बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य
प्रश्न- 'कयमास वध' नामक समय का परिचय एवं कथावस्तु स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
पृथ्वीराज चौहान के दरबार में सूर सामन्तों का एक बड़ा वर्ग था जिनमें कन्ह, चामंडराया, हरिसिंह, वीरसिंह, गुरूराय, सलम्बनी, रामराय और कैमास आदि थे। इन सभी सामन्तों में कन्ह, गुरूराम और कैमास पृथ्वीराज के अधिक निकट और विश्वास पात्र माने जाते थे। कयमास वीर योद्धा होने के साथ-साथ सम्राट का मंत्री और राज्य का प्रमुख प्रबंधक भी था। पृथ्वीराज की अनुपस्थिति में उसके द्वारा ही राज-काज सँभालने का वर्णन प्राप्त होता है। चन्दरबरदाई ने भी अनेक रूपों में कयमास की प्रशंसा की है। कयमास की वीरता, राजभक्ति एवं स्वामिभक्ति की सुन्दर निदर्शना पृथ्वीराज रासों के अनेक स्थलों में देखी जा सकती है। 'कयमास वध' नामक समय में पृथ्वीराज के मंत्री कयमास के पृथ्वीराज के हाथों मारे जाने की घटना का चित्रांकन प्रस्तुत हुआ है। कयमास उच्चगुणों से युक्त श्रेष्ठ सामन्त था तथा पृथ्वीराज का हितैषी एवं विश्वासपात्र था। कयमास के चारित्रिक गुणों की प्रशंसा से परिपूर्ण छन्द का उदाहरण देखिए -
जिहि कैमास सुमन्त खोदि खड्डब धन गढ्यऊ।
जिहि कैमास सुमन्त राज चहुआनह चढ़यऊ।
जिहि कैमास सुमन्त परि परिहार सुरस्थल।
जिहि कैमास सुमन्त मेछु बंध्यौ बल सब्बल।
चह वोर जोर चहुबान नृप, तुरक हृयंदु डरपत डरइ।
बाराह, बाघ वा रह विचै, सुवस बास जंगल धरई॥
इस प्रकार हम कैमास की प्रशस्ति का परिचय प्राप्त कर सकते हैं।
कयमास वध की कथा - माताप्रसाद गुप्त द्वारा संपादित 'कयमास वध की कथा का आरम्भ उस संकेत से होता है जब पृथ्वीराज चौहान संयोगिता के प्रेम व विराहाग्नि से पीड़ित होकर अस्थिर हो गए थे। वे मंत्री कैमास (कयमास) को प्रमाणिक रूप से शासन का भार सौंप कर आखेट में व्यस्त रहने लगे थे। इधर पृथ्वीराज के साथ जयचंद का द्वेष होने से जयचंद ने संयोगिता को गंगा तट पर एक महल में नजरबंद करके रखा था। संयोगिता के प्रेम संदेश को मदना ब्राह्मणी और उसके पति द्वारा पृथ्वीराज तक पहुँचाया जाता है। उनके द्वारा सम्पूर्ण वृत्तों कि किस प्रकार जयचन्द ने पृथ्वीराज को अपमानित करने हेतु उसकी लौह प्रतिमा स्वयंवर के मुख्य द्वार पर रखवाई गई है सुनकर पृथ्वी का हृदय जल उठता है। अन्त में दम्पति पृथ्वी के सम्मुख संयोगिता की प्रतिज्ञा दुहराते हैं -
"यौ वृत तिन्तौ सुन्दरी, ज्यों दमयंती पुक्ब।
कै हथलेबो पिथ करौ, के जल मध्ये डुब्ब॥
अर्थात् उस सुन्दरी ने ऐसा व्रत लिया है जैसा कभी पूर्व में दमयन्ती ने लिया था। "उसने निश्चय किया है कि या तो उसके (पृथ्वीराज) साथ हथलेवा (पाणिग्रहण) करुँगी या जल में डूब मरूँगी।' उसे भुलाने (संयोगिता को) और कन्नौज पहुँचने के उचित अवसर की चिन्ता में विकल होकर वह अपना अधिकांश समय आखेट में व्यतीत कर रहा था। चन्दर के अनुसार विवाह, युद्ध तथा आखेट में अत्यधिक रुचि रखने वाला वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान संयोगिता के प्रति आसक्त था। इसी कारण जयचंद उसे स्वयंवर में आमंत्रित न करते हुए उसका अपमान करने की मंशा से स्वयंवर सभागार के द्वार पर उसकी लौह प्रतिमा खड़ी करवा देता है। यही पृष्ठभूमि आगे चलकर कयमास वध की अधिकारिक कथावस्तु को भी विस्तार देती है। संयोगिता द्वारा स्वयंवर में अपनी लौह प्रतिमा को वरमाला पहनाए जाने का वृत्तांत सुनकर व