बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन
प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
वैज्ञानिक अनुसन्धानों तथा आविष्कारों के कारण वर्तमान युद्ध यंत्रीकृत और आधुनिक हो गये हैं। इसलिए आर्थिक विकास तथा प्रतिरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनने तथा रक्षातन्त्र को मजबूत करने के लिए औद्योगिक विकास की नितान्त आवश्यकता होती है। जो राष्ट्र रक्षा सम्बन्धी उपकरणों का उत्पादन पूरी मात्रा या आवश्यकतानुसार नहीं कर पाता है, उसे विदेशी दया पर निर्भर रहना पड़ता है। रक्षा के मामले में विदेशी शक्ति पर निर्भर रहना अपनी रक्षा पंक्ति को कमजोर करना है। इसीलिए सन् 1964 में प्रतिरक्षा मंत्रालय ने प्रतिरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनने तथा सैन्य क्षमती को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से एक पंचवर्षीय योजना बनाई। इसके अन्तर्गत स्थल सेना की संख्या बढ़ा कर 8,23,000 की जाने की योजना बनाई गई है। एक पर्वतीय डिवीजन खड़ा करने का कार्य किया गया ताकि सैनिक पर्वतीय जलवायु में रहने तथा लड़ने के अभ्यस्त हो सकें। सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों को बनाने का काम शुरू किया गया। रक्षा उत्पादन को तेजी से बढ़ाया गया, जिससे भारतीय सेना हथियारों तथा साज-सामान के मामले में आत्मनिर्भर बन सके। उपरोक्त कार्यों के लिए भारत में अनेक रक्षा उद्योगों की स्थापना की गई है। इन रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख निम्नलिखित है
(1) स्थल सेना सम्बन्धी रक्षा उद्योगों का विकास - स्थल सेना के लिए जरूरी सामानों के उत्पादन में कुछ विशेष प्रकार के उपकरणों को छोड़कर भारत ने लगभग आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है। हथियार, गोला-बारूद, परिवहन गाड़ियाँ, संचार के साधन, वस्त्र तथा अन्य उपकरणों का उत्पादन तेजी से हो रहा है। इस समय हमारे देश में छोटी-बड़ी लगभग 36 आर्डिनेन्स फैक्ट्रियाँ कार्य कर रही हैं। ये कारखाने निम्नलिखित हैं-
(i) मुरादनगर का एलेप्टर कारखाना।
(ii) विरकी का गोलियों और विमानों के इंजन का कारखाना।
(iii) इच्छापुर की रायफल, बन्दूक तथा छोटे उपकरणों की फैक्ट्री।
(iv) कानपुर की कार्बाइन और इन्सास की फैक्ट्री।
उपरोक्त कारखानों के अलावा देश में गोला-बारूद आदि बनाने के अन्य छोटे-मोटे कई कारखाने हैं। हैवी व्हीकल फैक्ट्री अवाड़ी में विजयंत टैंक का निर्माण होता है। इस कारखाने में टैंक के लिए 80 प्रतिशत कल-पुर्जे बनाये जाते हैं। टूण्डला में सैनिकों के लिए खाद्य सामग्री बनाने वाला कारखाना है। जबलपुर में सैनिक गाड़ियों को बनाने वाला कारखाना अधिक प्रसिद्ध है। इन उद्योगों में भारी मात्रा में बन्दूकें, अर्द्धस्वचलित राइफलें, बेनगन, हल्की मशीनगनें, कार्बाइन्स, हथगोले, 100 मिमी. की मैदानी तोपें, पर्वतीय तोप, स्वचलित माध्यमिक तोप, मोर्टार आदि का उत्पादन हमारे देश में ही किया जाता है। कुछ समय पहले तक ये चीजें विदेशों से आयात की जाती थीं।
(2) वायुसेना सम्बन्धी रक्षा उद्योगों का विकास - वायुसेना के लिए विमान तथा अन्य उपकरणों में भारत ने काफी प्रगति की है। सन् 1964 में वायुसेना सम्बन्धी उद्योगों का एकीकरण 'हिन्दुस्तान एरोनाटिक्स लि. के नाम से किया गया है। इसमें हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट लि. एयरोनॉटिक्स इण्डिया लि. तथा एयरक्राफ्ट मैन्यूफैक्चरिंग डिपो का विलय किया गया। देशभर में लगभग कई दर्जन उद्योग बैंगलूर, कानपुर, नासिक आदि स्थानों पर सार्वजनिक संस्थान के अधीन काम कर रहे हैं। इन कारखानों में मिराज, सेवरजेट, नेट, अंटर तथा अन्य अचूक निशाने वाले विमानों का निर्माण हो रहा है। इसके अतिरिक्त H.F. 24 लड़ाकू विमान, प्रशिक्षण देने वाले विमान, किरन, सुपरसोनिक विमान, मालवाही विमान, हैलीकॉप्टर आदि विमानों का निर्माण भारत में ही तीव्र गति से हो रहा है। इस क्षेत्र में तेजी से हो रही प्रगति से शीघ्र ही भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जायेगा।
