बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - शैक्षिक अनुसंधान की पद्धति एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - शैक्षिक अनुसंधान की पद्धतिसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र द्वितीय प्रश्नपत्र - शैक्षिक अनुसंधान की पद्धति
प्रश्न- शोध प्रबन्ध के प्रारूप को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
शोध प्रतिवेदन में सम्बन्धित साहित्य की क्या उपयोगिता है?
उत्तर -
अनुसन्धान कार्य पूर्ण हो जाने के बाद उसका पूर्ण विवरण शोध प्रबन्ध के रूप में प्रस्तुत करना होता है। शोध प्रबन्ध किस प्रकार तैयार किया जाना चाहिए। इस सम्बन्ध में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर थोड़े हेर-फेर के साथ सार्वमान्य नियमों का पालन किया जाता है। शोधकर्त्ता को इन नियमों का ज्ञान होना चाहिए। अध् याय की सम्पूर्ण सामग्री को अनेक भागों में बाँटा जा सकता है।
(1) लिखित विवरण- प्रस्तुति की रूपरेखा (Formate of Thesdis).
(2) लेखन शैली (Style of Writing)
(3) तालिकाओं तथा आकृतियों की रचना (Contruction of Tables and Figures)
(4) उद्धरित सामग्री की प्रस्तुति (Presentation of Reference Material)
शोध प्रबन्ध का एक सुव्यवस्थित रूप है जिसका किसी समस्या का अनुसन्धान अध्ययन किया जाता है। इसके अन्तर्गत निम्न भागों का अध्ययन किया जाता है -
(1) प्रारम्भिक आवश्यकताएँ - ये निम्न हैं-
(1) मुख पृष्ठ।
(2) अनुमोदन पत्र।
(3) प्राक्कथन।
(4) विषय सूची।
(5) सारणी सूची।
(6) आकृतियों की सूची।
(2) पाठन योग्य मुख्य भाग
(1) भूमिका।
(2) अध्ययन का मुख्य विवरण।
(1) अध्ययन से सम्बन्धित समुचित साहित्य की समीक्षा।
(2) अध्ययन की समस्या तथा विधि।
(3) परिणामों का प्रस्तुतीकरण।
(4) विचार विमर्श।
(5) निष्कर्ष तथा सुझाव।
सन्दर्भ ग्रन्थ
(1) सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
(2) परिशिष्ट।
(3) तालिका अथवा प्रदत्त।
(4) सूचांक।
इनका विवरण निम्न है -
मुख्य पृष्ठ इस पृष्ठ पर जो सूचनाएँ रहती, वे निम्न हैं जैसे -
(1) समस्या का शीर्षक।
(2) शोधकर्त्ता का नाम।
(3) संकाय एवं उस विश्वविद्यालय का नाम जहाँ शोध प्रबन्ध उपस्थापित किया जाना है।
(4) उपाधि का नाम जिसके लिए शोध-प्रबन्ध उपस्थापित किया जाता है।
(5) वर्ष जब इसे उपस्थापित किया जाता है। इस सम्बन्ध में अनेक विशिष्ट नियम हैं -
(i) समस्या का शीर्षक बड़े शब्दों में टंकित किया जाता है।
(ii) इस पृष्ठ की अन्य सभी सूचनाओं को कैपिटल में लिखा जाता है।
अनुमोदन पत्र - यदि विश्वविद्यालय के नियमों में अनुमोदन लगाना आवश्यक है तो उसकी फोटोकॉपी कराकर उसे प्रस्तुत रूप में ही थीसिस पर लगाना चाहिए। कुछ विद्यालयों में इस पर विभागाध्यक्ष अपने हस्ताक्षर करते हैं।
