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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2649
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 प्राचीन भारतीय इतिहास

अध्याय - 6

राजपूतों की उत्पत्ति

(Origin of Rajputs)

प्रश्न- राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न मतों की विवेचना कीजिए।

अथवा
प्रसिद्ध राजपूत वंशों के विषय में बताइये।

अथवा
प्रसिद्ध राजपूत वंश कौन से थे?
अथवा
राजपूतों की उत्पत्ति के भारतीय सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
अथवा
राजपूतों की उत्पत्ति से सम्बद्ध विभिन्न मतों की समीक्षा कीजिए।
अथवा
राजपूतों की उत्पत्ति के विदेशी सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
अथवा
राजपूतों की स्वदेशी उत्पत्ति के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. राजपूत कौन थे?
2. क्या राजपूत गुर्जर थे? समझाइये।
3.“राजपूत विदेशी थे। क्या आप सहमत हैं? प्रमाणित कीजिए।
4. प्रतिहार वंश को गुर्जर व विदेशी मानने के पक्ष में डॉ० भण्डारकर ने क्या तर्क दिये?
5. राजपूतों की उत्पत्ति के भारतीय सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
6. राजपूतों की स्वदेशी उत्पत्ति के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
7. राजपूतों की उत्पत्ति से सम्बद्ध विभिन्न मतों की समीक्षा कीजिए।
8. क्या राजपूत विदेशी मूल के थे?
9. राजपूतों की उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
10. क्या राजपूत विदेशी थे? समझाइए।
11. राजपूतों के उद्भव की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

राजपूतों की उत्पत्ति

भारतीय इतिहास में हर्ष की मृत्यु के उपरान्त काल को प्रायः "राजपूत काल" की संज्ञा दी जाती है। राजपूत काल सन् 650 ई. से सन् 1200 ई. तक माना जाता है। इस काल में राजपूतों ने अपने अनेक राज्य स्थापित किये। दुर्भाग्य से ये सभी राज्य निरन्तर अपने पारस्परिक युद्धों में व्यस्त रहे। इन राजपूत राज्यों में पारस्परिक ईर्ष्या इतनी अधिक थी कि वे मुसलमान आक्रमणकारियों के विरुद्ध भी एक संगठित मोर्चा बनाने में असमर्थ रहे। इसी के फलस्वरूप मुसलमानों ने इन राजपूत राज्यों को एक-एक करके पराजित कर दिया और इस प्रकार सन् 1200 ई. के लगभग 'राजपूतकालीन भारत' का पतन हो गया।

प्रसिद्ध राजपूत वंश

टाड, भण्डारकर, स्मिथ तथा क्रुक आदि विद्वान राजपूतों को अनार्य की सन्तान अथवा विदेशी स्वीकार करते हैं।

उपरोक्त मत का डॉ. ओझा और सी. वी. वैद्य ने सविस्तार खण्डन किया है। इन विद्वानों ने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया है कि राजपूत भारतीय आर्यों की ही सन्तान थे। परन्तु डॉ. भण्डारकर द्वारा प्रस्तुत तर्क अत्यन्त निर्बल और असंगत है। इन सभी का बड़ी सरलता से खण्डन किया जा सकता है। 

1. प्रमाणों के अभाव में यह स्वीकार नहीं किया जा सकता है कि गुर्जर भारत में बाहर से आये थे।
2. उसी प्रकार इस बात का कोई भी प्रमाण नहीं है कि गुर्जर खिज्र थे।
3. यह भी स्वीकार नहीं किया जा सकता कि विदेशी खिजर जाति ने कभी भी अपने देश को छोड़कर भारत पर आक्रमण किया हो।
4. गुर्जरों और खिजरों की परम्पराओं में विशाल अन्तर है। ये इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि दोनों जातियाँ भिन्न-भिन्न थीं। खिज जाति स्थायी रूप से एक स्थान पर निवास करने वाली थी जबकि गुर्जर जाति भ्रमणशील थी।
5. गुर्जरों की शरीर रचना से भी स्पष्ट होता है कि वे पूर्ण रूप से भारतीय थे।
6. जहाँ तक हैहय जाति का सम्बन्ध है, पुराणों के अनुसार वे स्पष्ट रूप से चन्द्रवंशी आर्य क्षत्रिय थे।
7. भारतीय साक्ष्यों में कहीं भी हूणों को क्षत्रिय नहीं कहा गया और 36 राजवंशों में भी हूणों का उल्लेख नहीं है।

अपने प्राक्कथन के उपरान्त डॉ. भण्डारकर ने प्रतिहारों, चालुक्यों, परमारों और चाहमानों को पृथक-पृथक रूप से गुर्जर सिद्ध करने का प्रयास किया है। अन्त में उन्होंने कहा कि क्योंकि गुर्जर विदेशी थे, अतः राजपूत वंश भी विदेशी हुआ।

1. प्रतिहार - डॉ. भण्डारकर ने प्रतिहार वंश को गुर्जर और विदेशी स्वीकार करने के लिए निम्नलिखित तर्क दिये हैं-

