बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर -
सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त
सांस्कृतिक विलम्बना का सिद्धान्त ऑगबर्न ने अपनी पुस्तक Social Change में प्रस्तुत किया। विलम्बना या Lag शब्द से तात्पर्य है कि "कोई वस्तु एक दूसरी वस्तु के पीछे रह गई है या एक वस्तु के साथ आगे बढ़ने में विलम्ब या देर कर रही है।' ऑगबर्न का सांस्कृतिक विलम्बना का सिद्धान्त इसी सिद्धान्त पर आधारित है।
सांस्कृतिक विलम्बना की परिभाषा ( Definition of Cultural Lag) - ऑगबर्न ने सांस्कृतिक विलम्बना की परिभाषा निम्न शब्दों में दी है- "संस्कृति के उन दो सम्बन्धित भागों (भौतिक तथा अभौतिक) पर तनाव इसलिए पड़ता है क्योंकि वे असमान गति से बदलते हैं ऐसी अवस्था में हम उसे उस भाग की विलम्बना कहते है जो मन्द गति से बदलता है क्योंकि एक-दूसरे के पीछे रह जाता है।' ऑगबर्न ने इसे उदाहरण द्वारा समझाने का प्रयास किया उन्होंने कहा कि किसी समाज में जनसंख्या जितनी तेजी से घटती या बढ़ती है वहाँ की पुलिस की संख्या उतनी तेजी से घटती या बढ़ती है। अर्थात् जनसंख्या में परिवर्तन के बाद पुलिस घटती या बढ़ती है। इस आधार पर जनसंख्या आगे है व पुलिस पीछे।
ऑगबर्न के अनुसार, भौतिक व अभौतिक संस्कृति एक-दूसरे से सम्बन्धित होती है व एक के पिछड़ने का प्रभाव दूसरे पर पड़ता है। ऑगबर्न के अनुसार, भौतिक संस्कृति में तेजी से परिवर्तन होता है जबकि अभौतिक संस्कृति में धीमी गति से परिवर्तन होता है क्योंकि अभौतिक संस्कृति हमारे मूल्यों विश्वासों व आदर्शों को ग्रहण करती है। उदाहरण के लिए कोई व्यक्ति हिन्दु धर्म छोड़कर शीघ्रता से इस्लाम धर्म नहीं अपना सकता जबकि व्यक्ति मशीनों, औजारों, परिवहन के साधनों को शीघ्रता से अपना सकता है जबकि धर्म, जाति-पाँति को इतनी शीघ्रता से नहीं अपना सकते इसी कारण भौतिक संस्कृति अभौतिक संस्कृति की अपेक्षा शीघ्रता से परिवर्तित होती है तथा अभौतिक संस्कृति भौतिक संस्कृति से पिछड़ जाती है। ऑगबर्न के अनुसार, हमे जो भी समाज से अर्जन होता है उसे संस्कृति कहा जाता है। इसके अन्तर्गत मकानं, मशीन, कपड़ा, भाषा, धर्म, कला, विज्ञान सभी का समावेश होता है इसी कारण ऑगबर्न ने संस्कृति को दो भागों में बाँटा
(1) भौतिक संस्कृति,
(2) अभौतिक संस्कृति।
भौतिक तथा अभौतिक दोनों संस्कृतियाँ मनुष्य को प्रभावित करती है एक में होने वाला परिवर्तन दूसरे को प्रभावित करता है। भौतिक संस्कृति तेजी से परिवर्तित हो जाती है।
ऑगबर्न के अनुसार, "भौतिक संस्कृति में परिवर्तन पहले होता है तथा इसी के कारण अभौतिक संस्कृति में परिवर्तन होता है। भौतिक संस्कृति में परिवर्तन की गति तीव्र होती है, जबकि अभौतिक संस्कृति में परिवर्तन की गति धीमी होती है। इसी कारण अभौतिक संस्कृति भौतिक संस्कृति से पिछड़ जाती है। इसी को सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चात कहा जाता है।'
आलोचना एवं मूल्यांकन
(Criticism and Evaluation)
ऑगबर्न ने जो सिद्धान्त प्रस्तुत किया उससे विद्वान सहमत नहीं हुए तथा उन्होंने इस सिद्धान्त की निम्नलिखित कमियों के आधार पर इसकी आलोचना की -
सदरलैण्ड तथा वुडवार्ड के अनुसार, ऑगबर्न के सिद्धान्त की सबसे बड़ी कमी यह है कि उन्होंने सांस्कृतिक परिवर्तन की प्रक्रिया को बहुत सरल रूप में प्रस्तुत किया। वास्तव में सांस्कृतिक परिवर्तन की प्रक्रिया बहुत जटिल होती है तथा संस्कृति के विभिन्न भागों में बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध होता है अतः इसकी व्याख्या केवल यह कहकर नहीं की जा सकती कि भौतिक संस्कृति के कारण अभौतिक संस्कृति में परिवर्तन होता है यह प्रश्न सदैव विद्यमान होता है कि "मुर्गी पहले आयी या अण्डा सोरोकिन के अनुसार, भी ऑगबर्न का यह कथन है कि पहले भौतिक संस्कृति में परिवर्तन होता है। फिर इसी कारण अभौतिक संस्कृति बदलती है उचित नहीं है क्योंकि भौतिक संस्कृति में परिवर्तन का माध्यम अविष्कार है और आविष्कार हमारे विचार, ज्ञान तथा विज्ञान पर निर्भर है। ये हमारी अभौतिक संस्कृति है अतः यह कहना गलत है कि भौतिक संस्कृति के कारण अभौतिक संस्कृति में परिवर्तन होता है। ऑगबर्न के अनुसार, भौतिक परिवर्तन में कम समय लगता है परन्तु वेब्लन ने इसका विरोध किया और कहा कि पूँजीपति वर्ग अपने हितों की रक्षा के लिए भौतिक परिवर्तनों का विरोध करता है। अतः भौतिक परिवर्तनों में भी तेजी से परिवर्तन नहीं हो पाता है।
अंत में कहा जा सकता है कि ऑगबर्न का यह विचार है कि अभौतिक संस्कृति भौतिक संस्कृति से पिछड़ जाती है। यह गलत है क्योंकि संस्कृति के मापन का कोई सर्वमान्य पैमाना नहीं है अतः मैकाइवर तथा पेज के अनुसार, ऑगबर्न का सांस्कृतिक विलम्बना का सिद्धान्त इतना विस्तृत व सरल है कि उसकी व्यवहारिकता समाज में हो जाती है। यदि इसे मान भी लिया जाए तो सामाजिक जीवन में उत्पन्न होने वाली विषमताओं का विश्लेषण ठीक प्रकार से नहीं हो सकता है।
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- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
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- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
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- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
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- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
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- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
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