बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 समाजशास्त्र चतुर्थ प्रश्नपत्र - परिवर्तन एवं विकास का समाजशास्त्र
प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
अथवा
समकालीन भारत में परिवर्तन की प्रक्रिया की विवेचना कीजिए।
अथवा
सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी कारकों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर -
सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रियाओं को मैकाइवर तथा सोरोकिन ने निम्न प्रकार से प्रस्तुत किया है-
(1) सामाजिक परिवर्तन की चक्रवत् प्रक्रिया (The Cyclical Process of Social Change) - इसके अनुसार, सामाजिक परिवर्तन चक्र के समान होता है अर्थात् परिवर्तन जिस स्थिति से शुरू होता है परिवर्तन की गोलाकार में आगे जाते-जाते पुनः उसी स्थान पर लौट आती है। आज फैशन के क्षेत्र में कला, संगीत, नृत्य तथा आभूषण के जो डिजाइन पुराने समय में प्रचलित थे पुनः प्रचलन में आ गये हैं।
विलफ्रेडो परेटो ने सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त के आधार पर बताया है कि राजनीतिक, आर्थिक तथा आध्यात्मिक क्षेत्र में चक्रीय परिवर्तन पाया जाता है।
(2) सामाजिक परिवर्तन की विकासवादी प्रक्रिया (Evolutionary Process of Social Change) - डार्विन के प्राणिशास्त्रीय उद्विकास के सिद्धान्त के आधार पर हरबर्ट स्पेन्सर ने 19वीं शताब्दी में सामाजिक परिवर्तन की विकासवादी प्रक्रिया की व्याख्या की। इसके अनुसार, प्राणिशास्त्रीय परिवर्तन के समान सामाजिक परिवर्तन भी कुछ आन्तरिक शक्तियों के कारण सम्भव होता है और परिवर्तन के समय समाज का कोई भाग इसे सरल रूप में ग्रहण करता है कोई जटिल रूप में उदाहरण के लिए आरम्भ में समाज का रूप सरल था परन्तु उद्विकास की प्रक्रिया के कारण वह आज जटिल हो गया है यहाँ पर यह बात भी महत्वपूर्ण है कि कोई समाज केवल कुछ पलों या रातों-रात में जटिल नहीं बन जाता अपितु वह कई स्तरों से गुजर कर जटिलता को प्राप्त करता है। उदाहरण के लिए पहले समाज में शिकार पर जीवन निर्भर था फिर पशुपालन पर, फिर कृषि की स्थिति व उसके बाद औद्योगिक विकास पर निर्भर हुआ अर्थात् सामाजिक परिवर्तन विकासवादी प्रक्रिया है।
(3) प्रगति के रूप में. सामाजिक परिवर्तन (Progress as Social Change) - सामाजिक परिवर्तन की प्रगति तब प्रस्तुत होती है जब सामाजिक परिवर्तन सकारात्मक दिशा में हो रहा है। वास्तव में यही परिवर्तन प्रगति का परिवर्तन कहलाता है। इस अर्थ में सामाजिक परिवर्तन में सामाजिक कल्याण की भावना भी निहित होती है व सामूहिक हितों की पूर्ति भी। सामाजिक परिवर्तन की उद्विकास की प्रक्रिया में परिवर्तन आन्तरिक शक्तियों की क्रियाशीलता के कारण धीरे-धीरे एक स्तर से दूसरे स्तर पर होता हुआ सामने आता है जबकि प्रगति के रूप में परिवर्तन बाहरी शक्तियों द्वारा प्रभावित होता है इस स्थिति में परिवर्तन शीघ्रता से होता है उसे किसी स्तर से गुजरने की आवश्यकता नहीं होती है। यह परिवर्तन समाज के लिए कल्याणकारी भी होता है।
