बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर -
भ्रष्टाचार भारत की एक जटिल और गम्भीर समस्या है। इसे यदि राष्ट्रीय संकट का प्रमुख कारण मानें तो अतिशयोक्ति न होगी। भ्रष्टाचार से राष्ट्र की बहुत क्षति हुई है। इससे सार्वजनिक जीवन में सड़ांध ही नहीं फैली वरन् राष्ट्रीय चरित्र का भी ह्रास हुआ है। यह जीवन के हर क्षेत्र में व्याप्त है। वह चाहे आर्थिक क्षेत्र हो या राजनीतिक, धार्मिक हो या शैक्षिक, औद्योगिक हो या व्यापारिक, खेलकूद हो या मनोरंजन। इससे न सरकारी क्षेत्र बचा है और न गैर-सरकारी, न सार्वजनिक क्षेत्र छूटा है और न व्यक्तिगत। सच तो यह है कि भ्रष्टाचार हमारे जीवन का सामान्य लक्षण बन गया है। इसके निराकरण के लिए बहुत शोर किया गया है। समितियों, संगठनों व आयोगों की नियुक्तियाँ हुई हैं। सरकार ने भ्रष्टाचार को दूर करने, स्वच्छ, कुशल एवं पारदर्शी प्रशासन देने के लम्बे-चौड़े वायदे किए हैं, किन्तु इन उपायों से भ्रष्टाचार के क्षेत्र में विस्तार ही हुआ है। मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा की, यह कथन भ्रष्टाचार के संदर्भ में सही और सटीक है।
भ्रष्टाचार के विविध रूप हैं, अतः इसकी व्याख्या भी अलग-अलग ढंग से की गई है। भ्रष्टाचार का प्रकार कुछ भी हो, किन्तु उसमें व्यक्तिगत लाभ के लिए अधिकार का दुरुपयोग किया जाता है तथा कानून का उल्लंघन किया जाता है। इलियट और मैरिल ने भ्रष्टाचार को व्यक्तिगत लाभ के लिए कर्त्तव्य और कानून की अवहेलना माना है। इनके अनुसार, “भ्रष्टाचार किसी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष, व्यक्तिगत लाभ के लिए निर्धारित कर्त्तव्य का जानबूझकर पालन न करना है। भ्रष्टाचार का अर्थ स्पष्ट करते हुए सामान्य रूप से कहा गया है " भ्रष्टाचार के अन्तर्गत वे अनुचित व अवैधानिक साधन आते हैं जिनके द्वारा एक या कुछ लोग नकद या वस्तु के रूप में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से लाभ कमाते हैं।"
गुन्नार मिर्डर ने भ्रष्टाचार का प्रयोग व्यापक अर्थ में किया है। उसमें पद के दुरुपयोग के साथ-साथ रिश्वत पाने वाले क्रियाकलाप भी शामिल हैं। इनके अनुसार, “भ्रष्टाचार के अन्तर्गत किसी सार्वजनिक पद अथवा सार्वजनिक जीवन के विशिष्ट पद से सम्बन्धित शक्ति और प्रभाव के अनुचित और स्वार्थपूर्ण प्रयोग ही नहीं वरन् रिश्वत देने वाले के क्रियाकलाप भी आते हैं।
इस प्रकार भ्रष्टाचार अवैधानिक तथा अनुचित रूप से व्यक्तिगत लाभ कमाना है। इसमें समाज और समुदाय के हितों की हानि होती है, पद का दुरुपयोग किया जाता है तथा कर्त्तव्य की अवहेलना की जाती है। भ्रष्टाचार किसी एक क्षेत्र तक सीमित नहीं वरन वह राजनैतिक, आर्थिक, शैक्षिक, ६ शर्मिक, व्यावसायिक आदि सभी क्षेत्रों में मिलता है। देश के स्वतंत्र होने के बाद इसके क्षेत्र में बहुत विस्तार हुआ है।
भ्रष्टाचार एक प्राचीन बुराई है। किन्तु आधुनिक समय में इस समस्या ने ऐसा विकराल रूप धारण किया है कि वह देश की समृद्धि और सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरा और चुनौती बन गई है I इन्द्र महरोत्रा ने भ्रष्टाचार को एक ऐसा कैंसर बताया है जो उपचार के परे है। भ्रष्टाचार उन्मूलन हेतु निम्नवत् उपाय करने होंगे -
(1) नैतिक क्रान्ति - भ्रष्टाचार से मूल्यों व नैतिकता का ह्रास होता है। अपने व्यक्तिगत स्वार्थ व लाभ के लिए अनुचित व अवैधानिक उपायों को भ्रष्टाचार में अपनाया जाता है। अतः भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए बेईमानी की जगह ईमानदारी, अनैतिकता की जगह नैतिकता, कर्त्तव्य अवहेलना के स्थान पर कर्त्तव्य पालन के मूल्यों को महत्व देना पड़ेगा। यह सत्य है कि मानव स्वभाव में परिवर्तन इतनी सरलता से नहीं होता और न ही छोटे-मोटे परिवर्तनों से इस बुराई को दूर किया जा सकता है। इसका स्थायी उपाय तो अनैतिकता में इस बुराई को दूर किया जा सकता है। इसका उपचार तो अनैतिकता के आमूल-चूल परिवर्तन से संभव है।
