बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. संज्ञानात्मक विभिन्नता से आप क्या समझते हैं? फेस्टिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा अभिवृद्धि परिवर्तन की व्याख्या की है? विवेचना कीजिए।
2. संज्ञानात्मक तत्वों के मध्य किस प्रकार के सम्बन्ध पाये जाते हैं?
3. संज्ञानात्मक असंवादिता के गुण-दोषों का मूल्यांकन कीजिए।
उत्तर -
फेसटिंगर का संज्ञानात्मक असंवादिता सिद्धान्त
(Festinger's Cognitive Dissonance Theory)
इस सिद्धान्त का प्रतिपादन लिओन फेसटिंगर (Leon Festinger) ने अपनी पुस्तक 'ए थ्योरी ऑफ कागनिटिव डिसोनेन्स' (A Theory of Cognitive Dissonance) में सन् 1957 में किया। फेसटिंगर ने इस सिद्धान्त में उन परिस्थितियों है, का प्रतिपादन, जिसमें व्यक्ति की अभिवृत्ति एवं उसके द्वारा दिखाए गये व्यवहारों में ताल-मेल होता किया।
फेसटिंगर ने संज्ञानात्मक तत्वों के दो तरह के संबंध बताये हैं -
1. अप्रासंगिक संबंध (Irrelevent Relationship) - जब दो संज्ञानात्मक तत्वों के मध्य किसी प्रकार का अर्थपूर्ण संबंध नहीं होता है तो ऐसे सम्बन्ध को अप्रांसगिक संबंध कहते हैं। जैसे मेरे पास 20 कलमें हैं तथा मेरे पास एक स्कूटर भी है, इनके बीच कोई अर्थपूर्ण संबंध न होने के कारण इसे अप्रासंगिक संबंध कहेंगे।
2. प्रासंगिक संबंध (Relevent Relationship) - इसमें वैसा संबंध होता है जिसके संज्ञानात्मक तत्व आपस में संबंधित होते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं -
(i) संवादी संबंध (Consonant Relationship) - इस तरह के संबंध में दोनों संज्ञानात्मक तत्व बिना विरोधाभास के व्यक्ति में मौजूद रहते हैं। जैसे मैं राम को पसन्द करता हूँ तथा राम प्रतिदिन मुझसे मिलता है, इसमें संवादी सम्बन्ध है।
(ii) असंवादी संबंध (Dissonant Relationship) - इसमें दोनों संज्ञानात्मक तत्वों में असंगति होती है। जैसे मैं शराब पीता हूँ और शराब पीना स्वास्थ्य के लिये हानिकारक होता है, यह एक असंवादी संबंध का उदाहरण है।
असंवादिता का मापन (Measurement of Dissonance) - फेसटिंगर ने असंवादिता के मापन के लिये एक सूत्र का निर्माण किया है। प्रांसगिक संज्ञानात्मक तत्वों में असंवादिता की मात्रा का निर्धारण निम्नलिखित सूत्र की सहायता से कर सकते हैं।
Importance x No. of Dissonant Element
Magnitude of Dissonance = ----------------------------------------------------
Importance x No. of Consonant Element
इस सूत्र के द्वारा निम्नलिखित तथ्य प्राप्त कर सकते हैं -
1. असंवादी तत्वों की संख्या संवादी तत्वों की संख्या की अपेक्षा बढ़ने पर अंसवादिता की मात्रा अधिक होती है।
2. संवादी तत्वों की संख्या अंसवादी तत्वों की अपेक्षा बढने पर असंवादिता की मात्रा कम होती है।
3. अंसवादिता की मात्रा भिन्न-भिन्न संज्ञानात्मक तत्वों के महत्व पर निर्भर करती है।
असंवादिता को कम करना - असंवादिता की स्थिति व्यक्ति में दुखद एवं तनाव की स्थिति उत्पन्न करती है, जो व्यक्ति को यह स्थिति दूर करने के लिये प्रेरित करती है। प्रायः वह अपनी अभिवृत्ति में परिवर्तन लाकर असंवादिता को दूर करता हैं।
फेसटिंगर के अनुसार असंवादिता दूर को करने के उपाय - फेसटिंगर ने अंसवादिता को दूर करने के निम्नलिखित उपाय बताये हैं-
1. किसी एक संज्ञानात्मक तत्व में परिवर्तन करने से परिस्थिति दूसरे संज्ञानात्मक तत्व अनुकूल हो जाती है। इससे असंवादिता स्वतः ही दूर हो जाती है।
2. संज्ञानात्मक तत्वों के मध्य असंवादिता दूर करने के लिये व्यक्ति सामाजिक वातावरण के कुछ पहलुओं में परिवर्तन कर लेता है।
फेसटिंगर सिद्धान्त की प्राक्कल्पनायें - समाज मनोवैज्ञानिकों ने फेसटिंगर के सिद्धान्त के आधार पर दो प्राककल्पनाएँ निर्मित की हैं -
1. व्यक्ति को अपनी अंभिवृत्ति के विपरीत व्यवहार करने के लिये जितना अधिक दबाव • डाला जाता है उसकी अभिवृत्ति में परिवर्तन उतना ही कम होता है।
2. अगर व्यक्ति को अपनी अभिवृत्ति के विपरीत कुछ व्यवहार करने के लिये बाध्य करते हैं तो वह अपनी अभिवृत्ति में इस प्रकार का परिवर्तन लाता है जो उसके स्वयं के व्यवहार के अनुकूल होता है।
फेसटिंगर सिद्धान्त के गुण (Merits of Festinger Theory) - फेसटिंगर सिद्धान्त के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
1. इस सिद्धान्त के द्वारा भूमिका निर्वाह तथा निर्णय-निर्माण आदि परिस्थितियों में व्यक्ति में होने वाले अभिवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या सफलतापूर्वक कर सकते हैं।
2. इस सिद्धान्त के द्वारा अभिवृत्ति निर्माण की व्याख्या भी होती है।.
फेसटिंगर सिद्धान्त के दोष (Demerits of Festinger Theory) - इस सिद्धान्त के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
1. यह सिद्धान्त दबाव में अभिवृत्ति परिवर्तन की बात करता है। ऐसा परिवर्तन स्थाई नहीं
2. अभिवृत्ति परिवर्तन आत्म-मूल्यांकन के कारण है या असंवादिता के कारण, यह एक विवाद का विषय है।
3. असंवादिता को मापने के लिये कोई निश्चित इकाई सम्भव नहीं है।
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- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
- प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
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- प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
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- प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
- प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
- प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
- प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
- प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
- प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।