बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रथम प्रश्नपत्र - शिक्षा के दार्शनिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- दूरसंचार के विषय में आप क्या जानते हैं ? इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दीजिए।
अथवा
भारत में दूरदर्शन की विकास यात्रा को रेखांकित कीजिए।
उत्तर -
श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने कहा है कि "हम दूरदर्शन का विस्तार न केवल मनोरंजन के साधन के रूप में वरन विकास के लिए शिक्षा साधन के रूप में करना चाहते हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं यह पद्धति लोकतंत्र के लिए बहुत सहायक होगी। ग्रामों में आधुनिकीकरण में उसका योग निर्णायक हो सकता है। कृषकों के लिए देखना ही विश्वास करना है।"
दूरदर्शन जनसंचार माध्यमों के दौर में आज एक महत्वपूर्ण माध्यम का कार्य कर रहा है। इसका अपना विशेष महत्व है। किसी भी देश में कितनी प्रगति का विकास हो रहा है, इस बात का सप्रमाण विवरण दूरदर्शन ही देता है। यह एक ऐसे आइने का कार्य करता है जो लोगों को उनके देश का सही स्वरूप दिखाता है। सारे संचार माध्यमों में दूरदर्शन ही परिवर्तनकारी महत्व है। दूरदर्शन का प्रभाव ही है कि आज राष्ट्र का पूर्ण परिदृश्य ही परिवर्तित दिखाई दे रहा है। आज स्थिति यह हो गयी है कि दूरदर्शन पर ही सारे देश का नजारा या दृश्य देखने को मिल जाता है जिससे लोगों ने अपने जीवन को और संवारा तथा पार्को में शोर मचाना बन्द कर दिया। अधिकांश लोग दूरदर्शन के दृश्यों से मनोरंजन करते रहते हैं। गृहणियों की आँख हमेशा टी. वी. की तरफ ही रहती है कि कहीं कोई धारावाहिक न निकल जाये। पहले रविवार का दिन छुट्टी का माना जाता था किन्तु आज स्थिति यह है कि सीरियलों ने महिलाओं को इस कदर दीवाना कर दिया है कि वे छुट्टी के दिन भी पुरुष वर्ग को खिचड़ी खाकर सोने के लिए मजबूर कर देती हैं।
दूरदर्शन की विकास यात्रा
विज्ञान में देर से तरक्की करने वाले देशों में 1920 ई. में चलचित्र को आवाज देने की समस्या उठी। 1923 ई. में डॉ. ब्लाडिमिर वोरिकिन ने इस प्रश्न पर गहरी चिन्ता व्यक्त की। इस ओर उन्हें निराशा नहीं मिली। अमेरिका के जोविन्स नीज ने दो वर्ष बाद यांत्रिक दूरदर्शन उपकरण का प्रदर्शन किया। 1927 ई. में वाशिंगटन और न्यूयार्क के बीच टेलीफोन लेबोरेट्रीज द्वारा तार के माध्यम से टी.वी. कार्यक्रम भेजा गया। धीरे-धीरे इसमें बहुत सुधार किये गये। दूरदर्शन का आविष्कार फाइलो टेलीर फर्न्सवर्थ ने किया था। उसने प्रकाश किरणों को 'इलैक्ट्रानिक सिग्नलों में बदलने की बात कही। इस बात को विश्व के वैज्ञानिकों ने मान्यता दी। फर्न्सवर्थ के अनुसार, वैक्युअम ट्यूब की सहायता से इमेज के प्रसारण और ग्रहण के कार्य सुविधाजनक ढंग से हो सकते हैं। ट्यूब को विद्युत- शक्ति द्वारा शक्तिशाली बनाना होगा जिससे वह वायुमंडल में प्रेषित चित्रजाल को कैद कर सके।
अमेरिका ने 10 लाख डालर खर्च करके तथा 12 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद अमेरिका ने • यह अध्यवसायी अपनी प्रयोगशाला से प्रथम प्रसारण बैंक में रखे एक डिब्बे पर डॉलर का चित्र सम्प्रेषित किया। दुनिया का यह सर्वप्रथम टेलीविजन प्रसारण था।
1936 ई. में सबसे पहले दूरदर्शन के नियमित कार्यक्रम को बी. बी. सी. ने शुरू किया। 1939 में न्यूयार्क में जनता ने एक मेले के अन्दर टी.वी. को देखा। भारतीयों ने भी 15 सितम्बर, 1959 को यूनेस्को की सहायता से दूरदर्शन का मजा लिया। 15 अगस्त, 1965 से भारतीयों ने नियमित रूप से एक घंटे का टी.वी. प्रोग्राम देखने का लुत्फ उठाया। डॉ. विक्रम साराभाई के प्रयासों द्वारा 1967 में S.A.C. (Space of Application Centre) की स्थापना अहमदाबाद में हुई। साथ ही ग्रोन्मुखी की आवश्यकता के लिए खेड़ा (गुजरात) में साइट SITE (Satellite Instructional Television Experiment) ने उपग्रह शैक्षणिक दूरसंचार के क्षेत्र में आशातीत सफलता प्राप्त की। भारत में दूरदर्शन की विकास यात्रा 1959 में शुरू हुई। पहले दिल्ली के अन्दर ही एक टेलीविजन में केन्द्र था। 15 सितम्बर, 1959 को आकाशवाणी के अंग के रूप में यूनेस्को की सहायता से विद्यालय और गाँवों के लिए दूरदर्शन की प्रायोगिक सेवा का श्रीगणेश हुआ। टेलीविजन सेटों को एक साथ देखने की भी व्यवस्था की गई थी। अप्रैल, 1966 में आकाशवाणी को दूरदर्शन से पृथक करके स्वायत्त निगम बनाने की सिफारिश की गयी। 1 अप्रैल, 1976 को पहली सिफारिश क्रिसन्चित हुई जो अब तक चल रही है। सूचना प्रसारण मंत्रालय से सम्बद्ध दूरदर्शन के लक्ष्य निम्नलिखित हैं-
1. समाज को बदलने में प्रेरक भूमिका निभाना।
2. राष्ट्रीय एकता को उत्साह देना।
3. परिवार कल्याण और जनसंख्या नियंत्रण के संदेश को प्रसारित करना।
4. जन सामान्य में वैज्ञानिक चेतना जगाना।
5. पर्यावरण संतुलन बनाये रखना।
6. खेलकूद में रुचि बढ़ाना।
भारत में रंगीन दूरदर्शन का सूत्रपात 15 अगस्त, 1982 को हुआ। नवम्बर 1982 में नवें एशियाई खेलों को दूरदर्शन के द्वारा प्रदर्शित करने हेतु 100 वाट के 20 ट्रांसमीटर आयात हुए। ट्रांसमीटर के द्वारा देश के दूरस्थ भागों में भी दूरदर्शन का आनन्द उठाया जा सकता है भारत में पहला स्वदेशी उपग्रह इन्सेट 1-ए अप्रैल, 1982 में इसलिए छोड़ा गया जिससे राष्ट्रीय कार्यक्रमों का एक साथ प्रसारण हुआ। 1-बी इन्सेट अक्टूबर, 1983 से कार्य कर रहा है। पहले दूरदर्शन संस्कृति अभिजात्य वर्ग के मनोरंजन का साधन था। कला, संगीत तथा धारावाहिक का ही प्रदर्शन होता था 1 1984-1985 में यह कार्यक्रम सारे देश में घर-घर पहुंच गया। राष्ट्रीय कार्यक्रमों तथा क्षेत्रीय कार्यक्रमों के साथ इसकी भी प्रसारण की अवधि बढ़ गई। दूरदर्शन ने साहित्य, कला एवं जीवनोपयोगी प्रसारण द्वारा जनता जनार्दन को गौरवान्वित किया है।
6 दिसम्बर, 1982 में भारत के सूचना प्रसारण मंत्रालय में एक कार्यदल गठित किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य दूरदर्शन प्रारूप तैयार करना है। दूरदर्शन के अनेकों कार्यक्रमों का उद्देश्य देश में एवं आर्थिक विकास की प्रक्रिया में सहायक होना और व्यक्तियों को शिक्षा तथा मनोरंजन प्रदान करना है।
