बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन
प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
अथवा
भारत की सुरक्षा के आन्तरिक खतरों के आयामों को समझाइये |
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. आन्तरिक सुरक्षा की समस्याओं को संक्षेप में व्यक्त कीजिये।
उत्तर -
भारत एक विशाल देश है, जिसमें विभिन्न प्रान्तों के व्यक्ति रहतें हैं। भिन्न-भिन्न जातियों, धर्मो और भाषाओं के बोलने वाले मनुष्य निवास करते हैं। ऐसी जातियाँ रहती हैं जो अपने को एक भिन्न भौगोलिक अवस्था में रहने का स्वप्न देखती हैं तथा देश के धनी व निर्धन वर्गों में काफी विषमता उत्पन्न होने से झगडे उत्पन्न होते रहते हैं। अतः में मिल मालिकों और श्रमिकों के बीच झगड़े होते हैं। ये सभी विवाद और विषमतायें सीधे रूप से भारत की आन्तरिक सुरक्षा पर प्रभाव डालती हैं।
भारत की आन्तरिक सुरक्षा का आकार बहुत बड़ा है। आमतौर पर उसके बहुआयामों की समझ और पकड़ लोगों को नहीं है। आन्तरिक सुरक्षा कानून एवं व्यवस्था को बनाये रखने पर निर्भर नहीं करती, वह प्रशासन के विभिन्न अंगों के माध्यम से विश्वसनीय सूचनायें एकत्र करने, आतंकवाद तथा भीतरघात को रोकने, और एक स्वस्थ समाज व्यवस्था पर निर्भर करती है।
किसी भी देशकाल में यदि राजनीति में किसी भी तरह सत्ता हथियाने की बुराई घर कर जाती है, यदि दलगत स्वार्थों के लिए या व्यक्तिगत लाभ के लिए कट्टरवादिता तथा क्षेत्रीयता को उकसाया जाता है, यदि प्रशासन तथा व्यवसाय के क्षेत्र में भ्रष्टाचार का घुन लग जाता है, यदि जनता को जाति या धर्म के नाम पर बाँट दिया जाता है या अमीर वर्ग ऐशोआराम में डूब जाता है, जबकि गरीब लोग अपनी गुरबत को ढो रहे होते हैं, तब राजधन एवं राजसाधनों से आन्तरिक सुरक्षा को बनाये रखना प्रायः असम्भव हो जाता है। आंतरिक सुरक्षा को जितना खतरा रुग्ण समाज और भ्रष्ट आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था से उत्पन्न होता है, उतना ही अपराधियों, आतंकवादियों और भीतरघातियों की करतूतों से होता है। भारत की वर्तमान परिस्थितियां उसी दुखद स्थिति की परिचायक हैं। अतः उन तत्वों का अध्ययन आवश्यक है जो भारत की आन्तरिक सुरक्षा को खतरा उत्पन्न कर देते हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाले तत्वों का वर्णन निम्न प्रकार से किया गया है -
1. आतंकवाद (Terrorism ) - आज भारत ही क्या विश्व के अधिकतर देश आतंकवाद की समस्या से पीड़ित हैं। आतंकवाद के कारण किसी भी देश की व्यवस्था गडबड़ा जाती है। आतंकवादियों द्वारा अपहरण, हत्या, निर्दोष जनता की हत्या, विमानों का विध्वंस जैसे घृणित कार्य किये जाते हैं। आतंकवाद राज्य एवं केन्द्र सरकारों की कानूनी व्यवस्था को ध्वस्त करने पर तुला रहता है। भिन्न-भिन्न राज्यों में आतंकवाद का स्वरूप अलग-अलग है। भारत में कश्मीर, पंजाब तथा असम आदि राज्यों में अलग-अलग प्रकार के आतंकवादी संगठन सक्रिय है जिनकी अपनी कुछ माँगें हैं। इन मांगों के पूरा न होने पर आतंकवादी आतंकी घटनायें उत्पन्न करते रहते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए राज्य तथा केन्द्र सरकार को वहाँ की जनता तथा धार्मिक नेताओं को विश्वास में लेना पड़ेगा तथा आतंकवादियों की उचित मांगों का निवारण करके ही इस समस्या का अन्त हो सकेगा।
2. क्षेत्रीयता (Regionalism) - स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व भारत जैसे अखण्ड राष्ट्र के लिये क्षेत्रीयता जैसी बात सोचना आशा से विपरीत था। क्षेत्रीयता की बीमारी तो स्वतन्त्रता प्राप्ति के कुछ वर्षों बाद ही लगी और द्रविड़ प्रदेश, पंजाबी सूबा व नागालैण्ड आदि अलग प्रदेश बनाने की मांग की गई। इन मांगों के विरोधी तत्व आज भी दक्षिणी भारत में विद्यमान हैं। बोडोलैण्ड, गोरखालैण्ड, झारखण्ड, विदर्भ एवं उत्तराखण्ड आदि की मांगों की पूर्ति के लिए जगह-जगह आन्दोलन व तोड़फोड़ से राष्ट्रीय समस्या विकराल रूप ले चुकी है। उग्र क्षेत्रीयतावाद के कारण विभिन्न क्षेत्र के मध्य तनाव व टकराव पैदा होता है। यही भावना देश के अमन चैन के लिए चुनौती है। इसके अतिरिक्त सीमान्त प्रदेशों के उस पार भारत को अनेक प्रकार के खतरे पैदा होने की भी समस्यायें हैं जिन पर ध्यान देना भारतीय सरकार का प्रयत्न होना चाहिए।
3. भाषावाद (Linguism) - भारत एक बहुभाषी देश है, जहाँ के राज्यों में अपनी भाषा बोलने को प्राथमिकता दी जाती है। भाषा और समाज एक-दूसरे के लिए अनिवार्य अंग हैं। समाज के विकास में भाषा को लेकर हमारे देश में तनाव की स्थिति उत्पन्न होती रहती है। इस बात को लेकर भारतीय सरकार उत्तर की भाषा हिन्दी को दक्षिण में और दक्षिणी भाषाओं को उत्तरी क्षेत्रों में पढाये जाने पर बल दे रही है। जिससे उत्तर व दक्षिण की विचारधाराओं को समन्वित किया जा सके। समस्या निदान हेतु हमारी सरकार ने तीन सूत्रीय फार्मूला भी अपनाने का सुझाव दिया है जिससे क्षेत्रीय भाषाओं की सुरक्षा हो सके।