(3) नौसेना सम्बन्धी उद्योगों का विकास - अंग्रेजी शासनकाल में सबसे पहले 1941 में व्यक्तिगत क्षेत्र में 'सिन्धिया स्टीम नेवीगेशन कम्पनी' की स्थापना की गई। इसके साथ ही आधुनिक भारतीय जलयान निर्माण उद्योगों का इतिहास शुरू होता है। सन् 1951 में भारत की राष्ट्रीय सरकार ने इस कम्पनी का राष्ट्रीयकरण किया। इसके बाद 1953 में इसका नाम 'हिन्दुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड' (विशाखापट्टनम) रख दिया गया।
इस उद्योग ने अब तक लगभग 60 जहाज बनाए हैं। इस कम्पनी ने 1959 में आई. एन. एस. 'दर्शक' नामक प्रथम युद्धपोत बनाकर भारतीय नौसेना को दिया। यहाँ पनडुब्बियों को बनाने का कार्य भी शुरू किया गया है। भारत की दूसरी कम्पनी 'ममगांव शिपयार्ड' हैं इसे भारतीय रक्षामंत्रालय के सहयोग से चलाया जाता है। इसमें सबसे पहले 'फ्रिगेट' प्रकार का युद्धपोत आई. एन. एस. नीलगिरी का निर्माण हुआ तथा मई 1972 में भारतीय नौसेना को सौंपा गया। भारत की तीसरी कम्पनी 'कोचीन शिपयार्ड कोचीन है। इसके साथ ही 'गोआ शिपयार्ड लि.' तथा गार्डन रीच वर्कशाप लि. आदि उद्योग भी भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रत्यनशील हैं।
इतना कुछ होने के बाद भी भारत को जलयान के क्षेत्र में बहुत आवश्यकताएँ हैं। 6100 किमी. लम्बी समुद्री सीमा की देखभाल के लिए भारत को पूर्ण रूप से आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है।
(4) परमाणु शक्ति उत्पादन का विकास - भारत ने परमाणु शक्ति के उत्पादन में काफी प्रगति की है। वर्तमान समय में भारत में कई परमाणु केन्द्र स्थापित हो चुके हैं। भारत परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्रों के साथ खड़ा है तथा विश्व में अपनी शक्ति का डंका बजा रहा है। भारत के परमाणु केन्द्रों में महाराष्ट्र के ट्राम्बे और तारापुर केन्द्र, राजस्थान का राणा प्रताप सागर केन्द्र, चेन्नई का कलाकप्पम केन्द्र विशेष उल्लेखनीय हैं। भारत अपनी परमाणु शक्ति को बिजली पैदा करने तथा शान्ति के कार्यों के लिए प्रयोग कर रहा है।
(5) सैन्य परिवहन के क्षेत्र में विकास - भारत सरकार ने सेना के परिवहन की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सबसे पहले 1958 में सैन्य परिवहन उद्योग का संचालन अपने हाथ में लिया और सार्वजनिक क्षेत्र में कारखाने खोले गए। इसमें जबलपुर की आर्डिनेन्स फैक्ट्री विशेष उल्लेखनीय है।
(6) सैनिक संचार उद्योग का विकास आधुनिक युग में गतिशील तथा विस्तृत क्षेत्र में सेना की सूचनाएँ आसानी से फैल जाती हैं। इनको ठीक रखने के लिए विकसित संचार-साधनों का होना आवश्यक है। भारत ने इस दिशा में काफी प्रगति की है। सार्वजनिक प्रतिष्ठान 'भारत इलेक्ट्रानिक्स लि.' इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रहा है। भारत में रेडियो, ट्रान्समीटर, रिसीवर, माइक्रोवेव तथा राडार आदि भी बनाए जाते हैं। इस क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर हो चुका है।
निष्कर्ष - इस प्रकार भारत सैन्य उद्योगों के क्षेत्र में काफी आत्मनिर्भर होता जा रहा है तथा भारतीय सैन्य क्षमता में यह उद्योग लगातार बढ़ावा देते जा रहे हैं। यदि भारत रक्षा उत्पादन के प्रत्येक क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो जाता है तो विदेशों से खरीदे जाने वाले सैन्य सामग्री पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा।
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- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्र राज्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्र और राज्य में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए तथा सुरक्षा के आवश्यक तत्वों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित करते हुए सुरक्षा के निर्धारक तत्वों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। राष्ट्रीय हित में सुरक्षा क्यों आवश्यक है? विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा के तत्वों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सामाजिक समरसता का क्या महत्व है?