( 2 ) शीघ्र कार्यवाही - भ्रष्टाचार के जो मामले हैं, उनको निपटाने में अत्यन्त लम्बा समय लगता है जिससे भ्रष्टाचार फलता-फूलता है और उसका निराकरण नहीं हो पाता। यदि भ्रष्टाचार के मामलों को जल्दी निपटाया जाए और उनके विरुद्ध निश्चित और कठोर कार्यवाही शीघ्र की जाए तो भ्रष्टाचार पर काबू पाया जा सकता है। यदि कोई अधिकारी त्वरित कार्यवाही में बाधक हो तो उसे भी दण्ड मिलना चाहिए।
(3) रिश्वत देने वाले को समान दण्ड - भ्रष्टाचार में रिश्वत लेने वाला प्रायः दण्डित होता है, किन्तु रिश्वत देने वाला भ्रष्टाचार के लिए कम दोषी नहीं होता। यह तो सच है कि भ्रष्टाचार तब तक चलेगा, बढ़ेगा जब तक लोग रिश्वत देकर दूसरों को भ्रष्ट करते रहेंगे। संक्षेप में रिश्वत लेने और भ्रष्ट करने वाले लोगों को कठोरता से दण्डित करने की आवश्यकता है तभी भ्रष्टाचार की बुराई को दूर किया जा सकता है। गुलजारी लाल नन्दा ने रिश्वत लेने वालों के प्रति कठोर कदम उठाए जाने की वकालत करते हुए कहा : Those who tempt and Corrupt Public Servants must be brought to book through relentless use of all the powers that are available under the law.
(4) स्वतंत्रता - जो समाज जितना अधिक नियंत्रित होता है उसमें उतना ही अधिक भ्रष्टाचार पनपता है। इसीलिए आवश्यकता है कि हमारी संसद और अधिक क्रियाशील हो, न्याय प्रणाली निर्भीक हो, प्रेस को स्वतंत्रता हो तो भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सकता है। जो लोग भ्रष्टाचार को प्रकाश में लाते हैं उनको भ्रष्टाचारी धमकाते हैं, हानि पहुँचाते हैं। उनको हर प्रकार का संरक्षण मिलना चाहिए उन्हें पुरस्कृत करना चाहिए।
(5) विभागाधिकारियों द्वारा दायित्व निर्वाह - जिस विभाग के अध्यक्ष ईमानदार, कुशल, निष्पक्ष, सतर्क व सख्त होते हैं वहाँ भ्रष्टाचार के पनपने के अवसर कम होते हैं। इन अधिकारियों को अपने अधीनस्थ कर्मचारियों पर दृष्टि रखनी चाहिए। यदि उन्हें किसी कर्मचारी की ईमानदारी संदेहास्पद लगे तो उसे चेतावनी देते हैं। फिर भी यदि वह अपने तौर तरीके न सुधारे तो अनुशासनात्मक कार्यवाही करने में देर नहीं करनी चाहिए। उनको पुनः रोजगार, सेवा, विस्तार, प्रोन्नति आदि सुविधाएँ नहीं देनी चाहिए। भ्रष्ट कर्मचारियों को सहन करने में भ्रष्टाचार का रोग तेजी से फैलता है। नेताओं और अधिकारियों की शह पर भ्रष्टाचार बढ़ता है।
( 6 ) नेताओं के हस्तक्षेप पर रोक - भ्रष्टाचार में राजनीतिक हस्तक्षेप का बहुत बड़ा हाथ हैं नेता भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देते हैं। हर स्तर पर उनकी सहायता करते हैं। बदले में उनसे मोटी रकम ऐंठते रहते हैं जो अधिकारी सीधे, सच्चे, कर्त्तव्यनिष्ठ और ईमानदार होते हैं उन्हें काम करने में नेताओं के कारण अनेक बाधाएँ आती हैं। स्थानान्तरण की धमकी दी जाती है। नेता लोग कोदा, परमिट, लाइसेंस आदि में उल्टी-सीधी सिफारिशें करते हैं और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहित करते हैं। कुशल और स्वच्छ प्रशासन में अधिकांश नेता बाधक होते हैं। अतः इनके क्रिया-कलापों पर रोक लगाकर भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है।
संक्षेप में भ्रष्टाचार की समस्या के समाधान के लिए निरोध और दण्ड दोनों ही प्रकार के उपायों को अपनाना होगा। भ्रष्टाचार के विरुद्ध जनता में जागृति लानी होगी तथा जनमत तैयार करना होगा। भ्रष्टाचार को रोकने में हमें त्याग और कष्ट उठाने के लिए भी तैयार रहना चाहिए। यदि भ्रष्टाचार को सहन न किया जाए, वरन् उसके खिलाफ आवाज बुलन्द की जाए तो भ्रष्टाचार में बहुत कमी हो सकती है। भ्रष्टाचार निरोधक कानून और संगठनों को भी कठोरता से अपनी भूमिका निभानी होगी। विविध उपाय ही भ्रष्टाचार के उन्मूलन में सफल हो सकते हैं।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित व परिवर्तित किया है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- विकास के अर्थ तथा प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। बॉटोमोर के विचारों को लिखिये।
- प्रश्न- विकास के आर्थिक मापदण्डों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के आयामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- प्रश्न- क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? क्रान्ति के कारण तथा परिणामों / दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए |
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास क्या है?
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक ) एवं भावात्मक ( विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सैडलर के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का प्राकृतिक प्रवरण का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रमुख विशेषतायें बताइये। संस्कृतिकरण के साधन तथा भारत में संस्कृतिकरण के कारण उत्पन्न हुए सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करते हुए संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- भारत में संस्कृतिकरण के कारण होने वाले परिवर्तनों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण का अर्थ एवं परिभाषायें बताइये। पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता बताइये तथा पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणाम बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण ने भारतीय ग्रामीण समाज के किन क्षेत्रों को प्रभावित किया है?
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन में संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण में सहायक कारक बताइये।
- प्रश्न- समकालीन युग में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जातीय संरचना में परिवर्तन किस प्रकार से होता है?
- प्रश्न- स्त्रियों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्त हुए हैं?
- प्रश्न- विवाह की संस्था में क्या परिवर्तन हुए स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- परिवार की स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक रीति-रिवाजों में क्या परिवर्तन हुए वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- अन्य क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न समाजशास्त्रियों के विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. वैश्वीकरण और कल्याणकारी राज्य, 2. वैश्वीकरण पर तर्क-वितर्क, 3. वैश्वीकरण की विशेषताएँ।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न सिद्धान्तों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "क्या विचारधारा किसी सामाजिक आन्दोलन का एक अत्यावश्यक अवयव है?" समझाइए।
- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
- प्रश्न- सर्वोदय के प्रमुख तत्त्व क्या है?
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के संदर्भ में राजनीति की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार वल्लभ पटेल की भूमिका की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन की आधुनिक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में दलित आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- "पर्यावरणीय आंदोलन" के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?