4. जनजातीय विद्रोह (Tribal Insurgency) - भारत में जनजातियों की कुल आबादी लगभग 5 करोड़ 20 लाख है जोकि पूरे देश की जनसंख्या का 7.5 प्रतिशत है। राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के भील, उड़ीसा, पश्चिमी बंगाल के संथाल, आन्ध्र के गोंड तथा पूर्व उत्तर के नागा, मिजो महत्वपूर्ण जनजातियाँ हैं।
5. निर्धनता ( Poverty) - भारत जैसे विशाल देश में अधिकांश ऐसे लोग निवास करते हैं जिन्हें पेट भर भोजन भी नहीं मिलता। हालांकि गरीबी को लेकर भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में आये दिन उपद्रव होते रहते हैं। आज धनी व्यक्ति और अधिक धनवान होते जा रहे हैं, निर्धन और भी अधिक निर्धन। ऐसी अवस्था में जबकि एक व्यक्ति भूखा रह कर तड़प रहा है, भला राष्ट्र की सुरक्षा के बारे में क्या सोचेगा। गरीबी के कारण नौजवान युवक-युवतियाँ गलत बहलावों में पड़कर गलत रास्तों पर चले जाते हैं। आतंकवादी तथा देश के दुश्मन लालच देकर उनको उनके देश की सरकार के खिलाफ भड़का देते हैं, जो राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। अतः निर्धनता की समस्याओं को यदि न रोका गया तो इससे आन्तरिक सुरक्षा खतरे में पड़ जायेगी, जिससे समूचे राष्ट्र को महान क्षति होगी।
6. श्रम विवाद ( Labour Unrest) - श्रम विवाद भी एक ऐसा भयावह तत्व है जिससे राष्ट्र की सम्पत्ति व सुरक्षा का ह्रास होता है। आजकल आये दिन प्रत्येक कल-कारखानों, संस्थाओं, प्रतिष्ठानों आदि में तोड़-फोड़ एवं उग्र आन्दोलन पनप रहे हैं, जिससे औद्योगिक उत्पादन की गति मन्द होती जा रही है।
इन आन्दोलनों व हड़तालों के निम्नलिखित कुछ प्रमुख कारण हैं-
(i) समान कार्य के लिये समान वेतन न मिलना,
(ii) निर्धारित समय से अधिक कार्य करना,
(iii) जीवन निर्वाह के लिये अतिरिक्त अनुकूल सुविधायें प्राप्त न होना,
(iv) उद्योगपतियों द्वारा श्रमिकों के साथ दुर्व्यवहार का होना,
(v) समाज में उच्च वर्गों की भांति उचित स्थान न मिलना।
7. जनजातीय विद्रोह (Tribal Insurgency) - स्थानीय मनुष्यों के समूहों के किसी भी संग्रह को, जो एक सामान्य क्षेत्र में रहता हो, एक सामान्य भाषा बोलता हो और एक सामान्य संस्कृति का अनुसरण करता हो, एक जन-जाति कहते हैं। भारत में विश्व की सबसे अधिक जन- जातियां हैं। भारतीय जन जातियों की सूची में 427 जातियों के नाम है। भारत के कुछ भागों में विशेषकर पूर्वी क्षेत्र में ऐसी जातियों (tribes) का प्रादुर्भाव हुआ जिन्होंने पूर्वी क्षेत्र की ओर से एक बड़ा उपद्रव खड़ा करके भारतीय सुरक्षा को आन्तरिक खतरे पैदा करने वाली बातें पैदा कर दीं।
जन-जातीय विद्रोह का एक नमूना यह है कि 6 जून 1980 को त्रिपुरा में आदिवासियों ने बंगाली हिन्दुओं को जिस बुरी तरह से मारा-काटा वह आजादी के बाद भारत में हुई सबसे खौफनाक घटना है, जिसमें करीब 10,000 घरों को जलाकर भस्म कर दिया गया। मेघालय, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैण्ड आदि भारत के वे राज्य हैं, जहाँ विद्रोह की घटनायें होती रहती हैं। अरुणाचल प्रदेश (NEFA) की आप्तानी, डाफला, मोम्पा और नोक्टेज आदि जातियों से भी इस प्रकार के विद्रोह की सम्भावनाएं प्रबल हैं। अतः हमें बहुत हद तक सतर्क रहने की आवश्यकता है, जिससे इस प्रकार के उपद्रवों को भविष्य में नष्ट किया जा सके और भारत की आन्तरिक सुरक्षा हो सके।
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- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
- प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
- प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
- प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
- प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
- प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
- प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
- प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
- प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
- प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
- प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
- प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
- प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
- प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
- प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए