बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन
UNIT - VII
अध्याय - 10
शस्त्रीकरण : शस्त्र दौड़, शस्त्र सहायता, शस्त्र व्यापार एवं छोटे शस्त्रों का प्रसार
(Armaments: Arms Race, Arms Aid, Arms Trade and Small Arms Proliferation)
प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
अथवा
शस्त्र सहायता तथा व्यापार की कूटनीति से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
आज विश्व के समस्त औद्योगिक धन्धों में से शस्त्रों के व्यापार तथा निर्माण का कार्य भी अत्यधिक चरम सीमा पर है। शस्त्रास्त्रों का निर्माण केवल राष्ट्र की सुरक्षा के लिये नहीं वरन् राष्ट्र की आर्थिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में भी सहायता प्रदान करता है। शस्त्र सहायता और व्यापार कूटनीति युद्धों के समय नजर आती है। जब कभी किन्हीं दो राष्ट्रों के मध्य युद्ध होते हैं तो दूसरे शक्ति सम्पन्न राष्ट्र अपनी कूटनीति का परिचय देते हुए उन राष्ट्रों को सहयोग का वचन देते हैं और इसी बहाने वे हथियारों का व्यापार शुरू कर देते हैं। आज विश्व के केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, फ्रांस, रूस, चेकोस्लोवाकिया, जर्मनी, इटली तथा पोलैण्ड मिलकर सारी दुनिया के कुल हथियारों का 80% बिक्री को अपने हाथों में लिये हुए हैं। अमेरिका एवं रूस वर्तमान समय में हथियारों के व्यापार में मुख्यता सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध हैं। भारत भी समय-समय पर आवश्यकतानुसार अमेरिका एवं रूस सहित अन्य राष्ट्रों से लड़ाकू जहाज तथा शस्त्रास्त्र खरीदता रहता है। यह राष्ट्र ऐसी कूटनीति का प्रयोग करते हैं कि अधिकतर राष्ट्रों को इन राष्ट्रों से हथियार खरीदने पर मजबूर होना पड़ता है। अमेरिका सदैव भारत का हमदर्द बना रहा है और आतंकवाद के खिलाफ भी रहा है किन्तु यह जानते हुए भी कि पाकिस्तान एक आतंकवाद सक्रिय व सम्पन्न राष्ट्र है। ये जानते हुए भी अमेरिका पाकिस्तान को शस्त्रों की आपूर्ति करता रहता है। इसके पीछे अमेरिका की व्यापार की कूटनीति नजर आती है।
शस्त्र सहायता तथा व्यापार की कूटनीति के कारण - शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों के द्वारा अविकसित तथा विकासशील देशों की सहायता के बहाने शस्त्रों का व्यापार करने में निम्नलिखित कारण माने जाते हैं
(1) अमेरिका की नवीन विश्व व्यवस्था - अमेरिका बहुत ही चालाक राष्ट्र है, चूँकि वह विश्व शक्ति (World Power) है इसलिए उसने नवीन विश्व व्यवस्था के निर्माण का उपाय किया जिसके अन्तर्गत उसने तीसरी दुनिया के देशों को अस्त्र-शस्त्र सहायता लेने के लिये खुलकर आमंत्रित किया है। इस प्रकार अमेरिका विश्व बैंक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी संस्थाओं पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है। अमेरिका पश्चिम एशिया पर अपनी धौंस जमाना चाहता है। इसलिए उसने भारत को टेक्नोलॉजी देने की इच्छा रखने वाले रूस को भी धमकी दी थी। आज अमेरिका सम्पूर्ण विश्व का पूँजीवाद के मार्ग पर आर्थिक सुधारों के बहाने धकेलने का मन बना चुका है। इस प्रकार व्यापार के बहाने से विकसित एवं अविकसित और विकासशील राष्ट्र हथियारों को खरीद रहे हैं वहीं दूसरी तरफ अमेरिका अपनी इस नवीन विश्व व्यवस्था के द्वारा अपनी अस्त्र-शस्त्र तथा व्यापार कूटनीति की सफलता प्राप्त करने में सक्षम हो सका है।
