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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2657
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बीएससी सेमेस्टर-1 जन्तु विज्ञान

प्रश्न- कोशिका सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? प्राणि कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए तथा पाँच कोशिका उपांगों के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. कोशिका सिद्धान्त किसे कहते हैं?
2. जन्तु कोशिका की संरचना में पाये जाने वाले अंगकों के कार्यों का वर्णन कीजिए।
3. यूकैरिओटिक कोशिका का एक नामांकित चित्र बनाइए। वर्णन की आवश्यकता नहीं है।

उत्तर -

कोशिका सिद्धान्त
(Cell Theory)

सर्वप्रथम सन् 1665 में रॉबर्ट हुक (Robert Hooke) ने एक साधारण कोटि के सूक्ष्मदर्शी से कॉर्क के पतले काट का अध्ययन किया और देखा कि कॉर्क की रचना छोटे-छोटे अनेक खाली कोष्ठकों (empty chambers) से होती है। कॉर्क के खाली कोष्ठक ठीक उसी तरह दिखाई पड़ते हैं जिस तरह मधुमक्खी के छत्ते (honey comb) के कोष्ठक। इन खाली कोष्ठकों को राबर्ट हुक ने कोशिका का नाम दिया। कॉर्क पौधे की छाल से प्राप्त होता है जिसकी कोशिकाएँ मृत होती हैं और उनमें केवल कोशिका भित्ति ही होती है। इस प्रकार हुक ने पहले कोशिका भित्ति ही देखा। जब बाद में उन्होंने जीवित वनस्पतियों की कोशिकाओं का अध्ययन किया तो देखा कि जीवित कोशिकाओं के अन्दर जूस' (juice) भरा होता है। अतः हुक ने पहली बार यह बताया कि जीवों का शरीर कोशिकीय होता है। इसके कुछ साल बाद एन्टोनी वॉन ल्यूवेनहॉक (Antony Von Leewenhoek) ने कोशिका की आन्तरिक संरचना का अध्ययन किया और हरी पत्तियों की कोशिकाओं में हरितलवकों (chloroplasts) को देखा। सन् 1839 में परकिन्जे (Purkinje) ने कोशिका के अन्दर पाये जाने वाले जीवित पदार्थ को 'जीवद्रव्य' (protoplasm) नाम दिया। इंग्लैंड के वनस्पति शास्त्री राबर्ट ब्राउन (Robert Brown, 1831) ने कोशिका के अन्दर एक गोल रचना देखी और उसे 'केन्द्रक' (nucleus) नाम दिया। इसके कुछ ही दिन बाद जर्मनी के सुप्रसिद्ध वनस्पतिशास्त्री श्लाइडेन (Schleiden) ने केन्द्रक के अन्दर केन्द्रिका या न्यूक्लिओलस (nucleolus) का पता लगाया। फेलिक्स डुजार्डिन (Felix Dujardin) ने 1835 में कोशिका के अन्दर पाये जाने वाले तरल पदार्थ को 'सारकोड' नाम से सम्बोधित किया जिसे ह्यगो वॉन मोल (Hugo Von Mohl) ने 1838 में प्रोटोप्लास्ट (protoplast) नाम दिया। सन् 1839 में वनस्पतिशास्त्री एम. जे. श्लाइडेन (M.J. Schleiden) तथा जन्तुशास्त्री थिओडार श्वान (Theodar Schwann) ने कोशिका सिद्धान्त (cell theory) प्रस्तुत किया। कोशिका सिद्धान्त के अनुसार -

1. सभी जीवों के शरीर की रचना कोशिकाओं से होती है।
2. कोशिका प्लाज्मा झिल्ली द्वारा सीमित केन्द्रकयुक्त जीवद्रवीय पिण्ड हैं जो जीवों की रचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई होती है।
3. कोशिका विभाजित होकर नयी कोशिकाओं को जन्म देती है।
4. कोशिकाएँ आनुवंशिक एकक हैं।

एक प्रारूपी जन्तु कोशिका की संरचना में निम्नलिखित भाग दिखाई देते हैं -

1. प्लाज्मा झिल्ली या कोशिक कला (Plasma Membrane or Cell- Membrane) : प्रत्येक जन्तु कोशिका का जीवद्रव्य (protoplasm) चारों ओर से एक अत्यन्त पतली पारदर्शक झिल्ली से घिरा रहता है जिसे प्लाज्मा झिल्ली या इकाई झिल्ली कहते हैं। प्लाज्मा झिल्ली अन्दर एण्डोप्लाज्मिक रेटिकुलम के द्वारा न्यूक्लियर झिल्ली से जुड़ी रहती है। यह प्रोटीन तथा लिपिड अणुओं के दोहरे स्तर की बनी होती है। इसमें अनेक सूक्ष्म छिद्र होते हैं। यह अर्द्ध-पारगम्य (differentially permeable) होती है अर्थात् केवल एक विशिष्ट आकार और परिमाण के अणुओं को ही कोशिका में आने या जाने देती है। इसके निम्नलिखित कार्य हैं- (i) प्लाज्मा झिल्ली कोशिका को एक निश्चित आकार प्रदान करती है। (ii) कोशिका को सुरक्षा प्रदान करती है। (iii) कोशिका में पदार्थों को आने-जाने के लिए माध्यम प्रदान करती है।

2. कोशिकाद्रव्य (Cytoplasm) : कोशिका में प्लाज्मा झिल्ली तथा न्यूक्लियर झिल्ली के मध्य के स्थान को साइटोसोम (cytosome) कहते हैं। यह स्थान एक द्रव से भरा रहता है, जिसे कोशिकाद्रव्य कहते हैं। कोशिकाद्रव्य तथा केन्द्रक के अन्दर भरे हुए द्रव (न्यूक्लियोप्लाज्म) को मिलाकर जीवद्रव्य कहते हैं जो कोशिका का आधारभूत पदार्थ माना जाता है। कोशिकाद्रव्य एक रंगहीन, अल्प- पारदर्शी गाढ़ा तथा चिपचिपा द्रव होता है। यह प्रोटीन, लिपिड, कार्बोहाइड्रेट तथा जल व कुछ अकार्बनिक पदार्थों के बने यौगिकों से मिलकर बना होता है

कोशिकाद्रव्य में पाये जाने वाले अन्तर्वेश (inclusion) को जीवित तथा अजीवित होने के आधार पर दो समूहों में विभक्त किया गया है -

1. कोशिकाद्रव्य की जीवित रचनाओं को कोशिकाद्रव्यी अंगक (cytoplasmic organelles) कहते हैं।
2. इसकी अजीवित रचनाओं को मेटाप्लास्ट कहते हैं।

1. कोशिकाद्रव्यी अंगक (Cytoplasmic Organelles) : कोशिकाद्रव्य में पाये जाने वाले अंगक निम्नलिखित हैं-

(i) अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic Reticulum): प्रायः सभी कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में महीन असंख्य तथा शाखित दोहरी भित्ति वाली नलिकाओं का एक असीमित जाल फैला रहता है। नलिकाओं के इस जाल को अन्तः प्रद्रव्यी जालिका कहते हैं। इसकी कुछ नलिकाएँ तो प्लाज्मा झिल्ली तथा कुछ न्यूक्लियर झिल्ली में खुलती हैं। अन्तः प्रद्रव्यी दो प्रकार की होती हैं- प्रथम दानेदार अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (rough endoplasmic reticulum) इसकी सीमान्त भित्तियों की बाहरी सतह पर असंख्य राइबोसोम कण (ribosome particles) पाये जाते हैं। द्वितीय चिकनी सतह वाली अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (smooth endoplasmic reticulum) इसकी सीमान्त सतह पर राइबोसोम नहीं पाये जाते हैं। चिकनी सतह की अन्तः प्रद्रव्यी जालिकाएँ कम स्थायी होती हैं और थोड़ी क्षति पहुँचने पर ये पुटिकाओं में परिवर्तित हो जाती हैं। इसके कार्य निम्नलिखित होते हैं -

