बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 शिक्षाशास्त्र
अध्याय - 15
सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा
(Social Change and Education)
प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? इनसे सम्बन्धित धारणाओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया बताइये |
अथवा
सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं?
अथवा
'सामाजिक परिवर्तन, सामाजिक संरचना तथा सामाजिक व्यवहार में परिवर्तन है।' स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
सामाजिक परिवर्तन का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Social Change)
सामाजिक परिवर्तन से तात्पर्य समाज में होने वाले परिवर्तनों से है। यह हम जानते हैं कि समाज का निर्माण मानव से होता है तथा मानव के जीवन में परिवर्तन होते रहते हैं। मानव के विचारों, आचार-विचार, व्यवहार, आदर्शों में परिवर्तन समय के साथ-साथ होते रहते हैं तथा इसी कारण मानव के जीवन में भी परिवर्तन होता रहता है। मानव के जीवन में परिवर्तन होने से स्वाभाविक है कि समाज में भी परिवर्तन होता है क्योंकि समाज मानव से ही बनता है। जिस प्रकार मानव का जीवन गतिशील है उसी प्रकार समाज भी गतिशील है। इस प्रकार कोई भी समाज ऐसा नहीं है जो परिवर्तनों से अछूता हो। यदि हम अपने समाज की ही बात करें तो हमारे पूर्वजों ने यह कभी भी नहीं सोचा होगा कि आगे भविष्य में रेडियो, टी० वी०, कम्प्यूटर, इण्टरनेट आदि वस्तुएँ आयेंगी। आज समाज में नई-नई मशीनों, यातायात के साधनों, दृश्य व श्रवण यन्त्रों, औद्योगिक व प्रौद्योगिकी क्रान्ति से जीवन व समाज के प्रत्येक क्षेत्र में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन आया है। इन परिवर्तनों को ही हम सामाजिक परिवर्तन कहते हैं।
सामाजिक परिवर्तन के सम्बन्ध में प्रमुख विद्वानों द्वारा दी गई परिभाषायें निम्न प्रकार हैं
सर जोन्स के अनुसार - सामाजिक परिवर्तन वह शब्द है जो सामाजिक प्रक्रियाओं तथा सामाजिक संगठन के किसी अंग में अन्तर अथवा रूपान्तर को वर्णन करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
गिलिन तथा गिलिन के शब्दों में - सामाजिक परिवर्तन जीवन की मानी गई रीतियों से होने वाले परिवर्तन को कहते हैं चाहे ये परिवर्तन भौगोलिक दशाओं के परिवर्तन में हुए हों अथवा सांस्कृतिक साधनों में, अथवा जनसंख्या की रचना या सिद्धान्तों के परिवर्तन में अथवा प्रसार से अथवा समूह के अन्दर की आविष्कारों के फलस्वरूप ही हुए हों।
मेरिल तथा एल्ड्रेज के अनुसार - सामाजिक परिवर्तन का अर्थ है कि बहुत बड़ी संख्या में व्यक्ति ऐसे कार्य कर रहे हैं जो कुछ दिनों पहले अथवा उनके पूर्वजों के कार्य से भिन्न हैं अर्थात् जब मानव व्यवहार संशोधित हो रहा है तो वह सामाजिक परिवर्तन का संकेत है।
सामाजिक परिवर्तनों के सम्बन्ध में प्रमुख धारणाएँ
सामाजिक परिवर्तनों के सम्बन्ध में अनेक समाजशास्त्रियों ने अपने-अपने विचार प्रस्तुत किये हैं जो निम्न प्रकार हैं-
1. प्रसिद्ध समाजशास्त्री ब्राउन ने कहा है कि सामाजिक परिवर्तन तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में कोई अन्तर नहीं है उनका मानना है कि सांस्कृतिक परिवर्तन सामाजिक परिवर्तन का ही एक महत्त्वपूर्ण भाग है।
2. चौपिन ने अपनी धारणा के अनुसार, परिवर्तनों को तीन भागों में बाँटा है-
(i) वे परिवर्तन जो भौतिक संस्कृति से सम्बन्धित हैं।
(ii) वे परिवर्तन जो अभौतिक संस्कृति से सम्बन्धित हैं।
(iii) वे परिवर्तन जो संयुक्त संस्कृति से सम्बद्ध हैं।
इन तीनों भागों के तीन उदाहरण क्रमश: सामाजिक व्यवस्था आदर्श तथा शासन के रूप व संगठन हैं।
3. स्पेन्सर के अनुसार, सामाजिक परिवर्तन तथा सामाजिक उद्विकास एक ही वस्तु हैं। उसके अनुसार सामाजिक परिवर्तन समरूप धीरे-धीरे तथा प्रगतिशील होते हैं। स्पेन्सर का विश्वास था कि जिस प्रकार हम कम सन्तोषजनक स्थिति से अधिक सन्तोषजनक स्थिति की ओर बढ़ते हैं, सामाजिक परिवर्तन को भी विकास की निश्चित अवस्थायों में होकर बढ़ना पड़ता है।
4. लिस्टर वार्ड के अनुसार, सामाजिक परिवर्तन सामाजिक लक्ष्यों तथा आकांक्षाओं पर आधारित होते हैं। इसलिए यह विकास के सिद्धान्त पर आधारित न होकर योजनाबद्ध, बुद्धि युक्त व सोद्देश्य होता है। प्रत्येक मानव अपनी बुद्धि के अनुसार उन लक्ष्यों को निर्धारित करता है जिन्हें वह प्राप्त कर सकता है उन लक्ष्यों को प्राप्त करने से ही सामाजिक परिवर्तन होता है।
5. ऑगबर्न के अनुसार, सामाजिक परिवर्तन तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में कोई अन्तर नहीं है उनके अनुसार, संस्कृति के दो रूप हैं- (i) भौतिक, (ii) अभौतिक।
भौतिक संस्कृति में नई मशीनें, रेडियो, टी० वी०, संचार साधन, यातायात साधन आदि आते हैं तथा अभौतिक संस्कृति में आदर्श, विचार, विश्वास, आदतें, धारणायें, रीति-रिवाज, परम्पराएँ व मनोवृत्तियाँ आदि आते हैं। ऑगबर्न का मानना था कि पहले भौतिक तत्त्वों में परिवर्तन होता है उसके बाद अभौतिक तत्त्वों में। इस प्रकार भौतिक तत्त्वों के परिवर्तन में सामाजिक परिवर्तन निहित है। जब भौतिक संस्कृति की अपेक्षा अभौतिक संस्कृति पीछे रह जाती है तो सामाजिक व सांस्कृतिक विलम्बना उत्पन्न हो जाती है। यह केवल शिक्षा के द्वारा ही दूर हो सकती है।
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- प्रश्न- शिक्षा के संकुचित तथा व्यापक अर्थों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा की परिभाषा देते हुए इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्वरूपों की व्याख्या कीजिए। शिक्षा तथा साक्षरता एवं अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है?
- प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
- प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए - (i) तत्व-मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
- प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- गीता में नीतिशास्त्र की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- गीता में भक्ति मार्ग की महत्ता क्या है?
- प्रश्न- श्रीमद्भगवत गीता के विषय विस्तार को संक्षेप में समझाइये |
- प्रश्न- गीता के अनुसार कर्म मार्ग क्या है?
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षा का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- गीता दर्शन के अन्तर्गत शिक्षा के सिद्धान्तों को बताइए।
- प्रश्न- गीता दर्शन में शिक्षालयों का स्वरूप क्या था?
- प्रश्न- गीता दर्शन तथा मूल्य मीमांसा को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- गीता में गुरू-शिष्य के सम्बन्ध कैसे थे?
- प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक की भूमिका को समझाइए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है?
- प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
- प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों?
- प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
- प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्त्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक श्रम का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- गाँधी जी की शिल्प आधारित शिक्षा क्या है? शिल्प शिक्षा की आवश्यकता बताते हुए इसकी वर्तमान प्रासंगिकता बताइए।
- प्रश्न- वर्धा शिक्षा योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं? लिखिए।
- प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- डॉ. भीमराव अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर के शिक्षा दर्शन का क्या अभिप्राय है? बताइए।
- प्रश्न- जाति भेदभाव को खत्म करने के लिए डॉ. भीमराव अम्बेडकर की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- डॉ. अम्बेडकर की शिक्षा दर्शन की शिक्षण विधियाँ क्या हैं? बताइए। शिक्षक व शिक्षार्थी सम्बन्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है? सोदाहरण समझाइए।
- प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं?
- प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक शिक्षण विधियों एवं पाठ्यक्रम के निर्धारण में जॉन डीवी के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बहुलवाद से क्या तात्पर्य है? राज्य के विषय में बहुलवादियों के क्या विचार हैं?
- प्रश्न- बहुलवाद और बहुलसंस्कृतिवाद का क्या आशय है?
- प्रश्न- बहुलवाद, बहुलवादी शिक्षा से आपका क्या आशय है? इसकी विधियाँ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण का अर्थ एवं विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण की प्रक्रिया को बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण के प्रमुख आधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक स्तरीकरण में जाति, वर्ग एवं लिंग की भूमिका बताइए।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं? विद्यालय संगठन का अर्थ, उद्देश्य एवं इसकी आवश्यकताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन की परिभाषाए देते हुए विद्यालय संगठन की विशेषताओं का वर्णन करें।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन एवं शैक्षिक प्रशासन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- विद्यालय संगठन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? इनसे सम्बन्धित धारणाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के दृष्टिकोण से शिक्षा के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए |
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में विद्यालय की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रारूप बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता से आप क्या समझते हैं? सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न कारक एवं शिक्षा की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक गतिशीलता के विभिन्न रूपों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उच्चगामी गतिशीलता क्या है?
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अधिकार पत्र की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मानव अधिकारों की रक्षा के लिए किये गये विशेष प्रयत्न इस दिशा में कितने कारगर हैं? विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं मानव अधिकारों में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकार एवं नीति-निदेशक तत्वों में अन्तर बतलाइये।
- प्रश्न- विचार एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सम्पत्ति के अधिकार पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'निवारक निरोध' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- क्या मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है?
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा इनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'अधिकार तथा कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्तव्यों का संक्षिप्त विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्तव्यों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों से आप क्या समझते हैं? संविधान में इनके उद्देश्य एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संविधान में वर्णित नीति निदेशक सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों तथा नीति निदेशक सिद्धान्तों में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों के क्रियान्वयन की आलोचनात्मक व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए।
- प्रश्न- नीति-निदेशक तत्वों का अर्थ बताइए।
- प्रश्न- राज्य के उन नीति निदेशक तत्वों का उल्लेख कीजिये जिन्हें गांधीवाद कहा जाता है।
- प्रश्न- नीति निदेशक सिद्धान्तों का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नीति निदेशक तत्वों की प्रकृति अथवा स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय विकास में शिक्षा की भूमिका को विस्तार से बताइए।
- प्रश्न- सतत् विकास के लिए शिक्षा से आप क्या समझते हैं? सतत् विकास में शिक्षा की अवधारणा और उत्पत्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सहस्राब्दी विकास लक्ष्य मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स का निर्धारण कौन-सा संस्थान करता है?
- प्रश्न- एमडीजी और एसडीजी के मध्य अन्तर बताइए।
- प्रश्न- ज्ञान अर्थव्यवस्था की राह पर विकास के संकेतक के रूप में शिक्षा को संक्षेप में बताइए। ज्ञान अर्थव्यवस्था के महत्व को भी बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सतत् शिक्षा के प्रमुख अभिकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मिलेनियम डेवलपमेंट गोल्स (MDGs) व सतत् विकास लक्ष्य (एसडीजी) क्या है? बताइए।