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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2657
आईएसबीएन :0

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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

अध्याय - 8

संक्रामक रोग

(Infectious Disease)

 

प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोगजनक परजीवी की संरचना एवं जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. ट्रिपैनोसोमा की वर्गीकृत स्थिति बताइए।
2. ट्रिपैनोसोमा के स्वभाव एवं आवास का वर्णन कीजिए।
3. ट्रिपैनोसोमा की बाह्य संरचना का वर्णन कीजिए।
4. ट्रिपैनोसोमा में प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
5. ट्रिपैनोसोमा का मनुष्य में पाए जाने वाले जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
6. ट्रिपैनोसोमा कौन-सी मक्खी में पाए जाने वाले जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

ट्रिपैनोसोमा गैम्बिएन्स
(Trypanosoma gambiense)

वर्गीकृत स्थिति (Systematic Position) :

संघ (Phylum) - प्रोटोजोआ (Protozoa)
उपसंघ (Subphylum) - सार्कोमैस्टिगोफोरा (Sarcomastigophora)
सुपर वर्ग (Super class) - मैस्टिगोफोरा (Mastigophora)
वर्ग (Class) - जूमैस्टिगोफोरा (Zoomastigophora)
गण (Order) - काइनेटोप्लास्टिडा (Kinetoplastida)
वंश (Genus) - ट्रिपैनोसोमा (Trypanosoma)
जाति (Species) - गैम्बिएन्स (gambiense)

सन् 1901 में फोर्ड (Forde) ने बताया कि ट्रिपैनोसोमा गैम्बिएन्स मानव को संक्रमित करने वाला परजीवी है। डेविड ब्रूस (David Bruce, 1895) ने बताया कि निद्रा रोग सी-सी मक्खी द्वारा पारगामित किया जाता है। ट्रिपैनोसोमा मुख्यतः मध्य एवं पश्चिम अफ्रीका विशेषतः नाइजीरिया एवं कांगों में पाया जाता हैं। नदियों एवं झीलों के समीप के क्षेत्रों में संक्रमण की सम्भावनाएँ अधिक होती हैं क्योंकि सी- सी मक्खी इन क्षेत्रों में पायी जाने वाली छोटी-छोटी घासों एवं झाड़ियों में रहती है।

स्वभाव एवं आवास (Habit and Habitat) : रोग की प्रारम्भिक अवस्था में ट्रिपैनोसोमा संक्रमित व्यक्ति की रक्त धारा तथा लिम्फ ग्रन्थियों में पाया जाता है। लिम्फ ग्रन्थियों में संक्रमण होने से ग्रन्थियाँ सूजने लगती हैं जो प्रमस्तिष्क मेरुद्रव में प्रवेश कर जाते हैं जिसके कारण मस्तिष्क में क्षति होती है। यदि इसकी चिकित्सा नहीं की जाती है तो रोगी की मृत्यु हो जाती है। सी-सी मक्खी की ग्लोसाइना पैलपेलिस एवं ग्लोसाइना टैक्नोइड्स प्रजातियाँ ट्रिपैनोसोम को एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में पारगमित करने में मुख्य भूमिका निभाती हैं।

 

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सी-सी मक्खी

ट्रिपैनोसोम पालतू एवं जंगली स्तनधारियों जैसे बन्दर, कुत्ता, सुअर, भैंस आदि को आरक्षित पोषक के रूप में प्रयोग करता है। इन पोषकों में ट्रिपैनोसोमा की कोई विकासात्मक अवस्था नहीं पायी जाती बल्कि इन पोषकों में रहकर ये मनुष्य में संक्रमण के लिए प्रतीक्षा करते हैं। आरक्षित पोषक में प्रवेश तथा निष्काषन सदैव सी-सी मक्खी के काटने से होता है।

संरचना (Structure) : ट्रिपैनोसोमा के संरचना का अध्ययन निम्नांकित शीर्षकों के अन्तर्गत किया जा सकता है -