(i) जयपुर की प्रतिहार शाखा अपने को गुर्जर प्रतिहार कहती थी, इस आधार पर प्रतिहार गुर्जर प्रतीत होते हैं।

(ii) अरब इतिहासकारों तथा राष्ट्रकूटों ने भी प्रतिहारों को गुर्जर कहा है और इसी कारण इन्हें गुर्जर प्रतिहार कहा गया है। परन्तु दोनों ही तर्क अत्यन्त निर्बल और असंगत हैं। इनका निम्नलिखित आधारों पर खण्डन किया जा सकता है -

(i) अन्य प्रदेशों के प्रतिहारों से अपनी भिन्नता प्रमाणित करने के उद्देश्य से प्रतिहारों की जयपुर शाखा ने अपने को प्रादेशिक नाम से पुकारा है। राजपूताना का वह प्रदेश "गुर्जरत्रा" कहलाता था और इस प्रदेश में निवास करने वाले प्रतिहार अपने आपको "गुर्जर प्रतिहार" कहते थे।

(ii) अरब अपने पड़ोसी गुर्जरत्रा के प्रतिहारों को गुर्जर के नाम से पुकारते थे। यही कारण था कि वे कन्नौज के प्रतिहारों को भी इसी नाम से पुकारते थे। बिल्कुल इसी आधार पर राष्ट्रकूटों ने भी कन्नौज के प्रतिहारों को गुर्जर प्रतिहारों के नाम से पुकारा है।

इन परिस्थितियों में प्रतिहार गुर्जर जाति के सिद्ध नहीं होते।

2. चालुक्य - डॉ. भण्डारकर का विचार है कि चालुक्य भी गुर्जर थे। उन्होंने अपने मत की पुष्टि में निम्नलिखित तर्क दिये हैं-

(i) आरम्भ में गुजरात को "लाट" के नाम से पुकारा जाता था। चालुक्यों ने उस पर अधिकार करने के समय से वह 'गुजरात के नाम से पुकारा जाने लगा क्योंकि नये अधिकारी चालुक्य गुर्जर थे।

परन्तु यह तर्क नितान्त असंगत है। सर्वप्रथम तो “लाट" एक छोटे से प्रदेश का नाम था न कि सम्पूर्ण गुजरात का। लाट तो केवल दक्षिणी गुजरात का ही नाम था। इसके अतिरिक्त इस प्रदेश का नाम गुजरात इस कारण पड़ा क्योंकि इस प्रदेश की भाषा गुजराती थी। 

3. परमार - परमारों को गुर्जर प्रमाणित करने के लिए डॉ० भण्डारकर ने कोई तर्क प्रस्तुत नहीं किया है। उन्होंने उसे केवल "नैतिक दृष्टि से निश्चित " ( It is morally certain) समझकर छोड़ दिया है।

स्पष्ट है कि इस प्रकार के कथन को सहसा ही स्वीकार नहीं किया जा सकता।

4. चाहमान - डा. भण्डारकर ने चाहमानों को गुर्जर प्रमाणित करने के उद्देश्य से निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किये हैं-

(i) कुछ मुद्राओं पर "श्री वासुदेव वाहमान" उत्कीर्ण मिलता है। डॉ. भण्डारकर 'वाहमान' के स्थान पर चाहमान पढ़ते हैं ताकि वे इन मुद्राओं को चाहमान वंश के संस्थापक वासुदेव को बता सकें। पृथ्वीराज विजय के अनुसार चाहमान वंश का संस्थापक वासुदेव ही था।

राजपूतों को विदेशी प्रमाणित करने के लिए अग्निकुल के सिद्धान्त का भी सहारा लिया जाता है। इस सिद्धान्त का प्रतिपादन चन्दबरदाई की पुस्तक "पृथ्वीराजरासो" में किया गया है। इस प्रस्ताव के अनुसार जब पृथ्वी पर म्लेच्छों के अत्याचारों में अत्यधिक वृद्धि हो गई तो ऋषि वशिष्ठ ने उनका दमन करने के उद्देश्य से आबू पर्वत पर एक यज्ञ किया। इस यज्ञ के अग्निकुण्ड से चार योद्धा प्रकट हुए प्रतिहार, चालुक्य, चाहमान और परमार राजपूत इन्हीं चारों के वंशज हैं। इन्हें अग्नि वंशी कहा गया है। इस कथा के आधार पर पाश्चात्य विद्वान् इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि चारों ही वंश विदेशी थे और उन्हें अग्नि- संस्कार द्वारा शुद्ध किया गया था। परन्तु यह मत नितान्त असंगत है। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

(i) 'पृथ्वीराजरासो' अनेक प्रकार की काल्पनिक बातों से परिपूर्ण है। अतः इसके कथन को सहसा ग्रहण करने के पूर्व किसी अन्य साक्ष्य से इसकी पुष्टि आवश्यक है।
(ii) यह भी सम्भव है कि चारों वंश पहले से ही विद्यमान हों और मुनि वशिष्ठ ने उनके केवल चार योद्धाओं को ही आमन्त्रित किया हो।
(iii) शुद्धीकरण की बात का कहीं भी उल्लेख नहीं है।
अतः इन चारों वंशों को अग्निवंशी नहीं कहा जा सकता। पृथ्वीराजरासो में भी राजपूतों को केवल सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी और यदुवंशी कहा गया है।

क्या राजपूत विदेशी थे?

