बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 - गृह विज्ञान
अध्याय - 3
सूत (धागा) का निर्माण
(Manufacture of Yarn)
मानव निर्मित तन्तुओं के अविष्कार के बाद अन्तहीन व महीन धागे तैयार करना सम्भव हुआ । इन धागों को अनेक प्रक्रियाओं और क्रमबद्ध तरीके से प्रत्यक्ष रूप प्रदान किया जाता है। जब तन्तुओं से धागे का निर्माण हो जाता है तो इन धागों की सहायता से अनेकों प्रकार के वस्त्र तैयार किये जाते हैं।
तन्तुओं की लम्बाई, सटने की क्षमता, डायमीटर, लोचमयता, और सतह की गणना के आधार पर किसी भी कटाई विधि का प्रयोग किया जाता है। यह क्रिया इस प्रकार है : बिनौलों से कपास निकालना कपास को धुनना, कंघी करना, ऐठन, दोनों, और लपेटना । जब तन्तु इन प्रक्रियाओं से गुजरता है तो पट्टियाँ, पूनियाँ बटाईदार धागे के पश्चात अन्ततः सूत तैयार हो जाता है ।
तन्तु चाहे प्रकृति से प्राप्त किये गये हों या रासायनिक विधि से निर्मित हों, प्रत्येक वर्ग के तन्तुओं की लम्बाई अलग-अलग प्रकार की होती है। कपास का 1"/2 तन्तु से 2" 1/2 होता है। जबकि ऊन का तन्तु 1" से 8" तक होता है।
नन्हें रेशा को जोड़कर जो धागे बनते उन्हें स्पर्न यार्न कहते हैं। कपास व ऊन आदि प्राकृतिक तन्तु होते हुए भी अविरल लम्बाई के होते हैं। इनके तन्तु फिलामेण्ट कहलाते हैं। इस प्रकार लम्बाई के आधार के अनुसार तन्तु 2 प्रकार के होते हैं।
1. स्टेपल फाइबर
2. फिलामेण्ट फाइबर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
• काट्स वूल कपास और ऊन को मिलाकर तैयार किया जाता है।
• फिलामेण्ट तन्तु 1000 से 4000 मी. तक लम्बा होता है।
• स्टेपल फाइबर को हॉलेन व सडैबर ने परिभाषित किया था।
• कपास का तन्तु1/2 से 2 1/2 तक लम्बा होता है।
• नन्हें रेशे जो धागे बनाते हैं उन्हें स्पर्न यॉन कहते हैं।
• स्ट्रेच धागे से बने वस्त्र मजबूत व टिकाऊ होते हैं।
• वतर्मान समय में कताई का कार्य मशीनों से किया जाता है।
• निश्चित लम्बाई पद्धति में 'डिनायर' शब्द का प्रयोग किया जाता है।
• स्ट्रेच धागे कृत्रिम विधि से तैयार किये जाते हैं।
• निश्चित वजन पद्धति में वजन पाउण्ड में दिया जाता है।
• बहु-घटक धागों में फिलामेण्ट पाया जाता है।
• भराई का कार्य ताने के धागों से होता है।
• ऐंठन में पोनियों को घड़ी की उल्टी दिशा में घुमाते हैं।
• तकली धागा निर्माण करने का का प्रथम यंत्र माना जाता है।
• ताने का बेलन करघे का मुख्य भाग होता है।
• बांये हाथ की बनाई को ट्वील बुनाई कहते हैं। यह बुनाई नोकदार होती है।
• वस्त्र की उल्टी ओर की बनाई साटिन बुनाई कहलाती है।
• 44 धागे छोड़कर बुनाई ढलुआ टवील की डिजायन बनाने में होती है। जीन, साटिन, सेटिन आदि रेशमी वस्त्र होते हैं।
• साटिन वस्त्रों में सूत्र की मात्रा अधिक होती है ।
• सादी बुनाई के वस्त्र अधिक मजबूत होते है।
• टवील बुनाई वाले, वस्त्रों में तिरछी धारियाँ दिखायी देती हैं।
• धारीदार बुनाई में धारियाँ कपड़े की लम्बाई की दिशा में पड़ती हैं। इसे वफ्टरिंग कहते हैं।
• रेशों में प्रोटीन, मूल तत्व कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन तथा नाइट्रोजन पाये जाते हैं।
• फिलामेण्ट सूत चमकदार, चिकने और मुलायम होते हैं तथा इन पर बबलिंग नहीं उठती है ।
• धागों की मजबूती टैनीसिटी से मापी जाती है।
• कपड़ों की मजबूती टैन्साइल स्टरैन्थ के रूप में मापी जाती है।
• फिलामेण्ट तन्तुओं में आर्द्र कताई, शुष्क कताई, बायो कम्पोनेण्ट कताई की जाती है
• सूत विभिन्न प्रकार के वस्त्र के उत्पादन का आधारिक या मूल तन्तु होता है।
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- अध्याय - 1 परिधान एवं वस्त्र विज्ञान का परिचय
- ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 2 तन्तु
- ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
- उत्तरमाला
- अध्याय - 3 सूत (धागा) का निर्माण
- ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
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- अध्याय - 4 तन्तु निर्माण की विधियाँ
- ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
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- अध्याय - 5 वस्त्र निर्माण
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- अध्याय - 7 संसाधन, निर्णयन प्रक्रिया एवं परिवार जीवन चक्र
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- ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
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- अध्याय - 11 कार्य सरलीकरण एवं घरेलू उपकरण
- ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
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