(a) कोशिका के अन्दर अन्तः प्रदण्यीय जालिका कंकाल का कार्य करती हैं और उन्हें यान्त्रिक बल प्रदान करती हैं।
(b) यह केन्द्रक तथा कोशिकाद्रव्य के बीच पदार्थों के आवागमन हेतु मार्ग प्रदान करती हैं।
(c) यह ग्लाइकोजन, लिपिड, कोलेस्टेरॉल तथा अनेक हॉर्मोनों के निर्माण तथा संग्रह से सम्बन्ध रखती है।

 

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प्रारूपी प्राणी कोशिका की अतिसूक्ष्म संरचना

(ii) माइटोकॉण्ड्रिया (Mitochondria) : ये छड़ों, धागों एवं गोलों के आकार के रूप में कोशिकाद्रव्य में पाये जाते हैं। इनकी भित्ति दोहरी पर्त की तथा प्रोटीन एवं लिपिड की बनी होती है। इनकी संख्या भी कोशिकाओं की क्रिया के आधार पर पाँच से कई हजार तक हो सकती है। इनको सामान्यतः कोशिका का 'पावर हाउस' कहते हैं। इनके अन्दर भोजन के ऑक्सीकरण से ऊर्जा उत्पन्न होती है जो शारीरिक क्रियाओं की पूर्ति में सहायक होती है।

(iii) गॉल्जी काय (Golgi- body) : इटली के न्यूरोलॉजिस्ट कैमिलो गॉल्जी (Camillo * Golgi, 1898) ने जन्तु कोशिकाओं में इसका अध्ययन किया था। ये रचनाएँ अधिकांश यूकैरियोटिक कोशिकाओं मुख्यतः स्रावी कोशिकाओं (secretory cells) में पायी जाती हैं। प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में ये अनुपस्थित होती हैं। कोशिकाओं में यह केन्द्रक या सेण्ट्रोसोम के पास स्थित होती हैं। इसकी नलिकाओं में लिपिड या वसा की मात्रा अधिक होती है इसीलिए इन्हें लाइपोकॉण्ड्रिया (lipochondria) भी कहते हैं। पौधों की कोशिकाओं में इसे डिक्टियोसोम कहते हैं। इसके निम्नलिखित कार्य होते हैं -

(i) यह स्रावी स्वभाव की होती हैं और इनका मुख्य कार्य विभिन्न प्रकार के स्रावों (secretions) को उत्पन्न करना है।

(ii) डिक्टियोसोम के चारों ओर पायी जाने वाली गोल पुटिकाओं में कोशिका के उत्सर्जी पदार्थ (excretory substances) इकट्ठा रहते हैं। उत्सर्जी पदार्थों से भरी पुटिकाएँ (vesicles) परिधि की ओर चलकर दूषित पदार्थों को प्लाज्मा झिल्ली के बाहर निकाल देती हैं। इस क्रिया को एक्सोसाइटोसिस (exocytosis) कहते हैं। इस क्रिया में स्रावी पुटिकाओं की सीमान्त झिल्लियाँ प्लाज्मा झिल्ली से संयुक्त होकर उसका पुनर्नवीकरण (renovation) करती हैं।

(iv) राइबोसोम्स (Ribosomes) : यह कोशिकाद्रव्य में सघन अपारदर्शी कणों के रूप में पाये जाते हैं। इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से देखने पर ये गोल तथा चपटी रचनाओं के रूप में अन्तः प्रद्रव्यी जालिका के चारों ओर व्यवस्थित दिखाई देते हैं। राइबोसोम में 40-60% RNA तथा शेष प्रोटीन होती है। इनका मुख्य कार्य कोशिकाओं में प्रोटीन संश्लेषण में सहायता करना है।

(v) लाइसोसोम्स (Lysosomes) : ये कोशिकाद्रव्य में 0.25um से 0.8um व्यास की गोल या अनियमित आकार की रचनाएँ होती हैं। सन् 1955 में डूवे (Duve) ने इन रचनाओं का नाम लाइसोसोम रखा। प्रत्येक लाइसोसोम एक तरल द्रव से युक्त खाली स्थान के रूप में होता है जो चारों ओर से लाइपोप्रोटीन के एक स्तरीय आवरण से घिरा रहता है। इनमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन तथा न्यूक्लिक अम्ल आदि के लिए विभिन्न पाचक एन्जाइम भरे रहते हैं। इसीलिए इसके कार्य निम्नवत हैं-

(a) कोशिका अवयवों के पाचन हेतु एन्जाइमों का संग्रह करना तथा प्रोटीन एवं कार्बोहाइड्रेट का पाचन करना।
(b) जन्तु कोशिकाओं में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया व अपशिष्ट पदार्थों का भक्षण करके नष्ट करना।

(vi) सेण्ट्रोसोम (Centrosomes) : यह गोलाकार रचना है जो कोशिका में केन्द्रक के पास स्थित होती है। इसी के मध्य में प्रायः दो सूक्ष्म रचनाएँ पायी जाती हैं जिन्हें सैण्ट्रि ओल्स (centrioles) कहते हैं। ये कोशिका विभाजन के समय मुख्य कार्य करते हैं।

(vii) माइक्रोसोम्स (Microsomes) : ये अन्तः प्रद्रव्यी जालिका की नलिकाओं के कट जाने या टूट जाने से बनते हैं और छोटे-छोटे पुटिकाओं (vesicles) के रूप में कोशिकाद्रव्य में बिखरे दिखाई पड़ते हैं। इनकी झिल्ली लाइपोप्रोटीन की बनी होती है जिस पर राइबोसोम के कण पाये जाते हैं।

(viii) प्लास्टिड्स (Plastids) : ये मुख्यतः पादप कोशिकाओं में पाये जाते हैं लेकिन कुछ जन्तुओं जैसे यूग्लीना (Euglena) में भी पाये जाते हैं। ये अनेक रंगों तथा आकृतियों के होते हैं। रंगहीन प्लास्टिड को ल्यूकोप्लास्ट तथा रंगीन को क्रोमोप्लास्ट कहते हैं। क्रोमोप्लास्ट में सबसे महत्वपूर्ण हरे रंग के क्लोरोप्लास्ट होते हैं जो पौधों में भोजन के निर्माण में सहायक होते हैं।

(ix) सूक्ष्मनलिकाएँ (Microtubules) : ये नलिकाएँ लगभग 200À व्यास की होती हैं और स्वतंत्र गतिशील अवस्था मंर कोशिका के कोशिकाद्रव्य में पायी जाती है। ये जन्तु तथा पादप कोशिकाओं में पायी जाती हैं। ये कोशिका के आकार को स्थिर रखने में व कोशिका के अन्दर विभिन्न परिवर्तनों में विशेष महत्व रखती हैं। कोशिका विभाजन के समय ये स्पिन्डिल का निर्माण करती हैं। इसके अतिरिक्त सूक्ष्मनलिकाएँ सेण्ट्रोसोम, फ्लैजेला तथा सीलिया का भी निर्माण करती हैं।

(x) पक्ष्माभिका या कशाभिका (Cilia or Flagella) : अनेक कोशिकाओं में धागे के समान छोटी तथा बड़ी संरचनाएँ पायी जाती हैं। छोटी संरचनाओं को पक्ष्माभिका तथा बड़ी संरचनाओं को कशाभिका कहते हैं। ये दोनों संरचनाएँ प्लाज्मा झिल्ली के नीचे स्थित बेलनाकार कणों से जुड़ी रहती हैं। .जिन्हें आधारकाय (basal bodies) कहते हैं।

2. मेटाप्लास्ट या कोशिकाद्रव्य की अजीवित संरचनाएँ (Metaplast or Non-living Structures of Cytoplasm) : कोशिकाद्रव्य में पायी जाने वाली अजीवित रचनाएँ निम्नलिखित होती हैं -

(i) रिक्तिकाएँ (Vacuoles) : अनेक कोशिकाओं के कोशिकाद्रव्य में गोल एवं खोखले  स्थान वाली कुछ रचनाएँ उपस्थित होती हैं जिन्हें रिक्तिकाएँ कहते हैं। ये चारों ओर से प्लाज्मा झिल्ली के समान रिक्तिका झिल्ली (vacuolar membrane) के द्वारा घिरे रहते हैं। इनमें जल, अकार्बनिक लवण तथा विभिन्न प्रकार के कार्बनिक लवण पाये जाते हैं। इनका मुख्य कार्य खाद्य पदार्थों का संचय तथा उन्हें कोशिका के अन्य भागों तक ले जाना है। ये जन्तु कोशिकाओं की अपेक्षा वनस्पति कोशिकाओं में अधिक पायी जाती हैं।

(ii) आयल बिन्दु एवं क्रिस्टल्स (Oil Droplets and Crystals) : कोशिकाद्रव्य में कुछ आयल बिन्दु एवं कुछ सूक्ष्म कणों के रूप में क्रिस्टल्स पाये जाते हैं। ये कोशिका के अन्दर ऊर्जा के संचित स्रोत का कार्य करते हैं।

(iii) अन्य कोशिकाद्रव्यी अन्तर्वेश (Other Cytoplasmic Inclusions) - कोशिकाद्रव्य में अनेक प्रकार के कार्बनिक पदार्थ जैसे स्टार्च, ग्लाइकोजन तथा प्रोटीन आदि अजीवित पदार्थों के रूप में पाये जाते हैं।

केन्द्रक (Nucleus) : यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंगक (organelle) है जो प्रत्येक जीवित यूकरियोटिक कोशिका के जीवद्रव्य में पाया जाता है और कोशिका की सभी जैविक क्रियाओं का नियंत्रण करता है। इसकी आकृति प्रायः कोशिका के आकार के अनुरूप जैसे गोल, प्लेटनुमा पिण्डाकार, लम्बी, अण्डाकार या फीते के समान होती है। एक कोशिका में प्रायः एक ही केन्द्रक होता है, लेकिन कुछ कोशिकाओं में दो या दो से अधिक केन्द्रक पाये जाते हैं। केन्द्रक में निम्नलिखित भाग पाये जाते हैं -

(i) केन्द्रक झिल्ली (Nuclear Membrane) : केन्द्रक के चारों ओर लाइपोप्रोटीन की बनी तथा छिद्रित (perforated) दोहरी इकाई झिल्ली पायी जाती है जिसे केन्द्रक झिल्ली कहते हैं। इसमें पाये जाने वाले छिद्रों के कारण कोशिकाद्रव्य तथा केन्द्रकद्रव्य एक-दूसरे से सम्बन्धित रहते हैं।

(ii) केन्द्रकद्रव्य (Nucleoplasm) : केन्द्रक के अन्दर एक तरल पदार्थ होता है जिसे केन्द्रकद्रव्य (nucleoplasm or karyolymph or nuclear sap) कहते हैं। इसका संगठन कोशिका के कोशिकाद्रव्य के संगठन से मिलता है। इसमें प्रोटीन की मात्रा अधिक रहती है, जिसमें केन्द्रिका (nucleolus), केन्द्रक जालिका (nuclear reticulum) तथा न्यूक्लियोप्रोटीन कण तैरते रहते हैं।

(iii) केन्द्रिका (Nucleolus) : केन्द्रक के अन्दर एक या कई गोल रचनाएँ पायी जाती हैं। जिन्हें केन्द्रिका कहते हैं। केन्द्रिका में 10% RNA, 85% प्रोटीन एवं 5% DNA होता है। केन्द्रिका के चारों ओर कोई कला नहीं होती है। केन्द्रिका का मुख्य कार्य राइबोसोम उपइकाइयों का निर्माण करना है। क्योंकि इसमें राइबोसोम के निर्माण सम्बन्धी सभी प्रोटीन, एन्जाइम तथा RNA संग्रहित होते हैं।

(iv) केन्द्रक जालिका (Nuclear Reticulum): केन्द्रक के अन्दर क्रोमेटिन के धागे पाये जाते हैं जो आपस में उलझकर जाल जैसी रचना बनाते हैं। इसे केन्द्रक जालिका या क्रोमेटिन जालिका कहते हैं। जब कोशिका इण्टरफेज अवस्था में रहती है और उसके अन्दर उपापचयी क्रियाएँ अपनी चरम सीमा पर होती हैं तो केन्द्रक जालिका कम स्पष्ट दिखाई पड़ती है, परन्तु विभाजन प्रारम्भ होने के कुछ पहले यह स्पष्ट हो जाती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कोशा कला की सूक्ष्म संरचना जानने के लिए सिंगर और निकोल्सन की तरल मोजैक विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- कोशिका सिद्धान्त से आप क्या समझते हैं? प्राणि कोशिका का नामांकित चित्र बनाइए तथा पाँच कोशिका उपांगों के मुख्य कार्यों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- निम्नलिखित वैज्ञानिकों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) एन्टोनी वान ल्यूवेन हॉक (ii) श्लीडेन तथा श्वान्स
  4. प्रश्न- अन्तरकोशिकीय संचार या कोशिका कोशिका अन्तर्क्रिया पर टिप्पणी लिखिए।
  5. प्रश्न- कोशिका-एडहेसन का वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए - (i) माइक्रोट्यूब्ल्स (ii) माइक्रोफिलामेन्टस (iii) इन्टरमीडिएट फिलामेन्ट
  7. प्रश्न- माइटोकॉण्ड्रिया की संरचना व कार्यों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम की संरचना तथा कार्यों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- राइबोसोम की संरचना एवं कार्यों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- परऑक्सीसोम पर टिप्पणी लिखिए।
  11. प्रश्न- वेंकटरमन रामाकृष्णन पर टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- बाह्य प्रोटीन और समाकल प्रोटीन कोशिका कला की पारगम्यता को किस प्रकार प्रभावित करती हैं?
  13. प्रश्न- हरितलवक और माइटोकॉण्ड्रिया में मिलने वाले समान लक्षणों का वर्णन कीजिए।
  14. प्रश्न- परॉक्सीसोम किन कोशिकांगों के साथ मिलकर प्रकाशीय श्वसन (फोटोरेस्पिरेशन) की क्रिया सम्पन्न करता है? प्रकाशीय श्वसन के जैविक कार्यों की समीक्षा प्रस्तुत कीजिए।
  15. प्रश्न- केन्द्रक की संरचना का चित्र सहित वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- उपयुक्त आरेखों के साथ गुणसूत्र आकारिकी व परासंरचना का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- “गुणसूत्रों की विशेष किस्में” विषय पर एक निबन्ध लिखिए।
  18. प्रश्न- न्यूक्लिक अम्ल क्या होते हैं? डी.एन.ए. की संरचना तथा प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- वाट्सन तथा क्रिक के द्वारा प्रस्तुत डी. एन. ए. की संरचना का वर्णन कीजिए तथा डी. एन. ए. के विभिन्न प्रकार बताइए।
  20. प्रश्न- राइबोन्यूक्लिक अम्लों की रचना का वर्णन कीजिए तथा इसके जैविक एवं जैव-रासायनिक महत्व पर प्रकाश डालिए।
  21. प्रश्न- मेसेल्सन एवं स्टेहल के उस प्रयोग का वर्णन कीजिए जो अर्द्ध-संरक्षी डी. एन. ए. पुनरावृत्ति को प्रदर्शित करता है।
  22. प्रश्न- जेनेटिक कोड पर टिप्पणी लिखिए।
  23. प्रश्न- गुणसूत्रों की रचना एवं प्रकार का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- न्यूक्लिओसोम का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  26. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- सेण्ट्रोसोम की परिभाषा लिखिए।
  28. प्रश्न- क्रोमेटिन के प्रकारों को बताते हुए हेटेरोक्रोमेटिन को विस्तार से समझाइये।
  29. प्रश्न- किसी एक प्रायोगिक साक्ष्य द्वारा सिद्ध कीजिये कि डी.एन.ए. ही आनुवांशिक तत्व है।
  30. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- B गुणसूत्र का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  32. प्रश्न- डी.एन.ए. और आर.एन.ए. में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- RNA कौन-सा आनुवंशिक कार्य DNA की तरह पूरा करता है?
  34. प्रश्न- नीरेनबर्ग तथा एच.जी.खोराना के योगदान का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- क्या RNA का एक स्ट्रेण्ड दूसरा स्ट्रेण्ड संश्लेषित कर सकता है?
  36. प्रश्न- DNA की संरचना फॉस्फोरिक एसिड, पेन्टोज शर्करा तथा नत्रजन क्षार से होती है। इसके वस्तुतः आनुवंशिक तत्व कौन से हैं?
  37. प्रश्न- वाटसन एण्ड क्रिक पर टिप्पणी लिखिए।
  38. प्रश्न- DNA की पुनरावृत्ति में सहायक एन्जाइमों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- कोशिका चक्र से आप क्या समझते हैं? इण्टरफेज में पायी जाने वाली कोशिका चक्र की विभिन्न प्रावस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- समसूत्री कोशिका विभाजन का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए तथा समसूत्री के महत्व पर एक टिप्पणी लिखिए।
  41. प्रश्न- अर्धसूत्री कोशिका विभाजन का सविस्तार वर्णन कीजिए तथा इसके महत्व का उल्लेख कीजिए।
  42. प्रश्न- समसूत्री तथा अर्धसूत्री विभाजन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  43. प्रश्न- एक संकर संकरण क्या है? कम से कम दो उदाहरणों को बताइए।
  44. प्रश्न- स्वतन्त्र अपव्यूहन के नियम को समझाइए।
  45. प्रश्न- एक उपयुक्त उदाहरण देते हुए अपूर्ण प्रभाविकता पर एक टिप्पणी लिखिए।
  46. प्रश्न- जन्तुओं में लिंग निर्धारण की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
  47. प्रश्न- मानव में लिंग निर्धारण कैसे होता है?
  48. प्रश्न- लिंग निर्धारण में प्राकृतिक कारकों के प्रभाव का उदाहरण सहित विस्तृत वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- वंशानुगत तथा आनुवंशिकी में अन्तर बताइए।
  50. प्रश्न- आनुवंशिकी का जनक किसको वस्तुतः कहा जाता है?
  51. प्रश्न- समप्रभाविता की वंशागति को समझाइए।
  52. प्रश्न- “समलक्षणी जीवों की जीनी संरचना भिन्न हो सकती है। यह कथन सही है अथवा गलत? क्यों?
  53. प्रश्न- ग्रीगर जॉन मेण्डल के योगदान को रेखांकित कीजिए।
  54. प्रश्न- कौन-सा कोशिका विभाजन गैमीट पैदा करता है?
  55. प्रश्न- स्यूडोडोमिनेंस पर टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस एवं बैक क्रॉस में अन्तर बताइए।
  57. प्रश्न- टेस्ट क्रॉस तथा बैक क्रॉस को समझाइए।
  58. प्रश्न- मानव में बार बॉडी के महत्व को समझाइये।
  59. प्रश्न- लिंग प्रभावित वंशागति एवं लिंग सीमित वंशागति में अन्तर बताइए।
  60. प्रश्न- लिंग सहलग्न, लिंग प्रभावित और लिंग सीमाबद्धित लक्षणों के बीच सोदाहरण विभेदकीजिए।
  61. प्रश्न- मेरी एफ. लिओन की परिकल्पना समझाइए।
  62. प्रश्न- कारण स्पष्ट कीजिए कि नर मधुमक्खी में शुक्राणुओं का निर्माण समसूत्री विभाजन द्वारा क्यों होता है?
  63. प्रश्न- ZW टाइप लिंग निर्धारण पर टिप्पणी लिखिए।
  64. प्रश्न- पक्षियों में लिंग निर्धारण प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- स्तनधारी मादा की शुरूआती अवस्था में कौन-सा X क्रोमोसोम हेट्रोक्रोमेटाइज हो जाता है, माता का या पिता का?
  66. प्रश्न- मल्टीपिल ऐलीलिज्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  67. प्रश्न- Rh-तत्व क्या है? इसके महत्व एवं वंशागति का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- जीन की अन्योन्य क्रिया से आप क्या समझते हैं? उदाहरणों की सहायता से जीन की अन्योन्य क्रिया की विधि का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- सहलग्नता क्या है? उचित उदाहरण देते हुए इसके महत्त्व की चर्चा कीजिए।
  70. प्रश्न- क्रॉसिंग ओवर को उदाहरण सहित समझाइए तथा इसके महत्व पर प्रकाश डालिए।
  71. प्रश्न- एक स्त्री का रक्त समूह 'AB' व उसके बच्चे का रक्त समूह '0' है। कारण सहित स्पष्ट कीजिए कि उस बच्चे के पिता का रक्त समूह क्या होगा?
  72. प्रश्न- एक Rh + स्त्री, Rh पुरुष से शादी करती है। इनकी संतति में एरेथ्रोब्लास्टोसिस की क्या सम्भावना है?
  73. प्रश्न- लैंडस्टीनर के योगदान का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- रक्त समूह को समझाइए।
  75. प्रश्न- जिनोम को परिभाषित कीजिए।
  76. प्रश्न- 'गृह व्यवस्थापक जीन' या 'रचनात्मक जीन' के बारे में बताइये।
  77. प्रश्न- प्रभावी तथा एपीस्टेटिक जीन में क्या अन्तर है?
  78. प्रश्न- लीथल जीन्स पर टिप्पणी लिखिए।
  79. प्रश्न- पूरक जीन क्रिया को परिभाषित कीजिए।
  80. प्रश्न- गुणसूत्र पर पाये जाने वाले विभिन्न अभिरंजन और पट्टिका प्रतिमानों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- हेट्रोक्रोमेटिन और उसके लक्षण पर टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- क्रासिंग ओवर उद्विकास की प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- लिंकेज ग्रुप पर टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- सामान्य मानव कैरियोटाइप का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- गुणसूत्रीय विपथन पर एक निबन्ध लिखिए।
  86. प्रश्न- असुगुणिता किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की असुगुणिताओं का वर्णन कीजिए तथा इनकी उत्पत्ति के स्रोत बताइए।
  87. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति से आप क्या समझते हैं? मनुष्य या ड्रोसोफिला के सन्दर्भ में इस परिघटना का उदाहरणों सहित विवेचन कीजिए।
  88. प्रश्न- क्लाइनफिल्टर सिंड्रोम कार्यिकी अथवा गुणसूत्र के असामान्य स्थिति का परिणाम है। स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- मंगोलिज्म या डाउन सिन्ड्रोम क्या है?
  90. प्रश्न- टर्नर सिन्ड्रोम उत्पन्न होने के कारण एवं उनके लक्षण लिखिए।
  91. प्रश्न- समक्षार उत्परिवर्तन पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- अनुप्रस्थ विस्थापन पर टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- पोजीशन एफेक्ट क्या है? उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- लिंग सहलग्नता प्रक्रिया को समसूत्री नर व समसूत्री मादा में स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- वर्णान्ध व्यक्ति रेलवे ड्राइवर क्यों नहीं नियुक्त किये जाते हैं?
  96. प्रश्न- मानव वंशागति के अध्ययन में क्या मुख्य कठिनाइयाँ हैं?
  97. प्रश्न- संक्रामक जीनों से आप क्या समझते हैं?
  98. प्रश्न- वंशावली विश्लेषण पर टिप्पणी लिखिए।
  99. प्रश्न- लिंग सहलग्न वंशागति के प्रारूप का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोगजनक परजीवी की संरचना एवं जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- वुचरेरिया बैन्क्रोफ्टाई के वितरण, स्वभाव, आवास तथा जीवन चक्र का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- जिआर्डिया पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  103. प्रश्न- एण्टअमीबा हिस्टोलायटिका की संरचना, जीवन-चक्र, रोगजन्यता एवं नियंत्रण का वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- अफ्रीकी निद्रा रोग क्या है? यह कैसे होता है? इसके संचरण एवं रोगजनन को समझाइए। इस रोग के नियंत्रण के उपाय बताइए।
  105. प्रश्न- फाइलेरिया क्या है? इसके रोगजनकता एवं लक्षणों तथा निदान का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जिआर्डिया के प्रजनन एवं संक्रमित रोगों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- जिआर्डिया में प्रजनन पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- जिआर्डिया पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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