राजपूतों को विदेशी प्रमाणित करने के लिए छोटे-मोटे कुछ अन्य तर्क भी प्रस्तुत किये जाते हैं-

1. 'राजपूत' शब्द का प्रयोग नवीं शताब्दी के पूर्व में नहीं किया गया। अतः इनको प्राचीन आर्य क्षत्रियों की सन्तान नहीं कहा जा सकता।
2. कुछ भारतीय प्रदेशों के 'राजपूत' को क्षत्रिय राजाओं की निम्नस्तरीय स्त्रियों की सन्तान स्वीकार किया जाता है।
3. अमरकोश में राजपूत शब्द 'क्षत्रिय' का पर्यायवाची नहीं है।
4. कुछ पुराणों में यह कहा गया है कि कलियुग में केवल दो ही वर्ग 'ब्राह्मण और शूद्र' ही रहेंगे। अतः राजपूत क्षत्रिय नहीं हो सकते।
5. 'पाराशर स्मृति' के अनुसार राजपूत वंश पुरुष और अम्बष्ट कन्या की सन्तान थे। अतः वे शूद्र हुए।
6. राजपूतों की अनेक प्रचलित प्रथायें यज्ञ, मदिरापान, अश्व पूजा, शस्त्र पूजा, अन्धविश्वास, स्त्रियों का विशेष सम्मान, युद्ध, प्रेम आदि विदेशी जातियों की प्रथाएं हैं।

उपरोक्त सभी तर्क अत्यन्त निर्बल हैं और उनका अत्यन्त सरलता से खण्डन किया जा सकता है।

1. राजपूत शब्द संस्कृति भाषा के प्राचीन शब्द "राजपुत्र" का अपभ्रंश है। बात यह थी कि बौद्ध धर्म के प्रचार के परिणामस्वरूप अनेक क्षत्रिय वंशों ने अपने धर्म-कर्म का परित्याग कर दिया। अतः राजपूताना में निवास करने वाले क्षत्रियों ने अपनी शुद्धतां और पवित्रता को बनाये रखने के उद्देश्य से शेष भारत के क्षत्रियों से वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करना और खाना-पीना छोड़ दिया। ये केवल आपस में राजपूताना के क्षत्रियों से ही विवाह सम्बन्ध स्थापित करने लगे। इस प्रकार राजपूताना के क्षत्रियों की एक पृथक इकाई बन गयी। राजपुत्र होने के नाते ये अपने को राजपूत कहने लगे।

2. कभी-कभी शब्दों के स्थानीय अर्थ भी हो जाते हैं। उदाहरणार्थ, ब्राह्मण अथवा 'महाराज' शब्द का अर्थ प्रयोग कहीं-कहीं रसोइये के लिए किया जाता है। इसी प्रकार यदि कुछ प्रदेश में राजपूत शब्द का अर्थ अवैध सन्तान हो तो उसे वास्तविक अर्थ स्वीकार नहीं किया जा सकता।

3. अमरकोश इतना पूर्ण और व्यापक नहीं है कि उसमें सभी शब्दों का समावेश हो गया हो। राजपूतों की परम्पराओं में उन्हें क्षत्रिय ही कहा गया है-

1. प्रतिहार अपने को सूर्यवंशी क्षत्रिय स्वीकार करते हैं। उदाहरणार्थ ग्वालियर अभिलेख में उन्हें राम के भाई लक्ष्मण की सन्तान बताया गया है।
2. चन्देल अपने को चन्द्रमा और ब्राह्मण कन्या की सन्तान मानते हैं।
3. चालुक्यों की उत्पत्ति 'हारीति' के कमण्डल से बताई जाती है। ह्यानच्वांग के अनुसार चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय भी क्षत्रिय था।
4. 'हम्मीर महाकाव्य में चाहमान वंश को सूर्य पुत्र बताया गया है।

इसके अतिरिक्त राजपूत अपनी शरीर रचना से भी आर्य ही प्रतीत होते हैं। अपनी मातृभूमि की रक्षा और प्रतिष्ठा के लिए सभी कुछ बलिदान करनें की उनकी भावना से भी यही संकेत मिलता है कि वे इसी देश के प्राचीन आर्यों की सन्तान थे।