वर्गीस समिति - वर्गीस समिति ने आकाशवाणी और दूरदर्शन की स्वायत्तता के बारे में एक समीक्षा प्रस्तुत की। 1965 से ही दिल्ली केन्द्र सामान्य दर्शकों के लिए सेवा नियमित कर चुका था। अन्य 6 केन्द्रों मुम्बई (72), श्रीनगर (73), अमृतसर (73) कलकत्ता (75) तथा लखनऊ (75) भी कार्य करने लगे थे। इन केन्द्रों के द्वारा कला, संगीत विशेष प्रकार के सीरियल के प्रदर्शन किये गये। अगस्त 1975 में 6 राज्यों के 2330 गाँवों में सीधे दूरदर्शन से कार्यक्रम ग्रहण करने वाले सेटों पर देश की बहुत बड़ी आबादी ने शिक्षाप्रद रोचक कार्यक्रम देखे।
वर्गीस समिति ने लागत लाभ के अनुसार सिफारिश की कि आने वाले 10-15 सालों तक रेडियो के विकास की ओर ध्यान देना चाहिए। उनका कहना था कि रेडियो सबसे सस्ता तथा सुलभ * साधन है। 1 घंटे के दूरदर्शन कार्यक्रम पर रेडियो के कार्यक्रम से आठ या दस गुना अधिक खर्च होता है। वर्गीस समिति ने जिला स्तर पर आकाशवाणी केन्द्र बनने की सलाह दी। दूरदर्शन पत्रकारिता में लेखन, संकलन एवं प्रस्तुतीकरण सम्बन्धी विशिष्ट क्षमतायें उपेक्षित होती हैं-
लेखक साधना और तपस्या का पुजारी होता है। वास्तव में लिखने की क्षमता उन्हीं में होती है जिसमें लगन है सोच-विचार की क्षमता है, अनुराग है, समाज की सेवा करने की भावना है, समाज का दर्द है तथा मूक को आवाज देने की क्षमता है। अच्छा लेखक अपने पाठक का शुभचिन्तक तथा मित्र होता है। दूरदर्शन में आलेख, संकेत पट्टिका आदि को लिखने वाले को तथा तैयार करने वाले को लेखक माना जाता है। न्यूजों के लिए भी चित्र अंकित करने वाले, वीडियो, टेपरिकार्डिंग का कार्य करने वाले लेखक होते हैं। दूरदर्शन का श्रृंगार वृत्त लेखक हैं जो बहुत कम शब्दों के अन्दर बहुत कुछ कह देता है।
प्रतिभा उसी को कहते हैं जो कैमरे के सामने अथवा फिल्म पर काम करता है। घटनाक्रम का चल - चित्रांकन दूरदर्शन का संवाददाता देता है। वह अपना परिचय देते हुए सारा घटनाक्रम समझाने के लिए सरल भाषा मधुर वाणी और अच्छी शैली का प्रयोग करता है। समाचार सम्पादक का काम अनेकों स्रोतों से प्राप्त समाचारों के सम्पादन का उत्तरदायित्व होता है। वह समाचारों के अहमियत के अनुसार उन्हें क्रमबद्ध कर उसे सम्पादित करता है तथा उसे पाठक के सामने प्रस्तुत करने योग्य बनाता है। समाचार संयोजक समाचार को प्राविधिक दृष्टि से प्रसारित करने की दिशा में सचेष्ट रहता है। समाचार को प्रसारित करने से पहले वह समाचार सम्पादक से जरूरी बातें करके पूरी तैयारी कर लेता है।
भारतीय फिल्म तथा टेलीविजन भारत फिल्म निर्माण के क्षेत्र में विश्व के बड़े फिल्म निर्माता देशों के समक्ष है। यहाँ लगभग 500 फिल्मों का प्रतिवर्ष निर्माण होता है। अधिकतर फिल्मों हिन्दी, तमिल तथा दंगला भाषा से सम्बन्धित होती हैं। यद्यपि भारत इन फिल्मों का विदेशों में निर्यात करता है, किन्तु यवश भारतीय फिल्में कालात्मक तथा प्रभावपूर्ण नहीं होती। भारत सरकार ने फिल्म निर्माण में प्राप्त करने के उद्देश्य से दादा साहब पुरस्कार प्रदान करने की व्यवस्था की है।
भारतीय फिल्म टेलीविजन संस्था, पुणे यह फिल्म निर्माण तथा उसका तकनीकी प्रशिक्षण देने के लिए स्थापित किया है। यहाँ फिल्म में प्रायः सभी क्षेत्रों, जैसे लेखन, निर्देशन, छायांकन, ध्वन्यांकन, सम्पादन, अभिनय आदि का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था है।
भारतीय फिल्म संग्रहालय, नई दिल्ली - यह विभिन्न भाषाओं में निर्मित फिल्मों का संग्रह करता है। इसकी एक शाखा पुणे में है।
भारत में टेलीविजन केन्द्र भारत में टेलीविजन प्रसारण छोटे पैमाने पर 15 सितम्बर, 1969 से प्रारम्भ किया गया। 1 अप्रैल, 1976 को टेलीविजन और आकाशवाणी ए. आई. आर. को अलग-अलग निर्देशालयों के अधीन कर दिया गया। 1985 के अन्त तक देश के टेलीविजन केन्द्रों की स्थिति निम्न प्रकार थी -
पूर्ण केन्द्र - दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, श्रीनगर, जालन्धर और लखनऊ।
रिले सेन्टर - द मसूरी, पुणे, बैंगलोर, अमृतसर और कानपुर।
उपग्रह केन्द्र -दिल्ली, कटक और हैदराबाद।
इस समय देश में 200 से अधिक दूरदर्शन केन्द्र कार्यरत हैं। अब ऐसा कोई भी प्रदेश नहीं है जहाँ दूरदर्शन के केन्द्र न हों। वर्तमान में दूरदर्शन केन्द्रों की क्षमता बढ़ाई जा रही है ताकि उनके क्षेत्रफल का विस्तार हो सके। 17 सितम्बर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने दिल्ली में दूसरे चैनल की शुरूआत की थी। अब दिल्ली तथा अन्य प्रमुख नगरों से नियमित रूप से रंगीन कार्यक्रम प्रसारित किये जाते हैं। 15 सितम्बर, 1984 को भारतवर्ष में दूरदर्शन ने 25 वर्ष पूरे कर लिये। प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने दूरदर्शन कार्यक्रमों को और अधिक अच्छा बनाने पर बल दिया है।
दूरदर्शन समाचार समाचारों का आकाशवाणी समाचार-पत्र तथा दूरदर्शन में अलग-अलग रूप होता है। समाचारवाचकों को टी.वी. पर देखा जाता है। विदेशों में कैमरा कवरेज अधिक से अधिक तथा वाचक का चेहरा कम दिखाया जाता है।
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- प्रश्न- शिक्षा की अवधारणा बताइये तथा इसकी परिभाषाएँ देते हुए इसकी विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का शाब्दिक अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके संकुचित, व्यापक एवं वास्तविक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न प्रकारों को समझाइए। शिक्षा तथा साक्षरता व अनुदेशन में क्या मूलभूत अन्तर है ?
- प्रश्न- भारतीय शिक्षा में आज संकटावस्था की क्या प्रकृति है ? इसके कारणों व स्रोतों का समुचित विश्लेषण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित करना शिक्षक के लिए आवश्यक है, क्यों ?
- प्रश्न- शिक्षा के वैयक्तिक एवं सामाजिक उद्देश्यों की विवेचना कीजिए तथा इन दोनों उद्देश्यों में समन्वय को समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं ?
- प्रश्न- शिक्षा के विषय-विस्तार को संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के साधनों से आप क्या समझते हैं ? शिक्षा के विभिन्न साधनों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्राउन ने शिक्षा के अभिकरणों को कितने भागों में बाँटा है ? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के एक साधन के रूप में परिवार का क्या महत्व है ? बालक की शिक्षा को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए घर व विद्यालय को निकट लाने के उपाय बताइए।
- प्रश्न- "घर और पाठशाला में सामंजस्य न स्थापित करना बालक के साथ अनहोनी करना है।' रॉस के इस कथन की पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार का क्या अर्थ है ? जनसंचार की परिभाषा देते हुए इसकी महत्ता का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- दूरसंचार के विषय में आप क्या जानते हैं ? इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दीजिए।
- प्रश्न- दूरसंचार के प्रमुख साधनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बालक की शिक्षा के विकास में संचार के साधन किस प्रकार सहायक हैं ? उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इन्टरनेट की विशेषताओं का समीक्षात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- कम्प्यूटर किसे कहते हैं ? कम्प्यूटर के विकास का समीक्षात्मक इतिहास लिखिए।
- प्रश्न- सम्प्रेषण का शिक्षा में क्या महत्व है ? सम्प्रेषण की विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- औपचारिक, निरौपचारिक और अनौपचारिक अभिकरणों के सापेक्षिक सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अनौपचारिक साधनों में जनसंचार के साधनों का क्या योगदान है ?
- प्रश्न- अनौपचारिक और औपचारिक शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "घर, शिक्षा का सर्वोत्तम स्थान और बालक का प्रथम विद्यालय है।' समझाइए
- प्रश्न- जनसंचार प्रक्रिया के प्रमुख तत्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनसंचार माध्यमों की उपयोगिता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- इंटरनेट के विकास की सम्भावनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में कम्प्यूटर के उपयोग की महत्ता का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी में संदेश देने वाले सामाजिक माध्यमों में 'फेसबुक' के महत्व बताइए तथा इसके खतरों के विषय में भी विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'व्हाट्सअप' किस प्रकार की सेवा है ? सामाजिक माध्यमों में संदेश देने हेतु यह किस प्रकार कार्य करता है ?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा: अर्थ, अवधारणा, प्रकृति और शिक्षा के उद्देश्य)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा के अभिकरण )
- प्रश्न- "दर्शन जिसका कार्य सूक्ष्म तथा दूरस्थ से रहता है, शिक्षा से कोई सम्बन्ध नहीं रख सकता जिसका कार्य व्यावहारिक और तात्कालिक होता है।" स्पष्ट कीजिए
- प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए तथा शिक्षा के लिए इनके निहितार्थ स्पष्ट कीजिए (i) तत्व - मीमांसा, (ii) ज्ञान-मीमांसा, (iii) मूल्य-मीमांसा।
- प्रश्न- "पदार्थों के सनातन स्वरूप का ज्ञान प्राप्त करना ही दर्शन है।' व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक पाश्चात्य दर्शन के लक्षण बताइए। आप आधुनिक पाश्चात्य दर्शन का जनक किसे मानते हैं ?
- प्रश्न- शिक्षा का दर्शन पर प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- एक अध्यापक के लिए शिक्षा दर्शन की क्या उपयोगिता है ? समझाइये।
- प्रश्न- अनुशासन को दर्शन कैसे प्रभावित करता है ?
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन से आप क्या समझते हैं ? परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन तथा शैक्षिक दर्शन के कार्य )
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन क्या है ? वेदान्त दर्शन के सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। वेदान्त दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्य, पाठ्यचर्या व शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के शिक्षा में योगदान का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन की तत्व मीमांसा ज्ञान मीमांसा एवं मूल्य मीमांसा तथा उनके शैक्षिक अभिप्रेतार्थ की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन के अनुसार शिक्षार्थी की अवधारणा बताइए।
- प्रश्न- वेदान्त दर्शन व अनुशासन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत शिक्षा के मूल सिद्धान्त बताइए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन में दी गयी ब्रह्म की अवधारणा व उसके रूप पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अद्वैत वेदान्त दर्शन के अनुसार आत्म-तत्व से क्या तात्पर्य है ?
- प्रश्न- जैन दर्शन से क्या तात्पर्य है ? जैन दर्शन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन के अनुसार 'द्रव्य' संप्रत्यय की विस्तृत विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन द्वारा प्रतिपादितं शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- जैन दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- मूल्य निर्माण में जैन दर्शन का क्या योगदान है ?
- प्रश्न- अनेकान्तवाद (स्यादवाद) को समझाइए।
- प्रश्न- जैन दर्शन और छात्र पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधियों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन के प्रमुख सिद्धान्त क्या-क्या हैं ?
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में शिक्षक संकल्पना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र-शिक्षक के सम्बन्ध पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- बौद्ध दर्शन में छात्र/ शिक्षार्थी की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बौद्धकालीन शिक्षा की वर्तमान शिक्षा पद्धति में उपादेयता बताइए।
- प्रश्न- बौद्ध शिक्षा की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद से आप क्या समझते हैं ? आदर्शवाद के मूलभूत सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आदर्शवाद के शिक्षा के उद्देश्यों, पाठ्यचर्या और शिक्षण विधियों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा दर्शन के रूप में आदर्शवाद का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय आदर्शवादी दर्शन अद्वितीय है।" उक्त कथन पर प्रकाश डालते हुए भारतीय आदर्शवादी दर्शन की प्रकृति की विवेचना कीजिए तथा इसका पाश्चात्य आदर्शवाद से अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षक का क्या स्थान है ?
- प्रश्न- आदर्शवाद में शिक्षार्थी का क्या स्थान है ?
- प्रश्न- आदर्शवाद में विद्यालय की परिकल्पना कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवाद में अनुशासन को समझाइए।
- प्रश्न- वर्तमान शिक्षा पर आदर्शवादी दर्शन का प्रभाव बताइये।
- प्रश्न- आदर्शवाद के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए। प्रकृतिवाद के रूपों एवं सिद्धान्तों को संक्षेप में बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद और शिक्षा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। प्रकृतिवादी शिक्षा की विशेषताएँ तथा उद्देश्य बताइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के शिक्षा पाठ्यक्रम और शिक्षण विधि की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रकृतिवाद आधुनिक युग में शिक्षा के क्षेत्र में बाजी हार चुका है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आदर्शवादी अनुशासन एवं प्रकृतिवादी अनुशासन की क्या संकल्पना है ? आप किसे उचित समझते हैं और क्यों ?
- प्रश्न- प्रकृतिवादी और आदर्शवादी शिक्षा व्यवस्था में क्या अन्तर है ?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद तथा शिक्षक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की तत्व मीमांसा क्या है ?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद की ज्ञान मीमांसा क्या है ?
- प्रश्न- प्रकृतिवाद में शिक्षक एवं छात्र सम्बन्ध स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आदर्शवाद और प्रकृतिवाद में अनुशासन की संकल्पना किस प्रकार एक-दूसरे से भिन्न है ? सोदाहरण समझाइए।
- प्रश्न- प्रकृतिवादी शिक्षण विधियों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- प्रकृतिवादी अनुशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रयोजनवादी विचारधारा के प्रमुख तत्वों की विवेचना कीजिए। शिक्षा के उद्देश्यों, शिक्षण विधियों, पाठ्यक्रम, शिक्षक तथा अनुशासन के सम्बन्ध में इनके विचारों को प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवादियों तथा प्रकृतिवादियों द्वारा प्रतिपादित शिक्षण विधियों, शिक्षक तथा अनुशासन की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- प्रयोजनवाद तथा आदर्शवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- यथार्थवाद का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसके मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में यथार्थवाद की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा संक्षेप में यथार्थवाद के रूपों को बताइए।
- प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- यथार्थवाद द्वारा प्रतिपादित शिक्षा के उद्देश्यों तथा शिक्षण पद्धति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- यथार्थवाद क्या है ? उसने शिक्षा की धाराओं को किस प्रकार प्रभावित किया है ? भारतीय शिक्षा पर इसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- नव यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वैज्ञानिक यथार्थवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : वेदान्त दर्शन)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : जैन दर्शन )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( भारतीय दर्शन एवं इसका योगदान : बौद्ध दर्शन )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (दर्शन की विचारधारा - आदर्शवाद)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। ( प्रकृतिवाद )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (प्रयोजनवाद )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (यथार्थवाद)
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ, उद्देश्य तथा शिक्षण-विधि सम्बन्धी विचारों पर प्रकाश डालते हुए गाँधी जी के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी के शिक्षा दर्शन तथा शिक्षा की अवधारणा के विचारों को स्पष्ट कीजिए। उनके शैक्षिक सिद्धान्त वर्तमान भारत की प्रमुख समस्याओं का समाधान कहाँ तक कर सकते हैं ?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा क्या है ?
