बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
भारतीय संविधान द्वारा दिये गये स्वतंत्रता के अधिकार की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
संविधान द्वारा प्रदत्त मूल अधिकार
भारतीय संविधान के भाग 3 तथा अनुच्छेद 12-35 में नागरिकों को छह प्रकार के मौलिक अधिकार प्रदान किये गये हैं। यद्यपि मूल संविधान में कुल अधिकारों की संख्या 7 थी, किन्तु 44 दें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा संपत्ति के अधिकार' को मूल अधिकारों से निकालकर मात्र एक कानूनी अधिकार बना दिया गया है। वर्तमान समय में नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार निम्न प्रकार है
1. समता का अधिकार ( अनुच्छेद 14-18) - इस अधिकार के अंतर्गत निम्नलिखित पांच प्रकार के अधिकार शामिल किये गये हैं-
(I) भारतीय राज्य क्षेत्र में 'विधि के समक्ष समता' तथा 'विधियों का समान संरक्षण' ( अनुच्छेद 14 ) - इसका तात्पर्य यह है कि देश की विधियों के समक्ष सभी व्यक्ति समान हैं, चाहे किसी व्यक्ति की पद अथवा प्रतिष्ठा कुछ भी हो तथा सभी व्यक्तियों को विधि का समान रूप से संरक्षण प्राप्त रहेगा, चाहे व्यक्ति गरीब हो या अमीर। इस अनुच्छेद का उद्देश्य स्तर एवं अवसर की समानता स्थापित करना है।
(II) धर्म, जाति, वंश, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर नागरिकों में समानता( अनुच्छेद 15 ) - इस अनुच्छेद के अंतर्गत कानून के आधार पर उपरोक्त किसी आधार पर नागरिकों के मध्य किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जायेगा।
(III) लोक सेवाओं में अवसर की समानता ( अनुच्छेद 16 ) - इस अनुच्छेद के आधार पर राज्य की लोक सेवाओं में सभी नागरिकों के समान अवसर उपलब्ध होंगे। यद्यपि समाज के पिछड़े वर्गों के उत्थान हेतु उन्हें आरक्षण के रूप में कुछ सुविधायें दी जा सकती हैं।
(IV) अस्पृश्यता का अन्त ( अनुच्छेद 17 ) - इस अनुच्छेद के आधार पर छुआ-छूत संबंधी किसी भी व्यवहार को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। समाज से अस्पृश्यता का अंत करने के लिए संसद द्वारा 'अस्पृश्यता अपराध अधिनियम, 1955' पारित किया गया था, जिसे बाद में संशोधित कर नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1976' कहा गया। इस अध्याय का यही एकमात्र अनुच्छेद है जिसमें गांधी जी के विचारों को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
(V) उपाधियों का अंत ( अनुच्छेद 18 ) - इस अनुच्छेद में कहा गया है कि राज्य सेना एवं विद्या संबंधी उपाधियों को छोड़कर अन्य कोई उपाधि प्रदान नहीं करेगा तथा राष्ट्रपति की अनुमति के बगैर कोई भी व्यक्ति विदेशी उपाधि ग्रहण नहीं करेगा।
2. स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 19-22 ) - नागरिकों को प्राप्त अधिकारों में यह अत्यन्त महत्वपूर्ण अधिकार है। एम पी पावली के अनुसार, यह अनुच्छेद व्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार पत्र है और मौलिक अधिकारों से संबंधित अध्याय का मूल आधार है। अनुच्छेद 19 के अंतर्गत नागरिकों को निम्न छ: स्वतंत्रतायें प्रदान की गयी हैं -
(i) विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता,
(ii) सभा करने की स्वतंत्रता
(iii) संघ बनाने की स्वतंत्रता
(iv) अबाध भ्रमण की स्वतंत्रता
(v) आवास की स्वतंत्रता,
(vi) पेशा, व्यापार व व्यवसाय की स्वतंत्रता।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार ( अनुच्छेद 23-24 ) - इस अनुच्छेद 23 के तहत मानव के व्यापार तथा उससे बेगार लेना अपराध घोषित किया गया है तथा अनुच्छेद 24 के अंतर्गत 14 वर्ष से कम आयु के किसी भी बालक को कारखानों या अन्य किसी जोखिम भरे उद्योगों में लगाना अपराध घोषित किया गया है।
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार ( अनुच्छेद 25-28) - धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार भारत की धर्मनिरपेक्ष भावना का परिचायक है। अनुच्छेद 25 में कहा गया है कि भारत के सभी व्यक्तियों को अन्तःकरण की स्वतंत्रता तथा किसी भी धर्म को मानने, आचरण करने तथा प्रचार करने का अधिकार प्राप्त है। अनुच्छेद 26 के अनुसार, लोक व्यवस्था, सदाचार तथा स्वास्थ्य के अधीन रहते हुए सभी धार्मिक समुदायों को धार्मिक प्रयोजनों से संस्थाओं की स्थापना और पोषण, अपने धर्म विषयक कार्यों के प्रबन्ध करने तथा कानूनी तौर पर अर्थोपाजन करने का अधिकार है। अनुच्छेद 27 के अनुसार किसी व्यक्ति को किसी धर्म विशेष के हितार्थ कर देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। अनुच्छेद 28 के अंतर्गत राज्य की संचित निधि से संचालित किसी शिक्षण संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जा सकती।
5. संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार ( अनुच्छेद 29-30) - इन अनुच्छेदों का उद्देश्य अल्पसंख्यकों को संवैधानिक संरक्षण प्रदान कर देश की विविधता में एकता स्थापित करना है। अनुच्छेद 29 उपबंधित करता है कि सभी व्यक्तियों को अपनी भाषा, लिपि या संस्कृति को सुरक्षित रखने का पूर्ण अधिकार है। अनुच्छेद 30 के तहत धर्म व भाषा आधारित अल्पसंख्यक कार्यों को अपनी रुचि की शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रबन्ध का पूर्ण अधिकार होगा।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार ( अनुच्छेद 32 ) - डॉ. अम्बेडकर ने संवैधानिक उपचारों के अधिकार को 'संविधान की आत्मा' कहा था। वास्तव में अधिकार तभी सार्थक होते हैं जब उन्हें लागू किया जा सके और यदि उनका हनन हो तो उपचार किया जा सके। संविधान के अंतर्गत यदि व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है तो वह उच्च एवं उच्चतम न्यायालय से उपचार प्राप्त कर सकता है। नागरिकों के मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए उच्चतम न्यायालय अनुच्छेद 32 के तहत तथा उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के तहत पाँच प्रकार के आदेश तथा प्रलेख जारी कर सकता है जो निम्न हैं-
(i) बंदी प्रत्यक्षीकरण (Habeas Corpus) - इस लेख द्वारा न्यायालय बंदी बनाये गये व्यक्ति को सशरीर न्यायालय के समक्ष पेश करने का आदेश देता है तथा उसे बंदी बनाये जाने के कारणों की जाँच करता है। यदि बंदी बनाये जाने के वैध कारण नहीं हैं तो उसे मुक्त करने का आदेश देता है। यह लेख व्यक्तिगत स्वतंत्रता हेतु अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
(ii) परमादेश - (Mandamus) - इसका आशय है- 'हम आदेश देते हैं इस लेख द्वारा न्यायालय किसी पदाधिकारी अथवा किसी सार्वजनिक सस्था को उसके कर्त्तव्य का पालन कराने के लिए आदेश देता है।
(iii) उत्प्रेषण (Certiorai) - यह लेख उच्च न्यायालयों द्वारा निम्न न्यायालयों को इस आशय से दिया जाता है कि अधीनस्थ न्यायालय किसी मामले की कार्यविधियों अभिलेख उच्च न्यायालय के पास विचारार्थ भेजे।
(iv) प्रतिषेध (Prohibition ) - प्रतिषेध द्वारा निम्न न्यायालयों को अपनी अधिकारिता की सीमा में रहकर कृत्यों के निर्वहन के लिए बाध्य किया जाता है। यह लेख केवल न्याययिक प्राधिकारियों के विरुद्ध ही निकाला जाता है।
(v) अधिकार पृच्छा ( Quo Warranto ) - यह प्रलेख किसी व्यक्ति को कोई ऐसा सार्वजनिक पद ग्रहण करने से रोकने के लिए जारी किया जाता है, जिस पद को ग्रहण करने का वह अधिकारी नहीं है।
इस प्रकार स्पष्ट है कि संविधान जहाँ नागरिकों को कई मौलिक अधिकार प्रदान करता है, वहीं इन अधिकारों को प्रवर्तित कराने का अधिकार भी मौलिक अधिकार के रूप में प्रदान करता है।
मूल्यांकन - इस तथ्य से इन्कार नहीं किया जा सकता कि संविधान में मौलिक अधिकारों का उल्लेख भारतीय प्रजातंत्र के उदार स्वरूप को प्रदर्शित करता है। साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा घोषित 'मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा 1948 का भी समर्थन करता है।
हालांकि मौलिक अधिकारों की अनेक आधारों पर आलोचना की जाती है, किन्तु फिर भी इन्हें महत्वहीन नहीं माना जा सकता। वास्तव में मौलिक अधिकारों के साथ अनेक सीमायें लगाने का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता' एवं 'राज्य की सुरक्षा के मध्य समन्वय स्थापित करना था। मौलिक अधिकारों के महत्व को इस तथ्य से समझा जा सकता है कि सर्वोच्च न्यायालय को इन अधिकारों का संरक्षक बनाया गया है।
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- प्रश्न- समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र को जन्म देने वाली प्रवृत्तियाँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पारिभाषिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समझाइये |
- प्रश्न- समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बालक पर भारतीय समाज के विभिन्न प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए पाठ्यक्रम में किस प्रकार के बदलाव किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- शिक्षा की समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति ने शिक्षा में कौन-सी नयी विचारधाराओं को उत्पन्न किया?
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण व सामूहिक जीवन हेतु विभिन्नता में एकता की स्थापना करने वाले घटकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण एवं सामूहिक रहने के लिये विभिन्नता में एकता स्थापित करने में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ स्पष्ट करते हुए धर्मनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सन्दर्भ में धर्मनिरपेक्ष राज्य की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता सम्बन्धी प्रावधानों को भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता को प्रोत्साहित करने वाले कारक कौन-से हैं? धर्मनिरपेक्षता के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के कारण भारतीय समाज में क्या परिवर्तन हुए?
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की विशेषताओं एवं इसके विकास में विद्यालय की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रक्रिया, रूप एवं प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रूप बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास का क्या अर्थ है? आर्थिक विकास के साधन के रूप में शिक्षा के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्त्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा एक सामाजिक एवं गत्यात्मक प्रक्रिया है। " इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रक्रिया की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक परिवर्तन से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति और समाज के मध्य सम्बन्धों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- वर्तमान समाज में परिवार का स्वरूप बदल गया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक व्यवस्था में असमानताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
- प्रश्न- सामाजीकरण में परिवार का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- सामाजिक व्यवस्था की मुख्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बन्धित है?
- प्रश्न- सांस्कृतिक विकास की कुछ समस्याएँ बताइये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा सांस्कृतिक परिवर्तन कैसे लाती है?
- प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (समाजशास्त्र और शिक्षा का सम्बन्ध)
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिये। संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की अवधारणा बताइए। भारतीय संविधान के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अन्तर्गत वर्णित शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न धाराओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न प्रावधान क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान में लिखित नीति-निदेशक तत्त्वों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- समानता, बन्धुता, न्याय व स्वतंत्रता की संवैधानिक वादे के संदर्भ में शिक्षा के लक्ष्यों से सम्बन्धित संवैधानिक मूल्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थीं?
- प्रश्न- प्रस्तावना से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 45 का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्रजातन्त्र के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र के प्रमुख गुण व दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र का क्या अर्थ है? भारतीय लोकतंत्र के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय लोकतन्त्र के मूल सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्रीय समाज में शिक्षा के क्या उद्देश्य होने चाहिए? उनमें से किसी एक की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "आधुनिक शिक्षा में लोकतांत्रिक प्रवृष्टि दृष्टिगोचर होती है।' स्पष्ट कीजिए तथा लोकतांत्रिक समाज में विद्यालयों की भूमिका पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनतंत्र केवल प्रशासन की एक विधि ही नहीं है वरन् यह एक सामाजिक प्रणाली भी है। व्याख्या कीजिए |
- प्रश्न- भारत जैसे लोकतन्त्रीय राष्ट्र में शिक्षा के उद्देश्य किस प्रकार के होने चाहिए?
- प्रश्न- शिक्षा का लोकतन्त्रीकरण क्या है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जनतंत्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जनतंत्र पर शिक्षा के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में जनतन्त्र से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण पूर्णतः स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रजातन्त्र से आप क्या समझते हैं? विद्यालय में प्रजातान्त्रिक वातावरण बनाए रखने के लिए आप क्या प्रयास करेंगे?
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और अनुशासन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षक एवं शिक्षार्थी में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र में विद्यालयों की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- लोकतंत्र में शिक्षा का अन्य पहलू क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के लिए शिक्षा की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारत का संविधान )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा एवं प्रजातंत्र )
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? समानता के क्षेत्र एवं भारत में यह कहाँ तक उपलब्ध है?
- प्रश्न- अनुसूचित जातियों से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं को बताइये तथा इनके समाधान के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति की समस्याओं के समाधान के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अल्पसंख्यक की अवधारणा बताइये। अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिये किये गये प्रयासों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- ईसाई धर्म ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित किया है? उचित उदाहरणों की सहायता से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में सार्वभौमीकरण से क्या तात्पर्य है? शिक्षा में सार्वभौमीकरण की कितनी अवस्थायें एवं वर्तमान में इनकी आवश्यकता एवं महत्व के कारण बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा की सार्वभौमीकरण की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सार्वभौम एवं समावेशी शिक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवं प्रभावपूर्ण बनाने में शिक्षक की भूमिका की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अधिगम संदर्भ में व्याप्त विविधताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
- प्रश्न- 'जातीय व सामाजिक विविधता तथा अध्यापक' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध से आप क्या समझते हैं? आज के युग में अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के विकास हेतु शिक्षा का कार्य और शिक्षा की योजना कीजिए?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के लिए शिक्षा का सिद्धान्त आवश्यक है समझाइये |
- प्रश्न- पाठ्यक्रम और शिक्षा विधि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक का योगदान व स्कूल का वातावरण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना के प्रसार में यूनेस्को की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- यूनेस्को के उद्देश्य व कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? वैश्वीकरण के गुण एवं दोष बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय समझ की बाधाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के प्रमुख कारण स्क्रेच स्रोत क्या हैं? इन्हें दूर करने हेतु व्यावसायिक सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक चुनौतीपूर्ण बच्चों को विद्यालय पर समान शैक्षिक अवसर कैसे उपलब्ध कराए जा सकते हैं?
- प्रश्न- कोठारी आयोग के द्वारा प्रवेश शिक्षा के अवसर व समानता व इससे सम्बन्धित सुझाव बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में शिक्षा की असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय आयोग के शैक्षिक अवसरों की समानता सम्बन्धी सुझावों को बताइए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान में अल्पसंख्यकों की सुविधाओं के लिये क्या प्रावधान किये गये हैं?
- प्रश्न- शिक्षा आयोग (1964-66) द्वारा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिये दिये गये सुझाव क्या हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता में शिक्षक की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- शिक्षा के सार्वभौमीकरण में बाधक 'शैक्षिक असमानता' को दूर करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव की गई?
- प्रश्न- शिक्षा किस प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय सदभावना का विकास कर सकती है?
- प्रश्न- विद्यालय को समाज से जोड़ने में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक अन्तःक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण में शिक्षक की क्या भूमिका हो सकती है?
- प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक अवसरों की समानता )
- प्रश्न- सर्व शिक्षा के बारे में बताइये एवं इसके लक्ष्यों, क्रियान्वयन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन क्या है? विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री साक्षरता कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्याह्न भोजन योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कॉमन स्कूल पद्धति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय के बारे में बताइये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिड डे मील स्कीम के गुण एवं दोष की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक कार्यक्रम )