उसका संदेशा कि वह पृथ्वीराज के साथ पाणिग्रहण की अभिलाषा रखती है पृथ्वी उसके विरह में व्याकुल हो जाता है। जंगलों में भ्रमण करते हुए सीमाओं का विस्तार करने लगता है। आम्बेट में पृथ्वी की विशेष रुचि थी। इसी कारण अपने विश्वस्त सामन्त कयमास पर राज का भार सौंपकर वह विरक्त हो आखेट में रत था। पृथ्वी शूरता के साथ युद्धों में प्रवृत्त रहते हुए दुर्गों पर विजय प्राप्त कर रहा था। कयमास पूर्ण उत्तरदायित्व के साथ दिल्ली का राज काज संभाल रहा था। एक दिन वह सभा में बैठा था तभी उसके सामने के महल में रहने वाली करनाटी दासी की दृष्टि उससे मिलती है।
कवि चन्दर इस प्रसंग का वर्णन करते हुए कहते हैं कि दैव की इच्छा थी कि कयमास काम के वशीभूत हो गया। वर्षा का प्रवाह एवं बिजली की चमक वातावरण में मदमस्ती का संचार कर रहे थे। करनाटी दासी भी कामपीड़ित होकर कयमास के प्रति आसक्त हो गई। इसी समय करनाटी के आमंत्रण पर कयमास उसके महल में पहुँच कर उसके साथ श्रृंगार क्रीड़ा एवं प्रेमालाप में निमग्न हो जाता है।
करनाटी दासी के महल के पास ही पृथ्वीराज चौहान की बड़ी रानी इच्छिनी परमारनी का महल था। वह बिजली के प्रकाश में जान लेती है कि करनाटी के महल में कोई व्यक्ति है। रानी पान की पीक से पत्र लिखकर शीघ्रता से सम्राट तक पहुँचाती है। आखेट से लौट कर क्लान्त पृथ्वीराज चौहान गहरी निद्रा में मग्न था। दासियों को राजा के स्पर्श का अधिकार न था अतः वह दासी अपने नुपूरों की झंकार का तीव्र स्वर करके राजा को जगाती है। जागते ही राजा पत्र को पढ़ते हैं और शीघ्रता के साथ ज्येष्ठ रानी के महल में आ जाते हैं। रानी से सम्पूर्ण वृत्तांत सुनकर वे क्रोधित हो जाते हैं और क्रोध के आवेग में ही एक तीर चलाते है जो कयमास को स्पर्श करते हुए निकल जाता है। रानी द्वारा प्रेरित किए जाने पर दूसरे तीर का संधान करके वो कयमास को मार गिराते हैं। कैमास की हत्या करने के पश्चात् उसके शव को जमीन में गड़वा दिया जाता है और रात्रि में ही पृथ्वीराज पुनः आखेट हेतु निकल जाते हैं। प्रातः काल वापस आकर सम्राट दरबार लगाते हैं और कयमास के विषय में पूछते हैं। चन्दर बरदाई से यह सारा वृतांत माँ सरस्वती स्वप्न में आकर बता चुकी थी अतः वे सारा भेद जानते थे। पृथ्वीराज के हठ करने पर वे अभयदान देने की शर्त पर कयमास के प्रसंग का वर्णन करने की बात कहते हैं। पृथ्वीराज से जीवनदान का वचन पाकर वे कहते हैं कि "हे पृथ्वी नरेश ! आपने एक बाण कयमास पर छोड़ा जो हृदय को खरभराता हुआ उसकी बगल की ओर निकल गया। फिर आपने दूसरा बाण साधा और कयमास को मार दिया। उसे जमीन में गाड़ दिया। वह वहीं गड़ा हुआ है और उस जगह को नहीं छोड़ रहा। भूमि ने उसे अपने कठोर गुणों से जकड़ रखा है। महाराज अब इस प्रलय से कैसे निपटोगे", इस वर्णन को सुनकर सभा स्थान स्तब्ध हो गई। शूरवीर भय से प्रकम्पित हो गए और अपने-अपने स्थान चले गए। पृथ्वीराज को रात्रि के चार प्रहर चार युगों के समान प्रतीत हुए। प्रातः काल कयमास की स्त्री अपने पति का शव माँगने आई। वह बोली कि जब सरोवर सूख गया और हंस उड़ गया तो फिर सब कुछ मेरे लिए अंधकार से परिपूर्ण हो गया है। मैं पति के साथ चिता पर चढ़ जाऊँ यही कामना है।' चन्दरबरदायी ने पृथ्वीराज से कहा कि कबूतर की भाँति श्वेत वस्त्र पहने कयमास की पत्नी अपने पति का शव माँगने आई है। पृथ्वीराज कहता है कि कयमास का शव गाड़ा जा चुका है और उसे गर्त से अब कौन निकाल सकता है?
तब कवि चन्द रावण, बालि, चन्द्रमा आदि के पापों के पौराणिक आख्यानों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कयमास के शव को उसकी पत्नी को सौंप देने की विनती करते हैं। तब पृथ्वीराज चौहान चन्दरबरदायी से कहते हैं कि यदि वो उनके साथ कन्नौज चलकर जयचन्द के दर्शन करा दे तो वो शव दे देंगे। चन्दर के सहमति प्रदान करने पर वो कयमास का शव उसकी पत्नी को सौंपते हुए यह कहकर खेद प्रकट करते हैं कि मृत्यु और विवाह तो विधाता के हाथ की बात है। इस प्रकार कवि चन्द ने 'कयमास वध' नामक समय में कयमास की मृत्यु तथा उसके शव सौंपे जाने तक का मार्मिक वर्णन प्रस्तुत किया है। अन्त में कयमास की स्त्री अपने पति के शव के साथ चिता पर चढ़ जाती है।
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- प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गीतिकाव्य के प्रमुख तत्वों के आधार पर विद्यापति के गीतों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- "विद्यापति भक्त कवि हैं या श्रृंगारी" इस सम्बन्ध में प्रस्तुत विविध विचारों का परीक्षण करते हुए अपने पक्ष में मत प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भक्त थे या शृंगारिक कवि थे?
- प्रश्न- विद्यापति को कवि के रूप में कौन-कौन सी उपाधि प्राप्त थी?
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि विद्यापति उच्चकोटि के भक्त कवि थे?
- प्रश्न- काव्य रूप की दृष्टि से विद्यापति की रचनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति की काव्यभाषा का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (विद्यापति)
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता एवं अनुप्रामाणिकता पर तर्कसंगत विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- 'पृथ्वीराज रासो' के काव्य सौन्दर्य का सोदाहरण परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'कयमास वध' नामक समय का परिचय एवं कथावस्तु स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कयमास वध का मुख्य प्रतिपाद्य क्या है? अथवा कयमास वध का उद्देश्य प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो का 'समय' अथवा सर्ग अनुसार विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- 'पृथ्वीराज रासो की रस योजना का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'कयमास वध' के आधार पर पृथ्वीराज की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'कयमास वध' में किन वर्णनों के द्वारा कवि का दैव विश्वास प्रकट होता है?
- प्रश्न- कैमास करनाटी प्रसंग का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चन्दबरदायी)
- प्रश्न- जीवन वृत्तान्त के सन्दर्भ में कबीर का व्यक्तित्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर एक संघर्षशील कवि हैं। स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- "समाज का पाखण्डपूर्ण रूढ़ियों का विरोध करते हुए कबीर के मीमांसा दर्शन के कर्मकाण्ड की प्रासंगिकता पर प्रहार किया है। इस कथन पर अपनी विवेचनापूर्ण विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कबीर एक विद्रोही कवि हैं, क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की दार्शनिक विचारधारा पर एक तथ्यात्मक आलेख प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कबीर वाणी के डिक्टेटर हैं। इस कथन के आलोक में कबीर की काव्यभाषा का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में माया सम्बन्धी विचार का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- "समाज की प्रत्येक बुराई का विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है।' विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "कबीर ने निर्गुण ब्रह्म की भक्ति पर बल दिया था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की उलटबासियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कबीर के धार्मिक विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कबीर)
- प्रश्न- हिन्दी प्रेमाख्यान काव्य-परम्परा में सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी का स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- "वस्तु वर्णन की दृष्टि से मलिक मुहम्मद जायसी का पद्मावत एक श्रेष्ठ काव्य है।' उक्त कथन का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य के लक्षणों के आधार पर सिद्ध कीजिए कि 'पद्मावत' एक महाकाव्य है।
- प्रश्न- "नागमती का विरह-वर्णन हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि है।' इस कथन की तर्कसम्मत परीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'पद्मावत' एक प्रबन्ध काव्य है।' सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पद्मावत में वर्णित संयोग श्रृंगार का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "जायसी ने अपने काव्य में प्रेम और विरह का व्यापक रूप में आध्यात्मिक वर्णन किया है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'पद्मावत' में भारतीय और पारसीक प्रेम-पद्धतियों का सुन्दर समन्वय हुआ है।' टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पद्मावत की रचना का महत् उद्देश्य क्या है?