- प्रश्न- भारत के प्रमुख असैन्य खतरे कौन से हैं?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति को उसके स्थल एवं जल सीमान्तों के सन्दर्भ में बताइये।
- प्रश्न- प्रतिरक्षा नीति तथा विदेश नीति में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा का विश्लेषणात्मक महत्व बताइये।
- प्रश्न- रक्षा नीति को प्रभावित करने वाले मुख्य तत्वों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा नीति से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- भारत की रक्षा नीति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित करते हुए शक्ति की अवधारणा का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति की रूपरेखा बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति को परिभाषित कीजिए तथा अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में इसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र-राज्य की शक्ति रचना दृश्य पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के तत्वों का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- "एक राष्ट्र के प्राकृतिक संसाधन उसकी शक्ति निर्माण के महत्वपूर्ण तत्व है।' इस कथन की व्याख्या भारत के सन्दर्भ में कीजिए।
- प्रश्न- "किसी देश की विदेश नीति उसकी आन्तरिक नीति का ही प्रसार है।' इस कथन के सन्दर्भ में भारत की विदेश नीति को समझाइये।
- प्रश्न- भारतीय विदेश नीति पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- कूटनीति का क्या अर्थ है? बताइये।
- प्रश्न- कूटनीति और विदेश नीति का सह-सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- 'शक्ति की अवधारणा' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति पर मार्गेनथाऊ के दृष्टिकोण की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के आर्थिक तत्व का सैनिक दृष्टि से क्या महत्व है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति बढ़ाने में जनता का सहयोग अति आवश्यक है। समझाइये।
- प्रश्न- विदेश नीति को परिभाषित कीजिये तथा विदेश नीति रक्षा नीति के सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शीत युद्ध के बाद के अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- संयुक्त राष्ट्र संघ (U.N.O.) पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये -(i) सुरक्षा परिषद् (Security Council), (ii) वारसा पैक्ट (Warsa Pact), (iii) उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO), (iv) दक्षिण पूर्वी एशिया संधि संगठन (SEATO), (v) केन्द्रीय संधि संगठन (CENTO), (vi) आसियान (ASEAN)
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा इनके लाभ पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- क्या संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व में शान्ति स्थापित करने में सफल हुआ है? समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- सार्क पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन के विभिन्न रूपों तथा उद्देश्यों का वर्णन करते हुए इसके सिद्धान्तों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित करते हुए उसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन की अवधारणा की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- 'क्षेत्रीय सन्धियों' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- समूह 15 ( G-15) क्या है?
- प्रश्न- स्थाई (Permanent) तटस्थता तथा सद्भावनापूर्ण (Benevalent) तटस्थता में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नाटो (NATO) क्या है?
- प्रश्न- सीटो (SEATO) के उद्देश्य क्या हैं?
- प्रश्न- सार्क (SAARC) क्या है?
