बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
अथवा
येअन्तर्वैयक्तिक आकर्षण से क्या तात्पर्य है? बेरोन एवं बर्न के अनुसार इसकी व्याख्या कीजि।
अथवा
अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिये।
अथवा
अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण से क्या तात्पर्य है? इसके निर्धारकों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु प्रश्न
1. अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण से आप क्या समझते हैं?
2. अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण को परिभाषित कीजिए।
3. अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण की प्रकृति।
4. अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Interpersonal Attraction) -
अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण का शाब्दिक आशय एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होना हैं। आकर्षण का अंग्रेजी रूपान्तर Attraction हैं जो लैटिन के दो शब्द 'ad' एवं 'trahere' से मिलकर बनता है। ad से तात्पर्य 'को' तथा trahere का तात्पर्य 'खींचना' होता है। इस शाब्दिक अर्थ को देखते हुये यह कहा जा सकता है कि दूसरे के प्रति खिंचाव को ही आकर्षण कहते हैं, किन्तु समाज मनोविज्ञान में आकर्षण का अर्थ पसन्दगी या नापसन्दी की मनोवृत्ति से होता है। अधिकांश सामाजिक व्यवहारों की उत्पत्ति में अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण की अहम् भूमिका होती है। इसी आकर्षण के कारण ही लोग एक-दूसरे के समीप आते हैं, मित्रता स्थापित होती है और परस्पर सहायता का व्यवहार प्रदर्शित होता है। इसके अभाव में लोगों में दूरी आशंका, घृणा एवं विकर्षण बढ़ता है। इसके बिना सामाजिक जीवन नीरस हो जाता है। इसकी अनुपस्थिति में सामाजिक संरचना विघटित हो सकती है। यह एक अनुकूल या रचनात्मक अन्तर्क्रिया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण को भिन्न-भिन्न रूप में परिभाषित किया है, जिनमें से कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्नलिखित हैं -
राथस (Rathus, 1981) के अनुसार, “समाज मनोविज्ञान में आकर्षण को पसन्दगी या नापसन्दगी की एक मनोवृत्ति के रूप में परिभाषित किया गया है।"
बेरोन तथा बर्न (Baron and Byrne, 1988 ) के अनुसार, "अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण से तात्पर्य दूसरों के प्रति हमारी मनोवृत्ति से होता है। इस तरह की मनोवृत्ति अस्वीकारात्मक- स्वीकारात्मक विमा, जो घृणा से प्रेम तक प्रसारित होती है, में सुसज्जित होती है।'
मायर्स (Myers, 1988) के अनुसार, "अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में कम से कम दो व्यक्ति सम्मिलित होते हैं, एक जो आकर्षक होता है, दूसरा जो आकर्षित होता है '
वर्सीड एवं वाल्सटर के अनुसार "अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण को किसी लक्ष्य व्यक्ति समूह के प्रति अनुकूलता की अभिवृत्ति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।"
शेबर (Shaver, 1977) के अनुसार, "किसी अन्य व्यक्ति या समूह के प्रति अनुकूलता की अभिवृत्ति के रूप में ही प्रायः अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण को परिभाषित किया जाता है '
उपरोक्त परिभाषाओं की विवेचना के आधार पर यह स्पष्ट है कि अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण किसी व्यक्ति या समूह के प्रति पसन्दगी, अनुकूल धारणा, स्नेह या प्रेम की आत्मनिष्ठ अभिवृत्ति है। दो व्यक्तियों के मध्य ऐसे सम्बन्ध को द्विकीय (Dyadic) आकर्षण तथा दो से अधिक लोगों के मध्य सम्बन्ध को त्रयक (tryadic) आकर्षण कहते हैं। अभिवृत्ति की भाँति इसमें भी संज्ञान, भाव तथा व्यवहार पक्ष पाया जाता है। परन्तु इसमें इनका स्वरूप अपेक्षाकृत कम प्रबल या सामान्य होता है।
अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण का स्वरूप
(Nature of Interpersonal Attraction)
अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण का स्वरूप निम्नलिखित है-
1. अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण एक-दूसरे के प्रति हमारी मनोवृत्ति है।
2. मनोवृत्ति अर्थात् अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण धनात्मक तथा ऋणात्मक कुछ भी हो सकता
3. अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में कम से कम दो व्यक्ति होते हैं। इसका तकनीकी नाम द्विकीय आकर्षण (Dyadic Attraction) है। जब यह तीन व्यक्तियों के बीच होता है तब इसे त्रयक आकर्षण (Tryadic Attraction) कहते हैं।
4. यह एक प्रकार का विधेयात्मक सामाजिक व्यवहार है।
5. इसे अन्य व्यक्ति के प्रति अनुकूलता की अभिवृत्ति भी कहते हैं। 6. इसमें व्यक्तियों के प्रति स्नेह एवं पसन्दगी का पता चलता है।
अन्तर्वैयक्तिक निर्धारक
(Interpersonal Determinants)
अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण के क्षेत्र में किये गये अध्ययनों के आधार पर इसके निम्नलिखित निर्धारक स्पष्ट किये गये हैं-
(A) सामान्य निर्धारक (General Determinants) - अन्तर्वैयिक्तक आकर्षण के सामान्य निर्धारक निम्नलिखित हैं-
1. शारीरिक आकर्षणता (Physical Attractiveness) - महान दार्शनिक अरस्तू का विचार है कि "व्यक्तिगत खूबसूरती अपने आप में किसी भी प्रशंसा पत्र से भी अधिक महत्वपूर्ण संस्तुति है, परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि सुन्दर व्यक्ति वास्तव में एक योग्य एवं भला व्यक्ति होगा
(i) डेटिंग (Dating) अनेक शोधकर्ताओं ने यह जानने का प्रयास किया कि क्या डेंटिग पर शारीरिक सौन्दर्य का भी प्रभाव पड़ता है। महिलाओं के सन्दर्भ में पाया गया है कि पुरुषों के साथ बाहर का कार्यक्रम बनाने में उनका सौन्दर्य भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
(ii) शारीरिक आकर्षकता की रूढ़िबद्धता (Physical Attractiveness Stereotype ) - ऐसा माना जाता है कि आकर्षक व्यक्ति में अच्छे गुण भी होंगे, इसी को शारीरिक आकर्षकता की रूढ़िबद्धता कहते हैं।
2. समानता (Similarity) समानता को निम्नलिखित तीन भागों में बाँटकर अध्ययन कर सकते हैं-
(i) मनोवृत्ति की समानता (Attitude Similarity)- सामान्यतः वे दो व्यक्ति एक- दूसरे के प्रति आसानी से आकर्षित होते हैं जिनके मनोवृत्ति में समानता होती है।
(ii) व्यक्तित्व की समानता (Personality Similarity)- व्यक्तित्व गुणों के विषय में एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि कुछ व्यक्तित्व शीलगुण सभी के लिये आकर्षक होते हैं।
(iii) व्यवहार की समानता अध्ययनों में पाया गया है कि जो व्यक्ति अपने व्यवहार में जिस व्यक्ति के समान होते हैं, वे उस व्यक्ति के प्रति आसानी से आकर्षित हो जाते हैं।
3. पारस्परिकता (Reciprocity)- बर्न (Byrne, 1971) के अनुसार, “पारस्परिकता अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण का एक प्रमुख वैयक्तिक निर्धारक है। आकर्षण के लिये यह आवश्यक है कि दोनों व्यक्ति एक दूसरे के प्रति आकर्षित हों और दोनों के मध्य स्नेह हो
4. चाटुकारिता (Ingratiation)- अध्ययनों से ज्ञात हुआ है कि चाटुकारिता के लिये लक्षित व्यक्ति स्वयं निम्नस्तरीय सम्मान वाला हो और वह चाटुकारिता के उद्देश्य को समझ नहीं पाता हो तो उसके लिये चाटुकारिता आकर्षण उत्पन्न करती हैं, परन्तु यदि चाटुकारिता के लिये लक्षित व्यक्ति उच्चस्तरीय सम्मान वाला हो और वह चाटुकारिता के उद्देश्य को समझ सकता है तो उसके लिये चाटुकारिता आकर्षण उत्पन्न नहीं करेगी।
(B) परिस्थितिजन्य निर्धारक (Situational Determinants) परिस्थितिजन्य निर्धारकों में उन कारकों को रखा जाता है जो परिस्थिति से सम्बन्धित होते हैं और उनमें लक्षित व्यक्ति के साथ अन्तः क्रिया की जाती है। ऐसे निर्धाक निम्नलिखित हैं।
1. समीपता (Proximity) - समीपता या सन्निकटता अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण का एक प्रमुख कारक है। किसी कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों, छात्रों आदि की एक-दूसरे के प्रति धनात्मक अभिरुचियाँ विकसित हो जाती हैं। कई अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि स्थानिक सन्निकटता एक ऐसा कारक है जिससे न केवल अन्तर्वैयक्तिक आकर्षकता में वृद्धि होती है बल्कि कभी-कभी इस तरह की सन्निकटता विकर्षण भी उत्पन्न करती है।
2. अन्तःक्रिया ( Interaction)- जब दो व्यक्तियों के बीच स्थानिक समानता होती है तो उन्हें अन्तःक्रिया करने का पर्याप्त अवसर मिलता है जिसका परिणाम यह होता है कि परस्पर आकर्षणता में वृद्धि होती है। अध्ययनकर्ताओं के अनुसार परस्पर अन्तः क्रिया करने से एक-दूसरे के प्रति पसन्दगी में इसलिये वृद्धि होती है क्योंकि वे लोग अपनी सीमाओं को समझकर अपने आपको एक सामाजिक इकाई में बाँध पाते हैं।
3. अनावरण (Exposure)- जैजोंक (Zajonc, 1968 ) के अनुसार, “जब व्यक्ति के सम्मुख एक उद्दीपक बार-बार आता है तो व्यक्ति की उस उद्दीपक के प्रति अनुकूल मनोवृत्ति हो जाती है। इन्होंने प्रयोग के आधार पर कहा है कि पुनरावृत्ति से आकर्षण में वृद्धि होती है।
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- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
- प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या स्कीमा स्मृति को प्रभावित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
- प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
- प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
- प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
- प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
- प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
- प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।