इस प्रकार साहित्यिक साक्ष्यों, अभिलेखों, जनश्रुतियों एवं विदेशी विवरणों आदि की समीक्षा करने से राजपूत भारतीय आर्य क्षत्रियों की ही सन्तान सिद्ध होते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- सन 1909 ई. अधिनियम पारित होने के कारण बताइये।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, (1909 ई.) के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- पुरातत्व विज्ञान की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  6. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1909 ई. के मुख्य दोषों पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  8. प्रश्न- 1935 के भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  9. प्रश्न- शिलालेख, पुरातन के अध्ययन में किस प्रकार सहायक होते हैं?
  10. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1935 ई. का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  11. प्रश्न- न्यूमिजमाटिक्स की उपयोगिता को बताइए।
  12. प्रश्न- 'भारत के प्रजातन्त्रीकरण में 1935 ई. के अधिनियम ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  13. प्रश्न- पुरातत्व स्मारक के महत्वपूर्ण कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- भारत सरकार अधिनियम, 1919 ई. के प्रमुख प्रावधानों पर प्रकाश डालिए।
  15. प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय उत्तर भारत की राजनीतिक दशा का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सन् 1995 ई. के अधिनियम के अन्तर्गत गर्वनरों की स्थिति व अधिकारों का परीक्षण कीजिए।
  17. प्रश्न- हर्षवर्द्धन के इतिहास को समझने में ह्वेनसांग के विवरण हमारी कहाँ तक सहायता करते हैं?
  18. प्रश्न- माण्टेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार (1919 ई.) के प्रमुख गुणों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- हर्ष की प्रारम्भिक परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियाँ बताइए।
  20. प्रश्न- लोकतंत्र के आयाम से आप क्या समझते हैं? लोकतंत्र के सामाजिक आयामों पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- हर्ष के पश्चात् कन्नौज की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- लोकतंत्र के राजनीतिक आयामों का वर्णन कीजिये।
  23. प्रश्न- सिन्ध पर अरब आक्रमण के प्रभाव की समीक्षा कीजिए।
  24. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले कारकों पर प्रकाश डालिये।
  25. प्रश्न- कश्मीर के राजनैतिक इतिहास में भाग लेने वाले वंशों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को आकार देने वाले संवैधानिक कारकों पर प्रकाश डालिये।
  27. प्रश्न- कश्मीर के शासक ललितादित्य मुक्तापीड के शासनकाल व राजनैतिक सफलताओं के विषय में बताइए।
  28. प्रश्न- संघवाद (Federalism) से आप क्या समझते हैं? क्या भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है? यदि हाँ तो उसके लक्षण क्या-क्या हैं?
  29. प्रश्न- कश्मीर के हिन्दू राज्य का इतिहास हमें किस ग्रन्थ से प्राप्त होता है?
  30. प्रश्न- भारतीय संविधान संघीय व्यवस्था स्थापित करता है। संक्षेप में बताएँ।
  31. प्रश्न- ललितादित्य व यशोवर्मन के मध्य हुए पारस्परिक संर्घष के विषय में बताइए।
  32. प्रश्न- संघवाद से आप क्या समझते हैं? संघवाद की पूर्व शर्तें क्या हैं? भारत के सन्दर्भ में संघवाद की उभरती हुई प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।
  33. प्रश्न- कन्नौज के शासक यशोवर्मन के प्रारम्भिक जीवन एवं राजनीतिक सफलता के विषय में बताइए |
  34. प्रश्न- भारत के संघवाद को कठोर ढाँचे में नही ढाला गया है" व्याख्या कीजिए।
  35. प्रश्न- यशोवर्मन की मृत्यु के पश्चात् कन्नौज पर अधिकार करने के लिये किन शक्तियों में त्रिकोणात्मक संर्घष प्रारम्भ हुआ? स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- राज्यों द्वारा स्वयत्तता (Autonomy) की माँग से आप क्या समझते हैं?
  37. प्रश्न- कन्नौज का यशोवर्मन किस वंश का था? बताइए।
  38. प्रश्न- क्या भारत को एक सच्चा संघ (True Federation) कहा जा सकता है?
  39. प्रश्न- यशोवर्मन के शासनकाल के विषय में बताते हुए उसके दरबार के विद्वानों तथा उत्तराधिकारियों के नाम बताइए।
  40. प्रश्न- संघीय व्यवस्था में केन्द्र शक्तिशाली है क्यों?
  41. प्रश्न- त्रि-शक्ति संघर्ष के विषय में लिखिए।
  42. प्रश्न- क्या भारतीय संघीय व्यवस्था में गठबन्धन की सरकारें अपरिहार्य हैं? चर्चा कीजिए।
  43. प्रश्न- सिंध राजवंश के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
  44. प्रश्न- क्या क्षेत्रीय राजनीतिक दल भारतीय संघीय व्यवस्था के लिए संकट है? चर्चा कीजिए।
  45. प्रश्न- सिंध पर अरबों की सफलता के क्या कारण थे?
  46. प्रश्न- केन्द्रीय सरकार के गठन में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  47. प्रश्न- "चचनामा" के विषय में संक्षिप्त रूप से बताइये।
  48. प्रश्न- भारत में गठबन्धन सरकार की राजनीति क्या है? गठबन्धन धर्म से क्या तात्पर्य है?