- प्रश्न- दक्षेस (SAARC) की उपयोगिता को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- “सामूहिक सुरक्षा शांति स्थापित करने का प्रयास है।" स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- 'आसियान' क्या है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गुटनिरपेक्षता (Non-Alignment) तथा तटस्थता (Neutrality) में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शक्ति सन्तुलन को एक नीति के रूप में समझाइये।
- प्रश्न- सामूहिक सुरक्षा और संयुक्त राष्ट्र संघ पर एक टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण को परिभाषित कीजिये।
- प्रश्न- निःशस्त्रीकरण और आयुध नियंत्रण में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- शस्त्र नियंत्रण और निःशस्त्रीकरण में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये आन्तरिक व बाह्य खतरों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के अन्तर्गत भारत को अपने पड़ोसी राष्ट्र पाकिस्तान तथा चीन से सम्बन्धित खतरों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'चीन-पाकिस्तान धुरी एवं भारतीय सुरक्षा' पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्व एवं अर्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- गैर-सैन्य खतरों से आप क्या समझते हैं? उनसे किसी राष्ट्र को क्या खतरे हो सकते हैं?
- प्रश्न- देश की आन्तरिक सुरक्षा से आप क्या समझते हैं? वर्तमान समय में भारतीय आन्तरिक सुरक्षा के लिए मुख्य खतरों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत की आन्तरिक सुरक्षा हेतु चुनौतियाँ कौन-कौन सी है? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- खतरे की धारणा से आप क्या समझते हैं? भारत की सुरक्षा के खतरों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्र की रक्षा योजना क्या है और इसकी सफलता कैसे निर्धारित होती है?
- प्रश्न- "एक सुदृढ़ सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत के प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम पर प्रकाश डालते हुए विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की आणविक नीति का भारत की सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभाव का परीक्षण कीजिये।
- प्रश्न- चीन के प्रक्षेपात्र कार्यक्रमों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन की परमाणु क्षमता के बारे में बताइए।
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत के लिये नाभिकीय शक्ति (Nuclear Powers ) की आवश्यकता पर एक संक्षिप्त लेख लिखिये।
- प्रश्न- पाकिस्तान की परमाणु नीति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- पाकिस्तान की मिसाइल क्षमता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- क्या हथियारों की होड़ ने विश्व को अशान्त बनाया है? इसकी समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- N. P. T. पर बड़ी शक्तियों के दोहरी नीति की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध संधि (CTBT) के सैद्धान्तिक रूप की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- MTCR से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय मिसाइल रक्षा (NMD) से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- परमाणु प्रसार निषेध संधि (N. P. T.) के अर्थ को समझाइए एवं इसका मूल उद्देश्य क्या है?
- प्रश्न- FMCT क्या है? इस पर भारत के विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार तथा शस्त्र सहायता में क्या सम्बन्ध है? बड़े राष्ट्रों की भूमिका क्या है? समझाइये |
- प्रश्न- छोटे शस्त्रों के प्रसार से आप क्या समझते हैं? इनके लाभ व हानि बताइये।
- प्रश्न- शस्त्र दौड़ से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र सहायता तथा व्यापार कूटनीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शस्त्र व्यापार करने वाले मुख्य राष्ट्रों के नाम बताइये।
- प्रश्न- राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये वाह्य व आन्तरिक चुनौतियाँ क्या हैं? उनसे निपटने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- भारत की सुरक्षा चुनौती को ध्यान में रखते हुए विज्ञान एवं तकनीकी प्रगति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- भारत में अनुसंधान तथा विकास कार्य (Research and Development) पर प्रकाश डालिए तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठनों का भी उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय सैन्य क्षमता को शक्तिशाली बनाने में रक्षा उद्योगों का महत्वपूर्ण योगदान होता है।' उपरोक्त सन्दर्भ में भारत के प्रमुख रक्षा उद्योगों के विकास का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाभिकीय और अंतरिक्ष कार्यक्रम के विशेष सन्दर्भ में भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "एक स्वस्थ्य सुरक्षा के लिए व्यापक वैज्ञानिक तकनीकी एवं औद्योगिक आधार की आवश्यकता है।" विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए