बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 मनोविज्ञान सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
उत्तर -
प्रतिसामाजिक व्यवहार - प्रतिसामाजिक व्यवहार एक ऐसा व्यवहार है जिनका मूल्यांकन धनात्मक रूप से किया जाता है। इस तरह के व्यवहार से दूसरों को लाभ पहुँचता है तथा व्यवहार करने वाले को किसी तरह का लाभ न पहुँचकर कुछ हानि ही होने की संभावना होती है या हो भी जाती है। ऐसे व्यवहार सामाजिक मूल्यों एवं मर्यादाओं के अनुकूल होते है। तथा सामाजिक मानकों के अनुरूप होते है। रक्तदान करना, मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति देना, गरीब लोगों को रोटी, कपड़ा एवं मकान के लिए आर्थिक सहायता देना, सूखा - बाढ़ क्षेत्रों के लिए खाद्य पदार्थ पहुँचाना, दान देना आदि प्रतिसामाजिक व्यवहार के उदाहरण है। प्रतिसामाजिक व्यवहार में व्यवहारकर्ता का स्वयं लाभ न के बराबर पहुँचकर दूसरे व्यक्तियों को लाभ अधिक पहुँचता है। प्रतिसामाजिक व्यवहार को मनोवैज्ञानिकों ने परिभाषित करते हुए कहा है -
"प्रतिसामाजिक व्यवहार को दूसरों की मदद करने सहभागिता दिखाने तथा सहयोग दिखाने के रूप में परिभाषित किया जाता है।"
"ब्राउन तथा कुक"
"प्रतिसामाजिक व्यवहार ऐसे व्यवहार को कहा जाता है जिसमें व्यवहार करने वाले को कोई स्पष्ट लाभ नहीं होता बल्कि इससे उनमें कुछ खतरा बढ़ जाता है या उन्हें कुछ बलिदान ही करना पड़ता है। ऐसे व्यवहार का आधार आचरण के नैतिक मानक होते है।
"बेरोन एवं बर्न"
अतः कह सकते है कि प्रतिसामाजिक व्यवहार में एक या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा किए गए कई तरह के कार्य होते है जिनसे एक या एक से अधिक व्यक्तियों को लाभ पहुँचता है तथा ऐसे कार्य करने वाले व्यक्तियों को भी लाभ पहुँच सकता है।
प्रतिसामाजिक व्यवहार की विशेषताएँ - प्रतिसामाजिक व्यवहार की कई श्रेणी है जिनमें से एक प्रमुख श्रेणी को सहायतापरक व्यवहार है। सहायतापरक व्यवहार से तात्पर्य वैसे व्यवहार से होता है जिसमें स्वेच्छा से व्यक्ति दूसरे व्यक्तियों को लाभ पहुँचाता है, जिससे उनकी चिन्ताएँ कम होती है तथा किसी प्रकार के संकट से दूसरों को छुटकारा दिलाते है। सहायतापरक व्यवहार की तीन विशेषताएँ होती है जो निम्नांकित है -
1. सहायतापरक व्यवहार व्यक्ति अपनी स्वेच्छा से करता है।
2. सहायतापरक व्यवहार का उद्देश्य दूसरों को लाभ पहुँचाकर उनका कल्याण करना होता है।
3. सहायतापरक व्यवहार को करते समय व्यक्ति अपनी हानि या लाभ के विचारों को महत्व नहीं देता है। सम्भव है कि ऐसे व्यवहार को करते समय व्यक्ति अपनी हानि या लाभ के विचारों को महत्व नहीं देता है। सम्भवतः ऐसे व्यवहार को करते समय व्यक्ति को आर्थिक हानि या शारीरिक दंड आदि भी मिले परन्तु वह ऐसे व्यवहार को करने से फिर भी विचलित नहीं होता हैं।
सहायतापरक व्यवहार को एक प्रकार से परोपकारी व्यवहार भी कहा जाता है। परोपकारी व्यवहार वैसे व्यवहार को कहा जाता है जो बिना किसी स्वार्थ के या बदले में मिलने वाले किसी इनाम पाने की उम्मीद या किसी बिना ही दूसरों को कल्याण या लाभ पहुँचाने के लिए किया जाता है। बिना पारिश्रमिक लिए निर्धन बच्चों को पढ़ाना, मुफ्त चिकित्सा करना, अपने धन का उपयोग गरीबों के बच्चों की शिक्षा के लिए करना, परोपकारी व्यवहार के उदाहरण है। परोपकारी व्यवहार की प्रेरणा दूसरों को लाभ पहुँचाने की इच्छा से उत्पन्न होती है। न कि अपने कल्याण की कामना से। परोपकारी व्यक्ति स्वयं हानि उठाकर दूसरों को लाभ पहुँचाता है। परोपकारी व्यवहार में अपने लाभ की कामना मौजूद नहीं होती है।
मेयर्स (1988) ने परोपकारी व्यवहार या परोपकारिता के दो प्रकार बतलाये है जोकि निम्न है -
1. परस्पर विनियम परोपकारिता - परस्पर विनियम परोपकारिता में व्यक्ति दूसरों की मदद तभी करता है जब दूसरा भी उसे मदद किया होता है।
2. शर्तरहित परोपकारिता - शर्तरहित परोपकारिता में व्यक्ति दूसरों को बिना किसी प्रकार के शर्त के ही मदद करता है। यहाँ पर वह बिना किसी बदले की उम्मीद लिए ही दूसरों की मदद करता है।