(4) क्रान्ति के रूप में सामाजिक परिवर्तन (Revolution as Social Change) - इस स्थिति में परिवर्तन एकाएक तथा विस्फोटक रूप में होता है इस स्थिति में राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक जीवन में महत्वपूर्ण तथा अनेक परिवर्तन घटित हो जाते हैं तथा एक नवीन सामाजिक व्यवस्था का निर्माण होता है। यह परिवर्तन आकस्मिक रूप से होता है या ऐसा कहा जाए कि परिस्थिति तो पूर्व निर्मित होती है केवल आग अचानक लग जाती है क्योंकि क्रान्ति के लिए उत्तरदायी परिस्थितियों का विकास एक दिन में नहीं होता जब असन्तोष चरम सीमा पर पहुँच जाता है तो समाज का असन्तुष्ट वर्ग संगठित होकर परिवर्तन लाने के लिए विद्रोह कर देता है। क्रान्ति का परिवर्तन लाने के लिए हिंसात्मक साधनों का प्रयोग किया जाता है परन्तु कहीं-कहीं औद्योगिक क्रान्ति के समान हिंसारहित क्रान्ति के द्वारा सामाजिक आर्थिक परिवर्तन हो जाता है।
(5) अनुकूलन के रूप में सामाजिक परिवर्तन (Adaptation as Social Change) - मैकाइवर तथा पेज ने अनुकूलन को सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रिया माना। माना कि अनुकूलन की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण गुण यह है कि मनुष्य सदैव अपने को पर्यावरण के अनुकूल नहीं बनाता अपितु पर्यावरण ही व्यक्ति को अपने अनुकूल बना लेता है जिससे परिवर्तन की स्थिति उत्पन्न होती है उदाहरण के लिए हम अपने को पर्यावरण के अनुकूल ढालने के लिए स्वयं में परिवर्तन अवश्य करेंगे।
फेयरचाइल्ड के अनुसार-किसी पर्यावरण विशेष में रहने के लिए अपने को उपयुक्त बनाने की प्रक्रिया को ही अनुकूलन कहा जाता है।
सामाजिक परिवर्तन के कारण
सामाजिक परिवर्तन किसी एक कारण से नहीं होता इसके लिए कई कारण उत्तरदायी होते हैं। अन्य शब्दों में सामाजिक परिवर्तन को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक कारक उत्तरदायी होते हैं।
(1) प्राकृतिक या भौगोलिक कारण (Natural or Geographical Factor) - हूटिंग्टन के अनुसार "जलवायु का परिवर्तन ही सभ्यताओं और संस्कृति के उत्थान व पतन का एकमात्र कारण है जिस स्थान पर लोहा और कोयला निकल आता है वहाँ के समाज में तीव्रता से परिवर्तन होता है।"
21 जून, 1990 को ईरान में आये भूकम्प से 1 लाख से अधिक व्यक्तियों के मारे जाने का अनुमान है। 26 जनवरी, 2001 को गुजरात में भुज और उसके आस-पास के क्षेत्रों में आये भूकम्प के कारण 50,000 व्यक्तियों की जान गई, कई लाख व्यक्ति घायल हुए व कई करोड़ रुपयों की क्षति हुई। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल के भीषण अकाल के कारण कई माँ अपने बच्चों को छोड़कर चली गई, पति ने एक मुट्ठी धान के लिए बच्चों व पत्नी को बेच दिया। रोटी के टुकड़ों के लिए मनुष्यों व जानवरों में संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में जानवर विजयी हुआ क्योंकि मानव इतना दुर्बल व भूख से पीड़ित था वह रोटी छीनने में भी समर्थ नहीं था। प्रकृति के अनेक विकराल रूप जैसे - बाढ़, अकाल, भूकम्प आदि से मनुष्य पीड़ित होता है तथा इनकी शक्ति के सामने सिर झुकाकर नतमस्तक हो 'उनकी वन्दना में लग जाता है यही सब कारक (प्राकृतिक कारक) सामाजिक परिवर्तन के लिए उत्तरदायी होते हैं।
(2) प्राणिशास्त्रीय कारक (Biological Factor) - सामाजिक परिवर्तन अनेक प्राणिशास्त्रीय कारकों से भी प्रभावित होता है। 1992-93 में आँकड़ों के अनुसार 50 प्रतिशत बच्चों की मृत्यु 10 वर्ष से कम आयु में हो जाती थी जबकि 1992 में यह दर 10 प्रति हजार थी स्त्री-पुरुष का समान अनुपात में न होने के कारण भी सामाजिक परिवर्तन होता है क्योंकि इससे बहुपति या बहुपत्नि प्रथा का विकास होता है। अगर लड़कों का जन्म अधिक होता है तो स्त्रियों में बाझपन पनपता है गुप्त रोग बढ़ते हैं ये कारण प्राणिशास्त्रीय कारकों को बढ़ावा देते हैं। मैकाइवर तथा पेज के अनुसार-सामाजिक परिवर्तन के दूसरे साधन सामाजिक निरन्तरता की जैविक दशा में, जनसंख्या के बढ़ाव तथा घटाव में प्राणियों व मनुष्यों की वंशानुगत दशा के ऊपर निर्भर करती है। जैविक या प्राणिशास्त्रीय कारक से तात्पर्य जनसंख्या के गुणात्मक पक्ष से है जो वंशानुक्रमण के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं हमारी शारीरिक व मानसिक क्षमतायें, स्वास्थ्य व प्रजनन दर, वंशानुक्रमण आदि प्राणिशास्त्रीय या जैवकीय कारणों से प्रभावित होते हैं।
(3) जनसंख्यात्मक कारक (Demographic Factor) - जनसंख्यात्मक कारक भी सामाजिक परिवर्तन के कारण होते हैं। अन्य शब्दों में जनसंख्या का आकार और घनत्व में परिवर्तन जन्म-दर और मृत्यु-दर के घटने-बढ़ने से कई परिवर्तन होते हैं। उदाहरण के लिए भारत में 1901 में जनसंख्या 24 करोड़ थी जो 2001 की जनगणना के अनुसार 1 अरब से अधिक अर्थात् 1,02,270, 1524 हो गई है। मॉल्थस के अनुसार अति जनसंख्या की स्थिति में भूखमरी तथा महामारी का प्रकोप होता है। उदाहरण के लिए सन् 1888 से सन् 1900 तक भारत में 80 लाख व्यक्तियों की मृत्यु इसी कारण हुई। विभाजन के बाद 89 लाख शरणार्थियों के भारत आकर बसने से भारत के सामाजिक, आर्थिक व सांस्कृतिक जीवन में कई परिवर्तन हुए। जहाँ पर अनुकूल व आदर्श जनसंख्या होती है वहाँ के लोगों का जीवन-स्तर ऊँचा होता है। जनसंख्या के विकास के साथ-साथ सामाजिक मान्यताओं, प्रथाओं व रीति-रिवाजों में भी परिवर्तन होता है।
(4) आर्थिक कारण (Economic Factor) - आर्थिक कारण भी सामाजिक परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण हैं जब कोई समाज कृषि समाज की अपेक्षा औद्योगिक स्तर पर आता है तो उस समाज की सामाजिक संस्थाओं, परम्पराओं, रीति-रिवाजों तथा जनरीतियों में व्यापक परिवर्तन होते हैं। भारत में औद्योगिक विकास के कारण कई परिवर्तन हुए हैं। सामान्य शब्दों में यह कहा जा सकता है कि किसी व्यक्ति के आर्थिक स्तर में परिवर्तन आने के पश्चात् उसके रहन-सहन तथा सामाजिक स्तर में स्वयं परिवर्तन आ जाता है। वर्ग संघर्ष, आर्थिक प्रतिस्पर्द्धा आदि आर्थिक कारणों से उत्पन्न होता है। मार्क्स के अनुसार, हमारी सामाजिक संरचना, राजनीतिक संरचना विचार आदि सभी आर्थिक कारकों से प्रभावित होते हैं।.
(5) प्रौद्योगिकीय कारक (Technological Factor) - ऑगबर्न (Ogburn) के अनुसार, "प्रौद्योगिकी हमारे वातावरण को परिवर्तित करके जिससे कि हम अनुकूलन करते हैं हमारे समाज को परिवर्तित करती है। यह परिवर्तन सामान्य रूप से भौतिक पर्यावरण में होता है और हम परिवर्तनों से जो अनुकूलन करते हैं उससे बहुधा प्रथाएँ और सामाजिक संस्थाएँ संशोधित हो जाती हैं।"
अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि विभिन्न आविष्कारों और औद्योगिक क्रान्ति के परिणामस्वरूप समाज में अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए हैं। आज हमारे जीवन में जो परिवर्तन दिखाई देते हैं वे सब औद्योगिक विकास के कारण ही होते हैं।
