बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर -
प्रथम अफगान युद्ध की आलोचना
(Criticism of First Afghan War)
(1) प्रथम अफगान युद्ध पूरी तरह से असफल रहा। यद्यपि बीस सहस्र प्राण न्यौछावर हुए तथा 150 लाख स्टर्लिंग का व्यय हुआ, तथापि न ब्रिटिश सरकार तथा न ही भारत सरकार को कुछ भी लाभ हुआ। दोस्त मुहम्मद को युद्ध के बाद राजगद्दी पुनः प्राप्त हो गई। ऐसा अनुभव किया गया कि उसका अन्य विकल्प कुछ भी नहीं है। भारत सरकार अफगानिस्तान के किसी भी प्रदेश पर अपना नियंत्रण नहीं रख सकी। लार्ड एलेनबरा की गर्वोक्ति यह थी कि विजेता अंग्रेज अपने साथ ग़ज़नी से सोमनाथ के वे द्वार लाये, जो 11वीं शताब्दी में ग़ज़नी का महमूद ले गया था। उसका दावा था कि- “800 वर्षों के अपमान का अन्त में बदला ले लिया गया है। केयी के अनुसार, "यह घोषणा बिल्कुल गलत थी। यह अत्यन्त विचारहीनता के ढंग की एक मूर्खता थी क्योंकि इससे किसी को प्रसन्न नहीं किया जा सका तथा बहुत से व्यक्तियों का अपमान हो गया। इसकी न तो हिन्दुओं ने कोई परवाह की, क्योंकि वे द्वार वास्तविक नहीं थे तथा भारतीय मुसलमानों की भावनाओं को इससे दुख पहुँचा।
(2) केयी के प्रथम अफगान युद्ध की असफलता पर निम्न विचार प्रकट किये हैं, "इतिहास के पृष्ठों में अन्य कोई भी असफलता इतनी पूर्ण तथा आत्यन्तिक नहीं है, जिस प्रकार यह अंकित है। संसार के इतिहास में ऐसी बड़ी तथा प्रभावशाली शिक्षा कहीं भी नहीं मिलती। यह बात तथ्यों से प्रकट है कि इस नाश वाले युद्ध पर भारतवर्ष के रहने वालों को, जिनके हम सेवक हैं, 150 लाख पौंड धनराशि का नुकसान सहन करना पड़ा। यह सारा भार भारत के राजस्व पर पड़ा तथा देश बाद में अनेक वर्षों तक इस भार से चीखता-चिल्लाता रहा। ब्रिटिश सरकार अपनी सीमाओं पर एक मित्र शक्ति के बनाए रखने में असफल रही। भारी धन खर्च हुआ तथा मानव रक्त की हानि के बाद अंग्रेजों ने अनुभव किया कि "अफगानिस्तान का प्रत्येक कस्बा तथा गाँव शत्रुओं से रोमांचित है।'
( 3 ) ट्राटर के अनुसार, "ऑकलैण्ड की नीति पूर्ण असफलता, जैसेकि वह गैर कानूनी तथा भयंकर भूलों से युक्त है, मुख्य रूप में उन सेनापतियों की भावना का परिणाम है जो उनके कार्य के लिये अयोग्य है। मैकनाटन प्रसन्नतापूर्ण विश्वास भावना, एल्फिन्स्टन का शारीरिक तथा मानसिक नाश, शैल्टन की मूर्खता की इच्छा, नागरिक तथा सैनिक शक्तियों के मध्य घातक मतभेद, सेल के द्वारा सामयिक सहायता का रोकना ये सब बातें लार्ड ऑकलैण्ड के अधूरे साधन तथा दुर्भाग्यपूर्ण समय की अल्पव्ययिता, जिसके द्वारा इस प्रकार का नाटकीय साहस पूर्ण करना चाहता था, मूर्खता तथा भूल से प्रारम्भ हुई। केयी के अनुसार, "अफगानिस्तान में अंग्रेजों की नीति गलत थी तथा हमारे राजनीतिज्ञों की बुद्धिमत्ता मूर्खता है, हमारी सेनाओं की शक्ति उनकी कमजोरी है, जो एक अपवित्र उद्देश्य के लिए भार स्वरूप है।"
(4) आलोचकों का कहना है कि लार्ड ऑकलैंड के पास नवम्बर 1838 में अफगानिस्तान में ब्रिटिश फौजें भेजने का कोई मुख्य कारण नहीं था। ब्रिटिश असहमति फारस निवासियों के द्वारा हिरात के घेरे के सम्बन्ध में रूसियों की सहायता थी। यह घेरा सितम्बर 1838 ई० में उठा लिया गया। हिरात से फारस की सेनाओं के पीछे हटने के बाद अंग्रेजों के लिए अफगानिस्तान में हस्तक्षेप के लिए कोई भी कारण नहीं था।
(5) यह भी कहा जाता है कि अफगानों के एक स्वतंत्र शासक के रूप में दोस्त मुहम्मद को पूरा अधिकार था कि वह रूस के साथ किसी प्रकार का समझौता कर लेता। ब्रिटिश सरकार को इस सम्बन्ध में विरोध करने का कोई अधिकार नहीं था। इसके साथ ही रूस के प्रतिनिधि को काबुल से ब्रिटिश सरकार के दबाव के कारण वापस बुला लिया गया। जब यह सब कुछ युद्ध के आरम्भ से पहले पूरा हो लार्ड ऑकलैण्ड को अवश्य बताना चाहिए कि उसने युद्ध का प्रारम्भ क्यों किया।
(6) एलैक्जेण्डर, बर्न्स तथा अन्य लोगों के अधिकार के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि दोस्त मुहम्मद एक कुशल शासक था। शाहशुजा का उसके सामने कोई भी मुकाबला न था। लार्ड ऑकलैण्ड की ओर से यह मूर्खतापूर्ण कार्य था कि उसने दोस्त मुहम्मद के स्थान पर शाहशुजा को काबुल की गद्दी पर बिठाने का फैसला किया।
(7) केयी के अनुसार लार्ड ऑकलैण्ड ने जो अपनी सेनाएँ अफगानिस्तान भेजीं, यह भी राजनैतिक तथा फौजी औचित्य के प्रत्येक विचार के प्रतिकूल था। ऐसे लोग भी थे जो केवल आवश्यकता को ही कारण न मानकर उच्च स्तर पर इस विषय के पक्ष का पोषण कर रहे थे, उन्होंने इसकी असफलता के निश्चय की घोषणा कर दी, क्योंकि उसके मूल अन्याय का कलंक था। यह निःसंदेह, एक प्रयोग था। जो समान रूप से भगवान तथा मनुष्य की क्षमाशीलता पर आधारित प्रयोग था। इसलिए भले ही ऊपर से सफलता दृष्टिगोचर होती हो, किन्तु अन्त में असफलता तथा अपमान की प्राप्ति निश्चित थी। ड्यूक ऑफ विर्लिंगटन, लार्ड वैल्जली सर चार्ल्स मैटकाफ तथा अन्य लोगों ने लार्ड ऑकलैंड की नीति की असफलता के सम्बन्ध में भविष्यवाणी कर दी थी। ड्यूक ऑफ विर्लिंगटन के अनुसार, "सिन्ध को पार करने का परिणाम, अफगानिस्तान में सरकार को एकबार बसाने का विचार उस देश में निरन्तर जाना होगा। इनेल के कथानुसार, "प्रथम अफगानिस्तान युद्ध सम्भवतः भारत में अंग्रेजों के सम्पूर्ण इतिहास में सबसे बड़ी और भयानक भूल थी।'
(8) डॉ. वी. ए. स्मिथ के अनुसार, "लार्ड ऑकलैंड को इतना भी ध्यान न आया कि वह सच्चाई को देश सके तथा वह बुद्धिहीन परामर्श देने वाले के परामर्श पर केवल 3 वर्ष पुरानी सन्धियों के बल पर विजय प्राप्त करने के लिए चले और मूर्खतापूर्ण नीति का अनुकरण करने के लिए ऐसी नीति को जारी रखने के लिए, जबकि उसमें किसी प्रकार के तर्क का कारण नहीं रह गये थे, दूरदर्शिता के सिद्धान्तों का उल्लंघन करने के लिए, सहस्रों जीवनों के साथ उन्हें अकुशल सेनापति के हाथ में सौंपकर खिलवाड़ करने के लिए, तथा अन्त में चुपचाप संसद की सूचना के लिए जाने वाले मूलपत्रों में बदलाव करने के लिए प्रयास करें।"
(9) यह बात उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश सरकार को इस बात का कोई अधिकार नहीं था कि वह अपनी सेनाएँ सिन्ध में से गुजारे। न केवल ब्रिटिश सेनाएँ सिन्ध में से गुजरी लेकिन उस प्रदेश को सैनिक आक्रमणों के लिए मूल स्थान बनाया गया। इसी कारण लार्ड एलेनबरा के समय में सिन्ध में अंग्रेजी राज्य में आसानी से मिलाए जाने में आसानी हो सकी।
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- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
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- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
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- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
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- प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
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