प्रतिसामाजिक व्यवहार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित है-
1. इस प्रकार का व्यवहार व्यक्ति अपनी इच्छा से करता है।
2. इस प्रकार के व्यवहार का मुख्य उद्देश्य दूसरे व्यक्ति को लाभ पहुँचाकर उनका कल्याण करना होता है।
3. कभी-कभी सहायता करने वाले व्यक्ति को हानि का सामना भी करना पड़ता है।
4. सहायता करने वाला व्यक्ति निःस्वार्थ भावना से कार्य करता है।
5. इस प्रकार का व्यवहार नैतिक मान्यताओं द्वारा प्रेरित होता है।
6. प्रतिसामाजिक व्यवहार का आशय दूसरों का कल्याण करना होता है।.
7. प्रतिसामाजिक व्यवहार व्यक्ति एवं समाज के लिए कल्याणकारी होता है।
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- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र की व्याख्या करें।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की परिभाषा दीजिए। इसके अध्ययन की दो महत्वपूर्ण विधियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि से क्या तात्पर्य है? सामाजिक परिवेश में इस विधि की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की निरीक्षण विधि का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में सर्वेक्षण विधि के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान में क्षेत्र अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकार तथा गुण दोषों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रयोगात्मक तथा अप्रयोगात्मक विधियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर- सांस्कृतिक शोध विधि क्या है? इसके गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान की आधुनिक विधियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक व्यवहार के अध्ययन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाज मनोविज्ञान के महत्व पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अर्ध-प्रयोगात्मक विधि का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्षेत्र अध्ययन विधि तथा प्रयोगशाला प्रयोग विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- समाजमिति विधि के गुण-दोष बताइये।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए उसके स्वरूप को समझाइए।
- प्रश्न- प्रभावांकन के साधन की व्याख्या कीजिए तथा यह किस प्रकार व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण में सहायक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दूसरे व्यक्तियों के बारे में हमारे मूल्यांकन पर उस व्यक्ति के व्यवहार का क्या प्रभाव पड़ता है? स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षीकरण से आप क्या समझते हैं? यह जन्मजात है या अर्जित? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चित्रीकरण करना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- अवचेतन प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रत्यक्षण पर संस्कृति का क्या प्रभाव पड़ता है?
- प्रश्न- छवि निर्माण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- आत्म प्रत्यक्षण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- व्यक्ति प्रत्यक्षण में प्रत्यक्षणकर्ता के गुणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्षपरक सुरक्षा किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक अनुभूति क्या है? सामाजिक अनुभूति का विकास कैसे होता है?
- प्रश्न- स्कीमा किसे कहते हैं? यह कितने प्रकार का होता है?
- प्रश्न- सामाजिक संज्ञानात्मक के तहत स्कीमा निर्धारण की प्रक्रिया कैसी होती है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बर्नार्ड वीनर के गुणारोपण सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- केली के सह परिवर्तन गुणारोपण सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या स्कीमा स्मृति को प्रभावित करता है? अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- क्या सामाजिक अनुभूति में सांस्कृतिक मतभेद पाए जाते हैं?