वैबलन (Veblen) ने सामाजिक परिवर्तन लाने में प्रौद्योगिकी को एक महत्वपूर्ण कारक माना है। मैकाइवर तथा पेज के अनुसार भाप से चलने वाले इंजनों के कारण सामाजिक जीवन में अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए। ऑगबर्न ने भी रेडियो के आविष्कार के कारण उत्पन्न हुए 150 परिवर्तनों की सूची तैयार की। मशीनों के कारण व्यापार तथा वाणिज्य में उन्नति हुई इससे जहाँ व्यक्ति का जीवन-स्तर में सुधार हुआ वही पर गन्दी बस्तियों का विकास भी हुआ तथा अपराधों में भी वृद्धि हुई।
(6) सांस्कृतिक कारक (Cultural Factor) - सांस्कृतिक कारक का सर्वाधिक पक्ष मैक्स वेबर (Max Weber), सोरोकिन (Sorokin), ऑगबर्न (Ogburn) ने लिया। मैक्स वेबर ने विभिन्न धर्मों और व्यवस्थाओं की तुलना करके सांस्कृतिक परिवर्तनों के कारण बतायें। सोरोकिन ने सांस्कृतिक उतार-चढ़ाव के आधार पर सामाजिक परिवर्तन बतायें। हमारे देश में पाश्चात्य संस्कृति ने भारतीय समाजों में अनेक परिवर्तन किये सामाजिक जीवन हमारे विश्वास, धर्म, प्रथा, संस्थाओं और रूढ़ियों पर निर्भर होता है व सामाजिक परिवर्तन तथा सांस्कृतिक परिवर्तन का कारक होता है। भारत में पाश्चात्य संस्कृति के कारक पर्दा प्रथा की समाप्ति, शिक्षा का प्रसार, स्त्रियों का नौकरी करना, संयुक्त परिवार विघटन और जाति प्रथा आदि अनेक परिवर्तन हुए।
भारत में सामाजिक परिवर्तन के अनेक कारक हैं जो निम्न हैं-
(1) संस्कृतिकरण,
(2) पश्चिमीकरण.
(3) लौकिकीकरण,
(4) औद्योगीकरण,
(5) नगरीकरण,
(6) प्रौद्योगीकरण,
(7) जनसंख्या (जन्म-दर तथा मृत्यु-दर),
(8) सामाजिक नियोजन,
(9) जनतन्त्रीकरण,
(10) भारतीय स्वतन्त्रता।
अन्त में कहा जा सकता है कि सामाजिक परिवर्तन न तो रातोंरात होता है और न ही वह किसी एक कारक का परिणाम होता है।
निष्कर्ष - उपयुक्त विवेचना से स्पष्ट है कि सामाजिक जीवन सम्बन्धों में परिवर्तन अनेक कारणों से हो सकता है और होता भी है। ये कारण प्राकृतिक या भौगोलिक हो सकते हैं, जनसंख्यात्मक हो सकते हैं, प्राणिशास्त्रीय भी हो सकते हैं या आर्थिक प्रौद्योगिकीय या सांस्कृतिक भी हो सकते हैं। परन्तु इस सम्बन्ध में स्मरणीय है कि सामाजिक परिवर्तन साधारणतया इनमें से किसी एक कारक के कारण घटित नहीं होता है। इसमें बहुधा एक से अधिक कारकों का योग रहता है। हाँ, यह हो सकता है कि उन एकाधिक कारकों में कोई एक कारक मुख्य और दूसरे कारक केवल सहायक हों। इसके अतिरिक्त एक विशेष बात यह है कि ये कारक एक-दूसरे को भी प्रभावित करते रहते हैं। वास्तव में सामाजिक परिवर्तन एक जटिल प्रक्रिया है और इसे केवल एक कारक के आधार पर न तो समझा जा सकता है और न ही समझने का प्रयत्न करना वैज्ञानिक ही है।
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- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताते हुए सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारकों का विवरण दीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नियोजित सामाजिक परिवर्तन की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में नियोजन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते है? सामाजिक परिर्वतन के स्वरूपों की व्याख्या स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का अर्थ बताइये? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।.
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए - (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- रूपांतरण किसे कहते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक नियोजन की अवधारणा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न परिप्रेक्ष्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रवर्जन व सामाजिक परिवर्तन पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति में सहायक दशाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के लिए जैव-तकनीकी कारण किस प्रकार उत्तरदायी है?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति को परिभाषित कीजिए। सामाजिक प्रगति और सामाजिक परिवर्तन में अन्तर कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन एवं सामाजिक प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- समाज में प्रगति के मापदण्डों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उद्विकास व प्रगति में अन्तर स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में जनसंख्या वृद्धि ने सामाजिक आर्थिक विकास में बाधाएँ उपस्थित की हैं।" स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन मे आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था से आप क्या समझते हैं? भारत के सन्दर्भ में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के बारे समझाइये।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था का नये स्वरूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की आलोचनात्मक समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की उपादेयता व सीमाओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की सीमाएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- औद्योगीकरण के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मिश्रित अर्थव्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी उपयोगिता स्पष्ट करो।
- प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन के महत्व की विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास को समझने में शिक्षा की भूमिका बताओ।
- प्रश्न- वृद्धि एवं विकास में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- सतत् विकास की संकल्पना को बताते हुये इसकी विशेषतायें लिखिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास का महत्व अथवा आवश्यकता स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- विकास से सम्बन्धित पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने की विधियों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरणीय सतत् पोषणता के कौन-कौन से पहलू हैं? समझाइये।
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यकता / महत्व को स्पष्ट कीजिये। भारत जैसे विकासशील देश में इसके लिये कौन-कौन से उपाय किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- "भारत में सतत् पोषणीय पर्यावरण की परम्परा" शीर्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता क्या है? भारत में जीवन की गुणवत्ता को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- जीवन की गुणवत्ता के आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- स्थायी विकास या सतत विकास के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सतत् विकास सूचकांक, 2017 क्या है?
- प्रश्न- सतत् पोषणीय विकास की आवश्यक शर्ते कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख सिद्धान्तों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- समरेखीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भौगोलिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उद्विकासीय समरैखिक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक प्रसारवाद सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबर एवं टामस का सामाजिक परिवर्तन का सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी निर्णायकवादी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा वेब्लेन के सिद्धान्त से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स व वेब्लेन के सामाजिक परिवर्तन सम्बन्धी विचारों की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए!
- प्रश्न- जनसांख्यिकी विज्ञान की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सॉरोकिन के सांस्कृतिक सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक) एवं भावात्मक (विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाज पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिक कारकों की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है? व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते हैं? सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- जनांकिकीय कारक से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के विकास पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी के कारकों को बताइये एवं सामाजिक जीवन में उनके प्रभाव पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- सन्देशवहन के साधनों के विकास का सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?
- प्रश्न- मार्क्स तथा वेब्लन के सिद्धान्तों की तुलना कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मीडिया से आप क्या समझते है?
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र को परिभाषित कीजिए तथा उसका विषय क्षेत्र एवं महत्व बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र का विषय क्षेत्र बताइये?
- प्रश्न- विकास के समाजशास्त्र के महत्व की विवेचना विकासशील समाजों के सन्दर्भ में कीजिए?
- प्रश्न- विश्व प्रणाली सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- केन्द्र परिधि के सिद्धान्त पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए?
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज में विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- विकास के प्रमुख संकेतकों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आर्थिक व सामाजिक विकास में योजना की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक तथा आर्थिक नियोजन में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- भारत में योजना आयोग की स्थापना एवं कार्यों की व्याख्या कीजिए?
- प्रश्न- भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिये तथा भारत की पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में पर्यावरणीय समस्याएँ एवं नियोजन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय प्रदूषण दूर करने के लिए नियोजित नीति क्या है?
- प्रश्न- विकास में गैर-सरकारी संगठनों की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गैर सरकारी संगठनों से आप क्या समझते है? विकास में इनकी उभरती भूमिका की चर्चा कीजिये।
- प्रश्न- भारत में योजना प्रक्रिया की संक्षिप्त विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के मार्ग में पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की भूमिका का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- पंचवर्षीय योजनाओं से आप क्या समझते हैं। पंचवर्षीय योजनाओं का समाजशास्त्रीय मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- पूँजीवाद पर मार्क्स के विचारों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए लोकतंत्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र के विभिन्न सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारत में लोकतंत्र को बताते हुये इसकी प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अधिनायकवाद को परिभाषित करते हुए इसकी विशेषताओं का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्षेत्रीय नियोजन को परिभाषित करते हुए, भारत में क्षेत्रीय नियोजन के अनुभव की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- नीति एवं परियोजना नियोजन पर एक टिप्पणी लिखिये।.
- प्रश्न- विकास के क्षेत्र में सरकारी संगठनों की अन्य भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- गैर-सरकारी संगठन (N.G.O.) क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के गुण एवं दोषों की संक्षिप्त में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सोवियत संघ के इतिहासकारों द्वारा अधिनायकवाद पर विचार पर एक संक्षिप्त टिप्पणी प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शीतयुद्ध से आप क्या समझते हैं?