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद को समझाइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जायसी)
- प्रश्न- 'सूरदास को शृंगार रस का सम्राट कहा जाता है।" कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- सूरदास जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- 'भ्रमरगीत' में ज्ञान और योग का खंडन और भक्ति मार्ग का मंडन किया गया है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- "श्रृंगार रस का ऐसा उपालभ्य काव्य दूसरा नहीं है।' इस कथन के परिप्रेक्ष्य में सूरदास के भ्रमरगीत का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- "सूर में जितनी सहृदयता और भावुकता है, उतनी ही चतुरता और वाग्विदग्धता भी है।' भ्रमरगीत के आधार पर इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- सूर की मधुरा भक्ति पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- सूर के संयोग वर्णन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- सूरदास ने अपने काव्य में गोपियों का विरह वर्णन किस प्रकार किया है?
- प्रश्न- सूरदास द्वारा प्रयुक्त भाषा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूर की गोपियाँ श्रीकृष्ण को 'हारिल की लकड़ी' के समान क्यों बताती है?
- प्रश्न- गोपियों ने कृष्ण की तुलना बहेलिये से क्यों की है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (सूरदास)
- प्रश्न- 'कविता कर के तुलसी ने लसे, कविता लसीपा तुलसी की कला। इस कथन को ध्यान में रखते हुए, तुलसीदास की काव्य कला का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- तुलसी के लोक नायकत्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड' के आधार पर भरत के शील-सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- 'रामचरितमानस' एक धार्मिक ग्रन्थ है, क्यों? तर्क सम्मत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- रामचरितमानस इतना क्यों प्रसिद्ध है? कारणों सहित संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मानस की चित्रकूट सभा को आध्यात्मिक घटना क्यों कहा गया है? समझाइए।
- प्रश्न- तुलसी ने रामायण का नाम 'रामचरितमानस' क्यों रखा?
- प्रश्न- 'तुलसी की भक्ति भावना में निर्गुण और सगुण का सामंजस्य निदर्शित हुआ है। इस उक्ति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मंगल करनि कलिमल हरनि, तुलसी कथा रघुनाथ की' उक्ति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुलसी की लोकप्रियता के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास के गीतिकाव्य की कतिपय विशेषताओं का उल्लेख संक्षेप में कीजिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की प्रमाणिक रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- तुलसी की काव्य भाषा पर संक्षेप में विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- 'रामचरितमानस में अयोध्याकाण्ड का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुलसी की भक्ति का स्वरूप क्या था? अपना मत लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तुलसीदास)
- प्रश्न- बिहारी की भक्ति भावना की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के जीवन व साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "बिहारी ने गागर में सागर भर दिया है।' इस कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी बहुज्ञ थे। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के दोहों को नाविक का तीर कहा गया है, क्यों?
- प्रश्न- बिहारी के दोहों में मार्मिक प्रसंगों का चयन एवं दृश्यांकन की स्पष्टता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के विषय-वैविध्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (बिहारी)
- प्रश्न- कविवर घनानन्द के जीवन परिचय का उल्लेख करते हुए उनके कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द की प्रेम व्यंजना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- घनानन्द का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द की काव्य रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- घनानन्द की भाषा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के अनुसार प्रेम में जड़ और चेतन का ज्ञान किस प्रकार नहीं रहता है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (घनानन्द)