  49. प्रश्न- दाहिर व मोहम्मद बिन कासिम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  50. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  51. प्रश्न- सिन्ध के इतिहास को संक्षिप्त रूप से अवगत कराइये।
  52. प्रश्न- राजनीतिक दलों का वर्गीकरण करें। दलीय पद्धति कितने प्रकार की होती है? गुण-दोषों के आधार पर विवेचना कीजिए।
  53. प्रश्न- अरोड़ की लड़ाई पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  54. प्रश्न- दलीय पद्धति के लाभ व हानियाँ क्या हैं?
  55. प्रश्न- राजपूतों की उत्पत्ति के सम्बन्ध में विभिन्न मतों की विवेचना कीजिए।
  56. प्रश्न- भारतीय दलीय व्यवस्था में पिछले 60 वर्षों में आए परिवर्तनों के कारणों की चर्चा कीजिए।
  57. प्रश्न- राजपूतकालीन सामाजिक संरचना का वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- आर्थिक उदारवाद के इस युग में भारत में गठबंधन की राजनीति के भविष्य की आलोचनात्मक चर्चा कीजिए।
  59. प्रश्न- राजपूतों की अग्निकुण्ड से उत्पत्ति के विषय में बताइए।
  60. प्रश्न- दलीय प्रणाली (Party System) में क्या दोष पाये जाते हैं?
  61. प्रश्न- अलबरूनी के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  63. प्रश्न- राजपूतों के स्थानीय प्रशासन पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय दलों के उदय एवं विकास के लिए उत्तरदायी तत्व कौन से हैं?
  65. प्रश्न- राजपूत काल में साहित्य की प्रगति की समीक्षा कीजिए।
  66. प्रश्न- 'गठबन्धन धर्म' से क्या तात्पर्य है? क्या यह नियमों एवं सिद्धान्तों के साथ समझौता है?
  67. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों को स्पष्ट कीजिए।
  68. प्रश्न- क्षेत्रीय दलों के अवगुण, टिप्पणी कीजिए।
  69. प्रश्न- नागभट्ट प्रथम कौन था? प्रतिहार वंश के राजनैतिक इतिहास में उसकी उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है? सामुदायिक विकास कार्यक्रम का क्या उद्देश्य है?
  71. प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक वत्सराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उनकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
  72. प्रश्न- 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  73. प्रश्न- नागभट्ट द्वितीय के विषय में बताते हुए उसकी राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
  74. प्रश्न- पंचायती राज से आप क्या समझते हैं? ग्रामीण पुननिर्माण में पंचायतों के कार्यों एवं महत्व को बताइये।
  75. प्रश्न- "प्रतिहार वंश के शासकों में मिहिरभोज सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था।' स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- भारतीय ग्राम पंचायतों के दोषों की विवेचना कीजिए।
  77. प्रश्न- प्रतिहार वंश के शासक महेन्द्रपाल प्रथम के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का भी उल्लेख कीजिए।
  78. प्रश्न- ग्राम पंचायतों का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  79. प्रश्न- प्रतिहार शासक महिपाल प्रथम के व्यक्तित्व एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत के संगठन तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- गुर्जर प्रतिहारों की शासन व्यवस्था का वर्णन कीजिए।
  82. प्रश्न- जिला पंचायत का संगठन तथा ग्रामीण समाज में इसकी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- प्रतिहारकालीन सामाजिक और धार्मिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- भारत में स्थानीय शासन के सम्बन्ध में 'पंचायत राज' के सिद्धान्त व व्यवहार की आलोचना कीजिए।
  85. प्रश्न- नागभट्ट प्रथम की उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- नगरपालिका क्या है? तथा नगरपालिका के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- प्रतिहार वंश के पतन पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- नगरीय स्वायत्त शासन की विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- गुर्जर शासन का महत्व बताइए।
  90. प्रश्न- ग्राम सभा के प्रमुख कार्य बताइये।
  91. प्रश्न- प्रतिहार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  92. प्रश्न- ग्राम पंचायत की आय के प्रमुख साधन बताइये।
  93. प्रश्न- मिहिरभोज के आधिपत्य का विस्तार बताइए।
  94. प्रश्न- पंचायती व्यवस्था के चार उद्देश्य बताइये।
  95. प्रश्न- राजशेखर के ग्रन्थ के विषय में बताइए।
  96. प्रश्न- ग्राम पंचायत के चार अधिकार बताइये।
  97. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के क्या कारण थे? इसमें शामिल प्रमुख शक्तियों का उल्लेख कीजिए।
  98. प्रश्न- न्याय पंचायत का गठन किस प्रकार किया जाता है?
  99. प्रश्न- सोलंकी वंश की विस्तृत व्याख्या कीजिये।
  100. प्रश्न- ग्राम पंचायत से आप क्या समझते तथा ग्राम सभा तथा ग्राम पंचायत में क्या अन्तर है?
  101. प्रश्न- सोलंकी वंश के प्रमुख शासकों से अवगत कराइये।