1. आकार एवं माप (Shape and Size) : ट्रिपैनोसोमा एककोशिकीय तथा सूक्ष्मदर्शीय जन्तु है। इसका शरीर लम्बा तथा तर्कु के आकार का होता है। इसका शरीर 10-40 लम्बा तथा 2.5- 10 चौड़ा होता है। इसका अग्र सिरा नुकीला तथा पश्च सिरा कुन्द होता है। ट्रिपैनोसोमा गैम्बिएन्स बहुरूपता प्रदर्शित करता है। यह बहुरूपता दो विकासीय अवस्थाओं ट्रिपैनसोम एवं क्रिथीडियल अवस्था में होती है। मनुष्य में ट्रिपैनोसोम अवस्था पतली अथवा छोटे डण्डे (ठूंठ) की भाँति हो सकती है। सी-सी मक्खी की मध्यान्त्र में यह लम्बे तथा पतले आकार में तथा लार ग्रन्थियों में छोटे ठूंठ के समान होता है। क्रिथीडियल अवस्था केवल सी-सी मक्खी की लार ग्रन्थियों में पायी जाती है।

 

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ट्रिपैनोसोम गैम्बिएन्स की प्रकाश सूक्ष्मदर्शीय संरचना

2. पेलिकल (Pellicle) : ट्रिपैनोसोमा का सम्पूर्ण शरीर पतली, मजबूत तथा लचीली पेलिकल से घिरा होता है और तन्तुओं जिन्हें माइक्रोट्ब्यूल्स (microtubules) कहते हैं, की सहायता से सधा रहता है। ये तन्तु शरीर की पूरी लम्बाई में फैले होते हैं। माइक्रोट्ब्यूल्स शरीर को एक निश्चित आकार प्रदान करते हैं।

3. कशाभ (Flagellum) : ट्रिपैनोसोमा में एकल कशाभ पाया जाता है। कशाभ की उत्पत्ति शरीर के पश्च सिरे पर उपस्थित आधार काय (basal body) अथवा ब्लीफेरोप्लास्ट्स अथवा काइनेटोसोम से होती है। यह शरीर की सम्पूर्ण लम्बाई में फैला होता है तथा अग्र सिरे पर स्वतंत्र होता है। यदि कशाभ की अनुप्रस्थ काट को सूक्ष्मदर्शी से देखें तो इसमें तन्तुकों की 9 + 2 व्यवस्था दिखाई देती है। जब ट्रिपैनोसोम रक्त में गति करता है तो उस समय तरंगित गतियाँ कशाभ के शीर्ष से आधार की ओर गुजरती हैं।

4. तरंगित झिल्ली (Undulating Membrane) : जब कशाभ स्पंदित होता है, पेलिकल एक झिल्ली - सदृश वलन के रूप में खिंचती है जिसे तरंगित झिल्ली के नाम से जानते हैं। यह श्यान रक्त में गति में सहायता करती है।

5. कोशाद्रव्य (Cytoplasm) : कोशाद्रव्य पेलिकल के अन्दर बन्द रहता है। कोशाद्रव्य एक्टोप्लाज्म तथा एण्डोप्लाज्म में भिन्नित नहीं होता है। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शीय अध्ययनों से पता चला है कि ट्रिपैनोसोमा के शरीर के पश्च सिरे पर एक संचित क्षेत्र होता है। कशाभ का आधारकाय या ब्लीफेरोप्लास्ट इस संचित क्षेत्र के आधार पर स्थित होता है। एक लम्बा तथा अनियमित आकार का माइटोकॉण्ड्रिया ट्यूबलर क्रिस्टी सहित कोशाद्रव्य में शरीर के एक सिरे से दूसरे सिरे तक उपस्थित होता है। ब्लीफेरोप्लास्ट के ठीक समीप, माइटोकॉण्ड्रिया एक चक्र सदृश पैराबेसल बॉडी या काइनेटोप्लास्ट का निर्माण करता है। गॉल्जी उपकरण संचित क्षेत्र तथा केन्द्रक के बीच में उपस्थित होता है। अन्तर्द्रव्यी जालिका सम्पूर्ण कोशाद्रव्य में पायी जाती है। राइबोसोम अन्तर्द्रव्यी जालिका के साथ सम्बद्ध तथा कोशाद्रव्य में स्वतंत्र अवस्था में भी मिलते हैं।

कोशाद्रव्य में अनेक हरे रंग के मुड़े हुए कण, जिन्हें वॉल्यूटिन कण कहते है पाए जाते हैं। इन कणों में ग्लाइकोजन तथा फॉस्फेट संचित होता है। कोशाद्रव्य में अनेक छोटी तथा हाइड्रोलाइटिक विकर युक्त रिक्तिकाएँ पायी जाती हैं।

6. केन्द्रक (Nucleous) : कोशाद्रव्य में एक बड़ा व अण्डाकार केन्द्रक शरीर के मध्य में उपस्थित होता है। केन्द्रक दोहरी इकाई झिल्ली से घिरा होता है। झिल्ली छिद्रयुक्त होती है। केन्द्रक के मध्य में एक केन्द्रिका पायी जाती है।

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ट्रिपैनोसोमा गैम्बिएन्स की इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शीय संरचना

प्रजनन (Reproduction) : ट्रिपैनोसोमा गैम्बिएन्स में लैंगिक जनन अनुपस्थित होता है। अलैंगिक जनन अनुदैर्ध्य द्विविभाजन द्वारा होता है। इस प्रक्रिया में सर्वप्रथम काइनेटोप्लास्ट एवं ब्लीफेरोप्लास्ट विभाजित होकर युग्मित हो जाते हैं। पुराना कशाभ एक ब्लीफेरोप्लास्ट से सम्बद्ध रहता है जबकि नया कशाभ दूसरे ब्लीफेरोप्लास्ट से उत्पन्न होता है। केन्द्रक समसूत्री विभाजन द्वारा विभाजित होकर दो पुत्री केन्द्रक बनाता है। अंत में, ट्रिपैनोसोमा मध्य-अनुदैर्ध्य रूप से अलग होकर दो ट्रिपैनोसामा में विकसित हो जाता है।

जीवन चक्र (Life Cycle) : ट्रिपैनोसोमा का जीवन चक्र दो पोषदों में पूर्ण होता है। इसका प्राथमिक पोषद मनुष्य तथा माध्यमिक पोषद सी-सी मक्खी होती है। स्तरधारी जैसे सुअर, भैंस, हिरन आदि इसके संचित पोषद के रूप में कार्य करते हैं।

1. मनुष्य में जीवन चक्र (Life Cycle in Man) : ट्रिपैनोसोमा का जीवन चक्र मनुष्य में निम्नलिखित चरणों में पूर्ण होता है -

(i) संक्रमण (Infection) : ट्रिपैनोसोमा गैम्बिएन्स का संक्रमण मनुष्य में सी-सी मक्खी के काटने पर होता है। सी-सी मक्खी की लार ग्रन्थियों के ल्यूमेन में इसकी संक्रमणकारी मेटासाइक्लिक अवस्था पायी जाती है। जब सी-सी मक्खी मनुष्य का रक्त ग्रहण करती है तभी मनुष्य के रक्त में ट्रिपैनोसोम्स छोड़ दिए जाते हैं।

(ii) गुणन (Multiplication) : ट्रिपैनोसोमा की मनुष्य में पायी जाने वाली सभी अवस्थायें एक्स्ट्रासेलुलर होती हैं। ये रक्त प्लाज्मा में पायी जाती हैं। मनुष्य के रक्त में मेटासाइक्लिक अवस्था लम्बी व पतली अवस्था में रूपान्तरित हो जाती है। रक्त में ये कशाभ के स्पन्दन एवं तरंगित झिल्ली की तरंग गति द्वारा तैरते हैं। ये अनुदैर्ध्य द्विखण्डन द्वारा गुणन करते हैं। गुणन करने वाले ट्रिपैनोसोम्स अनॉक्सी ग्लाइकोलिसिस द्वारा ऊर्जा प्राप्त करते हैं।

(iii) कायान्तरण (Metamorphosis) : रक्त में एण्टीबॉडी के उत्पादन के कारण जब ग्लूकोस का अवशोषण रुक जाता है तो ट्रिपैनोसोम्स गुणन करना बंद कर देते हैं। अब ये सिकुड़कर छोटे के आकार के हो जाते हैं तथा इनके कशाभ विलुप्त हो जाते हैं। यदि सी-सी मक्खी रक्त के साथ ठूंठ अवस्था वाले ट्रिपैनोसोम्स का अवशोषण नहीं करती है तो इनकी मृत्यु हो जाती है।

2. सी-सी मक्खी में जीवन चक्र (Life Cycle in Tse-tse Fly) : जब सी-सी मक्खी किसी संक्रमित व्यक्ति का रक्त चूसती है तो रक्त के साथ ट्रिपैनोसोमा की ठूंठ अवस्थाएँ भी आ जाती हैं।

(ii) मध्यान्त्र में विकास (Development in Mid-gut) : छोटी ठूंठ अवस्था मक्खी की मध्यान्त्र में लम्बी व पतली अवस्था में परिवर्तित होती है तथा अनुदैर्ध्य द्विखण्डन द्वारा गुणन करती है। काइनेटोप्लास्ट शरीर के पश्च सिरे से दूर चला जाता है।

(iii) लार ग्रन्थि में विकास (Development in Salivary Glands) : मध्यान्त्र से लम्बी व पतली अवस्था वाले ट्रिपैनोसोम ग्रासनली तथा मुखांगों के रास्ते सी-सी मक्खी की ग्रन्थियों में पहुँचते हैं। यहाँ ये क्रिथीडियल अवस्था में कायान्तरित हो जाते हैं। ये लार ग्रन्थियों की ल्यूमेन में गुणन करते हैं तथा पतली मेटासाइक्लिक अवस्था में रूपान्तरित हो जाते हैं। जब सी-सी मक्खी किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटती है तो अपनी लार के साथ ट्रिपैनोसोमा की मेटासाइक्लिक अवस्था मनुष्य के रक्त में हस्तान्तरित कर देती है जहाँ ये फिर संक्रमण प्रारम्भ करते हैं।

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ट्रिपैनोसोमा गैम्बिएन्स के जीवन चक्र ही मुनष्य तथा सी-सी मक्खी विभिन्न अवस्थाएँ

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कोशा कला की सूक्ष्म संरचना जानने के लिए सिंगर और निकोल्सन की तरल मोजैक विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- कोशिका सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? प्राणि कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए तथा पाँच कोशिका उपांगों के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- निम्नलिखित वैज्ञानिकों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) एन्टोनी वान ल्यूवेन हॉक (ii) श्लीडेन तथा श्वान्स
  4. प्रश्न- अन्तरकोशिकीय संचार या कोशिका कोशिका अन्तर्क्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
  5. प्रश्न- कोशिका-एडहेसन का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) माइक्रोट्यूब्ल्स (ii) माइक्रोफिलामेन्टस (iii) इन्टरमीडिएट फिलामेन्ट
  7. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की संरचना तथा कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- राइबोसोम की संरचना एवं कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- परऑक्सीसोम पर टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- वेंकटरमन रामाकृष्णन पर टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- बाह्य प्रोटीन और समाकल प्रोटीन कोशिका कला की पारगम्यता को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  13. प्रश्न- हरितलवक और माइटोकॉण्ड्रिया में मिलने वाले समान लक्षणों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- परॉक्सीसोम किन कोशिकांगों के साथ मिलकर प्रकाशीय श्वसन (फोटोरेस्पिरेशन) की क्रिया सम्पन्न करता है? प्रकाशीय श्वसन के जैविक कार्यों की समीक्षा प्रस्तुत कीजिए।
  15. प्रश्न- केन्द्रक की संरचना का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- उपयुक्त आरेखों के साथ गुणसूत्र आकारिकी व परासंरचना का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- “गुणसूत्रों की विशेष किस्में” विषय पर एक निबन्ध लिखिए।
  18. प्रश्न- न्यूक्लिक अम्ल क्या होते हैं? डी.एन.ए. की संरचना तथा प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- वाट्सन तथा क्रिक के द्वारा प्रस्तुत डी. एन. ए. की संरचना का वर्णन कीजिए तथा डी. एन. ए. के विभिन्न प्रकार बताइए।
  20. प्रश्न- राइबोन्यूक्लिक अम्लों की रचना का वर्णन कीजिए तथा इसके जैविक एवं जैव-रासायनिक महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- मेसेल्सन एवं स्टेहल के उस प्रयोग का वर्णन कीजिए जो अर्द्ध-संरक्षी डी. एन. ए. पुनरावृत्ति को प्रदर्शित करता है।
  22. प्रश्न- जेनेटिक कोड पर टिप्पणी लिखिए।
  23. प्रश्न- गुणसूत्रों की रचना एवं प्रकार का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- न्यूक्लिओसोम का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  26. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- सेण्ट्रोसोम की परिभाषा लिखिए।
  28. प्रश्न- क्रोमेटिन के प्रकारों को बताते हुए हेटेरोक्रोमेटिन को विस्तार से समझाइये।
  29. प्रश्न- किसी एक प्रायोगिक साक्ष्य द्वारा सिद्ध कीजिये कि डी.एन.ए. ही आनुवांशिक तत्व है।
  30. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- B गुणसूत्र का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- डी.एन.ए. और आर.एन.ए. में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- RNA कौन-सा आनुवंशिक कार्य DNA की तरह पूरा करता है?
  34. प्रश्न- नीरेनबर्ग तथा एच.जी.खोराना के योगदान का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- क्या RNA का एक स्ट्रेण्ड दूसरा स्ट्रेण्ड संश्लेषित कर सकता है?
  36. प्रश्न- DNA की संरचना फॉस्फोरिक एसिड, पेन्टोज शर्करा तथा नत्रजन क्षार से होती है। इसके वस्तुतः आनुवंशिक तत्व कौन से हैं?
  37. प्रश्न- वाटसन एण्ड क्रिक पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- DNA की पुनरावृत्ति में सहायक एन्जाइमों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- कोशिका चक्र से आप क्या समझते हैं? इण्टरफेज में पायी जाने वाली कोशिका चक्र की विभिन्न प्रावस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समसूत्री कोशिका विभाजन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए तथा समसूत्री के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अर्धसूत्री कोशिका विभाजन का सविस्तार वर्णन कीजिए तथा इसके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  42. प्रश्न- समसूत्री तथा अर्धसूत्री विभाजन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- एक संकर संकरण क्या है? कम से कम दो उदाहरणों को बताइए।
  44. प्रश्न- स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम को समझाइए।
  45. प्रश्न- एक उपयुक्त उदाहरण देते हुए अपूर्ण प्रभाविकता पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- जन्तुओं में लिंग निर्धारण की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- मानव में लिंग निर्धारण कैसे होता है?
  48. प्रश्न- लिंग निर्धारण में प्राकृतिक कारकों के प्रभाव का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- वंशानुगत तथा आनुवंशिकी में अन्तर बताइए।
  50. प्रश्न- आनुवंशिकी का जनक किसको वस्तुतः कहा जाता है?
  51. प्रश्न- समप्रभाविता की वंशागति को समझाइए।
  52. प्रश्न- “समलक्षणी जीवों की जीनी संरचना भिन्न हो सकती है। यह कथन सही है अथवा गलत? क्यों?
  53. प्रश्न- ग्रीगर जॉन मेण्डल के योगदान को रेखांकित कीजिए।
  54. प्रश्न- कौन-सा कोशिका विभाजन गैमीट पैदा करता है?
  55. प्रश्न- स्यूडोडोमिनेंस पर टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस एवं बैक क्रॉस में अन्तर बताइए।
  57. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस तथा बैक क्रॉस को समझाइए।
  58. प्रश्न- मानव में बार बॉडी के महत्व को समझाइये।
  59. प्रश्न- लिंग प्रभावित वंशागति एवं लिंग सीमित वंशागति में अन्तर बताइए।
  60. प्रश्न- लिंग सहलग्न, लिंग प्रभावित और लिंग सीमाबद्धित लक्षणों के बीच सोदाहरण विभेदकीजिए।
  61. प्रश्न- मेरी एफ. लिओन की परिकल्पना समझाइए।
  62. प्रश्न- कारण स्पष्ट कीजिए कि नर मधुमक्खी में शुक्राणुओं का निर्माण समसूत्री विभाजन द्वारा क्यों होता है?
  63. प्रश्न- ZW टाइप लिंग निर्धारण पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- पक्षियों में लिंग निर्धारण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- स्तनधारी मादा की शुरूआती अवस्था में कौन-सा X क्रोमोसोम हेट्रोक्रोमेटाइज हो जाता है, माता का या पिता का?
  66. प्रश्न- मल्टीपिल ऐलीलिज्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  67. प्रश्न- Rh-तत्व क्या है? इसके महत्व एवं वंशागति का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- जीन की अन्योन्य क्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों की सहायता से जीन की अन्योन्य क्रिया की विधि का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- एक स्त्री का रक्त समूह 'AB' व उसके बच्चे का रक्त समूह '0' है। कारण सहित स्पष्ट कीजिए कि उस बच्चे के पिता का रक्त समूह क्या होगा?
  72. प्रश्न- एक Rh + स्त्री, Rh पुरुष से शादी करती है। इनकी संतति में एरेथ्रोब्लास्टोसिस की क्या सम्भावना है?
  73. प्रश्न- लैंडस्टीनर के योगदान का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- रक्त समूह को समझाइए।
  75. प्रश्न- जिनोम को परिभाषित कीजिए।
  76. प्रश्न- 'गृह व्यवस्थापक जीन' या 'रचनात्मक जीन' के बारे में बताइये।
  77. प्रश्न- प्रभावी तथा एपीस्टेटिक जीन में क्या अन्तर है?
  78. प्रश्न- लीथल जीन्स पर टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- पूरक जीन क्रिया को परिभाषित कीजिए।
  80. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- हेट्रोक्रोमेटिन और उसके लक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- क्रासिंग ओवर उद्विकास की प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- लिंकेज ग्रुप पर टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- सामान्य मानव कैरियोटाइप का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- गुणसूत्रीय विपथन पर एक निबन्ध लिखिए।
  86. प्रश्न- असुगुणिता किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की असुगुणिताओं का वर्णन कीजिए तथा इनकी उत्पत्ति के स्रोत बताइए।
  87. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति से आप क्या समझते हैं? मनुष्य या ड्रोसोफिला के सन्दर्भ में इस परिघटना का उदाहरणों सहित विवेचन कीजिए।
  88. प्रश्न- क्लाइनफिल्टर सिंड्रोम कार्यिकी अथवा गुणसूत्र के असामान्य स्थिति का परिणाम है। स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- मंगोलिज्म या डाउन सिन्ड्रोम क्या है?
  90. प्रश्न- टर्नर सिन्ड्रोम उत्पन्न होने के कारण एवं उनके लक्षण लिखिए।
  91. प्रश्न- समक्षार उत्परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- अनुप्रस्थ विस्थापन पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- पोजीशन एफेक्ट क्या है? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- लिंग सहलग्नता प्रक्रिया को समसूत्री नर व समसूत्री मादा में स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- वर्णान्ध व्यक्ति रेलवे ड्राइवर क्यों नहीं नियुक्त किये जाते हैं?
  96. प्रश्न- मानव वंशागति के अध्ययन में क्या मुख्य कठिनाइयाँ हैं?
  97. प्रश्न- संक्रामक जीनों से आप क्या समझते हैं?
  98. प्रश्न- वंशावली विश्लेषण पर टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति के प्रारूप का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोगजनक परजीवी की संरचना एवं जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के वितरण, स्वभाव, आवास तथा जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- जिआर्डिया पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  103. प्रश्न- एण्टअमीबा हिस्टोलायटिका की संरचना, जीवन-चक्र, रोगजन्यता एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोग क्या है? यह कैसे होता है? इसके संचरण एवं रोगजनन को समझाइए। इस रोग के नियंत्रण के उपाय बताइए।
  105. प्रश्न- फाइलेरिया क्या है? इसके रोगजनकता एवं लक्षणों तथा निदान का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जिआर्डिया के प्रजनन एवं संक्रमित रोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- जिआर्डिया में प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- जिआर्डिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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