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बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2718
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान

अध्याय - 4
तन्तु निर्माण की विधियाँ

(Fabric Construction Methods)

वस्त्र (Fabric) शब्द का प्रयोग उन सभी वस्त्रों के लिए किया जाता है जो रेशों को दबाकर या बुनाई के द्वारा तैयार किये जाते हैं । चमड़े को हम इस श्रेणी में ही रख सकते, क्योंकि यह रेशों द्वारा नहीं बनता है और न इसे बुना हीं जा सकता है। 'चायना ग्लास' धातु से बने वस्त्र भी इस श्रेणी में नहीं आते हैं किन्तु आधुनिक वस्त्रोद्योगों ने ऐसी वस्तुओं से तैयार किये गये वस्त्रों को भी इस श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया है जो वास्तव में प्राकृतिक रेशे से नहीं बने हैं। रेशे वाली वस्तुओं से वैज्ञानिक प्रक्रिया द्वारा सुन्दर धागे निकाल लिये जाते हैं। रेशों से निर्मित धागे ही वस्त्र के मुख्य आधार हैं।
वस्त्र निर्माण के लिए रेशों से निर्मित धागों का उपयोग कर विभिन्न विधियों से वस्त्र बुने जाते हैं। वस्त्र निर्माण के लिए न केवल धागे का ही उपयोग किया जाता है, बल्कि केवल रेशों या बिना रेशों का उपयोग करके भी विभिन्न विधियों से वस्त्र बनाये जाते हैं । वस्त्रों को कई विधियों से तैयार किया जाता है। बुनाई (weaving), फेल्टिंग (felting). निटिंग (knitting), बोडिंग (bonding) आदि वस्त्र-निर्माण की प्रमुख विधियाँ हैं ।

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

• बुनाई के दौरान लम्बाई की दिशा वाले तन्तुओं को ताने का सूत्र कहते हैं।
• बुनाई के दौरान चौड़ाई की दिशा वाले तन्तुओं को बाने का सूत्र कहते हैं।
• हाथ से बुने वस्त्र सामान्यतया 27 से 36 इंच चौड़े होते हैं। -
• नीटेड वस्त्र अकेले धागे से बनते हैं। वस्त्रों की सजावट के लिए ब्रेडस तथा लेख विधि का प्रयोग किया जाता है।
• सादी बुनाई वाले वस्त्र दोनों ओर से समान दिखते हैं।
• ट्वील बुनाई ऐसी बुनाई है जो तैरती हुई दिखाई देती है।
• साटिन एक बुनाई का नाम है और इसी के नाम पर उस वस्त्र को भी साटिन कहते हैं जो इस बुनाई के द्वारा बुना जाता है।
• साटिन बुनाई रेशमी वस्त्रों की होती है।
• सेटीन बुनाई साटिन बुनाई के विपरीत होती है ।
• लिनो बुनाई पद्धति हल्के व जालीदार वस्त्रों के निर्माण हेतु उपयुक्त होती है।
• लिनन से बने वस्त्र मिस्र के राजा, महाराजा व राजपरिवार के सदस्य पहनते थे ।
• भारत को कपास का जन्मदाता कहा जाता है।
• चीन ने सर्वप्रथम रेशम के वस्त्रों का निर्माण किया।
• भारत में हड़प्पा व मोहनजोदड़ो नामक सिन्धु घाटी सभ्यता स्थलों से सूती वस्त्रों के अवशेष मिले हैं।
• ऋग्वेद में ऊन से बने वस्त्रों का उल्लेख है जो तीन प्रकार के थे नीवी, वासस तथा अधिवासस ।
• सादी - बुनाई के वस्त्रों में रंगाई व छपाई करना आसान होता है।
• शटल करघा एक परम्परागत करघा है।
• शटल करघा कभी-कभी धागे से गुजरते हुए उस पर खरोंच डाल देता है।
• पाइल बुनाई के कपड़े सादी या ट्वील बुनाई के द्वारा बुने जाते हैं। ये 3, 5, 7 या अधिक तानों से गुजारे जाते हैं।
• पाइल बुनाई के कपड़े गर्म, नर्म तथा अवशोषक होते हैं।
• कशीदाकारी शॉल अम्बलीकर या अम्बली कार्य से सम्बन्धित है ।
• ऊनी शॉलों का नामकरण प्रारम्भिक रफूगर्स द्वारा निर्मित किया गया।
• कपास विश्वव्यापी तन्तु है। इसके तन्तुओं को साफ कर इन्हें वस्त्र-निर्माण हेतु उपयोगी बनाया जाता है।
• प्रायः खनिज तन्तुओं में सोने का धागा वस्त्र निर्माण में प्रयोग किया जाता है।
• सोने की आरी का काम बनारस में विश्व-विख्यात है।
• निटिंग विधि में दो प्रकार से वस्त्रों की बुनाई की जाती है
(1) वेफ्ट निटिंग या बाना बुनाई
(2) वार्प निटिंग या ताना बुनाई ।
• स्टील की निडिल का प्रयोग स्पेनवासियों ने सर्वप्रथम किया था ।
• वार्पनिटिंग के अन्तर्गत पर्ल रचना बनाई जाती है।
• निटिंग की मशीनों में 1" से 28" फन्दे होते हैं।
• निटिंग से बने वस्त्र वजन में हल्के होते हैं वार्प निटिंग में चौरल कपड़ा बनता है।
• ट्राइकोट का शाब्दिक अर्थ है निट करना ।
• शटल को गुजरने के लिए रिक्त स्थान होता है उसे शेडिंग कहते हैं।
• शटल पर कपड़ा लपेटा जाता है।
• हारनेस करघों पर लगा एक फ्रेम होता है।
• उल्टी बुनाई में मोती जैसे उभार दिखाई देते हैं।
• टापा वस्त्र का निर्माण ओक के वृक्ष की छाल से होता है।
• कंघी करघे में हारनेस के सामने की ओर लगी रहती है।
• जाली बनाने की विधि निटिंग व लेस बनाने की विधि से मिलती-जुलती है।
• धागे को आपस में मिलाकर, गूँथकर वस्त्र बनाये जाते हैं। इन्हें ब्रेडिंग कहते हैं।
• निटिंग विधि में सलाइयों तथा सूई की सहायता से सूत के फंदे को फँसाकर एक श्रृंखला बनायी जाती है।
• आजकल कागज से भी वस्त्रों का निर्माण किया जाता है।

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 परिधान एवं वस्त्र विज्ञान का परिचय
  2. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  3. उत्तरमाला
  4. अध्याय - 2 तन्तु
  5. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  6. उत्तरमाला
  7. अध्याय - 3 सूत (धागा) का निर्माण
  8. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  9. उत्तरमाला
  10. अध्याय - 4 तन्तु निर्माण की विधियाँ
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 5 वस्त्र निर्माण
  14. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  15. उत्तरमाला
  16. अध्याय - 6 गृह प्रबन्धन का परिचय
  17. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  18. उत्तरमाला
  19. अध्याय - 7 संसाधन, निर्णयन प्रक्रिया एवं परिवार जीवन चक्र
  20. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  21. उत्तरमाला
  22. अध्याय - 8 समय प्रबन्धन
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 9 शक्ति प्रबन्धन
  26. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  27. उत्तरमाला
  28. अध्याय - 10 धन प्रबन्धन : आय, व्यय, पूरक आय, पारिवारिक बजट एवं बचतें
  29. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  30. उत्तरमाला
  31. अध्याय - 11 कार्य सरलीकरण एवं घरेलू उपकरण
  32. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  33. उत्तरमाला

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