प्राक्कथन अथवा आभार प्रदर्शन - आभार प्रदर्शन सरल तथा सीमित, चाटुकारिता रहित और पारिवारिक सदस्यों अथवा लिपिकों की बेतुकी सहायता की मान्यता का सूचक नहीं होना चाहिए। इसमें शोध कार्य के सम्बन्ध अथवा उसके गठन का समावेश होना चाहिए। प्रस्तावना या आभार प्रदर्शन बड़े अक्षरों से लिखा होना चाहिए।
विषय सूची या सारणी - इस भाग में सब मुख्य अध्यायों के शीर्षकों की सूची होती है जिसमें प्रत्येक में उसी की सम्मुख समुचित पृष्ठ संख्या दी जाती है। प्रारम्भिक आवश्यकताओं के क्रमानुसार पृष्ठ क्रम रोमन संख्या में दिए जाते हैं। विषय-वस्तु का न तो विस्तृत हो और न लघु हो। वस्तु की तालिका का मुख्य उद्देश्य शोध-प्रबन्ध की विषय-सामग्री की रूपरेखा प्रदान करना होता है। बड़े अक्षरों में लिखे हुए शीर्षकों से सम्बन्धित विषय-वस्तु पृष्ठ का केन्द्रीय शीर्षक होना चाहिए।
(1) सारणी सूची - विषय-सूची के बाद वे पृष्ठ होते हैं जिन पर सारणियों की सूची प्रस्तुत की जाती है। इसमें निम्न सूचनाओं का समावेश होता है -
(1) तालिका की क्रम संख्या।
(2) तालिका का शीर्षक।
(3) उस पृष्ठ संख्या जिस पर वह शोध-प्रबन्ध में उपलब्ध है।
(2) मुख्य विषय - वस्तु शोध-प्रबन्ध के इस भाग में अनुसन्धान कार्यों का वर्णन किया जाता है इसके अन्तर्गत मुख्यतः छ: अध्याय आते हैं।
(1) पृष्ठभूमि, भूमिका अथवा विषय प्रवेश।
(2) सम्बन्धित साहित्य का सर्वेक्षण।
(3) अध्ययन विधि प्रक्रिया अथवा अभिकल्प।
(4) शोध सामग्री का विश्लेषण।
(5) निष्कर्षों की उपयोगिता एवं आगामी अनुसन्धान हेतु सुझाव।
(6) सारांश।
(1) पृष्ठ भूमि - इसके अन्तर्गत शोधकर्त्ता पृष्ठभूमि प्रस्तुत करता है अर्थात् वह समस्या के उत्पन्न होने पर प्रकाश डालता है। उसके उद्देश्य उपकल्पना तथा विष्य-क्षेत्र का वर्णन करता है।
(2) सम्बन्धित साहित्य के सर्वेक्षण - इसके अन्तर्गत वह सम्बन्धित साहित्य का यथास्थान उल्लेख करता है तथा समस्या से सम्बन्धित समस्त पक्षों पर प्रकाश डालता है।
(3) विधि एवं शोध प्रक्रिया - इसके अन्तर्गत वह अनुसन्धान की सम्पूर्ण प्रक्रिया का वर्णन करता है। पाठकों की सम्पूर्ण जिज्ञासाओं का समाधान हो जाए ऐसा सोचता है।
(4) सूचनाओं के विश्लेषण एवं परिणाम - इसके अन्तर्गत वह शोध सामग्री का वर्णन करता है तथा उसके लिए गुणात्मक या संख्यात्मक जिस प्रविधि का उल्लेख किया गया है। उसका वर्णन करता है।
(5) आगामी अनुसन्धान हेतु सुझाव - इसके अन्तर्गत वह पाठकों से सुझाव देने की अपील करता है। सामान्य रूप में इसके लिए एक अलग अध्याय ही रखा जाता है।
(6) सारांश एवं निष्कर्ष - इसके अन्तर्गत शोधकर्त्ता सम्पूर्ण अध्याय का सार प्रस्तुत करता है।
|
- प्रश्न- शैक्षिक शोध को परिभाषित करते हुए इसका अर्थ बताइये तथा इसकी विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- शिक्षा अनुसंधान की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान की परिभाषा तथा उसका स्वरूप बताइये?
