बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
अथवा
"स्थायी भूमि कर व्यवस्था" के विषय में बताइये।
अथवा
"रैयतवाड़ी कर पद्धति में बार-बार कर का बढ़ाना कृषक की स्थिति को और भी बरबाद कर गया।' कथन की समीक्षा कीजिये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. साहूकार व जमींदारों के विषय में बताइये।
2. विलियम बैंटिक की नीति से अवगत कराइये।
3. 1920-30 की आर्थिक मंदी पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
भारत में अंग्रेजों के विजय अभियान व भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना का मुख्य उद्देश्य व कारण आर्थिक था। इसका प्रभाव भी व्यापक था। अंग्रेजों ने भारत के सम्भावित आर्थिक धन का शोषण करने के लिये पूर्ण तथा कपटी मार्ग अपनाया था। निस्सन्देह, अंग्रेज सार्वजनिक विज्ञान तथा तकनीकी ज्ञान रखते थे, उन्होंने लगभग 190 वर्ष तक भारत में शासन किया। परन्तु, जब वे यहाँ से गये तो 1947 ई. में भारत आर्थिक रूप से अविकसित देश के रूप में विश्व के मानचित्र पर उभरा हुआ था, जिसमें भुखमरी, निर्धनता तथा अल्प राष्ट्रीय आय थी "और इसके लिये इंग्लैण्ड ही उत्तरदायी था।
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अन्तर्गत भारतीय कृषि से अधिकाधिक कर प्राप्त करने के उद्देश्य से भिन्न-भिन्न प्रयोग कर किसानों का जमकर शोषण किया गया। अंग्रेजों ने 'खुली नीलामी' की पद्धति अपनाकर सर्वाधिक कर देने वालों को भूमि दे दी थी, यद्यपि यह व्यवस्था असफल रही। अतः कार्नवालिस ने 1793 ई. में बंगाल, बिहार तथा उड़ीसा में 'स्थायी भूमि कर व्यवस्था' क्रियान्वित की। तत्पश्चात् बम्बई तथा मद्रास के अधिकतर क्षेत्रों में रैयतवाड़ी व्यवस्था प्रारम्भ की, यू.पी. में महलवाड़ी पद्धति प्रचलित की। जमींदारी पद्धति ने 'अनुपस्थित भूमिदारों को बढ़ावा दिया। सरकार तथा कृषक के बीच कई अन्य मध्यवर्ती लोग भी उपस्थित थे जिनसे कृषक पर बोझ बढ़ गया। रैयतवाड़ी पद्धति में भी कर अत्यधिक था और समय-समय पर उसे बढ़ा दिया जाता था जिस कारण भारतीय ग्रामों में ब्याज खाने वाले साहूकार अस्तित्व में आ गये। ग्रामीण ऋणग्रस्तता, खेती की पुरातन पद्धति, अपर्याप्त सिंचाई व्यवस्था आदि से ग्रामीण लोग अत्यधिक निर्धन हो गये। सूखा तथा अकाल सदैव अपनी छाया में रखते थे, जिससे कृषि चौपट होती, पशु अकाल मृत्यु को प्राप्त होते तथा रैयत की पीड़ा वर्णन के परे हो जाती थी। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में 24 अकाल पड़े थे, जिनमें लगभग तीन करोड़ मनुष्य काल-कवलित हो गये थे, पशुधन की क्षति कितनी भयावह रही होगी अनुमान लगाना असंभव है।
भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना से सर्वाधिक हानि उद्योगों को हुई। भारतीय वस्तुयें सर्वाधिक उत्तम मानी जाती थीं और उनकी इंग्लैण्ड, यूरोप तथा सम्पूर्ण विश्व में अधिकाधिक मांग थी। प्लासी के युद्ध (1757 ई.) के बाद अंग्रेजों ने बंगाल की मंडियों से अपने विरोधी ( फ्रांसीसी, डच, डेन, इत्यादि) भारतीय माल के क्रय करने वालों को समाप्त कर दिया और भारतीय व्यापारियों को इतना कम मूल्य देना प्रारम्भ किया कि शिल्पियों ने वस्तुओं का निर्माण करना ही बन्द कर दिया। औद्योगिक क्रान्ति के फलस्वरूप अंग्रेजी माल बहुतायत से तैयार होने लगा, जिसे अत्यन्त कम शुल्क अथवा निःशुल्क के साथ भारत में आयात किया जाने लगा, इस प्रकार भारतीय उद्योग लगभग समाप्त हो गया। इस सम्बन्ध में डब्ल्यू. डब्ल्यू. विलसन का कथन है कि- "इंग्लैण्ड ने राजनीतिक अन्याय द्वारा अपने प्रतिद्वन्द्वी, जिसका वह समता से विरोध करने में असफल था, को दबाये रखा, अन्त में उसका गला घोंट दिया।"
कार्ल मार्क्स की भी ऐसी ही टिप्पणी है- "अंग्रेजी घुसपैठिये ने भारतीय करघों को तोड़- दिया और चरखे का सर्वनाश कर दिया"। उन्होंने इंग्लैण्ड में यूरोपीय मंडियों से भारतीय सूती कपड़ा को ही समाप्त कर दिया।
गर्वनर जनरल विलियम बैंटिग ने भी स्वीकार किया कि भारतीय हस्तशिल्प का उन्नीसवीं शताब्दी में पतन हो गया। भारत का दुर्भाग्य यह रहा कि प्राचीन तो समाप्त हो रहा था और नवीन बनने नहीं दिया गया, अंग्रेज साम्राज्यवादी नीतियों के कारण औद्योगिक पुनर्जीवन भारत में सम्भव नहीं हो पाया। अंग्रेजों ने प्रयास यह किया कि भारत का अनौधीकरण कर दिया जाये। इंग्लैण्ड का हित इसी में था कि भारत को अंग्रेजी उद्योगों के लिये कृषि क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया जाए। इसी कारण अंग्रेजों ने सोच-समझकर भारतीय अर्थव्यवस्था का "ग्रामीणकरण" तथा "कृषकीकरण" कर डाला। कुछ भारतीय उद्योग जो प्रथम विश्व युद्ध के दौरान पनपे थे वे भी 1929-1930 की आर्थिक मंदी में समाप्त हो गये, क्योंकि बैंकों पर अंग्रेजों का ही नियन्त्रण था और उन्होंने भारतीय उद्योगों को असहाय छोड़ दिया।
निस्सन्देह, कपड़ा, सीमेन्ट, पटसन, चीनी, कागज, कच्चा लोहा आदि उद्योग भारत में पनप रहे थे परन्तु, इस्पात, भारी इंजीनियरिंग तथा धातु उद्योगों में कोई गति नहीं थी। इसलिये कहा जा सकता है कि भारत में इंग्लैण्ड की वास्तविक भूमिका केवल साम्राज्यवादी थी। इंग्लैण्ड का प्रमुख उद्देश्य केवल आर्थिक शोषण था और "श्वेत व्यक्ति का बोझ " तो केवल उस धन का बोझ था जो अंग्रेज भारत से बाहर ले जाते थे, यदि भारत में पश्चिमी ढंग पर कुछ लाभकारी आधुनिकीकरण हुआ भी तो अंग्रेजों का यह प्रयास रहा कि इससे लाभ का भाग भारतीयों को कम से कम प्राप्त हो। अंग्रेज साम्राज्यवादियों ने औपनिवेशिक संस्थाओं, अर्थव्यवस्था, समाज तथा विचारधारा का नवीन ढांचा स्थापित कर दिया। बड़ी जमींदारी की प्रथा, राजनीति से प्रेरित जाति प्रथा अर्थात् सैनिक व असैनिक जातियाँ, साम्प्रदायिकता, प्रदेशवाद आदि जिनको अंग्रेजों ने अपने साम्राज्य को बनाये रखने के लिये प्रोत्साहित किया था। हमारे समक्ष कठिन चुनौती के रूप में प्रस्तुत है, साथ ही विक्रत आधुनिकतता ने अनेकानेक जटिल समस्यायें प्रस्तुत कर दी है, शिक्षित बेरोजगारी भी इसी की देन है। इस प्रकार, 1947 ई. में जब अंग्रेज भारत से विदा हुये तो रक्त रंजित राजनीति नष्ट-भ्रष्ट अर्थव्यवस्था, अस्वस्थ समाज तथा नवीन उपनिवेशवाद का भय छोड़ गये। इस स्थिति का इतिहासकार विपिन चन्द्र ने विश्लेषण किया है कि अंग्रेजी राज्य के कारण उन्नीसवीं शताब्दी के अन्त तक भारत एक विशेष वर्गीय उपनिवेश बन गया था। भारतीय अर्थव्यवस्था तथा सामाजिक जीवन अंग्रेजी अर्थव्यवस्था तथा समाज के अधीन हो गया था। भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की पूँजीपति अर्थव्यवस्था से पूर्णरूपेण संलग्न कर दी गयी थी जिसमें एक विशेष प्रकार का श्रम विभाजन था। 1760 ई. के पश्चात् ही जब इंग्लैण्ड का विकास संसार के सबसे प्रमुख पूंजीपति देश के रूप में हो रहा था, भारत भी संसार का सबसे पिछड़ा हुआ उपनिवेशीय देश बनने की ओर अग्रसर हो रहा था।
190 वर्षों (1757-1947) के अंग्रेजी राज्य ने भारत में अत्यन्त निर्धनता और कृषि तथा औद्योगिक क्षेत्रों में पिछड़ापन एक रिक्थ (Heritage) के रूप में छोड़ा। 1947 ई. में अंग्रेजों ने भारत को अलविदा करते समय यहाँ विश्व की सबसे विकृत भूमि समस्या की जटिलतायें छोड़ गये, जिसमें अधिकाधिक भूमि अधिकार पट्टेदारी की अनिश्चितता, कृषि के आदिम ढंग, प्रति एकड़ कम उत्पादन, छोटी-छोटी जोतें, साहूकारों का ऋण और उपज के बेचने पर नियन्त्रण तथा कृषि में धन लगाने से भय आदि विशेष महत्वपूर्ण जटिलतायें थीं। अकाल की भयावहता मुँह बाये खड़ी थी, जो भारत एशिया का अन्न भंडार कहलाता था, अंग्रेजी शासन के प्रभाव से अब शाश्वत अकाल की स्थिति में पहुँच गया था। औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति अत्यन्त दयनीय थी, एकमुखी विकास कम उत्पादन के ढंग, श्रमिकों की दुर्दशा तथा अंग्रेजी का पूंजी पर नियन्त्रण, संकट को गहरा कर रहा था।
यह आकंलन संकेत करता है कि औपनिवेशिक भारत की अर्थव्यवस्था का मुख्य तथ्य जनसामान्य की घोर दरिद्रता ही बना रहा था। 1947 ई. में अंग्रेज जब इस देश से गये तो देश की आर्थिक दशा ऐसी थी कि देश शताब्दियों के आर्थिक शोषण और निश्चित अल्प विकास से लड़खड़ा रहा था, यह एक ऐसा देश, जिसमें प्राकृतिक साधन तो बहुत थे, परन्तु जिसमें लोग निर्धन थे। जनसामान्य की यह दरिद्रता आधुनिक भारत के जीवन की सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक प्रवृत्ति के लिये स्थायी पृष्ठभूमि बनी रहीं।
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- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
- प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
- प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
- प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
- प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
- प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
- प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?