बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन
प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर -
भारत की विदेश नीति
(Foreign Policy of India)
भारत की विदेश नीति की रूपरेखा स्पष्ट करते हुए श्री जवाहर लाल नेहरू ने सितम्बर 1946 में एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा था, "वैदेशिक सम्बन्धों के क्षेत्र में भारत एक स्वतंत्र नीति का अनुसरण करेगा और गुटों की खींचातान से दूर रहते हुए संसार के समस्त पराधीन देशों को आत्म निर्णय का अधिकार प्रदान कराने तथा जातीय भेदभाव की नीति का दृढ़तापूर्वक उन्मूलन कराने का प्रयत्न करेगा। साथ ही वह दुनिया के शान्तिप्रिय राष्ट्रों के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और सद्भावना के प्रसार के लिए भी निरन्तर प्रयत्नशील रहेगा। नेहरू का यह कथन आज भी भारत की विदेश नीति का आधारस्तम्भ है। भारत की विदेश नीति की मूल बातों का समावेश हमारे संविधान के अनुच्छेद 51 में कर दिया गया है, जिसके अनुसार राज्य अंतर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा को बढ़ावा देगा, राज्य राष्ट्रों के मध्य न्याय और सम्मानपूर्वक सम्बन्धों को बनाये रखने का प्रयास करेगा, राज्य अन्तर्राष्ट्रीय कानूनों तथा सन्धियों का सम्मान करेगा तथा राज्य अंतर्राष्ट्रीय झगड़ों को पंच फैसलों द्वारा निपटाने की रीति को बढ़ावा देगा।
भारत की विदेश नीति के प्रमुख उद्देश्य
भारत की विदेश नीति के प्रमुख आदर्श एवं उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
1. अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति एवं सुरक्षा के लिए प्रत्येक सम्भव प्रयत्न करना।
2. अन्तर्राष्ट्रीय विवादों को मध्यस्थता द्वारा निपटाये जाने की नीति के प्रत्येक सम्भव तरीकों को प्रोत्साहन देना।
3. सभी राज्यों और राष्ट्रों के बीच परस्पर सम्मानपूर्ण सम्बन्ध बनाये रखना।
4. सैनिक गुटबन्दियों और सैनिक समझौतों से अपने आपको पृथक रखना तथा ऐसी गुटबन्दी को निरुत्साहित करना।
5. उपनिवेशवाद का चाहे वह किसी भी रूप में हो, उग्र विरोध करना।
6. प्रत्येक प्रकार की साम्राज्यवादी भावना को निरुत्साहित करना।
7. उन देशों की जनता की सक्रिय सहायता करना जो उपनिवेशवाद, जातिवाद और साम्राज्यवाद से पीड़ित हों।
8. हमारी विदेश नीति की प्रमुख प्राथमिकता और केन्द्र बिन्दु दक्षिण एशिया में अपने पड़ोसी देशों के साथ मैत्री और सहयोग को मजबूत करना और इस क्षेत्र में स्थायी विश्वास और समझबूझ का वातावरण तैयार करने के लिए उनके साथ काम करना हैं।
उपयुक्त उद्देश्यों से यह बात स्पष्ट होती है कि भारत की विदेश नीति में मैत्रीपूर्ण सम्बन्धों, शान्ति एवं समानता के सिद्धान्तों को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में भारत की विदेश नीति के प्रमुख निर्माता जवाहरलाल नेहरू ने भारत की विदेश नीति के तीन आधारस्तम्भ बनाये - शान्ति, मित्रता एवं समानता।
भारत की विदेश नीति की प्रमुख विशेषता
अथवा
भारतीय विदेश नीति के मूल तत्व या सिद्धान्त
यदि स्वाधीन भारत की विदेश नीति का समीक्षात्मक विश्लेषण करें तो निम्नलिखित विशेषताएँ हमारे सामने प्रकट होती हैं -
1. गुटनिरपेक्षता की नीति - विश्व राजनीति में भारतीय दृष्टिकोण मुख्यतया असंलग्नता अथवा गुटनिरपेक्षता का रहा है। इसे भारतीय विदेश नीति का सार तत्व कहा जाता है।
2. शान्ति की विदेश नीति - भारत की विदेश नीति सदैव से ही विश्व शान्ति की समर्थक रही है।
3. मैत्री और सह-अस्तित्व की नीति - भारत की विदेश नीति मैत्री और सह-अस्तित्व पर जोर देती है। भारत की यह धारणा रही है कि विश्व में परस्पर विरोधी विचारधाराओं में सह- अस्तित्व की भावना पैदा हो।
4. विदेशी गुटों के बीच सेतुबन्ध बनाने की नीति - भारत अपनी विदेश नीति द्वारा विश्व में परस्पर विरोधी गुटों के मध्य सेतुबन्ध का कार्य करता रहा है।
5. साधनों और पवित्रता की नीति - भारत की विदेश नीति अवसरवादी और अनैतिक नहीं रही है। भारत साधनों की पवित्रता में विश्वास करता है।
6. पंचशील पर जोर देने वाली नीति - भारत की विदेश नीति को 'पंचशील के सिद्धान्तों ने एक नयी दिशा दी है।
साम्राज्यवाद और प्रजातीय विभेद का विरोध।
संयुक्त राष्ट्र संघ का समर्थन करने वाली नीति।
अनेकों आलोचनाओं के बावजूद भारत की विदेश नीति की कई उपलब्धियाँ हैं जो इस प्रकार हैं-
1. दोनों ही शक्तिशाली गुटों ने भारतीय विदेश नीति की प्रशंसा की है।
2. भारत दोनों ही गुटों से सहायता करने में सफल रहा है।
3. भारत की निर्गुट नीति विश्व शान्ति के हित में है।
4. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार सम्मेलन (जेनेवा - 1994 ) - में पहली बार पाकिस्तान के विरोध में भारत ने 'स्कोर किया। ईरान एवं चीन जैसे देशों ने भारत का साथ दिया और पाकिस्तान को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।
5. भारत आर्थिक और सैन्य मामलों में एक बड़ी ताकत के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। उसे विश्व समुदाय की सहानुभूति और समर्थन मिला हुआ है।
निष्कर्ष - विश्व व्यवस्था में आये क्रान्तिकारी परिवर्तनों के फलस्वरूप भारतीय विदेश नीति में भी व्यावहारिक बदलाव आ रहा है। भारत के आणविक परीक्षणों ने अणु-शक्ति पर पाश्चात्य देशों और चीन के एकाधिकार को तोड़ दिया है। अमेरिका का समर्थन पाने के लिए भारत ने अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के साथ समझौता नहीं किया। जब कोसोवो पर अमेरिका ने नाटो को माध्यम बनाकर आक्रमण किया तो भारत ने इस आक्रमण की निन्दा की तथा यूगोस्लाविया की सम्प्रभुता का समर्थन किया।
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- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
- प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
- प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
- प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
- प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
- प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
- प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
- प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
- प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
- प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
- प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
- प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
- प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
- प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
- प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए