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बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2675
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र

प्रश्न- अजन्ता की गुहा सोलह के चित्रों का विश्लेषण कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. सोलहवीं गुफा के चित्र किस काल की कला का वर्णन करते हैं?
2. अजन्ता की चित्रकला का स्वर्णयुग किसे तथा क्यों कहा जाता है?
3. भगवान बुद्ध के गृहत्याग वाले चित्र का वर्णन कलाकारों ने किस प्रकार किया है?
4. मरणासन्न राजकुमारी के चित्र के अंकन पर अपनी टिप्पणी दीजिए।
5. हस्ति जातक कथा के बारे में आप क्या जानते हैं?
6. अजातशत्रु व बुद्ध की भेंट के चित्र का वर्णन अपने शब्दों में करिए।
7. अजंता के "मरणासन्न राजकुमारी " नामक चित्र का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

गुहा संख्या सोलह में उपलब्ध चित्र का वर्णन

सोलहवीं गुहा के चित्र गुप्तकालीन कला का सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। इस गुहा की चित्रकारी लगभग पाँच सौ ई० से प्रारम्भ होती है और सत्रहवीं गुहा के कुछ पूर्व की है। यह विहार गुहा चित्रों से परिपूर्ण है और साथ ही साथ मूर्तियों को उत्कीर्ण करने की अनोखी विशेषता भी इस गुहा में दिखायी पड़ती है। इस गुहा की चित्रकारी को देखकर यह सहज ही कहा जा सकता है कि अजन्ता की चित्रकला का स्वर्णयुग इसी गुहा में सुरक्षित है तो अतिशयोक्ति न होगी। यहाँ की कुछ महत्त्वपूर्ण कलाकृतियाँ क्षतिग्रस्त हो गयी हैं और कुछ कलाकृति बोस्टन संग्रहालय में रखी गयी हैं। इस काल में भगवान बुद्ध की मूर्ति का पूर्ण विकास हो चला था। यही कारण है कि यहाँ पर एक भगवान बुद्ध की विशाल मूर्ति प्रलम्ब पाद मुद्रा में बनी हुई है। इस समय तक विशाल स्तूप के स्थान पर पूजा-अर्चना हेतु भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं को स्थापित किया गया, जिसे चैत्य मन्दिरम् कहा जाता था। इस गुहा में बुद्ध के जीवन एवं तथागत से सम्बन्धित कथाओं का चित्रण कुशलतापूर्वक किया गया है। भगवान बुद्ध से सम्बन्धित घटनाओं में माया देवी का स्वप्न, गौतम का विद्यारम्भ, गृह त्याग से पूर्व के चार प्रमुख दृश्य, सुजाता की खीर, मुनि से उनका वार्तालाप, मरणासन्न राजकुमारी आदि को मुख्य रूप से चित्रित किया गया है। जातक कथाओं में सुत सोम जातक, हंस जातक तथा महाउमग्ग जातक का अंकन किया गया है।

क्षतिग्रस्त चित्रों में भगवान बुद्ध का तुषित स्वर्ग से अवतरण एवं सुत सोम जातक की कथा। भगवान बुद्ध के तुषित स्वर्ग में उपदेश वाले चित्र में बुद्ध को इस स्वर्ग से अपने आखिरी जन्म हेतु अवतरित होते हुए बड़े ही मनोरम ढंग से चित्रित किया गया है।

इस गुहा का भगवान बुद्ध द्वारा गृह त्याग वाला दृश्य अत्यन्त भावपूर्ण है। इस चित्र में बुद्ध गृहत्याग का मन बना रहे हैं जो उनके मुखमण्डल पर स्पष्ट दिखायी पड़ रहा है। समीप ही उनकी धर्मपत्नी यशोधरा अपने पुत्र राहुल को लेकर सो रही हैं, साथ ही साथ दासियाँ भी गहरी निद्रा में सो रही हैं। बुद्ध के मुखमण्डल पर वैराग्य का भाव जाग्रत करने में चित्रकार ने महारथ प्राप्त की है।

गुहा के वाम भित्ति पर उन चार घटनाओं का अंकन किया गया है जिन्हें देखकर भगवान बुद्ध के हृदय में वैराग्य भाव जाग्रत हो गया था। बुद्ध के जन्म एवं उनके सात कदम चलने की कथा को पदम पुष्पों के प्रतीकों से चित्रित किया गया है। बुद्ध के विद्यारम्भ का दृश्य भी चित्रित किया गया है जिसमें बुद्ध की पाठशाला का अंकन किया गया है। पाठशाला के प्रांगण में क्रीड़ारत बालकों को बड़े ही भावपूर्ण व सुन्दर ढंग से चित्रित किया गया है।

अजन्ता की सोलहवीं गुफा का मरणासन्न राजकुमारी वाला चित्र सर्वाधिक सौन्दर्ययुक्त एवं आकर्षक है। यह पति के विरह में मरती हुई राजकुमारी का चित्र है। राजकुमारी के चारों ओर उसके सगे-सम्बन्धी शोकाकुल अवस्था में खड़े हुए हैं। एक सेविका राजकुमारी को सहारा देकर ऊपर उठाये हुए है तथा दूसरी सेविका राजकुमारी को पंखा झल रही है। एक स्त्री अत्यन्त आतुर होकर राजकुमारी का हाथ अपने हाथ में पकड़े हुए है तथा दूसरी ओर दो परिचारिकाएँ हाथ में कलश लिए खड़ी हैं। मूच्छित राजकुमारी का सिर गिर रहा है और नेत्र बन्द हैं तथा शरीर का अंग-प्रत्यंग पीड़ा से कराहता हुआ चित्रित किया गया है। विद्वानों ने इस राजकुमारी की पहचान बुद्ध के भाई नन्द की पत्नी से की है। जॉन ग्रफिक्स एवं फर्ग्यूसन महोदय ने इस चित्र की भूरि-भूरि प्रशंसा की है और कहा है कि, "करुणा, भाव एवं अपनी कथा को स्पष्ट रूप से प्रकट करने की दृष्टि से यह चित्र चित्रकला के इतिहास में अनतिक्रमणीय है।" मरणासन्न राजकुमारी नामक कथा इस प्रकार से है— गौतम बुद्ध एक बार कपिलवस्तु में पधारे और यशोधरा व राहुल से भेंट करने के पश्चात् अपने भाई नन्द के गृह गये। वहाँ से बुद्ध उन्हें अपने साथ विहार हेतु लेते गये तथा उनकी इच्छा के विपरीत उनका चौलकर्म करवाकर उन्हें प्रव्रज्या दे दी। प्रसन्न रहने वाला नन्द अपनी पत्नी के मोह में ही डूबा रहता था जिसके कारण अन्य भिक्षुगण उसका मजाक उड़ाते थे। इस हँसी व ठिठोली के मध्य ही नन्द को सच्चा वैराग्य हो गया और वह मोह-माया के बन्धन से दूर हो गया। नन्द की पत्नी ने जब नन्द द्वारा परित्यक्त मुकुट के दर्शन किए तो वह इस सदमे के कारण मूर्च्छित हो गयी जिसको दासियों ने अपने हाथ का सहारा दिया। रानी के अंग-प्रत्यंग को चित्रकारों ने बहुत सौन्दर्यपूर्ण ढंग से चित्रित किया है। रानी का शिथिल शरीर व मुखमुद्रा से स्पष्ट रूप से मूर्च्छा के भाव के अंकन में चित्रकारों ने बेजोड़ सफलता प्राप्त की है। मरणासन्न राजकुमारी नामक कथा चित्रण को भित्ति चित्रकारों ने विशाल भित्ति खण्ड पर कई भागों में निर्मित किया है। चित्रकारों ने इतने व्यवस्थित ढंग से इस कहानी का चित्रण किया है कि चित्र का विस्तार कहीं भंग नहीं हुआ है और पूर्ण कहानी कलात्मक रेखाओं के साथ लगातार आगे बढ़ती गयी है। इस कहानी चित्रण के माध्यम से अजन्ता के महान चितेरों ने अपनी कला-कौशल का उत्तम परिचय देते हुए मनोरम कलाकृतियों का सृजन करके अजन्ता की भित्ति को अमरत्त्व प्रदान कर दिया है।

इसी गुहा में हस्ति जातक वाला चित्र भी बना है जो अत्यन्त आकर्षक है। हस्ति जातक कथा के आधार पर इस कहानी का चित्रण बड़े ही मार्मिक ढंग से किया गया है जिसमें करुण रस की प्रधानता है। इस जातक कथा के अनुसार इसकी कहानी इस प्रकार से है- भगवान बुद्ध ने अपने किसी पूर्व जन्म में एक शक्तिशाली हस्ति के रूप में जन्म लिया। हस्ति रूप में जन्म लेने के पश्चात् ये वियावन नामक विपिन में अकेले ही रहते थे। इसी विपिन में अचानक एक दर्द भरी आवाज आयी और हस्ति रूपी बोधिसत्व उस आवाज की ओर चल पड़े। वहाँ लोगों को भूखे-प्यासे देखकर उन्हें बहुत दया आयी और यात्रियों की भूख को शान्त करने के उद्देश्य से एक झील के पास स्थित एक चोटी से कूदकर अपना प्राणान्त कर दिया। यात्रियों ने उनके मांस से उदर को भरा और झील का पानी पीकर अपनी प्यास बुझायी। परन्तु जब इन्हीं यात्रियों ने इस मृत हाथी को पहचान लिया तो उनके इस कृत्य से वे भाव-विभोर हो उठे। हस्ति जातक कथा का चित्रण भित्ति चित्रकारों ने क्रमबद्ध तरीके से किया है जिससे सम्पूर्ण कहानी चलचित्र के समान आँखों के सामने दृश्यमान हो उठती है।

