बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र
प्रश्न- सिगिरिया की गुफा के विषय में बताइये। इसकी चित्रण विधि, शैली एवं विशेषताएँ क्या थीं?
उत्तर -
सिगिरिया की गुफाएँ - (5वीं शताब्दी)
भारतीय बौद्ध भिक्षु धर्म के प्रचार के लिए सुदूर पूर्वी तथा दक्षिणी देशों की ओर गए और उनके साथ ही भारतीय चित्रकारी, धर्म तथा दर्शन आदि का भी प्रसार हुआ। श्रीलंका में भी इसी प्रकार भारत की अजन्ता शैली की चित्रकला इन्हीं धर्मप्रचारकों के माध्यम से पहुँची। श्रीलंका में सिगिरिया या सिंहगिरिया नामक गुफाओं में अजन्ता की चित्रशैली के दर्शन होते हैं।
सिगिरिया गुफा की स्थिति - सिगिरिया की गुफाओं को श्रीलंका द्वीप की सरकार ने गुफाओं की चित्रकारी की उचित देखभाल के लिए यथोचित सुरक्षा व्यवस्था की।
ये गुफाएँ कोलम्बो से लगभग 100 मील की दूरी पर स्थित सिंहगिरि कस्बे के निकट जंगल में एक एकाकी छः सौ फुट ऊँची पहाड़ी (जो मीनार के समान खड़ी है) की तलहटी के उथले भाग में है। यह पहाड़ी खुले सघन जंगली प्रदेश में स्थित है। इसके समीप में दो चित्रित खोहे हैं। यह चित्र राजा कश्यप के समय के माने गये हैं। राजा कश्यप का राज्यकाल 479 ई. से 497 ई. तक माना जाता है। श्रीलंका की सरकार ने 1895 ई. में श्री एच.सी.पीवेल (पुरातत्व विभाग) के कमिश्नर के निर्देशन में सिगिरिया गुफाओं के जीर्णोधार तथा सुरक्षा की व्यवस्था प्रारम्भ करायी। इस योजना के अधीन चित्रों के ऊपर तार की जाली लगाकर उनको सुरक्षित कर दिया गया। अधिकांश चित्र इन्हीं दो गुफाओं में प्राप्त हुए। इन दोनों खोहों में कुल छः गुफाएँ हैं, परन्तु चित्र के अवशेष केवल चार गुफाओं में प्राप्त हैं, जिनमें से समुचित और महत्वपूर्ण चित्र केवल उपरोक्त दो गुफाओं में शेष रह गए हैं। इन गुफाओं को विन्सेंट स्मिथ ने 'ए' तथा 'बी' के नाम से सम्बोधित किया है।
दो प्राकृतिक कक्षों से एक गुफा बन जाती है जो 67-1/2 फुट लम्बी है और दो भागों में एक टेढ़े-मेढ़े चट्टानी किनारे से विभाजित है। इस प्रकार प्रथम कक्ष 'ए' 26-1/4 फुट और द्वितीय कक्ष 'बी' 41 - 1/4 फुट लम्बा है।
यहाँ पर कुल 21 स्त्रियों के चित्र हैं। कुल 22 आकृतियों में से पाँच के चित्र 'ए' गुफा में और 17 चित्र 'बी' गुफा में सुरक्षित हैं। ये चित्र मानवाकार या कुछ छोटे हैं।
1886 ई. में श्री ए. मरे ने कठिन परिश्रम द्वारा 13 आकृतियों की पेस्टिल रंगों तथा रंगीन छाया चित्रों के द्वारा प्रतिलिपियाँ तैयार कीं, जो कोलम्बो संग्रहालय में सुरक्षित हैं। सन् 1967 ई. में 14 अक्टूबर की रात कुछ अवांछनीय तत्वों ने इन चित्राकृतियों को नष्ट किया।
सिगिरिया की गुफाओं का समय 5वीं शताब्दी माना गया है। लंका की चित्रकला के ये सर्वप्रथम एवं प्राचीन चित्र माने गये हैं। इनकी चित्रण शैली अजन्ता से प्रभावित है। इन चित्रों में बौद्ध दर्शन और भगवान बुद्ध के जीवन शैली को प्रदर्शित किया गया है।
सम्राट अशोक के समय में बौद्ध धर्म की अपूर्व प्रगति हुई। लंका में यह धर्म लोकधर्म के रूप में स्वीकार किया गया, जिसका प्रभाव वहाँ की कला पर भी पड़ा। सिगिरिया के शिल्प चित्रों में (भगवान बुद्ध की घटनाओं के अंकन में) सर्वत्र आध्यात्मिक भावनाओं का कलात्मक एवं भावात्मक स्वरूप दर्शनीय है। फाह्यान ने अपनी लंका यात्रा के सम्बन्ध में लिखा है कि "सड़कों के चारों ओर बुद्ध की 400 प्रतिमाओं का भव्य प्रदर्शन किया गया है, जो उनके पूर्ण जीवन को उद्घटित करती है।”
सिगिरिया के चित्र - सिगिरिया की गुफा में एक जुलूस का दृश्य अंकित है, जिसमें कुलीन महिलाएँ हाथों में पुष्प लिये परिचारिकाओं सहित बौद्ध मठ की ओर पूजा करने जा रही हैं। सभी स्त्रियाँ कमर के नीचे वस्त्रों को धारण किये हैं और कुछ स्त्रियों ने ऊपर कोहनी तक आस्तीनदार चोली पहन रखी है और कुछ अर्द्धनग्न भी चित्रित की गई हैं।
इन कुलीन महिलाओं का चित्रण पीले या नारंगी रंग से किया गया है, परन्तु दासियों का गहरा वर्ण हरितिमायुक्त है। समस्त स्त्रियाँ आभूषणों तथा अलंकरणों से सुसज्जित हैं। इन चित्रों के नीचे की ओर बादल बनाये गये हैं, परन्तु श्री बेल का कथन है कि नीचे के भाग में चट्टानें टेढ़ी-मेढ़ी तथा खुरदुरी हैं, जिन पर चित्रकार आकृतियों के पैर नहीं बना सकता था, इसी वजह से बादल बनाये गये हैं, परन्तु यह बात उचित नहीं लगती, वास्तविकता यह रही कि इन आकृतियों को दिव्य और भव्य रूप प्रदत्त करने हेतु, इनको बादलों के मध्य बनाकर भव्य रूप प्रदान किया गया।
भारतीय पद्धति के समान ही चित्र की आकृतियों की सीमा रेखाएँ लाल या काले रंग से बनायी गई हैं और आकृतियों में सपाट रंग का प्रयोग किया गया है। एक अपूर्ण चित्र उदाहरण से ऐसा प्रतीत होता है कि सीमारेखा के आधार पर ही पूर्णतया रंगों का प्रयोग नहीं किया जाता था।
ये आकृतियाँ राजा कश्यप की समकालीन हैं, इसलिये इनका समय 5वीं शताब्दी ई. माना जाता है। अतएव ये चित्र अजन्ता के समकालीन हैं। अजन्ता की दूसरी गुफा की एक महिला की आकृति, जो कमल पुष्प लिये हुए चित्रित है वैसा ही चित्र सिगिरिया के एक महिला चित्र से पूर्णतया मिलती है। इन चित्रों पर साँची, भरहुत, मथुरा और अमरावती कला का प्रभाव पूर्णतया दृष्टव्य है। बौद्ध धर्म एवं दर्शन का इन चित्रों पर इतना गहरा एवं अमिट प्रभाव परिलक्षित है। ये युगों-युगों तक आध्यात्मिक प्रेरणा स्रोत हैं।
शैली - श्रीलंका द्वीप में भित्तिचित्रों के कई अन्य प्राचीन उदाहरण भी प्राप्त हुए हैं। इस प्रकार के उदाहरण अनुरुद्धपुर में प्राप्त हुए हैं। यहाँ के चित्रों की शैली भी अजन्ता पर आधारित है, परन्तु यहाँ पर सफेद, लाल, पीले रंग का प्रयोग है तथा नीले रंग का प्रयोग वर्जित है। अजन्ता के भित्ति चित्रों की शैली बाघ, बादामी, सित्तनवासल तथा सिगिरिया गुफामन्दिरों के चित्रों में अपने भव्य रूप में दृष्टव्य है। इस प्रकार यह चित्रण - शैली व्यापक रूप से प्रचलित हुई।
सिगिरिया गुफा की चित्रण विधि - सिगिरिया गुफा में चित्रों की लिखाई सावधानी से तैयार किये गये धरातल पर की गई है। यहाँ धरातल का पलस्तर 3/4 या 1/2 इंच मोटा है और अच्छे चूने से तैयार किया गया है। इस प्लास्टर में खड़िया - मिट्टी (Kaolin) तथा चावल की भूसी और कदाचित नारियल के जूट को मिलाया गया है।
श्री बेल का मत है कि 'यह चित्र सूखे धरातल पर टेम्परा रंगों में बनाये गये हैं, परन्तु अजन्ता की शैली से अधिक भिन्न नहीं हैं।
यहाँ पर चित्रकार ने केवल तीन रंगों का ही प्रयोग किया। लाल, पीले तथा हरे रंग का प्रयोग किया। नीले रंग का प्रयोग नहीं किया। कलाकार ने अपनी चित्राकृतियों में अपनी सजीव आत्मा को ऐसे ढंग से ढाल दिया कि उसके मूक चित्र भी जीवनशक्ति से ओत-प्रोत होकर बोल उठते हैं। यह सजीवता चित्रकार की रेखांकन कुशलता और उसकी सूक्ष्मदृष्टि की परिचायक है।
बौद्धकला का अभ्युदय सिन्धु घाटी की सभ्यता से हुआ। उसके विकास में निरन्तर प्रत्येक चरण में सिन्धु घाटी की पारम्परिक धार्मिक प्रवृत्तियाँ, धार्मिक आचार-विचार एवं उस युग के कलाकारों की अनुभूतियों की तीव्रता, अभिव्यंजना और माधुर्य की भावना प्रतिबिम्बित होती हैं। अजन्ता, वाघ, बादामी, सित्तनवासल व सिगिरिया के गुफा चित्र, प्राचीन कला के साक्ष्य प्रमाण हैं, जिनसे प्रेरणा लेकर कलाकारों ने अपने व्यक्तित्व को उजागर किया है।
विशेषतायें -
1. चित्र धार्मिक भावनाओं व उच्च आदर्शों से ओत-प्रोत हैं।
2. सिगिरिया की गुफा 5वीं शताब्दी की है।
3. यह गुफायें कोलम्बो से लगभग 100 मील की दूरी पर स्थित सिंहगिरि कस्बे के निकट
4. श्रीलंका में सिगिरिया या सिंहगिरिया नामक गुफाओं में अजन्ता की चित्रशैली के दर्शन होते हैं।
5. राजा कश्यप के समय के चित्र माने गये हैं।
6. इस गुफा का जीर्णोधार एच. सी. पीवेल (पुरातत्व विभाग) के कमिश्नर के निर्देशन में हुआ।
7. सिगिरिया में कुल छः गुफायें हैं।
8. चित्रों में बौद्ध धर्म और भगवान बुद्ध के जीवन को प्रदर्शित किया गया।
9. सर्वत्र आध्यात्मिक भावनाओं का कलात्मक एवं भावात्मक स्वरूप दर्शनीय है।
10. चित्र सूखे धरातल पर टैम्परा रंगों में बनाये गये हैं। चित्रकार ने केवल तीन रंगों का ही प्रयोग किया लाल, पीला तथा हरा।
11. सिगिरिया में नीले रंग का प्रयोग नहीं किया गया।
12. पारम्परिक धार्मिक प्रवृत्तियाँ, धार्मिक आचार-विचार एवं उस युग के कलाकारों की अनुभूतियों की तीव्रता, अभिव्यंजना और माधुर्य की भावना स्पष्ट परिलक्षित है।
13. सामाजिक, धार्मिक एवं राजनैतिक विषमताओं ने इस धर्म को क्षति भी पहुँचायी।
14. यह उच्च आदर्शों से ओत-प्रोत है।
15. कलाकारों ने भौतिक संसार से ऊपर उठकर अलौकिक सौन्दर्य की प्राप्ति के लिए सतत् प्रयास किये, इसलिये ये चित्रित गुफायें देवलोक के समान परिलक्षित हैं।
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- प्रश्न- कला अध्ययन के स्रोतों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- नासिक गुफाओं का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- बाघ गुफाओं के प्रमुख चित्रों का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- अजन्ता में अंकित शिवि जातक पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिंघल अवदान के चित्र का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अजन्ता के चित्रण-विधान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अजन्ता की गुफा सं० 10 में अंकित षडूदन्त जातक का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सित्तन्नवासल गुफाचित्रों पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बादामी की गुफाओं की चित्रण शैली की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सिगिरिया की गुफा के विषय में बताइये। इसकी चित्रण विधि, शैली एवं विशेषताएँ क्या थीं?
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