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान की प्रकृति तथा उसके क्षेत्र के विषय में समझाइये।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान के क्षेत्र की विस्तृत चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षाशास्त्र में अनुसन्धान की क्या आवश्यकता है? उदाहरणों द्वारा यह बताइये कि शैक्षिक अनुसन्धान और प्रायोगिक अनुसन्धान ने शिक्षाशास्त्र विषय को कैसे प्रभावित किया है?
- प्रश्न- अनुसन्धान कार्य की प्रस्तावित रूपरेखा से आप क्या समझती है? इसके विभिन्न सोपानों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक शोध की परिभाषा दीजिए। शोध प्रक्रिया में निहित चरणों की विस्तृत व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा अनुसंधान के कार्य बताते हुए इसके महत्व पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान के महत्व पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधानों के निष्कर्षों की उपयोगिता क्या है? तथा अनुसंधान के कितने सोपान हैं?
- प्रश्न- अनुसंधान के कितने सोपान होते हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान के क्या लाभ होते हैं? बताइये। .
- प्रश्न- शोध सामान्यीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शैक्षिक शोध में परिणामों व निष्कर्षों की उपयोगिता संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- शैक्षिक अनुसंधान के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- मौलिक अनुसंधान का क्या अर्थ है? तथा इसकी विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यवहृत अनुसंधान का अर्थ एवं इसकी विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- व्यवहारिक अनुसंधान की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान का अर्थ क्या है? तथा इसकी विशेषताएँ एवं महत्व का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ क्या है? बिन्दुवार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान का क्या महत्व है?
- प्रश्न- मौलिक शोध एवं क्रियात्मक शोध में क्या अन्तर है? क्रियात्मक शोध के विभिन्न चरणों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मौलिक तथा क्रियात्मक शोध में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान की क्या आवश्यकता है तथा क्या उद्देश्य है? के बारे में समझाइये।
- प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान की शिक्षा के क्षेत्र में क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- समस्या के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- क्रियात्मक परिकल्पना का मूल्यांकन कीजिए!
- प्रश्न- मात्रात्मक अनुसंधान से आप क्या समझते हैं? तथा यह कितने प्रकार का होता है।
- प्रश्न- मात्रात्मक अनुसंधान कितने प्रकार का होता है।
- प्रश्न- मात्रात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- मात्रात्मक अनुसंधान की सीमाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- गुणात्मक अनुसंधान से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- गुणात्मक अनुसंधान के उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुणात्मक अनुसंधान के लक्षण तथा सीमाएँ बताइये।
- प्रश्न- मात्रात्मक एवं गुणात्मक शोध में क्या-क्या अन्तर होते हैं? समझाइये।
- प्रश्न- सम्बन्धित साहित्य की समीक्षा की आवश्यकता एवं प्रक्रिया बताइये।
- प्रश्न- सम्बन्धित साहित्य की समीक्षा की प्रक्रिया बताइये।
- प्रश्न- समस्या का परिभाषीकरण कीजिए तथा समस्या के तत्वों का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- समस्या का सीमांकन तथा मूल्यांकन कीजिए तथा समस्या के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- समस्या का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- समस्याओं के प्रकार बताइए?
- प्रश्न- समस्या के चुनाव का सिद्धान्त लिखिए। एक समस्या कथन लिखिए।
- प्रश्न- शोध समस्या की जाँच आप कैसे करेंगे?
- प्रश्न- अच्छी समस्या की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- शोध समस्या और शोध प्रकरण में अंतर बताइए।
- प्रश्न- शैक्षिक शोध में प्रदत्तों के वर्गीकरण की उपयोगिता क्या है?
- प्रश्न- समस्या का अर्थ तथा समस्या के स्रोत बताइए?
- प्रश्न- शोधार्थियों को शोध करते समय किन कठिनाइयों का सामना पड़ता है? उनका निवारण कैसे किया जा सकता है?
- प्रश्न- समस्या की विशेषताएँ बताइए तथा समस्या के चुनाव के अधिनियम बताइए।
- प्रश्न- चरों के प्रकार तथा चरों के रूपों का आपस में सम्बन्ध बताते हुए चरों के नियंत्रण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चरों के रूपों का आपसी सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- बाह्य चरों पर किस प्रकार नियंत्रण किया जाता है?
- प्रश्न- चर किसे कहते हैं? चर को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्र चर और आश्रित चर का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कारक अभिकल्प की प्रक्रिया का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- परिकल्पना या उपकल्पना से आप क्या समझते हैं? परिकल्पना कितने प्रकार की होती है।
- प्रश्न- परिकल्पना की परिभाषा को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- परिकल्पना के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- दिशायुक्त एवं दिशाविहीन परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामान्य परिकल्पना किसे कहते हैं?
- प्रश्न- उपकल्पना के स्रोत, उपयोगिता तथा कठिनाइयाँ बताइए।
- प्रश्न- वैज्ञानिक अनुसन्धान में उपकल्पना की उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- उपकल्पना निर्माण में आने वाली कठिनाइयाँ बताइए?
- प्रश्न- उत्तम परिकल्पना की विशेषताएँ लिखिए। परिकल्पना के कार्य लिखिए।
- प्रश्न- परिकल्पना से आप क्या समझते हैं? किसी शोध समस्या को चुनिये तथा उसके लिये पाँच परिकल्पनाएँ लिखिए।
- प्रश्न- उपकल्पनाएँ कितनी प्रकार की होती हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक शोध में न्यादर्श चयन का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- शोधकर्त्ता को परिकल्पना का निर्माण क्यों करना चाहिए।
- प्रश्न- शोध के उद्देश्य व परिकल्पना में क्या सम्बन्ध है?
- प्रश्न- अच्छे न्यादर्श की क्या विशेषताएँ हैं? न्यादर्श चयन की कौन-सी विधियाँ हैं? शैक्षिक अनुसंधान में कौन-सी विधि सर्वाधिक प्रयोग में लाई जाती है और क्यों?
- प्रश्न- दैव निर्देशन के बारे में बताइए तथा उसकी समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निदर्शन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
- प्रश्न- स्तरित निदर्शन व उद्देश्यपूर्ण निदर्शन और विस्तृत पद्धति से आप क्या समझते हैं? न्यादर्श के अन्य प्रकार बताइये।।
- प्रश्न- उद्देश्यपूर्ण निदर्शन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विस्तृत निदर्शन पद्धति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- न्यादर्श के अन्य प्रकार समझाइए।
- प्रश्न- न्यादर्श की विधियाँ लिखिए।
- प्रश्न- शोध में न्यादर्श की क्या आवश्यकता है? अच्छे न्यादर्श की प्रमुख दो विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मापन की त्रुटि और न्यादर्श की त्रुटि को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- जनसंख्या व न्यादर्श में अन्तर कीजिए।
- प्रश्न- निदर्शन विधि किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- निदर्शन पद्धति के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आदर्श निदर्शन की विशेषताएँ तथा गुण बताइए।
- प्रश्न- न्यादर्श प्रणाली के दोष।
- प्रश्न- न्यादर्श 'अ' में N = 150, M = 120 और = 20 तथा न्यादर्श 'ब' में N = 75, M = 126 और 5 = 22 जब इन दोनों को 225 प्राप्ताकों के समूह में संयुक्त कर दिया जाए तो 'अ' और 'ब' के मध्यमान तथा प्रमाणिक विचलन क्या होगें?
- प्रश्न- सामान्य सम्भावना वक्र क्या है? तथा इसमें कौन-सी विशेषताएँ पायी जाती हैं?
- प्रश्न- सामान्य प्रायिकता वक्र में कौन-कौन सी विशेषताएँ पायी जाती है?
- प्रश्न- सामान्य प्रायिकता वक्र के क्या उपयोग है?
