बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
बी.एड. सेमेस्टर-1 द्वितीय प्रश्नपत्र - शिक्षा के सामाजिक परिप्रेक्ष्य
प्रश्न- अनुसूचित जाति की समस्याओं के समाधान के उपाय बताइये।
उत्तर -
अनुसूचित जाति की समस्याओं का समाधान
अनुसूचित जातियों की समस्याओं का समाधान करने के लिये भारत सरकार के द्वारा अनेक प्रयास किये गये हैं फिर भी इस दिशा में उनकी जनसंख्या को देखते हुए विशेष प्रगति सम्भव नहीं हो सकती है। भारतीय सरकार द्वारा इस दिशा में अनेक महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गये हैं।
इन प्रयासों का उल्लेख निम्नलिखित है -
(1) सामाजिक सांस्कृतिक व आर्थिक स्तर को उठाने का प्रयास - भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से यह घोषणा की गई है कि "राज्य किसी भी व्यक्ति से उसकी जाति धर्म वंश आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करेगा।
संविधान के अनुच्छेद 330 व 332 के अनुसार, राज्यों की विधान सभाओं एवं लोकसभा में अनुसूचित जाति की जनसंख्या के अनुपात में स्थान सुरक्षित रखे गये हैं। लोकसभा एवं राज्यों की विधान सभाओं के अतिरिक्त ग्राम पंचायतों में भी इनके स्थान सुरक्षित कर दिये गये हैं। इसी प्रकार देश में केन्द्रीय एवं राज्य स्तर पर जितनी भी नियुक्ति की जाती है, उनमें 15% स्थान अनुसूचित जातियों के लिये सुरक्षित कर दिये गये हैं। सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जातियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्राप्त हो सके, इसके लिये उनकी आयु में निर्धारित छूट प्रदान की गई। इसी प्रकार अन्य अनिवार्य एवं वांछित योग्यताओं में भी इनकी छूट प्रदान की गई, साथ ही इन जातियों को, प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु वांछित मार्ग-निर्देशन भी प्रदान किया जाता है। व्यर्थ पड़ी हुई भूमि को सिंचाई एवं खेती के योग्य बनाकर उसे अनुसूचित जातियों में बँटा जा रहा है। उत्तम खाद व कृषि यन्त्रों की व्यवस्था भी इनके लिये की जा रही है। इसके साथ ही वैज्ञानिक कृषि का प्रशिक्षण भी अनुसूचित जाति के कृषकों को दिया जा रहा है।
कुटीर उद्योग से सम्बन्धित योजनाओं को प्राथमिकता व क्रियान्वयन - इस दिशा में सरकार द्वारा किये जाने वाले महत्त्वपूर्ण प्रयासों में से हैं। कुटीर उद्योगों में अधिकांशत: अनुसूचित जाति के व्यक्ति ही कार्य करते हैं। अतः इन उद्योगों को विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। अनेक प्रकार की सहकारी समितियों का निर्माण भी इसी उद्देश्य से किया गया है। प्रायः समस्त राज्य एवं संघीय समितियों का निर्माण भी इस उद्देश्य से किया गया है। प्रायः समस्त राज्य एवं संघीय क्षेत्रों के द्वारा, कुटीर उद्योगों के विकास हेतु आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है।
केन्द्र शासन के द्वारा यह प्रयास भी किया जा रहा है कि इन जातियों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का दुरुपयोग नहीं किया जा सके। भारत के संविधान में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों व पिछड़े वर्गों का शैक्षणिक दृष्टि से उत्थान करने, उनका सामाजिक दृष्टि से पिछड़ापन दूर करने तथा उन्हें आवश्यक सुरक्षा व संरक्षण प्रदान करने की व्यवस्था की गई है। साथ ही, यह भी व्यवस्था की गई है कि इन जातियों के हितों की रक्षा करते हुए इन्हें समस्त प्रकार के शोषण से बचाया जाये।
(2) शैक्षिक सुविधायें - अनुसूचित जातियों को शैक्षिक सुविधायें देने के लिये, केन्द्र सरकार के द्वारा अनेक प्रयास किये गये हैं। छात्रवृत्तियों को प्रदान करना, पुस्तकें, लेखन सामग्री प्रदान करना, निःशुल्क शिक्षा देना आदि सुविधायें उल्लेखनीय हैं। समस्त शैक्षणिक एवं प्रावैधिक संस्थाओं से, केन्द्र सरकार के द्वारा यह सिफारिश की गई है कि अनुसूचित जाति के अभ्यार्थियों के लिये प्रत्येक दशा में स्थान आरक्षित किये जाने हैं। प्रथम पंचवर्षीय योजना में ही अनुसूचित जातियों के उत्थान हेतु 159 करोड़ रु० व्यय किये गये थे। तीसरी पंचवर्षीय योजना में यह खर्च बढ़ाकर 1,421 करोड़ रु० कर दिया गया। वर्तमान समय में इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु, यह राशि बढ़ाकर कई गुना अधिक कर दी गई है। 1953 से ही भारत की केन्द्रीय सरकार के द्वारा, इस वर्ग के प्रतिभा सम्पन्न छात्रों को विदेशों में शिक्षित करने के उद्देश्य से भी छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जा रही हैं।
(3) अनुसूचित जाति सर्वेक्षण - 1971 की जनगणना के अनुसार, भारत में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 7,99,95,896 थीं। ये जातियाँ अभी तक भी वांछित प्रगति नहीं कर सकी हैं। उनके विचारों एवं व्यवहारों में अभी पर्याप्त परिवर्तन लाने की आवश्यकता है। इन जातियों का सुधार करने के लिए यह आवश्यक है कि निम्न जानकारियों को प्राप्त करने के लिये निरन्तर प्रयास किये जायें-
(1) अनुसूचित जातियों के व्यक्तियों की संख्या की सही एवं सतत् जानकारी।
(2) विभिन्न अनुसूचित जातियों एवं उपजातियों के नाम तथा देश में उनका विभाजन आदि।
(3) विविध जातियों द्वारा अपनाए गए व्यवसाय।
(4) परिवारों की औसत सदस्य संख्या।
(5) परिवारों में आजीविका अर्जित करने वाले तथा आश्रित व्यक्तियों की संख्या।
(6) शिक्षा प्राप्त करने योग्य बालक एवं बालिकाओं की संख्या।
(7) विद्यालय में शिक्षा प्राप्ति हेतु वाले बालक-बालिकाओं की संख्या।
(8) परिवारों के सदस्यों में साक्षरता का शुद्ध प्रतिशत।
(9) अनौपचारिक केन्द्रों पर, शिक्षा प्राप्त करने वाले प्रौढ़ व्यक्तियों की साक्षरता का प्रतिशत।
(10) विद्यालयों एवं अनौपचारिक केन्द्रों की निवास स्थान से दूरी।
(11) विद्यालयों एवं अनौपचारिक केन्द्रों तक जाने के कारण।
(12) अनुसूचित जातियों के परम्परागत रीति-रिवाज, लोक नृत्य एवं लोक गीत इत्यादि। (13) अनुसूचित जातियों की बोलियाँ एवं भाषाएँ।
(14) राष्ट्र की अन्य वर्गों से सम्बन्धित जातियों के प्रति उनके विचार।
(15) अनुसूचित जातियों में व्याप्त रोग इत्यादि।
(4) अनुसूचित जातियों की आवश्यकताओं से सम्बद्ध शिक्षा - अनुसूचित बालकों की शिक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित उपाय आवश्यक हैं -
(1) कक्षा 1-3 तक इस वर्ग के बालकों की, उसी भाषा में शिक्षा प्रदान की जानी चाहिये, जिस भाषा में वे बोलते हैं। इस भाषा के माध्यम से वे अपनी पाठ्य-वस्तु का ज्ञान अधिक सहजता से कर सकते हैं।
(2) पाठ्य-वस्तु के शिक्षण के साथ-साथ, अनुसूचित जाति के बालकों की भौगोलिक परिस्थितियों का भी ध्यान रखना आवश्यक है।
(3) जिस क्षेत्र में अनुसूचित जाति के बालक निवास करते हों, उस क्षेत्र के शिल्प एवं उद्योगों की शिक्षा भी इन बालकों को दी जानी चाहिये।
(4) विविध प्रकार से विद्यालयी सांस्कृतिक कार्यक्रमों के अन्तर्गत, उस क्षेत्र के लोक नृत्यों, लोक गीतों एवं उत्सवों को भी सम्मिलित किया जाना चाहिये।
(5) बालकों की शिक्षा व्यवस्था के अन्तर्गत, उनकी आर्थिक व्यवस्था को भी ध्यान में रखना चाहिये।
(6) बालकों की आर्थिक स्थिति के अनुरूप, शैक्षणिक सुविधाएँ प्रदान की जानी चाहिये। (7) बालकों एवं उनके अभिभावकों के साथ सहानुभूतिपूर्ण व्यवहार किया जाना चाहिये
(8) शैक्षिक कार्यक्रम इस प्रकार के हों जिनके माध्यम से इन वर्गों से सम्बन्धित शैक्षिक समस्याओं का समाधान हो सके।
(5) शासन द्वारा सुविधायें - अनुसूचित जातियों की शिक्षा हेतु सरकार के द्वारा, निरन्तर अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। इस वर्ग के बालकों हेतु निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने और छात्रवृत्तियों को निष्पक्षता से वितरित करने के निर्देश दिये गये हैं।
इसके अतिरिक्त शासन द्वारा किये गये कुछ अन्य कार्य निम्नलिखित हैं-
(1) अनुसूचित जातियों के हितों को ध्यान रखने हेतु एक विशेष अधिकारी की नियुक्ति की गई है। इस अधिकारी को अनुसूचित जातियों का आयुक्त कहा जाता है। यह अधिकारी, संविधान में किये गये प्रावधानों के आधार पर इन जातियों के कल्याण का कार्य करता है। आयुक्त के द्वारा समय-समय पर, प्रतिशत प्रतिवेदन बनाकर भारतीय राष्ट्रपति को भेजा जाता है।
(2) आयुक्त के अतिरिक्त एक महानिदेशक की नियुक्ति भी की गई है। यह महानिदेशक गृह मन्त्रालय के अधीन कार्य करता है। राज्यों से समन्वय स्थापित करने का कार्य भी इसी महानिदेशक के द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
(3) इन अधिकारियों के अतिरिक्त, तीन संसदीय समितियों की नियुक्ति भी, भारत सरकार के द्वारा की गई है। अनुसूचित जातियों के कल्याण से सम्बन्धित विभिन्न कार्य, इन समितियों के द्वारा ही निरीक्षित किये जाते हैं।
(4) अनुसूचित जातियों के कल्याणार्थ, भारतीय सरकार के द्वारा पृथक्-पृथक् अनेक विभागों की स्थापना की गई है।
(5) पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत भी, अनुसूचित जातियों के कल्याण हेतु अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है।
(6) राज्यों द्वारा प्रदत्त सुविधायें - भारतीय सरकार के द्वारा राज्य सरकारों को, अनुसूचित जातियों के कल्याण हेतु, प्रतिवर्ष, पर्याप्त धनराशि स्वीकृत की जाती है। यह धनराशि, विभिन्न उद्देश्यों की पूर्ति हेतु व्यय की जाती है।
इसके अतिरिक्त कुछ अन्य सुविधायें निम्नलिखित हैं -
(1) छात्रों को कक्षा 10 तक छात्रवृत्तियाँ प्रदान करना।
(2) शिक्षा की निःशुल्क व्यवस्था करना।
(3) शैक्षणिक साधनों के क्रय हेतु धनराशि प्रदान करना।
(4) मध्यान्तर के समय आहार की व्यवस्था करना।
(5) आवासीय विद्यालयों की व्यवस्था करना।
(6) विद्यालयों एवं छात्रावासों के निर्माण हेतु आर्थिक अनुदान देना।
(7) भूमि एवं सिंचाई की सुविधायें उपलब्ध करना।
(8) कृषि उपकरणों, उन्नत बीजों एवं रासायनिक खाद की व्यवस्था करना।
(9) कुटीर उद्योग-धन्धों के विकास हेतु अनुदान देना।
(10) पशुपालन के लिये आर्थिक सहायता उपलब्ध कराना।
(11) परिवहन व यातायात के साधनों को उपलब्ध कराना।
(12) विभिन्न रोगों के उपचार हेतु चिकित्सा सम्बन्धी सुविधायें उपलब्ध कराना।
(13) आवास हेतु भूमि की व्यवस्था करना।
(14) पेय जल की व्यवस्था करना।
(15) गैर-सरकारी संस्थाओं को अनुदान करना।
(16) अनुसूचित जातियों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराना।
(7) हरिजन कल्याण विभाग की भूमिका - उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा हरिजनों के कल्याण हेतु एक हरिजन कल्याण विभाग की स्थापना की गई है। हरिजनों के लिये निर्धारित कल्याण कार्यों का अवलोकन व क्रियान्वयन इसी विभाग का कार्य है। इस विभाग के द्वारा हरिजन छात्रों हेतु छात्रावृत्तियों की व्यवस्था भी की गई है। जिन क्षेत्रों में सरकार के द्वारा विद्यालयों की स्थापना नहीं की गई है। वहाँ वे छात्रों को सरकार के द्वारा शिक्षा शुल्क भी दिया जाता है। कक्षा 10 से पूर्व के छात्रों की छात्रवृत्तियाँ देने के साथ ही कक्षा 10 के उपरान्त, अध्ययनरत् उन छात्रों को भी छात्रवृत्तियाँ प्रदान की जाती हैं, जिनके अभिभावकों की मासिक आय 750 रुपये से कम हो अनुसूचित जाति के जो छात्र, व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें भी आर्थिक सहायता प्रदान करने का विधान इस विभाग के द्वारा किया गया है।