(2) इस्लामी आतंकवाद का खतरा - सम्पूर्ण विश्व में इस्लाम के नाम पर आतंकवाद फैलाने वालों का भय व्याप्त है। इसी बहाने से अमेरिका ने पूरे विश्व को यह बताया है कि विश्व के किसी भी राष्ट्र पर इस्लामी कट्टरपंथी आतंकवादियों का हमला हो सकता है और वह उनके कब्जे में होंगे। इसलिए उससे अपनी रक्षा हेतु हथियारों की आवश्यकता पड़ेगी क्योंकि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ईराक, सीरिया, ईरान, फिलिस्तीन में ऐसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन मौजूद हैं जो इस्लामिक राष्ट्रों को एक होने की बात कह रहे हैं तथा इन सभी के पास घातक एवं विनाशकारी हथियार भी मौजूद हैं और इनका सामना अविकसित तथा विकासशील देश नहीं कर सकेंगे। इसीलिए, हथियारों की खरीद-फरोख्त का काम तेजी से बढ़ गया है। शस्त्र व्यापार की कूटनीति के तहत अमेरिका सहित कई राष्ट्रों ने विभिन्न सुरक्षा कारणों को आधार बना विश्वव्यापी शस्त्र व्यापार की रणनीति बना डाली है।
(3) अफगानिस्तान संकट - पर अमेरिका सोवियत संघ का पुराना शत्रु रहा है और जब उसे पता चला कि सोवियत संघ अफगानिस्तान में अपने वर्चस्व को बढ़ाते हुए अफगानिस्तान में हस्तक्षेप कर रहा है तो अमेरिका ने अफगानिस्तान के तालिबानियों को सहायता के रूप में हथियारों को बेचना आरम्भ कर दिया। प्रतिस्पर्धा में अमेरिका ने तालिबानों को औने-पौने दाम पर हथियार दे तो दिये किन्तु जब 2001 में अमेरिका पर आतंकवादी हमला हुआ तो अफगानिस्तान पर कार्यवाही के समय तालिबानी संगठन ने अमेरिका से खरीदे गये उन्हीं हथियारों को अमेरिका के खिलाफ प्रयोग करके अमेरिका को परेशान कर अफगानिस्तान छोड़ने पर मजबूर कर दिया।
(4) राष्ट्रीय हित तथा सुरक्षा का स्वार्थ - आज सम्पूर्ण विश्व के राष्ट्र अपनी सुरक्षा हितों की रक्षा की बात करते हैं क्योंकि आज के प्रतिस्पर्धा की दौड़ में राष्ट्रों के मध्य शत्रुता स्थापित हो गयी है। जैसे भारत को चीन तथा पाकिस्तान से खतरा है। इसी प्रकार, विश्व के कई राष्ट्रों को किसी न किसी से खतरा है। वर्तमान में यूक्रेन- रूस युद्ध इसका प्रमाण है। यूक्रेन को नाटो देशों से हथियार की उपलब्धता हो रही है। ऐसे ही कई कारणों से हथियारों के व्यापार में बढ़ोत्तरी हो रही है।
(5) शक्ति सन्तुलन का बहाना - विश्व शान्ति स्थापित करने के लिये कुछ राष्ट्र यह मानते हैं कि शक्ति सन्तुलन आवश्यक है और इसी की आड़ में अविकसित तथा विकासशील राष्ट्र अपनी-अपनी शक्ति में वृद्धि बढ़ाने के लिये विकसित राष्ट्रों से हथियारों की क्रय-विक्रय करते हैं और अमेरिका जैसे विकसित और शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों को अस्त्र-शस्त्र व्यापार का एक खुला हुआ तैयार मंच शक्ति सन्तुलन के रूप में मिलता है।
निष्कर्ष - निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि अस्त्र-शस्त्र व्यापार की कूटनीति विकसित राष्ट्रों के द्वारा ही निश्चित तौर पर चलाई जाती है और विभिन्न कारणों से इस शस्त्र व्यापार को बन्द भी नहीं किया जा सकता है। शस्त्र व्यापार के समाप्त न होने का सबसे प्रमुख कारण अमेरिका है जो सम्पूर्ण विश्व पर अपनी हुकूमत कायम करके सभी राष्ट्रों को अपनी इच्छानुसार काम करने पर विवश करता है, इसलिए अमेरिका कभी भी शस्त्र व्यापार बन्द हो, यह कभी नहीं चाहेगा।
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- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
- प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
- प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
- प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
- प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
- प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
- प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
- प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
- प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
- प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
- प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
- प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
- प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
- प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
- प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए