बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र बीए सेमेस्टर-3 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 चित्रकला प्रथम प्रश्नपत्र
प्रश्न- मथुरा कला शैली की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
अपनी मौलिकता, सुन्दरता एवं रचनात्मक विविधता के कारण मथुरा कला शैली का भारतीय कला में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस कला शैली की प्रमुख विशेषताएँ अधोलिखित हैं -
(i) मथुरा की मूर्तियों का निर्माण सफेद चित्तीदार लाल पत्थर से हुआ है। ये पाषाण रूपवास (भरतपुर) एवं सीकरी की खदानों में मिलते थे।
(ii) इन मूर्तियों को सम्मुख दर्शन के साथ-साथ पार्श्वगत, पृष्ठगत दर्शनों जैसे नवीन मुद्राओं में निर्मित किया गया है।
(iii) मथुरा शैली की मूर्तियों के मुख पर आभा एवं प्रभामण्डल है तथा दिव्यता एवं आध्यात्मिकता की अभिव्यंजन विशेषरूपेण उल्लेखनीय है
(iv) मथुरा शैली में बुद्ध को सिंहासनासीन तथा उनके पैरों के समीप सिंह आकृति प्रदर्शित किया गया है।
(v) इस शैली में निर्मित बुद्ध मूर्ति में उनके शरीर का धड़ भाग नग्न है, दाहिना हाथ अभय मुद्रा में और वस्त्र सिलवटों से युक्त है।
(vi) मथुरा शैली की एक विशिष्टता है कि इसकी मूर्तियाँ आदर्श प्रतीक भावयुक्त हैं।
(vii) इस शैली में निर्मित मूर्तियाँ अपनी विशालता के लिए प्रख्यात हैं।
(viii) मथुरा शैली की मूर्तियाँ पृष्ठालम्बन रहित, बनावट गोल हैं तथा मस्तक मण्डित है मस्तक ऊर्जा से अलंकृत एवं श्मश्रुरहित है।
(ix) मथुरा कला में भाव की कल्पना एवं अलंकरण की नीति सर्वथा भारतीय हैं।
(x) जैन तीर्थंकर, बुद्ध, बोधिसत्व एवं कुछ ब्राह्मण धर्म के देवी-देवताओं का प्रथम बार अंकन हुआ है।
(xi) मूर्ति के पृष्ठभाग पर पुष्प - पत्ती अथवा पशु-पक्षी आदि आकृति प्रदर्शित किये गये हैं।
(xii) मथुरा कला में निर्मित मूर्तियों पर मूँछे नहीं दिखाई गयी हैं।
(xiii) मथुरा की कुषाणकालीन देव प्रतिमाओं के दाहिने कन्धे पर वस्त्र नहीं प्रदर्शित किया गया है। दाहिना हाथ अधिकांशतः अभय मुद्रा में ही पाया जाता है।
(xiv) कथानकों के अंकन की एक नई शैली का आरम्भ भी इस युग की देन है।
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