|
- प्रश्न- समाजशास्त्र का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र को जन्म देने वाली प्रवृत्तियाँ कौन-कौन-सी हैं?
- प्रश्न- शाब्दिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- पारिभाषिक दृष्टि से समाजशास्त्र का अर्थ समझाइये |
- प्रश्न- समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज के आधुनिक स्वरूप की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- बालक पर भारतीय समाज के विभिन्न प्रभावों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को देखते हुए पाठ्यक्रम में किस प्रकार के बदलाव किये जाने चाहिये?
- प्रश्न- शिक्षा की समाजशास्त्रीय प्रवृत्ति ने शिक्षा में कौन-सी नयी विचारधाराओं को उत्पन्न किया?
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण व सामूहिक जीवन हेतु विभिन्नता में एकता की स्थापना करने वाले घटकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शान्तिपूर्ण एवं सामूहिक रहने के लिये विभिन्नता में एकता स्थापित करने में शैक्षिक संस्थाओं की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता का अर्थ स्पष्ट करते हुए धर्मनिरपेक्षता की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सन्दर्भ में धर्मनिरपेक्ष राज्य की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं? भारतीय संविधान में धर्मनिरपेक्षता सम्बन्धी प्रावधानों को भी स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता को प्रोत्साहित करने वाले कारक कौन-से हैं? धर्मनिरपेक्षता के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में होने वाले सामाजिक परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के कारण भारतीय समाज में क्या परिवर्तन हुए?
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्ष शिक्षा की विशेषताओं एवं इसके विकास में विद्यालय की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता के विकास में विद्यालय की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रक्रिया, रूप एवं प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रूप बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन और शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक विकास का क्या अर्थ है? आर्थिक विकास के साधन के रूप में शिक्षा के योगदान को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- संस्कृति से आप क्या समझते हैं? संस्कृति की आवश्यकता एवं महत्त्व पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तनों तथा शिक्षा के पारस्परिक सम्बन्धों को समझाइए।
- प्रश्न- "शिक्षा एक सामाजिक एवं गत्यात्मक प्रक्रिया है। " इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा प्रक्रिया की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक परिवर्तन से क्या तात्पर्य है? सांस्कृतिक परिवर्तन लाने में शिक्षा की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
- प्रश्न- समाजशास्त्रीय परिप्रेक्ष्य से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- समाजशास्त्र और शिक्षाशास्त्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- व्यक्ति और समाज के मध्य सम्बन्धों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- वर्तमान समाज में परिवार का स्वरूप बदल गया है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक व्यवस्था में असमानताओं को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।
- प्रश्न- सामाजीकरण में परिवार का क्या महत्त्व है?
- प्रश्न- सामाजिक व्यवस्था की मुख्य विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय सांस्कृतिक धरोहर की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विरासत से आप क्या समझते हैं? यह शिक्षा से किस प्रकार सम्बन्धित है?
- प्रश्न- सांस्कृतिक विकास की कुछ समस्याएँ बताइये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा सांस्कृतिक परिवर्तन कैसे लाती है?
- प्रश्न- शिक्षा के सामाजिक आधार से क्या तात्पर्य है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (समाजशास्त्र और शिक्षा का सम्बन्ध)
- प्रश्न- संविधान की परिभाषा दीजिये। संविधान की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान की अवधारणा बताइए। भारतीय संविधान के अन्तर्गत मौलिक अधिकारों एवं कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- मौलिक अधिकारों का महत्व तथा अर्थ बताइये। मौलिक अधिकार व्यवस्था की प्रमुख विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल अधिकारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान के अन्तर्गत वर्णित शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न धाराओं का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में शिक्षा से सम्बन्धित विभिन्न प्रावधान क्या-क्या हैं?
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्त्वों से आप क्या समझते हैं? भारतीय संविधान में लिखित नीति-निदेशक तत्त्वों का उल्लेख कीजिये।
- प्रश्न- समानता, बन्धुता, न्याय व स्वतंत्रता की संवैधानिक वादे के संदर्भ में शिक्षा के लक्ष्यों से सम्बन्धित संवैधानिक मूल्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- संविधान सभा के प्रमुख सदस्यों की कार्यप्रणाली के विषय में बताइए तथा संविधान निर्माण की विभिन्न समितियाँ कौन-सी थीं?
- प्रश्न- प्रस्तावना से क्या आशय है? भारतीय संविधान की प्रस्तावना तथा इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में मौलिक अधिकारों के उल्लेख की आवश्यकता पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मौलिक कर्त्तव्य कौन-कौन से हैं? इनके महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की प्रकृति तथा उनके महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राज्य के नीति निदेशक तत्वों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 45 का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र का अर्थ स्पष्ट करते हुए प्रजातन्त्र के गुण-दोषों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- प्रजातन्त्र के प्रमुख गुण व दोषों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र का क्या अर्थ है? भारतीय लोकतंत्र के सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय लोकतन्त्र के मूल सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्रीय समाज में शिक्षा के क्या उद्देश्य होने चाहिए? उनमें से किसी एक की सविस्तार विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "आधुनिक शिक्षा में लोकतांत्रिक प्रवृष्टि दृष्टिगोचर होती है।' स्पष्ट कीजिए तथा लोकतांत्रिक समाज में विद्यालयों की भूमिका पर भी प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनतंत्र केवल प्रशासन की एक विधि ही नहीं है वरन् यह एक सामाजिक प्रणाली भी है। व्याख्या कीजिए |
- प्रश्न- भारत जैसे लोकतन्त्रीय राष्ट्र में शिक्षा के उद्देश्य किस प्रकार के होने चाहिए?
- प्रश्न- शिक्षा का लोकतन्त्रीकरण क्या है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- जनतंत्र की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए। जनतंत्र पर शिक्षा के प्रभाव की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में जनतन्त्र से आप क्या समझते हैं? सोदाहरण पूर्णतः स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- विद्यालय में प्रजातन्त्र से आप क्या समझते हैं? विद्यालय में प्रजातान्त्रिक वातावरण बनाए रखने के लिए आप क्या प्रयास करेंगे?
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षा के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और अनुशासन में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र और शिक्षक एवं शिक्षार्थी में सम्बन्ध बताइए।
- प्रश्न- लोकतंत्र में विद्यालयों की क्या भूमिका होती है?
- प्रश्न- लोकतंत्र में शिक्षा का अन्य पहलू क्या है?
- प्रश्न- लोकतंत्र के लिए शिक्षा की क्या आवश्यकता है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (भारत का संविधान )
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शिक्षा एवं प्रजातंत्र )
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं? समानता के क्षेत्र एवं भारत में यह कहाँ तक उपलब्ध है?
- प्रश्न- अनुसूचित जातियों से सम्बन्धित विभिन्न समस्याओं को बताइये तथा इनके समाधान के उपायों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अनुसूचित जाति की समस्याओं के समाधान के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अल्पसंख्यक की अवधारणा बताइये। अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिये किये गये प्रयासों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- ईसाई धर्म ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित किया है? उचित उदाहरणों की सहायता से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा में सार्वभौमीकरण से क्या तात्पर्य है? शिक्षा में सार्वभौमीकरण की कितनी अवस्थायें एवं वर्तमान में इनकी आवश्यकता एवं महत्व के कारण बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा की सार्वभौमीकरण की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सार्वभौम एवं समावेशी शिक्षा में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को रोचक एवं प्रभावपूर्ण बनाने में शिक्षक की भूमिका की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में अधिगम संदर्भ में व्याप्त विविधताओं का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भाषायी विविधता के संदर्भ में अध्यापक से क्या अपेक्षाएँ होती हैं?
- प्रश्न- 'जातीय व सामाजिक विविधता तथा अध्यापक' पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध से आप क्या समझते हैं? आज के युग में अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के विकास हेतु शिक्षा का कार्य और शिक्षा की योजना कीजिए?
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय अवबोध के लिए शिक्षा का सिद्धान्त आवश्यक है समझाइये |
- प्रश्न- पाठ्यक्रम और शिक्षा विधि की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- अध्यापक का योगदान व स्कूल का वातावरण के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना विकसित करने के पक्ष में तर्क दीजिए।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय भावना के प्रसार में यूनेस्को की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- यूनेस्को के उद्देश्य व कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं? वैश्वीकरण के गुण एवं दोष बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय समझ की बाधाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के प्रमुख कारण स्क्रेच स्रोत क्या हैं? इन्हें दूर करने हेतु व्यावसायिक सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- शारीरिक चुनौतीपूर्ण बच्चों को विद्यालय पर समान शैक्षिक अवसर कैसे उपलब्ध कराए जा सकते हैं?
- प्रश्न- कोठारी आयोग के द्वारा प्रवेश शिक्षा के अवसर व समानता व इससे सम्बन्धित सुझाव बताइए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986 में शिक्षा की असमानता को दूर करने के लिए क्या कदम उठाए गए?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय आयोग के शैक्षिक अवसरों की समानता सम्बन्धी सुझावों को बताइए।
- प्रश्न- स्त्री शिक्षा के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- भारत में शैक्षिक अवसरों की असमानता के विभिन्न स्वरूपों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संविधान में अल्पसंख्यकों की सुविधाओं के लिये क्या प्रावधान किये गये हैं?
- प्रश्न- शिक्षा आयोग (1964-66) द्वारा शैक्षिक अवसरों की समानता के लिये दिये गये सुझाव क्या हैं?
- प्रश्न- शैक्षिक अवसरों की समानता में शिक्षक की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- शिक्षा के सार्वभौमीकरण में बाधक 'शैक्षिक असमानता' को दूर करने के उपाय बताइये।
- प्रश्न- अन्तर्राष्ट्रीय सद्भावना से क्या तात्पर्य है? इसकी आवश्यकता क्यों अनुभव की गई?
- प्रश्न- शिक्षा किस प्रकार से अन्तर्राष्ट्रीय सदभावना का विकास कर सकती है?
- प्रश्न- विद्यालय को समाज से जोड़ने में शिक्षक की भूमिका पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- लोकतान्त्रिक अन्तःक्रिया के माध्यम से राष्ट्रीय एकीकरण में शिक्षक की क्या भूमिका हो सकती है?
- प्रश्न- आदर्श भारतीय समाज के निर्माण में शिक्षक की भूमिका।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक अवसरों की समानता )
- प्रश्न- सर्व शिक्षा के बारे में बताइये एवं इसके लक्ष्यों, क्रियान्वयन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय साक्षरता मिशन क्या है? विस्तार पूर्वक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सम्पूर्ण साक्षरता अभियान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्त्री साक्षरता कार्यक्रम पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- मध्याह्न भोजन योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कॉमन स्कूल पद्धति का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं?
- प्रश्न- समावेशी शिक्षा में शिक्षक की भूमिका स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय के बारे में बताइये।
- प्रश्न- आश्रम पद्धति विद्यालय की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मिड डे मील स्कीम के गुण एवं दोष की गणना कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये गये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (शैक्षिक कार्यक्रम )