- प्रश्न- स्कीम्स (Schemes) तथा स्कीमा (Schema) में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसके घटकों को स्पष्ट करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति निर्माण की प्रक्रिया को स्पष्ट करते हुए अभिवृत्ति में परिवर्तन लाने के उपायों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति परिवर्तन में हाईडर के संतुलन सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- संज्ञानात्मक अंसवादिता से आप क्या समझते हैं? फेसटिंगर ने किस तरह से इसके द्वारा मनोवृत्ति परिवर्तन की व्याख्या की?
- प्रश्न- मनोवृत्ति की परिभाषा दीजिए। क्या इसका मापन संभव है? अभिवृत्ति मापन की किसी एक विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में लिकर्ट विधि का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति मापन में बोगार्डस विधि के महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन में शब्दार्थ विभेदक मापनी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए। अभिवृत्ति मापन की विधियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मनोवृत्ति को परिभाषित कीजिए। मनोवृत्ति के निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण क्या है? इसके स्वरूप तथा निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति के क्या कार्य हैं? लिखिए।
- प्रश्न- अभिवृत्ति और प्रेरणाओं में अन्तर समझाइये।
- प्रश्न- अभिवृत्ति मापन की कठिनाइयों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- थर्स्टन विधि तथा लिकर्ट विधि का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- उपलब्धि प्रेरक पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण में वैयक्तिक कारकों की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- “अन्तर्वैयक्तिक आकर्षण होने का एक मुख्य आधार समानता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता को स्पष्ट कीजिए एवं इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता जन्मजात होती है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा आक्रामकता सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- क्या आक्रामकता सामाजिक रूप से एक सीखा गया व्यवहार होता है? एक उपयुक्त सिद्धान्त द्वारा इसकी आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आक्रामकता के प्रमुख सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कुंठा-आक्रामकता सिद्धान्त को बताइए।
- प्रश्न- आक्रामकता को उकसाने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिए। अपने उत्तर के पक्ष में प्रयोगात्मक साक्ष्य भी दें।
- प्रश्न- मानवीय आक्रामकता के वैयक्तिक तथा सामाजिक निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजोपकारी व्यवहार का अर्थ और इसके निर्धारकों पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- प्रतिसामाजिक व्यवहार का स्वरूप तथा विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के सामाजिक व सांस्कृतिक निर्धारक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परोपकारी व्यवहार को किस प्रकार उन्नत बनाया जा सकता है?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सहायतापरक व्यवहार के निर्धारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता से क्या आशय है? अनुरूपता की प्रमुख विशेषताएँ बताते हुए इसको प्रभावित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुरूपता के सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की उपयुक्त परिभाषा दीजिये तथा इसकी प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। पूर्वाग्रह तथा विभेद में अन्तर बताइये।'
- प्रश्न- सामाजिक पूर्वाग्रहों की प्रवृत्ति की संक्षिप्त रूप में विवेचना कीजिए। इसके हानिकारक प्रभावों को किस प्रकार दूर किया जा सकता है? उदाहरण देकर अपने उत्तर की पुष्टि कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह कम करने की तकनीकें बताइए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं एवं स्रोतों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- दर्शक प्रभाव किसे कहते हैं?
- प्रश्न- पूर्वाग्रह की प्रकृति एवं इसके संघटकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के प्रमुख प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के नकारात्मक प्रभाव का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह के विकास और सम्पोषण में निहित प्रमुख संज्ञानात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पूर्वाग्रह एवं विभेदन को कम करने के लिये कुछ कार्यक्रमों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह समग्रता से आप क्या समझते हैं? समूह समग्रता को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समूह मानदंड क्या है? यह किस प्रकार से समूह के लिए कार्य करते हैं?
- प्रश्न- समूह भूमिका किस प्रकार अपने सदस्यों के लिए कार्य करती है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निवैयक्तिकता से आप क्या समझते हैं? प्रयोगात्मक अध्ययनों से निवैयक्तिकता की प्रक्रिया पर किस तरह का प्रकाश पड़ता है?
- प्रश्न- “सामाजिक सरलीकरण समूह प्रभाव का प्रमुख साधन है। व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- “निर्वैयक्तिता में व्यक्ति अपनी आत्म- अवगतता खो देता है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समूह के प्रकार बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों का उल्लेख कीजिए और इसे किस तरह से कम किया जा सकता है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आज्ञापालन (Obedience) पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह निर्णय पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- सामाजिक श्रमावनयन पर टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह की संरचना पर टिप्पणी लिखिये।