii) डूप्ले का ध्यान बँटा होना डूप्ले ने कर्नाटक और हैदराबाद दोनों ही स्थानों पर एक साथ हस्तक्षेप किया जो उसकी और फ्राँसीसी कम्पनी की शक्ति की सीमा के बाहर की बात थी। यदि वह अपनी शक्ति के बारे में व्यावहारिक होता तो स्थिति और होती।
(iv) डूप्ले का व्यक्तित्व - डूप्ले को भारत में नवाब की उपाधि मिली थी और उसका रहन-सहन भी शानोशौकत वाला था। इससे उसके बारे में गलत धारणाएँ बनीं। स्वयं फ्राँस में यह विचार फैला कि सम्भवतः वह एक विलासी और अहंकारी व्यक्ति है जो अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए फ्राँसीसी कम्पनी और फ्रांस के हित को बलिदान करते हुए कम्पनी तथा फ्राँस को अनावश्यक युद्धों में फँसा रहा था। इस धारणा ने उसका अहित किया।
भारत में फ्राँसीसी साम्राज्य को स्थापित करने के लक्ष्य को लेकर जो साहस और कौशल उसने प्रदर्शित किया उससे इन फ्राँसीसियों की स्थिति इतनी दृढ़ हो गई कि अंग्रेज उससे भयभीत हो गए। जैसे- जैसे वह सफलता प्राप्त करता गया उसकी महत्वाकांक्षा बढ़ती गयी। उसके विचार दृढ़ थे, उसके लक्ष्य स्पष्ट और महान् थे तथा उसकी कूटनीति भी कम सफल नहीं थी। परन्तु अनेक ऐसे कारण थे जिनकी वजह से वह असफल रहा। यद्यपि डूप्ले असफल रहा परन्तु तब भी वह महान था जैसे -
(a) प्रशासक के रूप में - चन्द्रनगर के प्रशासक के रूप में डूप्ले ने अपनी दूरदृष्टि तथा प्रशासनिक गुणों का पर्याप्त परिचय दिया। उसने सहयोगियों को ऋण देकर, स्वयं की पूँजी लगाकर व विदेश व्यापार बढ़ाकर शीघ्र ही चन्द्रनगर को व्यापारिक मण्डी बना दिया जिसके परिणामस्वरूप डायरेक्टरों ने उसे पाण्डिचेरी का गवर्नर बना दिया। पाण्डिचेरी की किलेबन्दी उसने फ्रांस की सरकार के मना करने पर भी किया क्योंकि यह पाण्डिचेरी व कम्पनी के हित में था। मराठों व कर्नाटक के नवाबों के निरन्तर हस्तक्षेप से बचने के लिए उसने यह किया जिसके परिणामस्वरूप पाण्डिचेरी फ्राँसीसी शक्ति का केन्द्र व व्यापारिक मण्डी बन गई।
(b) कूटनीतिज्ञ के रूप में अंग्रेज-फ्रेंच सहर्ष के दो युद्ध उसने अपनी कूटनीति के बल पर अपने पक्ष में किए थे। प्रथम कर्नाटक युद्ध से डूप्ले की प्रतिष्ठा बढ़ी थी। उसकी कूटनीति काम आई तथा दूसरे युद्ध ने इसे और भी स्पष्ट कर दिया। डूप्ले का मुख्य उद्देश्य राजनैतिक प्रभाव बढ़ाना था। उसने यह स्पष्ट कर दिया कि किस प्रकार यूरोपीय लोग विरोधी भारतीय नरेशों का समर्थन कर उससे लाभ उठा सकते हैं। हैदराबाद व कर्नाटक में हस्तक्षेप ने यह सिद्ध भी किया। विंध्याचल से लेकर कृष्णा नदी तक समस्त क्षेत्र जनरल बुस्सी के अधीन आ गया था। हैदराबाद में फ्रांसीसी सेना स्थाई रूप से पहले ही थी। कृष्णा नदी के दक्षिण में कर्नाटक का नवाब डूप्ले स्वयं घोषित किया जा चुका था। इस सबके बावजूद कि वह महान् कूटनीतिज्ञ था वह व्यावहारिक न था। वह स्वयं सैनिक न था, अतः अभियानों के लिए उसे पूरी तरह अपने अधीनस्थों पर आश्रित रहना पड़ता था, जो अयोग्य थे।
(c) एक नेता के रूप में - डूप्ले में जन्मजात नेतृत्व क्षमता थी। उसके ओजस्वी व्यक्तित्व के कारण उसके अधीनस्थ लोग उसमें तथा उसके उत्तम निर्णय में पूर्ण विश्वास रखते थे। जब फ्राँसीसी सरकार का डूप्ले की वापसी का आदेश आया तो बहुत से अधीनस्थ लोगों ने त्यागपत्र देने का निश्चय कर लिया। बस्सी ने भी त्यागपत्र दे दिया था किन्तु डूप्ले ने उसे राष्ट्र सेवा करते रहने के लिए मना किया।
डूप्ले का भारतीय इतिहास में स्थान - डूप्ले भारत में आए सभी योग्य यूरोपीयों मे एक था तथा उन सभी का अग्रगामी था जो भारत में यूरोप से आए और सफल प्रशासक सिद्ध हुए। पी० ई० राबर्ट्स के अनुसार, "डूप्ले ने वर्षों तक पूर्व में फ्राँस की प्रतिष्ठा को विस्मयकारी ऊँचाइयों तक उठाया। भारतीय रजवाड़ों तथा नेताओं में ऐसी ख्याति प्राप्त की जो आज तक कभी किसी अन्य ने प्राप्त नहीं की और अपने
|
- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
- प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
- प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
- प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
- प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
- प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
- प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?