  102. प्रश्न- ग्राम पंचायत की उन्नति के लिए सुझाव दीजिए।
  103. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष के परिणाम पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- ग्रामीण समुदाय पर पंचायत के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में राष्ट्रकूटों की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
  106. प्रश्न- भारत में पंचायत राज संस्थाएँ बताइये।
  107. प्रश्न- त्रिकोणात्मक संघर्ष में पालों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- क्षेत्र पंचायत का ग्रामीण समाज में क्या महत्व है?
  109. प्रश्न- सोलंकी वंश के इतिहास को जानने के साधनों से अवगत कराइये।
  110. प्रश्न- ग्राम पंचायत के महत्व को बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा क्या प्रयास किये गये हैं?
  111. प्रश्न- सोलंकी वंश के राजनैतिक इतिहास के विषय में बताइये।
  112. प्रश्न- नगर निगम के संगठनात्मक संरचना का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- परमार वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए। इस वंश की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  114. प्रश्न- नगर निगम के भूमिका एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  115. प्रश्न- परमार शासक मुंज के विषय में बताइए। उसके शासन काल की राजनैतिक उपलब्धियों की चर्चा कीजिए।
  116. प्रश्न- नगरीय स्वशासन संस्थाओं की समस्याओं का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- परमार नरेश भोज का परिचय दीजिए। भारतीय इतिहास में उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  118. प्रश्न- नगरीय निकायों की संरचना पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- परमार वंश का प्रसिद्ध शासक आप किसे मानते हैं?
  120. प्रश्न- नगर पंचायत पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- परमारों की कला पर प्रकाश डालिए।
  122. प्रश्न- दबाव व हित समूह में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  123. प्रश्न- परमार शासन व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं?
  124. प्रश्न- दबाव समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूहों के क्या लक्षण हैं? दबाव समूहों द्वारा अपनाई जाने वाली कार्यप्रणाली के विषय में बतायें।
  125. प्रश्न- परमार वंश के पतन का वर्णन कीजिए।
  126. प्रश्न- दबाव समूह अपने हित पूरा करने के लिए किस प्रकार कार्य करते हैं?
  127. प्रश्न- नवसाहसांकचरित में वर्णित परमारों के इतिहास के विषय में बताइए।
  128. प्रश्न- दबाव समूहों के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  129. प्रश्न- भोज के उत्तराधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- भारत के प्रमुख राजनीतिक दलों के विषय में संक्षिप्त जानकारी दीजिए।
  131. प्रश्न- किन साधनों से बंगाल के पाल वंश के विषय में जानकारी प्राप्त होती है? इसकी उत्पत्ति के विषय में बताइए।
  132. प्रश्न- दबाव समूह किसे कहते हैं? दबाव समूह के कार्यों को लिखिए। भारत की राजनीति में दबाव समूहों की भूमिका की चर्चा कीजिए।
  133. प्रश्न- पाल नरेश धर्मपाल के विषय में बताते हुए उसकी उपलब्धियों को स्पष्ट कीजिए।
  134. प्रश्न- मतदान व्यवहार क्या है? मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए।
  135. प्रश्न- पाल नरेश देवपाल के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  136. प्रश्न- दबाव समूह व राजनीतिक दलों में क्या-क्या अन्तर है?
  137. प्रश्न- भारतीय इतिहास में पाल वंश के योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
  138. प्रश्न- दबाव समूहों के दोषों का वर्णन करें।
  139. प्रश्न- पालकालीन कला एवं स्थापत्य पर प्रकाश डालिए।
  140. प्रश्न- भारत में श्रमिक संघों की विशेषताएँ। टिप्पणी कीजिए।
  141. प्रश्न- धर्मपाल की पराजय के विषय में बताइए।
  142. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- पालों की राजनैतिक सत्ता का चर्मोत्कर्ष बताइए।
  144. प्रश्न- भारत में निर्वाचन पद्धति के दोषों को दूर करने के सुझाव दीजिए।
  145. प्रश्न- हिन्दू शाही के पराक्रमी राजा "भीमदेव के विषय में विस्तृत रूप से बताइये।
  146. प्रश्न- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1996 के अंतर्गत चुनाव सुधार के संदर्भ में किये गये प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  147. प्रश्न- हिन्दू शाही को विस्तृत रूप से बताइये।
  148. प्रश्न- क्या निर्वाचन आयोग एक निष्पक्ष एवं स्वतन्त्र संस्था है? स्पष्ट कीजिए।
  149. प्रश्न- हिन्दू शाही वंश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  150. प्रश्न- चुनाव सुधारों में बाधाओं पर टिप्पणी कीजिए।
  151. प्रश्न- त्रिलोचनपाल एवं भीमपाल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  152. प्रश्न- मतदान व्यवहार को प्रभावित करने वाले तत्व बताइये।