- प्रश्न- बुनियादी शिक्षा का वर्तमान सन्दर्भ में महत्व बताइए।
- प्रश्न- "बुनियादी शिक्षा महात्मा गाँधी की महानतम् देन है"। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गाँधी जी की शिक्षा की परिभाषा की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर के शिक्षा दर्शन का मूल्यांकन कीजिए तथा शिक्षा के उद्देश्य, शिक्षण पद्धति, पाठ्यक्रम एवं शिक्षक के स्थान के सम्बन्ध में उनके विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- टैगोर का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- विश्व भारती का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्ति निकेतन की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं ? आप कैसे कह सकते हैं कि यह शिक्षा में एक प्रयोग है ?
- प्रश्न- टैगोर का मानवतावादी प्रकृतिवाद पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में गिज्जूभाई की विशेषताओं का वर्णन कीजिए तथा इनके सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- गिज्जूभाई के शैक्षिक प्रयोगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- गिज्जूभाई कृत 'प्राथमिक शाला में भाषा शिक्षा' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा के अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम एवं शिक्षण विधि को स्पष्ट करते हुए स्वामी विवेकानन्द के शिक्षा दर्शन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के अनुसार अनुशासन का अर्थ बताइए। शिक्षक, शिक्षार्थी तथा विद्यालय के सम्बन्ध में स्वामी जी के विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के सम्बन्ध में विवेकानन्द के क्या योगदान हैं ? लिखिए।
- प्रश्न- जन-शिक्षा के विषय में स्वामी विवेकानन्द के विचार बताइए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द की मानव निर्माणकारी शिक्षा क्या है ?
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ एवं उद्देश्यों, पाठ्यक्रम, शिक्षण-विधि, शिक्षक का स्थान, शिक्षार्थी को स्पष्ट करते हुए जे. कृष्णामूर्ति के शैक्षिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णमूर्ति के जीवन दर्शन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जे. कृष्णामूर्ति के विद्यालय की संकल्पना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्लेटो के शिक्षा सिद्धान्त की आलोचना तथा उसके शिक्षा जगत पर प्रभाव का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- प्लेटो का शिक्षा में योगदान बताइए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा तथा दासों की शिक्षा के विषय में प्लेटो के विचार स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रकृतिवाद के सन्दर्भ में रूसो के विचारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाओं हेतु रूसो द्वारा प्रतिपादित शिक्षा योजना का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूसो की 'निषेधात्मक शिक्षा' की संकल्पना क्या है ? सोदाहरण समझाइए।
- प्रश्न- रूसो के प्रमुख शैक्षिक विचार क्या हैं ?
- प्रश्न- पालो फ्रेरे का जीवन परिचय लिखिए। इनके जीवन की दो प्रमुख घटनाएँ कौन-सी हैं जिन्होंने इनको बहुत अधिक प्रभावित किया ?
- प्रश्न- फ्रेरे के जीवन की दो मुख्य घटनाएँ बताइये जिनसे वह बहुत प्रभावित हुआ।
- प्रश्न- फ्रेरे के पाठ्यक्रम तथा शिक्षण विधि पर विचार स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फ्रेरे के शिक्षण विधि सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- फ्रेरे के शैक्षिक आदर्श क्या हैं?
- प्रश्न- जॉन डीवी के शिक्षा दर्शन पर प्रकाश डालते हुए उनके द्वारा निर्धारित शिक्षा व्यवस्था के प्रत्येक पहलू को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जॉन डीवी के उपयोगिता शिक्षा सिद्धान्त को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : महात्मा गाँधी)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : रवीन्द्रनाथ टैगोर)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : गिज्जू भाई )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : स्वामी विवेकानन्द )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारतीय शैक्षिक विचारक : जे० कृष्णमूर्ति )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : प्लेटो)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : रूसो )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : पाउलो फ्रेइरे)
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (पाश्चात्य शैक्षिक विचारक : जॉन ड्यूवी )