- प्रश्न- असम्भाव्यता न्यादर्शन कब और क्यों उपयोगी होते हैं?
- प्रश्न- अवलोकन किसे कहते हैं? अवलोकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा अवलोकन पद्धति की विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- अवलोकन के प्रकारों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सहभागी अवलोकन किसे कहते हैं?
- प्रश्न- असहभागी अवलोकन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- अवलोकन का महत्व, दोष तथा अवलोकनकर्त्ता के गुण बताइए।
- प्रश्न- अवलोकन पद्धति के दोष तथा अनुसन्धानकर्त्ता के गुण बताइए।
- प्रश्न- निरीक्षण विधि क्या हैं?
- प्रश्न- साक्षात्कार के प्रमुख चरण, गुण तथा दोष बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कारकर्त्ता के आवश्यक गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार के गुण तथा दोष बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कार के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- साक्षात्कार किसे कहते हैं? साक्षात्कार की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- साक्षात्कार के उद्देश्य तथा विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- समाजमिति की विशेषताएँ तथा समाजमिति विश्लेषण की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- समाजमिति विश्लेषण की विधियाँ लिखिए।
- प्रश्न- समाजमिति विधि किसे कहते हैं? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- प्रश्नावली का अर्थ बताइये तथा उसे परिभाषित करते हुए उसके प्रकार तथा विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रश्नावली के प्रकार तथा विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- प्रश्नावली निर्माण प्रविधि का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रश्नावली के गुण या लाभ बताइये।
- प्रश्न- प्रश्नावली विधि की सीमाएँ या दोष बताइए।
- प्रश्न- प्रश्नावली तथा अनुसूची में अन्तर लिखिए।
- प्रश्न- पश्चोन्मुखी या कार्योत्तर अनुसंधान किसे कहते हैं? इनकी विशेषताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कार्योत्तर अनुसंधान की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- पश्चोन्मुखी अनुसंधान का महत्व बताइये तथा इसकी मुख्य कठिनाइयाँ क्या हैं? उदाहरण सहित विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पश्चोन्मुखी अनुसन्धान में कौन-सी मुख्य कठिनाइयाँ हैं? उदाहरण सहित विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- अनुसंधान परिषद की संगठनात्मक संरचना क्या है? इसके लक्ष्य एवं उद्देश्यों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- दार्शनिक अनुसंधान परिषद् के लक्ष्य एवं उद्देश्यों का वर्णन करिए।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि क्या है? इसके प्रमुख पदों को लिखिए। तथा इसके गुण-दोष का वर्णन कीजिए और शिक्षा में इसकी उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान की प्रयोगात्मक विधि के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोगात्मक विधि की शिक्षा में उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- दार्शनिक अनुसंधान कितने प्रकार के होते हैं?
- प्रश्न- व्यक्ति इतिहास पद्धति की संक्षित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के अध्ययन की विभिन्न विधियों के नाम बताइये।
- प्रश्न- सम्बन्धित साहित्य की आवश्यकता और कार्य स्पष्ट कीजिए। शोध प्रतिवेदन में सम्बन्धित साहित्य की क्या उपयोगिता है?
- प्रश्न- शोध प्रबन्ध के प्रारूप को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उद्धरण में प्रतिवेदन के क्या नियम हैं? समझाइए।
- प्रश्न- फुटनोट के नियम बताइए।
- प्रश्न- सन्दर्भग्रन्थ-सूची क्या है?
- प्रश्न- शोध-प्रबन्ध का मूल्यांकन कीजिए?
- प्रश्न- शोध रिपोर्ट तैयार करने के क्या उद्देश्य हैं? रिपोर्ट लेखन की प्रक्रिया बताइये।
- प्रश्न- शोध रिपोर्ट लेखन क्या है? रिपोर्ट लेखन की प्रक्रिया बताइये।
- प्रश्न- शैक्षिक शोध से सम्बन्धित साहित्य की विवेचना कीजिए।