इसी गुहा में सम्राट अजातशत्रु व बुद्ध की भेंट का विशाल चित्र अंकित किया गया है। अजातशत्रु अपने पिता बिम्बिसार का वध करने के पश्चात् बहुत दुखित व अशान्त रहता था। इस अशान्त मन की शान्ति के लिए उसके मन में किसी महात्मा के उपदेश सुनने की प्रबल इच्छा हुई। इस बात का पता जब राजवैद्य जीवक को हुआ तो उन्होंने आम्रवन में रुके हुए भगवान बुद्ध के उपदेश को सुनने के लिए अजातशत्रु को प्रेरित किया। इस चित्र में सम्राट को जुलूस के साथ अंकित किया गया है। इस चित्र में सम्राट के साथ सजे-धजे हाथी, सिपाही विभिन्न वाद्य यन्त्रों के साथ वादक बनाए गए हैं। इस चित्र में जुलूस का सच्चा अंकन किया गया है। इसी गुहा में भगवान बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित अन्य घटनाओं का भी अंकन बड़े सुन्दर और मार्मिक ढंग से किया गया है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- कला अध्ययन के स्रोतों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- प्रागैतिहासिक भारतीय चित्रकला की खोज का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  3. प्रश्न- भारतीय प्रागैतिहासिक चित्रकला के विषयों तथा तकनीक का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- भारतीय चित्रकला के साक्ष्य कहाँ से प्राप्त हुए हैं तथा वे किस प्रकार के हैं?
  5. प्रश्न- भीमबेटका क्या है? इसके भीतर किस प्रकार के चित्र देखने को मिलते हैं?
  6. प्रश्न- प्रागैतिहासिक काल किसे कहते हैं? इसे कितनी श्रेणियों में विभाजित कर सकते हैं?
  7. प्रश्न- प्रागैतिहासिक काल का वातावरण कैसा था?
  8. प्रश्न- सिन्धु घाटी के विषय में आप क्या जानते हैं? सिन्धु कला पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  9. प्रश्न- सिन्धु घाटी में चित्रांकन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- मोहनजोदड़ो - हड़प्पा की चित्रकला को संक्षेप में समझाइए।
  11. प्रश्न- सिन्धु घाटी सभ्यता की कला पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- जोगीमारा की गुफा के चित्रों की विषयवस्तु तथा शैली का विवेचन कीजिए।
  13. प्रश्न- कार्ला गुफा के विषय में आप क्या जानते हैं? वर्णन कीजिए।.
  14. प्रश्न- भाजा गुफाओं पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- नासिक गुफाओं का परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- अजन्ता की गुफाओं की खोज का संक्षिप्त इतिहास बताइए।
  17. प्रश्न- अजन्ता की गुफाओं के चित्रों के विषय एवं शैली का परिचय देते हुए नवीं और दसवीं गुफा के चित्रों का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- अजन्ता की गुहा सोलह के चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
  19. प्रश्न- अजन्ता की गुहा सत्रह के चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
  20. प्रश्न- अजन्ता गुहा के भित्ति चित्रों की विशेषताएँ लिखिए।
  21. प्रश्न- बाघ गुफाओं के प्रमुख चित्रों का परिचय दीजिए।
  22. प्रश्न- अजन्ता के भित्तिचित्रों के रंगों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- अजन्ता में अंकित शिवि जातक पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  24. प्रश्न- सिंघल अवदान के चित्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  25. प्रश्न- अजन्ता के चित्रण-विधान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  26. प्रश्न- अजन्ता की गुफा सं० 10 में अंकित षडूदन्त जातक का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- सित्तन्नवासल गुफाचित्रों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  28. प्रश्न- बादामी की गुफाओं की चित्रण शैली की समीक्षा कीजिए।
  29. प्रश्न- सिगिरिया की गुफा के विषय में बताइये। इसकी चित्रण विधि, शैली एवं विशेषताएँ क्या थीं?
  30. प्रश्न- एलीफेण्टा अथवा घारापुरी गुफाओं की मूर्तिकला पर टिप्पणी लिखिए।
  31. प्रश्न- एलोरा की गुहा का विभिन्न धर्मों से सम्बन्ध एवं काल निर्धारण की विवेचना कीजिए।
  32. प्रश्न- एलोरा के कैलाश मन्दिर पर टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- एलोरा के भित्ति चित्रों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- एलोरा के जैन गुहा मन्दिर के भित्ति चित्रों का विश्लेषण कीजिए।
  35. प्रश्न- मौर्य काल का परिचय दीजिए।
  36. प्रश्न- शुंग काल के विषय में बताइये।
  37. प्रश्न- कुषाण काल में कलागत शैली पर प्रकाश डालिये।
  38. प्रश्न- गान्धार शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
  39. प्रश्न- मथुरा शैली या स्थापत्य कला किसे कहते हैं?
  40. प्रश्न- गुप्त काल का परिचय दीजिए।
  41. प्रश्न- “गुप्तकालीन कला को भारत का स्वर्ण युग कहा गया है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
  42. प्रश्न- अजन्ता की खोज कब और किस प्रकार हुई? इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करिये।
  43. प्रश्न- भारतीय कला में मुद्राओं का क्या महत्व है?
  44. प्रश्न- भारतीय कला में चित्रित बुद्ध का रूप एवं बौद्ध मत के विषय में अपने विचार दीजिए।

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