  153. प्रश्न- महमूद गजनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  154. प्रश्न- चुनाव सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  155. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमण के समय उत्तर की राजनीतिक स्थिति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  156. प्रश्न- अलगाव से आप क्या समझते हैं? अलगाववाद के कारण क्या हैं?
  157. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारतीय आक्रमणों का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- भारतीय राजनीति में धर्म की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  159. प्रश्न- चन्देल वंश के इतिहास के साधनों का वर्णन करते हुए इस वंश की उत्पत्ति के सम्बन्ध में बताइए।
  160. प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक पक्ष को स्पष्ट कीजिए।
  161. प्रश्न- चन्देल नरेश यशोवर्मन कौन था? उसकी राजनैतिक उपलब्धियों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
  162. प्रश्न- सकारात्मक राजनीतिक कार्यवाही से क्या आशय है? इसके लिए भारतीय संविधान में क्या प्रावधान किए गए हैं?
  163. प्रश्न- चन्देल नरेश धंग के शासन काल एवं उसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  164. प्रश्न- जाति को परिभाषित कीजिए। भारतीय राजनीति पर जातिगत प्रभाव का अध्ययन कीजिए। जाति के राजनीतिकरण की विवेचना भी कीजिए।
  165. प्रश्न- चन्देल शासक विद्याधर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का विवेचन कीजिए।
  166. प्रश्न- निर्णय प्रक्रिया में राजनीतिक दलों में जाति की क्या भूमिका है?
  167. प्रश्न- कीर्तिवर्मन कौन था? उसके शासन काल के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- राज्यों की राजनीति को जाति ने किस प्रकार प्रभावित किया है?
  169. प्रश्न- चन्देल शासन काल में कला की क्या स्थिति थी?
  170. प्रश्न- क्षेत्रीयतावाद (Regionalism) से क्या अभिप्राय है? इसने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया है? क्षेत्रवाद के उदय के क्या कारण हैं?
  171. प्रश्न- चन्देलों के पतन के लिये कौन उत्तरदायी था?
  172. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद के प्रभावों का अध्ययन कीजिए।
  173. प्रश्न- खजुराहो मन्दिरों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  174. प्रश्न- क्षेत्रवाद के उदय के लिए कौन-से तत्व जिम्मेदार हैं?
  175. प्रश्न- प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुन्देलखण्ड (जेजाकभुक्ति) में किस वंश का उदय हुआ?
  176. प्रश्न- भारत में भाषा और राजनीति के सम्बन्धों पर प्रकाश डालिये।
  177. प्रश्न- महमूद गजनवी का चन्देलों पर आक्रमण' के विषय में बताइए।
  178. प्रश्न- उर्दू और हिन्दी भाषा को लेकर भारतीय राज्यों में क्या विवाद है? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
  179. प्रश्न- चाहमान वंश के इतिहास जानने के साधनों को बताते हुए इसकी उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
  180. प्रश्न- भाषा की समस्या हल करने के सुझाव दीजिए।
  181. प्रश्न- चाहमान नरेश अणराज के विषय में आप क्या जानते हैं? उसके शासनकाल में हुए प्रमुख युद्धों का वर्णन कीजिए।
  182. प्रश्न- साम्प्रदायिकता से आप क्या समझते हैं? साम्प्रदायिकता के उदय के कारण और इसके दुष्परिणामों की चर्चा करते हुए इसको दूर करने के सुझाव बताइये। भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता का क्या प्रभाव पड़ा? समझाइये।
  183. प्रश्न- चाहमान शासक विग्रहराज चतुर्थ के राज्यकाल का मूल्यांकन कीजिए।
  184. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के उदय के पीछे क्या कारण हैं?
  185. प्रश्न- पृथ्वीराज तृतीय के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी सफलताओं एवं असफलताओं परं विस्तृत लेख लिखिए।
  186. प्रश्न- साम्प्रदायिकता के दुष्परिणामों की चर्चा कीजिए।
  187. प्रश्न- चाहमानों की शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
  188. प्रश्न- साम्प्रदायिकता को दूर करने के सुझाव दीजिये।
  189. प्रश्न- शाकम्भरी के चाहमान (चौहान) का परिचय दीजिए।
  190. प्रश्न- भारतीय राजनीति पर साम्प्रदायिकता के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।
  191. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ की उपलब्धियाँ बताइए।
  192. प्रश्न- जाति व धर्म की राजनीति भारत में चुनावी राजनीति को कैसे प्रभावित करती है। क्या यह सकारात्मक प्रवृत्ति है या नकारात्मक?
  193. प्रश्न- पृथ्वीराजरासो पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  194. प्रश्न- "वर्तमान भारतीय राजनीति में धर्म, जाति तथा आरक्षण प्रधान कारक बन गये हैं।" इस पर अपना दृष्टिकोण स्पष्ट कीजिए।
  195. प्रश्न- विग्रहराज चतुर्थ के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
  196. प्रश्न- 'जातिवाद' और सम्प्रदायवाद प्रजातंत्र के दो बड़े शत्रु हैं। टिप्पणी करें।
  197. प्रश्न- चाहमानों का बुन्देलखण्ड पर आक्रमण बताइए।
  198. प्रश्न- उत्तर प्रदेश के बँटवारे की राजनीति को समझाइए।
  199. प्रश्न- गहड़वाल वंश का इतिहास जानने के साधनों का उल्लेख कीजिए। इसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में आप क्या जानते हैं?
  200. प्रश्न- जन राजनीतिक संस्कृति के विकास के कारण का वर्णन कीजिए।
  201. प्रश्न- गहड़वाल शासक गोविन्दचन्द्र के विषय में बताते हुए उसकी विजयों का उल्लेख कीजिए।
  202. प्रश्न- 'भारतीय राजनीति में जाति की भूमिका' संक्षिप्त मूल्यांकन कीजिए।
  203. प्रश्न- गहड़वाल नरेश जयचन्द्र का परिचय दीजिए। उसकी राजनीतिक सफलताओं तथा असफलताओं का मूल्यांकन कीजिए।
  204. प्रश्न- चुनावी राजनीति में भावनात्मक मुद्दे पर प्रकाश डालिए।
  205. प्रश्न- गहड़वाल नरेशों के 'शासन प्रबन्ध' पर एक लेख लिखिए।
  206. प्रश्न- भ्रष्टाचार से क्या अभिप्राय है? भ्रष्टाचार की समस्या के लिए कौन से कारण उत्तरदायी हैं? इस समस्या के समाधान के लिए उपाय बताइए।
  207. प्रश्न- गोविन्दचन्द्र गहड़वाल के विषय में आप क्या जानते हैं?
  208. प्रश्न- भ्रष्टाचार के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं?
  209. प्रश्न- जयचन्द गहड़वाल के राज्यकाल की घटनाएँ बताइये।
  210. प्रश्न- भ्रष्टाचार उन्मूलन के कौन-कौन से उपाय हैं?
  211. प्रश्न- गोविन्दचन्द्र के किन राज्यों से कूटनीतिक सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  212. प्रश्न- भारत में राजनैतिक, व्यापारिक-औद्योगिक तथा धार्मिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार की विवेचना कीजिए।
  213. प्रश्न- कलचुरि वंश के शासक गांगेयदेव के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी विजयों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  214. प्रश्न- भ्रष्टाचार क्या है? भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  215. प्रश्न- कलचुरि नरेश लक्ष्मीकर्ण के विषय में बताइए उसके शासन काल की प्रमुख राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  216. प्रश्न- भारत के आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, व्यापारिक एवं धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार का वर्णन कीजिए।
  217. प्रश्न- कलचुरि वंश का इतिहास जानने के साधन बताइए।
  218. प्रश्न- भ्रष्टाचार के प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  219. प्रश्न- गांगेयदेव के राज्यकाल की घटनाएँ लिखिए।
  220. प्रश्न- सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार की रोकथाम के सुझाव दीजिये।
  221. प्रश्न- कलचुरि वंश के पतन पर टिप्पणी लिखिए।
  222. प्रश्न- भ्रष्टाचार से आप क्या समझते हैं? इसके प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  223. प्रश्न- बंगाल के सेन वंश के विषय में आप क्या जानते हैं? यहाँ के शासक विजयसेन की राजनैतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  224. प्रश्न- भ्रष्टाचार की विशेषताओं को बताइए।
  225. प्रश्न- सेन वंश के नरेश लक्ष्मणसेन का परिचय दीजिए। उसकी राजनैतिक एवं सांस्कृतिक उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
  226. प्रश्न- लोक जीवन में भ्रष्टाचार के कारण बताइये।
  227. प्रश्न- बंगाल के सेन वंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।
  228. प्रश्न- राष्ट्रपति शासन क्या है? यह किन परिस्थितियों में लागू होता है? राष्ट्रपति शासन लगने से क्या परिवर्तन होता है?
  229. प्रश्न- अरबों के सिन्ध पर आक्रमण का विवेचन कीजिए।
  230. प्रश्न- दल-बदल की समस्या (भारतीय राजनैतिक दलों में)।
  231. प्रश्न- अरबों की सिन्ध विजय के परिणामों का परीक्षण कीजिए।
  232. प्रश्न- राष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री के सम्बन्धों पर वैधानिक व राजनीतिक दृष्टिकोण क्या है? उनके सम्बन्धों के निर्धारक तत्व कौन-से हैं?
  233. प्रश्न- महमूद गजनवी के भारत पर आक्रमण के विषय में आप क्या जानते हैं?
  234. प्रश्न- दल-बदल कानून (Anti Defection Law) पर टिप्पणी कीजिए।
  235. प्रश्न- गोरी के आक्रमण के समय भारत की राजनीतिक स्थिति बताइए।
  236. प्रश्न- संविधान के क्रियाकलापों पर पुनर्विलोकन हेतु स्थापित राष्ट्रीय आयोग (2002) की दलबदल नियम पद संस्तुति, टिप्पणी कीजिए।
  237. प्रश्न- मुहम्मद गोरी के भारतीय अभियानों का उल्लेख कीजिए।
  238. प्रश्न- 12वीं शताब्दी में मुसलमानों की विजय और हिन्दुओं की पराजय के क्या कारण थे? स्पष्ट कीजिए।
  239. प्रश्न- तुर्क आक्रमण के क्या कारण थे? इसका भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
  240. प्रश्न- मुस्लिम आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय शासकों के प्रतिरोध पर प्रकाश डालिए।
  241. प्रश्न- महमूद गजनवी के आक्रमणों के प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  242. प्रश्न- अरबों के आक्रमण के समय भारत की दशा क्या थी?
  243. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध के परिणामों का वर्णन कीजिए।

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